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स्वीडन में कुरान जलाने के विरोध में जुमे पर पूरे पाकिस्तान में प्रदर्शन, PM का ऐलान: आतंकी संगठन बदला लेगा : चर्चों पर हमले की धमकी, ईसाइयों के लिए जहन्नुम बना देंगे

पाकिस्तान चाहे कितना भी कहे कि वह कट्टरवाद से पीड़ित है, लेकिन वहाँ सरकार ही इसे बढ़ावा देती है, जिसका परिणाम वहाँ के हिंदू जैस अल्पसंख्यकों को भुगतना पड़ता है। आम देशों से उलट, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन की अपील की है। यह अपील स्वीडन में जलाए गए कुरान को लेकर है।

इसके पहले आतंकी संगठनों ने कहा था कि स्वीडन में कुरान जलाए जाने का ‘बदला’ पाकिस्तान में ईसाइयों से लिया जाएगा। यह ऐलान आतंकी संगठन लश्कर-ए-झांगवी ने किया है। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई का संरक्षण इस आतंकी संगठन को हासिल है।

प्रधानमंत्री शरीफ की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया कि शुक्रवार (7 जुलाई 2023) को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों सहित पूरे देश से रैलियों में शामिल होने का आग्रह किया, ताकि पूरा देश एकजुट होकर ‘उपद्रवियों’ को एक संदेश भेज सके।

पाकिस्तान ने ईद अल-अधा (बकरीद) के जश्न के दौरान स्वीडन में एक मस्जिद के बाहर सार्वजनिक रूप से कुरान जलाने की कड़ी निंदा की है। पाकिस्तान की संघीय सरकार कुरान के अपमान के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने के लिए शुक्रवार को यौम-ए-तकद्दुस-ए-कुरान (कुरान की पवित्रता की रक्षा करने का दिन) मनाएगी।

इसके पहले पाकिस्तान ने स्वीडन में हुई घटना के दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की माँग की थी। 71 वर्षीय शहबाज शरीफ माँग की थी कि स्वीडिश सरकार अपने देश में मुस्लिम आबादी के खिलाफ इस्लामोफोबिक और हेट स्पीच पर ध्यान दे।

इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से इस मसले पर बैठक बुलाने का आग्रह किया था। इस आग्रह के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक आपात बैठक बुलाई है। परिषद के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस सप्ताह के अंत में स्वीडन में कुरान जलाने और बढ़ती धार्मिक घृणा बहस होने की संभावना है।

वहीं, 57 इस्लामी मुल्कों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने भी कहा है कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक ‘आपातकालीन बैठक’ आयोजित की जाएगी। यह बैठक सऊदी अरब में लाल सागर के किनारे स्थित शहर जेद्दा में रविवार (9 जुलाई 2023) को होगी।

कुरान के अपमान को लेकर पाकिस्तान और आतंकी संगठनों में होड़ लग गई है। शरीफ सरकार की घोषणा से पहले लश्कर-ए-झांगवी ने ईसाइयों और चर्चों पर हमला करने की धमकी दी है। इसके बाद से पाकिस्तानी ईसाई वहाँ की सरकार से सुरक्षा की माँग कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लश्कर-ए-झांगवी के आतंकी नसीर रायसानी ने एक बयान जारी कर कहा है कि पाकिस्तान में कोई भी चर्च और ईसाई सुरक्षित नहीं रहेगा। स्वीडन में कुरान जलाने की घटना का बदला लेने के लिए ईसाइयों को निशाना बनाकर आत्मघाती बम धमाके किए जाएँगे।

आतंकी संगठन ने कहा है, “स्वीडन में कुरान का अपमान कर ईसाइयों ने मुस्लिमों को चुनौती दी है। अगर कोई ईसाई दूसरे देश में कुरान का अपमान करता है तो जिहाद के रास्ते पर चलने वाला झांगवी पाकिस्तान को ईसाइयों के लिए जहन्नुम बना देगा।”

इस धमकी पर अब तक पाकिस्तान की शहबाज शरीफ की खबर लिखे जाने तक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इससे अलग, खुद देशवासियों से प्रदर्शन का विरोध करने की अपील करके उन पर हमले को एक तरह से मुहर लगा दी है।

यूरोपीय देश स्वीडन में कोर्ट से आदेश मिलने के बाद बकरीद के दिन यानी बुधवार (28 जून 2023) को स्टॉकहोम शहर की सबसे बड़ी मस्जिद के सामने कुरान को फाड़ा और जलाया गया था। इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत अंजाम दिया गया था। इसका वीडियो भी सामने आया था।

इस वीडियो में स्टॉकहोम की एक मस्जिद के सामने दो लोग कुरान को फुटबॉल की तरह पैरों से मारते, उसे जमीन पर फेंकते और पैरों से कुचलते दिखे थे। फिर इराकी प्रदर्शनकारी ने कुरान को फाड़कर आग के हवाले कर दिया था। इस घटना से नाराज 57 इस्लामी मुल्कों ने पिछले दिनों सऊदी अरब में बैठक भी की थी। इराक में स्वीडन के दूतावास पर हमला भी हुआ था।

