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स्वीडन, डेनमार्क के बाद अब बांग्लादेश में जलाई गई कुरान की 45 पुस्तकें

                                          बांग्लादेश में कुरान जलाने पर हुआ प्रदर्शन((फोटो साभार: Wion)
स्वीडन और डेनमार्क के बाद अब इस्लामिक देश बांग्लादेश में कुरान की दर्जनों प्रतियाँ जलाई गईं। नुरूर रहमान और महबूब आलम नामक दो व्यक्तियों ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया। इसकी जानकारी सामने आने के बाद करीब 10 हजार लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। साथ ही दोनों आरोपितों को मारने की कोशिश की।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुरान जलाने के आरोप में बांग्लादेश के पूर्वोत्तर शहर सिलहट से पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया। आरोपितों की पहचान स्कूल के प्रिंसिपल नुरूर रहमान और उसके सहयोगी महबूब आलम नामक के रूप में हुई। आरोपितों का कहना है कि कुरान की प्रतियाँ बहुत पुरानी और कुछ में प्रिंटिंग मिस्टेक थी। इसलिए उन्होंने उनमें आग लगा दी। पुलिस ने दोनों के पास से कुरान की जली हुई 45 प्रतियाँ जब्त की हैं।

एएफपी ने पुलिस अधिकारी अजबहार अली शेख के हवाले से कहा है कि रविवार से लेकर सोमवार रात (6-7 अगस्त 2023) तक कुरान जलाने के विरोध में 10 हजार लोग प्रदर्शन कर रहे थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रबर की गोलियाँ और आँसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।

Wion ने ढाका ट्रिब्यून के हवाले से कहा है कि सिलहट मेट्रोपोलिटन पुलिस आयुक्त मोहम्मद एलियास शरीफ का कहना है कि कुरान जलाए जाने को लेकर स्कूल के शिक्षक, छात्र व क्षेत्र के अन्य लोग प्रिंसिपल व अन्य आरोपित से नाराज थे। इसलिए भीड़ ने दोनों को घेरकर पिटाई कर दी। हालाँकि बाद में पुलिस ने दोनों को बचा लिया। इस दौरान गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर भी हमला किया। हमले में 14 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस और इस्लामवादियों के बीच हुई झड़प में कुछ अन्य लोगों के घायल होने की भी खबर है। हालाँकि घायलों की संख्या की पुष्टि नहीं हुई।

बीते कुछ महीनों में यूरोपीय देश स्वीडन और डेनमार्क में कई बार कुरान जलाई गई है। कई इस्लामिक देश इसका विरोध करते हुए दोनों देशों की सरकारों से रोक लगाने व कार्रवाई करने की माँग कर चुके हैं। हालाँकि स्वीडन और डेनमार्क दोनों ही देशों का कहना है कि वह देश के कानून के चलते कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल, स्वीडन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर मजबूत कानून है। इसके तहत ही लोग वहाँ कुरान जला रहे हैं।

स्वीडन के बाद डेनमार्क भी सीमा सुरक्षा सख्त, कुरान जलाने की घटनाओं से भड़के हुए हैं मुस्लिम देश

                                                                                                        साभार: QuranConnectionTV
डेनमार्क ने अपनी सीमाओं पर सुरक्षा सख्त करने का फैसला किया है। ऐसा कुरान जलाए जाने की हालिया घटना के बाद उपजे सुरक्षा के खतरों को देखते हुए किया गया है। इससे पहले स्वीडन ने भी अपनी नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसी तरह का फैसला लिया था। दोनों देशों में हाल में कुरान जलाने की कई घटनाएँ हुई है।

डेनमार्क के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि हाल ही में कुरान जलाने के बाद सुरक्षा स्थिति प्रभावित हुई है। इसके बाद डेनिश पुलिस सीमा पर नियंत्रण सख्त कर रही है। डेनिश मंत्रालय ने गुरुवार (3 अगस्त, 2023) देर रात एक बयान में कहा, “विशिष्ट और वर्तमान खतरों को देखते हुए अधिकारियों का मानना है कि डेनमार्क की सीमा में कौन प्रवेश कर रहा है, इस पर ध्यान कें​द्रित करना आवश्यक है।” इसको ध्यान में रखते हुए 10 अगस्त, 2023 तक सख्त सीमा नियंत्रण लागू किया गया है।

अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, डेनमार्क और स्वीडन में इस्लाम विरोधी एक्टिविस्टों ने हाल के महीनों में कुरान की कई प्रतियों को विरोध-प्रदर्शनों में जला दिया था। इससे मुस्लिम बहुल देशों में आक्रोश भड़क गया है और ऐसे कृत्यों पर प्रतिबंध लगाने की माँग हो रही है। मुस्लिम देशों के आक्रोश को देखते हुए स्वीडन, डेनमार्क सहित कई देश सुरक्षा को पैदा हुए खतरों की समीक्षा में लगे हैं। इसी कड़ी में डेनमार्क ने आने वाले लोगों को अधिक जाँच के साथ सीमा में प्रवेश देने एवं सख्त सुरक्षा-व्यवस्था का निर्देश दिया है। दोनों देशों ने मुस्लिमों के आक्रोश को थामने के लिए कुरान जलाए जाने की निंदा भी की है। साथ ही इस बात का आश्वासन दिया है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए नए कानूनों पर विचार किया जाएगा।

