UN में ICJ ने कहा- पाकिस्तान ने किया कुलभूषण जाधव मामले में वियना समझौते का उल्लंघन

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कुलभूषण जाधव के मामले में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत में चल रहे मुकदमे में महत्वपूर्ण मोड़ आया है। अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस, आईसीजे) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली, यूएनजीए) को सूचित किया है कि पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण जाधव का कांसुलर एक्सेस न दे कर इस मामले में ऐसे केसों के लिए बने वियना कन्वेंशन के प्रावधानों का उल्लंघन किया है
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत के अध्यक्ष जस्टिस अब्दुलकावी युसूफ ने कहा है कि वैश्विक अदालत ने अपने फैसले में पाया है कि पाकिस्तान वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 के तहत आने वाली अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल साबित हुआ है। उसकी विफलता यह दावा करना है कि गुप्तचरी (एस्पियोनज) के आरोपित कैदी वियना कन्वेंशन की जद में नहीं आते।
युसूफ ने कहा कि चूँकि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव की गिरफ़्तारी की अधिसूचना जारी करने में करीब तीन हफ्ते का समय लगाया, अतः यह वियना कन्वेंशन के उस प्रावधान के विरुद्ध है जिसमें उसे भारत के कांसुलर ऑफिस को जाधव की गिरफ़्तारी के बारे में “बिना किसी देरी के” सूचना देनी थी।
अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने कहा कि इस गलती की सही भरपाई करने का तरीका यही होगा कि कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और मौत की सज़ा सुनाए जाने पर सही तरीके से पुनर्विचार (रिव्यू और रीकंसीडरेशन) हो।
अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने पाकिस्तान के उस दावे की भी पोल खोल दी जिसमें उसने कहा था कि गुप्तचरी (एस्पियोनज) के आरोपित कैदी वियना कन्वेंशन की जद में नहीं आते। जस्टिस अब्दुलकावी युसूफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सूचित किया कि वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 में गुप्तचरी (एस्पियोनज) के आरोपित कैदियों के मामले में किसी तरह की छूट का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महा सभा में दावा किया कि कुलभूषण जाधव के मामले में वियना कन्वेंशन पूरी तरह लागू होता है।

ज्ञात हो, इसी साल की 17 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को दी गई सजा की समीक्षा करने और पुनर्विचार करने को कहा था, जिसे भारत की बड़ी जीत माना गया था। इसके साथ ही कुलभूषण जाधव को मिली मौत की सज़ा पर भी रोक लगा दी गई थी। अदालत ने उसी समय पाकिस्तान को वियना संधि के उल्लंघन का दोषी पाया था। अदालत ने कहा था कि कुलभूषण जाधव को उनके अधिकारों के बारे में विवरण नहीं दिया गया। इसके अलावा अदालत ने उस समय भी इस बात का ज़िक्र किया था कि जाधव की गिरफ़्तारी की जानकारी भारत को तुरंत नहीं दी गई।

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