UNFPA : चीन को पीछे छोड़ भारत बना दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United nations population fund) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में अब सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। भारत ने जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। UNFPA की रिपोर्ट के अनुसार देश में अब चीन के मुकाबले 29 लाख लोग ज्यादा हैं। चीन की कुल जनसंख्या लगभग 142 करोड़ 57 लाख है, जबकि भारत की कुल जनसंख्या अब 142 करोड़ 86 लाख हो चुकी है।

UNFPA की द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2023 (The State of World Population Report, 2023) रिपोर्ट बुधवार (19 अप्रैल 2023) को जारी की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या में 1.56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी तरफ चीन में पिछले 6 दशकों में पहली बार जनसंख्या में गिरावट आई है। इस साल चीन में बच्चे पैदा करने की दर माइनस में दर्ज की गई।

यूएनएफपीए के मीडिया सलाहकार एना जेफरीज (Anna Jefferies) ने कहा है कि यह बताना मुश्किल है कि भारत ने चीन को कब पीछे छोड़ा। डेटा कलेक्शन में अंतर होने की वजह से दोनों देशों के बीच तुलना करना भी मुश्किल है।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल चीन की आबादी चरम पर थी और फिर इसमें गिरावट आने लगी। दूसरी तरफ भारत की आबादी में भले ही वृद्धि हो रही हो, लेकिन 1980 के बाद से आबादी के ग्रोथ रेट में गिरावट आई है। कह सकते हैं कि आबादी बढ़ने के बावजूद भारत में आबादी की दर कम हो रही है।

UNFPA की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या में 0-14 वर्ष के बच्चों की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है। देश की कुल आबादी में 18 प्रतिशत लोग 10-19 साल के हैं। 10-24 साल तक के लोगों की संख्या 26 प्रतिशत है। वहीं, 15-64 साल के बीच लगभग 68 प्रतिशत लोग हैं।

भारत में युवाओं की तादाद अधिक है। वहीं चीन में बूढ़े लोगों की संख्या ज्यादा है। यूएन का अनुमान है कि भारत में हर साल 2.5 करोड़ बच्चे जन्म लेते हैं, जबकि चीन में भारत की तुलना में शिशु जन्म दर आधी हो चुकी है। वर्ष 2022 में चीन में 95 लाख बच्चों का जन्म हुआ था।

इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतरी का नतीजा है कि यहाँ शिशु मृत्यु दर, एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर और 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है। देश में गर्भवती महिलाओं के मृत्यु दर में भी कमी आई है।


संयुक्त राष्ट्र में भारत की बड़ी जीत, सलाहकार समिति में सदस्य चुनी गईं भारतीय राजनयिक विदिशा मैत्रा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत को वैश्विक स्तर पर एक के बाद एक सफलता मिल रही है। इसी क्रम में संयुक्त राष्ट्र में भारत को एक और बड़ी जीत मिली। भारतीय राजनयिक विदिशा मैत्रा को प्रशासनिक एवं बजट संबंधी प्रश्न (एसीएबीक्यू) पर संयुक्त राष्ट्र की सलाहकार समिति में सदस्य चुना गया है। सदस्य के लिए हुए चुनाव में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव मैत्रा को 126 वोट मिले।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरूमूर्ति ने एक वीडियो संदेश में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों के भारी समर्थन से मैत्रा को संयुक्त राष्ट्र एसीएबीक्यू में शुक्रवार को चुना गया। तिरूमूर्ति ने इस अहम चुनाव में भारत का समर्थन करने और उसके उम्मीदवार में विश्वास जताने वाले सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया।

तिरूमूर्ति ने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र बजट पर दबाव बढ़ रहा है, ऐसे समय में एसीएबीक्यू में भारत की सदस्यता प्रासंगिक है। राजदूत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में पेशेवर ऑडिटिंग अनुभव लाने का भारत का एक शानदार रिकॉर्ड है और संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं में उत्कृष्ट योगदान दे रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि मैत्रा “एसीएबीक्यू के कामकाज में एक स्वतंत्र, उद्देश्यपूर्ण और बहुत आवश्यक लैंगिक संतुलित परिप्रेक्ष्य लाएंगी।”

एसीएबीक्यू संयुक्त राष्ट्र महासभा का एक आनुषंगिक अंग है। महासभा सलाहकार समिति में सदस्यों को नियुक्त करती है। सदस्यों का चयन व्यापक भौगोलिक प्रतिनिधित्व, निजी योग्यता और अनुभव के आधार पर होता है। मैत्रा एशिया-प्रशांत राष्ट्रों के समूह से नामित हुए दो उम्मीदवारों में से एक हैं। उनका कार्यकाल तीन साल का होगा जो एक जनवरी 2021 से शुरू होगा। यह जीत ऐसे वक्त में हुई है जब भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दो साल के लिए अस्थायी सदस्य के तौर पर जनवरी 2021 से कार्यभार संभालने की तैयारी कर रहा है। 