 इस तरह की भी खबरें हैं कि स्वीडन और डेनमार्क के नागरिक ऐसे किसी कानून के विरोध में हैं। उनका मानना है कि इससे संविधान में संरक्षित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार कमजोर होगा। इससे पहले स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने कहा था कि उनके देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो कुरान या अन्य मजहबी किताबों को जलाने या उनका अपमान करने से रोकता हो। लेकिन हर वह चीज जो कानूनी तौर पर जायज है, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह की घटना भले कानूनी तौर पर सही हो पर भयावह हैं।

स्वीडन में कुरान जलने पर मुंबई की मीनारा मस्जिद के बाहर जुटी भीड़ के खतरे बड़े, क्योंकि इसके पीछे है रजा अकादमी

लोकतांत्रिक व्यवस्था में शांतिपूर्ण विरोध अधिकार है। इसलिए पहली नजर में मुंबई की मीनारा मस्जिद के बाहर 5 जुलाई 2023 को हुए इस जुटान की तस्वीर में कोई खतरा नहीं दिखता। लेकिन घंटी तब बजती है जब पता चलता है कि स्वीडन में कुरान जलाए जाने की घटना के विरोध में हुए इस प्रदर्शन के पीछे रजा अकादमी (Raza Academy) है।

नाम से रजा अकादमी भले अकादमिक संस्था होने का आभास देता हो, पर यह कुख्यात अपने कट्टरपंथी इस्लामी विचारों को लेकर है।करतूतें इस संगठन की हिंसक मंशा की गवाह हैं। कई राज्यों में इस्लामी भीड़ की हिंसा के पीछे इस संगठन की भूमिका संदेहास्पद रही है। दुनिया के किसी भी कोने में हुई घटना पर मुस्लिमों को उकसाने के लिए यह कुख्यात रहा है।

मुंबई के ही आजाद मैदान में अगस्त 2012 में हुआ दंगा देश अब तक भूला नहीं है। तब म्यामांर में रोहिंग्या मुस्लिमों पर कथित अत्याचार के विरोध के नाम पर भीड़ जुटा गई थी। सऊदी अरब में सिनेमा हॉल खुलने का विरोध हो या फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष के खिलाफ फतवा जारी करने की माँग, CAA और NRC का विरोध हो या COVID प्रोटोकॉल को लचीला बनाकर मस्जिद खोलने की माँग… रजा अकादमी की भूमिका आपको हर जगह दिख जाएगी। नवंबर 2021 में महाराष्ट्र के मालेगाँव, नांदेड़ और अमरावती जिलों में प्रदर्शन के नाम पर मुस्लिमों की भीड़ ने जो कुछ किया था, वह भी पूरे देश ने देखा है। उसके बाद रजा एकेडमी के दफ्तरों पर महाराष्ट्र पुलिस की छापेमारी और गिरफ्तारियों के बारे में भी हम जानते हैं।

अतीत की ये तमाम घटनाएँ हमें बताती हैं कि बकरीद के दिन स्वीडन की एक मस्जिद के बाहर कुरान जलाए जाने की घटना के विरोध के नाम पर हुए इस छोटे जुटान को सामान्य विरोध प्रदर्शन मानकर नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए। वैसे भी इस घटना के बाद वैश्विक स्तर पर जो इस्लामिक गुटबंदी दिख रही है, खुद को कुरान का सबसे बड़ा रखवाला साबित करने की जो होड़ लगी है, वह खतरे को और भी बढ़ा देता है। इसी घटना के विरोध के नाम पर इराक में स्वीडिश दूतावास पर हमला हो चुका है। 57 इस्लामी मुल्क सऊदी अरब में बैठक कर चुके हैं। तुर्की ने नाटो में स्वीडन के प्रवेश को रोकने के लिए एड़ी-चोट का जोर लगा रखा है। शिया मुस्लिमों के खिलाफ बर्बरता के लिए कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-झांगवी पाकिस्तान में चर्चों और ईसाइयों पर हमला कर बदला लेने की धमकी दे रहा है। कंगाली पर खड़े पाकिस्तान का प्रधानमंत्री जुमे पर देशभर में प्रदर्शन का ऐलान कर रहा है। यह सब तब हो रहा है जब स्वीडन का राजनीतिक नेतृत्व से लेकर ईसाई नेता तक इस घटना की निंदा कर चुके हैं।

