आखिर क्या कारण है कि चुनाव परिणाम आने के इतने दिन बीत जाने पर भी महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी सरकार गठन करने में असफल है? जब आशानुरूप सीटें नहीं आयीं, इसका दोष किसका है? लोकसभा चुनावों और स्थानीय चुनावों में अंतर होता है। अगर लोकसभा में जनता वोट देती है, प्रधानमंत्री के कामों पर, जबकि विधानसभा के लिए वोट करती है मुख्यमंत्री और विधायक के कामों पर और नगर निगम में महापौर और पार्षदों के कामों पर, किसी प्रधानमंत्री के आव्हान पर नहीं। लेकिन स्थानीय भाजपा मोदी-योगी-अमित के कन्धों पर उछलते नज़र आतें हैं। परिणाम सबके सामने है, हरियाणा में मंत्री हार रहे हैं, बहुमत से चलने वाली पिछली सरकार बैसाखियों पर आ गयी, और महाराष्ट्र में भी बैसाखी। लेकिन बैसाखी भी पकड़ी नहीं जा रही। फिर जो भाजपा एकजुट होने का दावा करती हो, वह मुख्यमंत्री होने के अलावा उपमुख्यमंत्री भी बनाए, यानि गुटबाज़ी। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छस्तीसगढ़ के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र में गुटबाज़ी उभर कर आयी है। उत्तर प्रदेश में भी कम गुटबाज़ी नहीं। यही स्थिति दिल्ली में होने वाली है, जिसका वीडियो नीचे दिया जा रहा है।
चुनावों में "हर हर मोदी, घर घर मोदी" और "मोदी है तो संभव है" नारों से स्थानीय चुनावों में भाजपा का भला नहीं होने वाला। ये नारे केवल लोकसभा चुनावों तक ही सीमित हैं, क्योकि केन्द्र में जो भी देशहित में निर्णय लेने हैं वह नरेन्द्र मोदी ने लेने हैं, जबकि मोदी के हाथ-पैर मजबूत बनाए रखने के लिए स्थानीय नेताओं और पदाधिकारियों को भी मोदी की भांति कार्य करना होगा, किसी भी राज्य में जाओ, कौन जनता तक पहुँचने और उनकी समस्याओं का निवारण कर रहा है। जिसे देखों बस कुछ वही पुंछल्ले जमा किये व्हाट्सअप पर फोटो डाल दी, शीर्ष नेतृत्व भी धोखे में आ गया कि हमारे स्थानीय पदाधिकारी कितने कमर्ठ और निष्ठावान हैं। इस भ्रमित कुंठा को समाप्त करना होगा।
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच अब भी खींचतान जारी है. बीजेपी विधायक दल ने देवेंद्र फडणवीस को अपना नेता चुन लिया है. बीजेपी के सूत्र दावा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार का ब्लू प्रिंट तैयार हो गया है. इसके मुताबिक महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की साझा सरकार बनेगी और देवेंद्र फडणवीस पूरे 5 साल के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे. वहीं, दो उपमुख्यमंत्री हो सकते हैं, जिनमें एक शिवसेना का होगा और एक बीजेपी का. सूत्रों का कहना है कि शिवसेना कुछ मलाईदार पदों की मांग कर सकती है. वो केंद्र में राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार भी मांग सकती है. हालांकि शिवसेना विधायक दल की बैठक के बाद सरकार गठन पर औपचारिक बात होगी.
इस बीच, शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने एक ट्वीट कर मीडिया में चल रही उन ख़बरों को ग़लत बताया है जिसमें ये कहा जा रहा है कि शिवसेना नरम पड़ गई है. उन्होंने ट्वीट किया, 'शिवसेना नरम पड़ गई है...पीछे हट गई है...पदों को समान रूप से बांटा जाए...इस मांग को छोड़ दिया है...ऐसा कहा जा रहा है. यह पब्लिक है सब जानती है, जो तय हुआ है उसी के अनुसार होगा.' आपको बता दें कि एक दिन पहले ही शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र के व्यापक हित में ‘सम्मान' से समझौता किए बगैर पार्टी के लिए भाजपा नीत गठबंधन में बने रहना जरुरी है.