हाथरस : योगी विरोधी पहुंचे UNSC

कुछ लोगों को दूसरे की फटी में पैर फंसाने की आदत होती है, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त प्रशासन के विरुद्ध विदेशों में पल रहे हिन्दू विरोधी कर रहे हैं। हाथरस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र लेकर जाने वाले वो लोग कौन होते हैं? इतनी ही मानवाधिकार की चिंता है तो पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों क्यों गूंगे बने हुए हैं? दूसरे, चीन में इस्लाम पर किस तरह की पाबंदियां लगाई जा रही हैं, उस पर क्यों गूंगे और बहरे बने हुए हैं? पश्चिमी बंगाल में हिन्दुओं के मंदिरों पर हमला करने की घटनाओं पर मानवाधिकार क्यों नहीं याद आता? क्या वहां मानवाधिकार का खुलेआम उल्लंघन नहीं हो रहा? मानवाधिकार किस लिए होता है? क्या वह केवल एक ही समुदाय के विरुद्ध कार्यवाही के लिए है? अगर ये भारत का अंदरूनी मामला संयुक्त राष्ट्र में जाता है, इसमें भारतीय मीडिया भी बराबर की हिस्सेदार है, जो अपनी TRP के लिए फर्जी बलात्कार की खबरे चला रहे हैं। भारत सरकार को ऐसी मीडिया सख्ती करनी चाहिए। 
हाथरस मामले के नाम पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। अब अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कई NGO ने मिल कर ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) को पत्र लिख कर हाथरस मामले की अंतरराष्ट्रीय जाँच और मुख्यमंत्री योगी को बर्खास्त करने की माँग की है। इनमें से कई ऐसे हैं जो खुद को फेमिनिस्ट और दलित NGO बताते हैं। इस पत्र पर ब्रिटेन के कुछ सांसदों के अलावा ‘आंबेडकर इंटरनेशनल मिशन’ के कुछ समूह शामिल हैं।

ब्रिटेन के सांसदों जॉन मैक्डोनल, किम जॉनसन, बेल रिबेइरो-एडी और पॉला बेकर शामिल हैं। इन सभी ने मिल कर UNHRC के प्रमुख मिशेल बाचेलेत से कहा है कि वे हाथरस मामले में एक अन्तरराष्ट्रीय जाँच बिठाएँ और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद ‘महिलाओं, खासकर दलितों पर बढ़ रहे अत्याचार’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहें कि वो मुख्यमंत्री योगी को तुरंत बर्खास्त करें।

इन संस्थाओं ने UNHRC को लिखे पत्र में कहा है कि हाथरस मामले को एक अलग अपराध की तरह नहीं देखना चाहिए, बाकि इसे ‘दलितों और महिलाओं पर हो रहे क्रमबद्ध हमलों’ के रूप में देखा जाना चाहिए। इसमें भारतीय मीडिया के ही गिरोह विशेष के नैरेटिव को हवा देते हुए दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने जबरदस्ती पीड़िता के शव को रात में ही जला दिया, जबकि परिवार इसके विरुद्ध था।

साथ ही लिखा गया है कि हाथरस मामले के 24 घंटे के भीतर ही राज्य में बलात्कार के 3 बड़े मामले आए। हालाँकि, इसमें बलरामपुर वाली घटना की चर्चा नहीं है, जहाँ शाहिद और साहिल नामक दो आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। भदोही में एक 14 साल की लड़की के बलात्कार के बाद हत्या और आजमगढ़ में 8 साल के मासूम के बलात्कार की घटनाओं का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बर्खास्त करने की माँग की गई है।

इस पत्र को लिखने की पहल अमृत विल्सन ने की, जो मूल रूप से पश्चिम बंगाल के हैं और लंदन में रहते हैं। वे ‘साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप (SASG)’ से जुड़े हुए हैं। इस काम में उनका साथ दिया है ‘कास्ट वाच यूके’ ने। अमृत विल्सन खुद को ब्रिटेन और दक्षिण एशिया में जाति व लैंगिक भेदभाव का विशेषज्ञ मानते हैं और ‘एक्टिविस्ट’ भी कहते हैं। इस वर्ष फ़रवरी में वो कोलकाता भी आए थे। SASC लगातार ट्विटर पर इसे लेकर प्रोपेगेंडा फैलाने में लगा है।

उन्होंने TOI से कहा कि हाथरस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत शर्मसार हुआ है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने जिस तरह से ‘हाथरस में इस भयावहता को अंजाम दिया है’, उससे दुनिया भर के दलित और महिला एक्टिविस्ट्स आक्रोशित हैं। उन्होंने शनिवार (अक्टूबर 3, 2020) को कहा कि सीएम योगी को तो सत्ता से बेदखल होना ही चाहिए लेकिन अंततः मोदी सरकार ही है, जिसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

जब पूछा गया कि रेप तो अन्य राज्यों में भी हो रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि 2016 के बाद से सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनाएँ उत्तर प्रदेश में हुई हैं, जो 16% हैं। उन्होंने योगी सरकार को ‘हिन्दू सुप्रीमेसिस्ट गवर्नमेंट’ करार देते हुए कहा कि उनके द्वारा फैलाई गई हिंसा के कारण मुस्लिम और दलित डर कर रहते हैं। लंदन की आर्किटेक्ट सोफ़िया करीम ने भी इस पर हस्ताक्षर किया है, जो भारत की सरकार को फासिस्ट कहती हैं।

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हाथरस : लाश पर घिनौनी सियासत करने वाले क्या नेता कहलवाने योग्य हैं?

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हाथरस : लाश पर घिनौनी सियासत करने वाले क्या नेता कहलवाने योग्य हैं?

हाथरस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था, “दोषियों को सजा देना प्रशासन की ज़िम्मेदारी है।” सीएम ने कहा, “लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस किसी भी हद तक जा सकती है और सरकार सजा देने के कानूनी तरीकों में भी बदलाव कर सकती है।” उन्होंने कहा कि एक तरफ, हमें दोषियों के साथ सख्त रहना पड़ता है तो दूसरी तरफ, हमें पीड़ितों के साथ नरमी बरतनी चाहिए।

पाकिस्तान है मुसलमानों का सबसे बड़ा दुश्मन! UN में 54 देशों के साथ मिलकर दिया सबूत

चीन, उइगर मुस्लिम
पाकिस्तान नहीं है मुस्लिमों का हितैषी
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन ने 22 अन्य देशों का नेतृत्व करते हुए चीन द्वारा उइगर मुसलमानों को बंदी बनाए जाने की निंदा की है। 23 देशों के समूह ने एक संयुक्त बयान में बीजिंग की कड़ी आलोचना की। यह बयान ब्रिटेन के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत करेन पियर्स ने 193 सदस्यीय संगठन की मानवाधिकार समिति को दिया। अन्य समर्थकों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देश शामिल थे।
राजदूत पियर्स ने कहा,
“हम चीनी सरकार से शिनजियांग और पूरे चीन में धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता सहित मानवाधिकारों के सम्मान के लिए अपने राष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।”
UN का कहना है कि चीन के सुदूर शिनजियांग प्रांत के शिविरों में कम से कम 10 लाख उइगर और अन्य मुस्लिमों को क़ैद कर रखा गया है। वहीं, बीजिंग ने दावा किया कि वो शिविर “व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र” हैं, जिनका निर्माण चरमपंथ पर लगाम लगाने और लोगों को नए कौशल देने के लिए किया गया है।
ख़बर के अनुसार, जो मुस्लिम वहाँ बंदी थे, उनका आरोप है कि कैदियों पर अत्याचार, चिकित्सीय प्रयोग और सामूहिक बलात्कार किए जाते हैं। कुछ अन्य लोगों ने बताया कि मुस्लिम बंदियों को शराब पीने और सूअर का मांस खाने के लिए भी मजबूर किया जाता है। सरकार ने कथित तौर पर देश भर की मस्जिदों में गुंबदों और मीनारों को नष्ट कर दिया है। लेकिन, चीन ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है।
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार को लेकर मंगलवार (29 अक्टूबर) को संयुक्त राष्ट्र में चर्चा कराई गई थी। इसमें 54 देशों ने बीजिंग के मानवाधिकारों को लेकर सराहना की, जबकि 23 देशों ने चीन की कड़ी निंदा की। ग़ौर करने वाली बात यह है कि सराहना करने वाले 54 देशों में एक देश पाकिस्तान भी है। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान को उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। वो केवल चीन के साथ अपनी सदाबहार दोस्ती को निभाने की दिशा में अग्रसर है। 
पाकिस्तान दुनिया भर में मुस्लिमों की आवाज़ बनने का दंभ भरता है, लेकिन जब बात चीन की आती है, तो ऐसे समय में उसका यह दोहरा रवैया सामने आता है। पाकिस्तान के अलावा, रूस, बोल्विया, कॉन्गो और सर्बिया जैसे देश चीन के बचाव में हैं।

UN में ICJ ने कहा- पाकिस्तान ने किया कुलभूषण जाधव मामले में वियना समझौते का उल्लंघन

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कुलभूषण जाधव के मामले में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत में चल रहे मुकदमे में महत्वपूर्ण मोड़ आया है। अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस, आईसीजे) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली, यूएनजीए) को सूचित किया है कि पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण जाधव का कांसुलर एक्सेस न दे कर इस मामले में ऐसे केसों के लिए बने वियना कन्वेंशन के प्रावधानों का उल्लंघन किया है
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत के अध्यक्ष जस्टिस अब्दुलकावी युसूफ ने कहा है कि वैश्विक अदालत ने अपने फैसले में पाया है कि पाकिस्तान वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 के तहत आने वाली अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल साबित हुआ है। उसकी विफलता यह दावा करना है कि गुप्तचरी (एस्पियोनज) के आरोपित कैदी वियना कन्वेंशन की जद में नहीं आते।
युसूफ ने कहा कि चूँकि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव की गिरफ़्तारी की अधिसूचना जारी करने में करीब तीन हफ्ते का समय लगाया, अतः यह वियना कन्वेंशन के उस प्रावधान के विरुद्ध है जिसमें उसे भारत के कांसुलर ऑफिस को जाधव की गिरफ़्तारी के बारे में “बिना किसी देरी के” सूचना देनी थी।
अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने कहा कि इस गलती की सही भरपाई करने का तरीका यही होगा कि कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और मौत की सज़ा सुनाए जाने पर सही तरीके से पुनर्विचार (रिव्यू और रीकंसीडरेशन) हो।
अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने पाकिस्तान के उस दावे की भी पोल खोल दी जिसमें उसने कहा था कि गुप्तचरी (एस्पियोनज) के आरोपित कैदी वियना कन्वेंशन की जद में नहीं आते। जस्टिस अब्दुलकावी युसूफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सूचित किया कि वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 में गुप्तचरी (एस्पियोनज) के आरोपित कैदियों के मामले में किसी तरह की छूट का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महा सभा में दावा किया कि कुलभूषण जाधव के मामले में वियना कन्वेंशन पूरी तरह लागू होता है।