राउत ने कहा था कि अगली सरकार बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं है. उन्होंने उन कयासों को खारिज कर दिया कि अगर नए मंत्रिपरिषद के गठन में देरी होती है तो शिवसेना बंट सकती है. गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद और सत्ता बंटवारे पर 50:50 फॉर्मूले पर आक्रामक रूप से जोर दे रही है, लेकिन भाजपा ने इस मांग को खारिज कर दिया है. राउत ने कहा कि दोनों सहयोगियों के बीच 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव से पहले जो तय हुआ था उनकी पार्टी बस उसे ही लागू करवाना चाहती है.
चुनावों में "हर हर मोदी, घर घर मोदी" और "मोदी है तो संभव है" नारों से स्थानीय चुनावों में भाजपा का भला नहीं होने वाला। ये नारे केवल लोकसभा चुनावों तक ही सीमित हैं, क्योकि केन्द्र में जो भी देशहित में निर्णय लेने हैं वह नरेन्द्र मोदी ने लेने हैं, जबकि मोदी के हाथ-पैर मजबूत बनाए रखने के लिए स्थानीय नेताओं और पदाधिकारियों को भी मोदी की भांति कार्य करना होगा, किसी भी राज्य में जाओ, कौन जनता तक पहुँचने और उनकी समस्याओं का निवारण कर रहा है। जिसे देखों बस कुछ वही पुंछल्ले जमा किये व्हाट्सअप पर फोटो डाल दी, शीर्ष नेतृत्व भी धोखे में आ गया कि हमारे स्थानीय पदाधिकारी कितने कमर्ठ और निष्ठावान हैं। इस भ्रमित कुंठा को समाप्त करना होगा।
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच अब भी खींचतान जारी है. बीजेपी विधायक दल ने देवेंद्र फडणवीस को अपना नेता चुन लिया है. बीजेपी के सूत्र दावा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार का ब्लू प्रिंट तैयार हो गया है. इसके मुताबिक महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की साझा सरकार बनेगी और देवेंद्र फडणवीस पूरे 5 साल के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे. वहीं, दो उपमुख्यमंत्री हो सकते हैं, जिनमें एक शिवसेना का होगा और एक बीजेपी का. सूत्रों का कहना है कि शिवसेना कुछ मलाईदार पदों की मांग कर सकती है. वो केंद्र में राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार भी मांग सकती है. हालांकि शिवसेना विधायक दल की बैठक के बाद सरकार गठन पर औपचारिक बात होगी.
इस बीच, शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने एक ट्वीट कर मीडिया में चल रही उन ख़बरों को ग़लत बताया है जिसमें ये कहा जा रहा है कि शिवसेना नरम पड़ गई है. उन्होंने ट्वीट किया, 'शिवसेना नरम पड़ गई है...पीछे हट गई है...पदों को समान रूप से बांटा जाए...इस मांग को छोड़ दिया है...ऐसा कहा जा रहा है. यह पब्लिक है सब जानती है, जो तय हुआ है उसी के अनुसार होगा.' आपको बता दें कि एक दिन पहले ही शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र के व्यापक हित में ‘सम्मान' से समझौता किए बगैर पार्टी के लिए भाजपा नीत गठबंधन में बने रहना जरुरी है.
50-50 फॉर्मूले पर फडणवीस ने दी सफाई- लोकसभा चुनाव के समय शिवसेना ने रखी थी ये मांग
राउत ने कहा था कि अगली सरकार बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं है. उन्होंने उन कयासों को खारिज कर दिया कि अगर नए मंत्रिपरिषद के गठन में देरी होती है तो शिवसेना बंट सकती है. गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद और सत्ता बंटवारे पर 50:50 फॉर्मूले पर आक्रामक रूप से जोर दे रही है, लेकिन भाजपा ने इस मांग को खारिज कर दिया है. राउत ने कहा कि दोनों सहयोगियों के बीच 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव से पहले जो तय हुआ था उनकी पार्टी बस उसे ही लागू करवाना चाहती है.
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