ज्ञात हो, इसी साल की 17 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को दी गई सजा की समीक्षा करने और पुनर्विचार करने को कहा था, जिसे भारत की बड़ी जीत माना गया था। इसके साथ ही कुलभूषण जाधव को मिली मौत की सज़ा पर भी रोक लगा दी गई थी। अदालत ने उसी समय पाकिस्तान को वियना संधि के उल्लंघन का दोषी पाया था। अदालत ने कहा था कि कुलभूषण जाधव को उनके अधिकारों के बारे में विवरण नहीं दिया गया। इसके अलावा अदालत ने उस समय भी इस बात का ज़िक्र किया था कि जाधव की गिरफ़्तारी की जानकारी भारत को तुरंत नहीं दी गई।

UN में जेहादी ऐलान का इमरान को इनाम: जॉर्डन की संस्था ने ‘मुस्लिम मैन ऑफ द ईयर’ से नवाजा

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जम्मू-कश्मीर के मसले पर भारत के ख़िलाफ़ लगातार जहर उगलने के बीच और संयुक्त राष्ट्र में जाकर मुस्लिम देशों की एकता की बात करने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को एक बड़ा अवॉर्ड मिला है। इस अवॉर्ड का नाम ‘मुस्लिम मैन ऑफ द ईयर’ है। उन्हें ये सम्मान उस दौरान दिया गया है जब यूएन में उन्होने खुलकर अपने भाषण के दौरान जिहाद की बात की और परमाणु युद्ध की धमकी दी।
जॉर्डन द्वारा इमरान खान नियाज़ी को 'मुस्लिम ऑफ़ द ईयर' से नवाजे जाना विश्व के लिए आँख खोलने वाली बात है।  
muslim-man_100919033250.jpgजॉर्डन की रॉयल इस्लामिक स्ट्रेटेजिक स्टडीज़ सेंटर नाम की संस्था ने इमरान को ये अवॉर्ड दिया है। इसमें उनके क्रिकेट के क्षेत्र में दिए योगदान और राजनैतिक करियर को अहम बताया गया है। इमरान के अलावा इस संस्था की ओर से अमेरिकी नेता राशिदा तैलब को वुमेन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिला।
जॉर्डन के इस संस्था ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने पहले खेल की दुनिया में अपना और देश का नाम रोशन करते हुए वर्ल्ड कप जीता। उसके बाद राजनीति में आए तो सीधे प्रधानमंत्री बन गए, इसलिए उनका जीवन मुस्लिम लोगों के लिए प्रेरणादायी है।
कश्मीर मुद्दे का जिक्र करते हुए जॉर्डन ने इमरान सरकार की तारीफ़ की। दावा किया गया है कि इमरान ने इस मसले पर भारत से बात करने का प्रयास किया है, लेकिन अभी तक उनके मनमुताबिक नतीजा सामने नहीं आया है।

अब जॉर्डन की इस संस्था इस्लामिक स्ट्रेटेजिक स्टडीज़ सेंटर की बात करें तो बता दें कि ये हर साल प्रभावशाली मुसलमानों की लिस्ट निकालती है। जिनमें टॉप 500 मुस्लिमों के नाम होते हैं, इसी में इस वर्ष इमरान खान का भी नाम आया है। संस्था द्वारा जारी लिस्ट में महिलाओं और पुरुषों दोनों का नाम होता है। गत वर्ष इस संस्था ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन को मुस्लिम मैन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया था।
गौरतलब है कि इमरान खान को यह अवॉर्ड मिलने की जानकारी उनकी पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से भी दी है। जिसके बाद कुछ यूजर्स ने उन्हें इसके लिए बधाई दी और उन्हें इस अवॉर्ड के लिए सबसे योग्य बताया, तो कुछ ने मीम्स शेयर करते हुए उनकी खिल्ली उड़ाई है।

एक यूजर ने उनके ट्वीट पर कमेंट किया है कि इस अवॉर्ड से बेहतर उन्हें ‘बेगर ऑफ द ईयर’ कहना बेहतर रहेगा, जिसने पूरे मुल्क को बेगर बना दिया।
वहीं, एक यूजर ने लिखा जबसे पाकिस्तान अस्त्तिव में आया तबसे ये अवॉर्ड उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। बहुत खूब पाकिस्तान।

पाकिस्तान मीडिया ने खोली पोल : इमरान के फ्लाइट में नहीं आई थी तकनीकी ख़राबी, नाराज सऊदी प्रिंस ने वापस बुला लिया था विमान

इमरान ख़ान
सऊदी के कमर्शियल फ्लाइट से पाक लौटते इमरान ख़ान
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
अपनी स्थापना से लेकर आज तक विश्व में जितनी बेइज्जती पाकिस्तान की इमरान खान नियाज़ी के प्रधानमंत्री रहते हो रही है, कभी नहीं हुई, जबकि कश्मीर मुद्दे को हर पाकिस्तानी शासक भुनाता रहा है। ऐसा आभास होता है कि आतंकवाद से अधिक कश्मीर मुद्दा पाकिस्तान के समाप्त होने का कारण बनेगा, आगे भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है, कहना कठिन है। क्योकि लगता है इस समय पाकिस्तान के हर शाख पर उल्लू बैठा है, अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा, नज़र आ रहा है।  
आपको याद होगा कि ‘यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली’ में भाग लेने न्यूयॉर्क गए पाकिस्तानी पीएम इमरान ख़ान के फ्लाइट में लौटते वक़्त तकनीकी ख़राबी की ख़बर आई थी, जिसके बाद उन्हें वापस अमेरिका में लैंड कराया गया था। 28 सितम्बर को पाकिस्तान लौट रहे इमरान ख़ान की फ्लाइट की न्यूयॉर्क में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी। 1 सप्ताह के दौरे के लिए वहाँ गए इमरान ख़ान को इसके बाद पूरी रात अमेरिका में ही रुकना पड़ा था। कहा गया था कि फ्लाइट में आई ख़राबी को दूर किए जाने के बाद वह फिर से वापस पाकिस्तान के लिए रवाना होंगे।
जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की दुनिया को बरगलाने की कोशिश नाकाम हो चुकी है। यूएनजीए में जब वो अपनी बात रख रहे थे तो उनके भाषण में शांति के मंच से शांति का शब्द गायब था। वो परमाणु यु्द्ध की धमकी देकर दुनिया को डरा रहे थे। इस बीच पाकिस्तान के एक साप्ताहिक मैगजीन फ्राइडे टाइम्स ने सनसनीखेज खुलासा किया है।
‘फ्राइडे टाइम्स’ के अनुसार, इमरान ख़ान की फ्लाइट को किसी तकनीकी ख़राबी की वजह से नहीं बल्कि सऊदी क्राउन प्रिंस की नाराज़गी के कारण वापस न्यूयॉर्क में लैंड करना पड़ा था। इमरान ख़ान के भाषण में कही गई कुछ बातों से सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इतने ख़फ़ा थे कि उन्होंने तुरंत इमरान सहित पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को अपने प्राइवेट जेट से निकाल बाहर करने का आदेश दे दिया था।

हालाँकि, इमरान ख़ान अमेरिका गए तो थे सऊदी क्राउन प्रिंस के स्पेशल जेट से लेकिन वह वापस एक कमर्शियल फ्लाइट से लौटे। इमरान जिस प्लेन से वापस आए, वो भी सऊदी एयरलाइन्स की ही नियमित कमर्शियल फ्लाइट थी। इमरान के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी उनके साथ इसी फ्लाइट से वापस आए। पाकिस्तान ने तब बहाना बनाया था कि इमरान भूकंप से पीड़ित इलाक़ों का जल्द से जल्द दौरा करना चाहते हैं, इसीलिए वह जल्दबाजी में कमर्शियल फ्लाइट से वापस आ रहे हैं।
‘फ्राइडे टाइम्स’ ने लिखा कि संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली में इमरान ख़ान के सम्बोधन के समय कई कुर्सियाँ खाली थीं, लेकिन फिर भी वापस लौटने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। मीडिया पोर्टल ने पूछा कि जब पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में जोरदार प्रदर्शन किया, फिर पाकिस्तानी स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोदी को इसके तुरंत बाद वापस बुलाने की नौबत क्यों आन पड़ी? इस बात पर भी सवाल खड़े किए गए कि इमरान ख़ान ने जम्मू कश्मीर मसले को ‘इस्लामिक पाकिस्तान बनाम हिन्दू भारत’ के मुद्दे में बदल दिया है।
यूएनजीए में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने बड़ी-बड़ी बातें की थीं। जहाँ एक तरफ उन्होंने दुनिया को परमाणु युद्ध का डर दिखाया था, वहीं दूसरी तरफ भारत के ख़िलाफ़ इस्लामिक राष्ट्रों का समर्थन लेने के लिए पैगम्बर मुहम्मद और इस्लाम पर लम्बा-चौड़ा भाषण दिया था। उन्होंने जम्मू कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मसला बनाने के लिए पूरा जोर लगाया। हालाँकि, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सम्बोधन में एक बार भी इमरान खान नियाज़ी या पाकिस्तान का नाम नहीं लिया था और विकास के अन्य मुद्दों को केंद्र में रखा था।
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पाकिस्तान की खैबर पैख्‍तूनख्‍वा प्रांत की सरकार ने पिछले दिनों स्कूली छात्रों के लिए बुर्का या अबाया अनिवार्य कर...

फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट को पाकिस्तान सरकार ने खारिज किया है। सरकार का कहना है कि इस तरह से इमरान खान की यात्रा को संदेह के घेरे में लाने की कोशिश की गई है। सच बात तो ये है कि इमरान खान की यात्रा पूरी तरह सफल थी। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि प्रोपगैंडा के तहत इमरान खान को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है जबकि यूएस में उनकी यात्रा बेहद सफल थी। 

फिर फिसली इमरान खान की जुबान

Imran Khanपाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की जुबान एक बार फिर फिसल गई, जब वह सितम्बर 27 को संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इस दौरान भारत के खिलाफ खूब बोले। उन्‍होंने कश्‍मीर का मसला उठाया तो राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी अपनी भड़ास निकाली। इसी दौरान उनकी जुबान फिसल गई, जब उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री की बजाय 'राष्‍ट्रपति' कह दिया।
प्रधानमंत्री के तौर पर यह इमरान खान का संयुक्‍त राष्‍ट्र में पहला संबोधन था। उन्‍होंने जिस तरह से इस दौरान वैश्विक मंच पर अपनी बात रखी, उससे उनके भीतर की खीझ और भड़ास साफ नजर आ रही थी। क्रिकेटर से सियासी मैदान में पारी शुरू करने वाले इमरान खान ने बीते साल अगस्‍त में प्रधानमंत्री का पद संभाला था। कश्‍मीर पर दुनिया का साथ नहीं मिलने से पहले से ही बौखलाए इमरान खान अपने संबोधन के दौरान भारत और अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के खिलाफ भड़ास निकालते दिखे।

इमरान खान संयुक्‍त राष्‍ट्र में करीब 50 मिनट बोले, जबकि यहां नेताओं के संबोधन के लिए 15 मिनट का समय ही निर्धारित था। अपने संबोधन में कश्‍मीर मुद्दा उठाते हुए इमरान खान ने भारत के साथ तनावपूर्ण रिश्‍तों का जिक्र किया और कहा कि अगर भारत के साथ पाकिस्‍तान को युद्ध के हालात से गुजरना पड़ता है तो इसका असर केवल भारत-पाकिस्‍तान तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरी दुनिया पर इसका असर होगा।
पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि 9/11 के बाद दुनियाभर में 'इस्लामोफोबिया' (इस्लाम को लेकर पैदा किया जा रहा डर) तेजी से बढ़ा है और इसके चलते लोगों के बीच विभाजन भी हो रहा है। मुस्लिम महिलाओं के 'हिजाब' पहनने पर उन्‍होंने कहा कि इसे भी कुछ देशों में एक समुदाय विशेष के खिलाफ हथियार की तरह इस्‍तेमाल किया जा रहा है और यह सब 9/11 के बाद हो रहा है।
यह पहला मौका नहीं है, जब इमरान खान की जुबान फिसली हो। इससे पहले ईरान दौरे के दौरान इमरान खान ने ऐतिहासिक तथ्‍यों को लेकर ऐसी गलतबयानी की थी, जिसे लेकर वह सोशल मीडिया पर घिर गए। इमरान खान दो पड़ोसी मुल्‍कों बीच व्‍यापारिक संबंधों की बात कर रहे थे, जब उन्‍होंने गलती से एशियाई देश जापान और यूरोपीय देश जर्मनी को पड़ोसी मुल्‍क बता दिया, जबकि उन्‍हें यूरोपीय देशों जर्मनी और फ्रांस का जिक्र करना था। इसे लेकर सोशल मीडिया पर उनकी खूब फजीहत हुई थी।

Narendra Modi and Imran Khan
धमकी भरा रहा इमरान का सम्बोधन 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के मंच से भारत के विकास की कहानी बयां की। उन्होंने भारत के विकास व इसकी उपलब्धियों को दुनिया के लिए प्रेरणा के रूप में पेश किया। इस दौरान मोदी ने कहा कि भारत की विकास गाथा पूरी दुनिया के गरीबों में विश्वास पैदा करने और दुनिया को एक नई आशा देने का काम करती है। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मोदी का भाषण विकास और शांति पर पर केंद्रित रहा वहीं इमरान खान का भाषण इस्लाम, युद्ध और कश्मीर पर केंद्रित रहा
पीएम मोदी ने कहा, 'विकास के प्रयास हमारे हैं, लेकिन इसका फल सभी के लिए है, संपूर्ण विश्व के लिए है।' मोदी ने कहा, 'हमारा प्रयास सारे संसार के लिए है। जब मैं उन देशों के बारे में सोचता हूं कि जो भारत की तरह ही प्रयास कर रहे हैं, तो हमारा विश्वास और दृढ़ हो जाता है' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंक के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जिसने दुनिया को 'बुद्ध' दिया है न कि 'युद्ध'। मोदी ने कहा कि हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी।
जबकि संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन के दौरान इमरान खान ने कश्मीर मुद्दा उठाया और मांग की कि भारत को कश्मीर में ‘अमानवीय कर्फ्यू’ हटाना चाहिए एवं सभी बंदियों को रिहा करना चाहिए। इमरान का भाषण मुख्य रूप से इस्लामोफोबिया, कश्मीर, और आरएसएस पर केंद्रित रहा। यहीं नहीं इमरान ने एक अतंराष्ट्रीय मंच से सीधे-सीधे भारत को युद्ध ही नहीं बल्कि परमाणु युद्ध की भी धमकी दे डाली। अपने लंबे भाषण में इमरान खान ने एक बार फिर युद्ध की धमकी देते हुए कहा कि यदि दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों में युद्ध होता है तो उसके नतीजे उनकी सीमाओं से परे जाएंगे।
इमरान ने अपने भाषण में भारत विरोधी बयानबाजी करने के साथ-साथ कांग्रेस का भी नाम लिया। इमरान ने कहा, 'पिछली सरकार में कांग्रेस के गृह मंत्री ने बयान दिया था कि आरएसएस के शिविरों में आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ' जहां प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में शांति और सद्भावना की बात की वहीं इमरान का भाषण ठीक इसके उलट युद्ध की धमकी पर आधारित रहा। 
इमरान को शायद ज्ञान नहीं कि कांग्रेस ने जब भी आरएसएस के विरुद्ध जो भी कदम उठाये, परेशानी का सामना करना पड़ा। इसको अपना वोटबैंक बना ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल कर हिन्दू और मुसलमानों के बीच दरार डालने का प्रयास करती रही थी, वैसे आज भी कर रही है। 
भारत के आतंरिक मामलों में दखल देते हुए इमरान खान ने एक बार फिर से आर्टिकल 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की। इमरान ने धमकी देते हुए कहा कि यदि कश्मीर से कर्फ्यू हटता है तो वहां खून की नदियां बहेंगी। इमरान ने कहा, 'यहां तक की कांग्रेस पार्टी ने भी लोगों को घरों के अंदर कैद रखे जाने की आलोचना की है।'
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने कांग्रेस का नाम अपने संबोधन में लिया हो। इस महीने की शुरुआत में जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को लेकर जो डोजियर सौंपे थे उनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला के उन बयानों को शामिल किया था जो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद दिए गए थे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संयुक्त राष्ट्र की 74वीं सभा को संबोधित करने जा रहे हैं. दुनियाभर के नेताओं की नजर पीए....

पिछले महीने ही पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र को विशेष प्रक्रिया के लिए एक पत्र लिखा था। अपने पत्र में, माजरी ने दावा किया था कि राहुल गांधी ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर में लोग मर रहे हैं। बाद में राहुल गांधी ने अपने रुख को स्पष्ट किया और कहा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़का रहा है। राहुल ने कहा था कि यह भारत का आंतरिक मसला है जिसमें इस्लामाबाद के हस्तक्षेप के लिए कोई जगह नहीं है। कांग्रेस ने भी दोहराया था कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है और हमेशा रहेगा। 

हमने दुनियां को युद्ध नहीं बुद्ध दिया --नरेन्द्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र में

Narendra Modi in UN
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संयुक्त राष्ट्र की 74वीं सभा को संबोधित करने जा रहे हैं. दुनियाभर के नेताओं की नजर पीएम मोदी के भाषण पर टिकी हुई है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री आज संयुक्त राष्ट्र के मंच से क्या बोलते हैं. इससे पहले युनाइटेड नेशंस क्लाइमेट एक्शन समिट में पीएम मोदी ने जलवायू परिवर्तन के मुद्दे पर कहा था कि अब बात करने का समय खत्म हो गया है और एक्शन का समय शुरू हो चुका है.
पीएम मोदी अपने भाषण की शुरुआत में महात्मा गाँधी को याद किया। उन्होंने कहा कि दुनिया में लोगों ने सबसे ज्यादा वोट देकर मुझे और मेरी सरकार को जनादेश दिया, जनादेश का संदेश इससे बड़ा व्यापक और प्रेरक है।
पीएम मोदी ने कहा जब एक विकासशील देश दुनिया का सबसे बड़ा सोशल इंक्लूजन कार्यक्रम चलाता है, अपने नागरिकों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान का कार्यक्रम चलाता है, करप्शन को रोककर 20 बिलियन डॉलर से ज्यादा बचाता है तो इससे दुनिया कुछ सीखती है।

आप उनका पूरा स्पीच यहाँ लाइव देख सकते हैं

आतंक के नाम पर बंटी हुई दुनिया, उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है जिसके आधार पर यूएन का जन्म हुआ है। इसलिए मानवता की खातिर, आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत होना और एकजुट होना मैं अनिवार्य समझता हूं- पीएम मोदी
हमारे प्रयास से 130 करोड़ भारतीयों को केंद्र में रखकर हो रहे हैं लेकिन ये प्रयास जिन सपनों के लिए रहे हैं। वो सारे विश्व के हैं, हर देश के हैं, हर समाज के हैं। प्रयास हमारे हैं, परिणाम सभी लिए हैं। सारे संसार के लिए हैं- पीएम मोदी
आने वाले पांच साल में हम जल संरक्षण को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम के जरिए 15 करोड़ लोगों को पेयजल कनेक्शन देने जा रहे हैं। हम गरीबों के लिए 2 करोड़ नए घरों का निर्माण करने वाले हैं। हम 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं- मोदी
एक विकासशील देश जब दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय कार्यक्रम सफलतापूर्वक चलाता है, सिर्फ पांच साल में 37 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खोलता है तो उसके साथ बनी व्यवस्थाएं पूरी दुनिया में विश्वास पैदा करती हैं- मोदी
संयुक्त राष्ट्र की इमारत की दीवार पर आज मैंने पढ़ा- “नो मोर सिंगल यूज प्लास्टिक”। मुझे सभा को ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आज जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, उस वक्त हम पूरे भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए एक बड़ा अभियान चला रहे हैं: पीएम मोदी
जब एक एक विकासशील देश पूरे देश को विश्व की सबसे बड़ी हेल्थ एश्योरेंस स्कीम सफलतापूर्व क चलाता है, 50 करोड़ लोगों कोहर साल पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देता है तो उसके साथ ब नी संवेदनशील व्यवस्थाएं पूरी दुनिया को एक नया मार्ग दिखाती हैं- पीएम मोदी
मेरी सरकार को पहले से ज्यादा जनादेश दिया जिसकी बदौलत में आज यहां हूं। लेकिन इस जनादेश से निकला संदेश इससे बड़ा है, ज्यादा व्यापक है ज्यादा प्रेरक है। जब एक विकाशसील देश दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान शुरू करता है और सफलता पूर्वक पूरा करता है तो वह पूरी दुनिया को प्रेरक संदेश देता है- पीएम मोदी