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर स्वीडन की मस्जिद के सामने एक इराकी के कुरान जलाने के बाद दुनियाभर के अलग अलग हिस्सों में हो रही इन तमाम गतिविधियों में एक ही चीज साझा है। वह है मजहब। वह मजहब जिसका हवाला देकर भीड़ हिंसा के लिए ही जुटाई जाती है। ऐसे में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर, लोकतांत्रिक अधिकार के नाम पर, स्वीडन में हुई घटना के विरोध में भारत के शहरों में जुटान करने, प्रदर्शन होने के भी खतरे बड़े है। खासकर तब जब इसके पीछे रजा अकादमी जैसा वह संगठन हो जिसका रिकॉर्ड भीड़ जमा कर उसे अनियंत्रित छोड़ने का पुराना और बदनाम रहा हो।

जरूरी नहीं है कि हर बार हम हिंसा के बाद ही जगे। हर बार दंगों के बाद ही इन संगठनों के दफ्तरों पर छापे पड़े। मुस्लिमों को उकसाने और हिंसा की साजिश रचने वालों की गिरफ्तारी हो। आदर्श व्यवस्था तो वह है जो जुमे की पूर्वसंध्या पर ऐसी कहानियों की पटकथा लिखने का ही मौका न दे। उम्मीद की जानी चाहिए महाराष्ट्र में उफान मारती सियासत के बीच मुंबई पुलिस की नजर मीनारा मस्जिद के बाहर जुटी उस भीड़ पर भी रही होगी जिसने कुरान जलाने वाले को तुरंत फाँसी देने की माँग करते हुए उस देश में प्रदर्शन किया है, जिस देश में आतंकी अजमल कसाब को फाँसी भी कबाब खिलाने के बाद ही मिली थी।


स्वीडन में कुरान जलाने के विरोध में जुमे पर पूरे पाकिस्तान में प्रदर्शन, PM का ऐलान: आतंकी संगठन बदला लेगा : चर्चों पर हमले की धमकी, ईसाइयों के लिए जहन्नुम बना देंगे

पाकिस्तान चाहे कितना भी कहे कि वह कट्टरवाद से पीड़ित है, लेकिन वहाँ सरकार ही इसे बढ़ावा देती है, जिसका परिणाम वहाँ के हिंदू जैस अल्पसंख्यकों को भुगतना पड़ता है। आम देशों से उलट, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन की अपील की है। यह अपील स्वीडन में जलाए गए कुरान को लेकर है।

इसके पहले आतंकी संगठनों ने कहा था कि स्वीडन में कुरान जलाए जाने का ‘बदला’ पाकिस्तान में ईसाइयों से लिया जाएगा। यह ऐलान आतंकी संगठन लश्कर-ए-झांगवी ने किया है। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई का संरक्षण इस आतंकी संगठन को हासिल है।

प्रधानमंत्री शरीफ की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया कि शुक्रवार (7 जुलाई 2023) को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों सहित पूरे देश से रैलियों में शामिल होने का आग्रह किया, ताकि पूरा देश एकजुट होकर ‘उपद्रवियों’ को एक संदेश भेज सके।

पाकिस्तान ने ईद अल-अधा (बकरीद) के जश्न के दौरान स्वीडन में एक मस्जिद के बाहर सार्वजनिक रूप से कुरान जलाने की कड़ी निंदा की है। पाकिस्तान की संघीय सरकार कुरान के अपमान के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने के लिए शुक्रवार को यौम-ए-तकद्दुस-ए-कुरान (कुरान की पवित्रता की रक्षा करने का दिन) मनाएगी।

इसके पहले पाकिस्तान ने स्वीडन में हुई घटना के दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की माँग की थी। 71 वर्षीय शहबाज शरीफ माँग की थी कि स्वीडिश सरकार अपने देश में मुस्लिम आबादी के खिलाफ इस्लामोफोबिक और हेट स्पीच पर ध्यान दे।

इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से इस मसले पर बैठक बुलाने का आग्रह किया था। इस आग्रह के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक आपात बैठक बुलाई है। परिषद के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस सप्ताह के अंत में स्वीडन में कुरान जलाने और बढ़ती धार्मिक घृणा बहस होने की संभावना है।

वहीं, 57 इस्लामी मुल्कों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने भी कहा है कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक ‘आपातकालीन बैठक’ आयोजित की जाएगी। यह बैठक सऊदी अरब में लाल सागर के किनारे स्थित शहर जेद्दा में रविवार (9 जुलाई 2023) को होगी।

कुरान के अपमान को लेकर पाकिस्तान और आतंकी संगठनों में होड़ लग गई है। शरीफ सरकार की घोषणा से पहले लश्कर-ए-झांगवी ने ईसाइयों और चर्चों पर हमला करने की धमकी दी है। इसके बाद से पाकिस्तानी ईसाई वहाँ की सरकार से सुरक्षा की माँग कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लश्कर-ए-झांगवी के आतंकी नसीर रायसानी ने एक बयान जारी कर कहा है कि पाकिस्तान में कोई भी चर्च और ईसाई सुरक्षित नहीं रहेगा। स्वीडन में कुरान जलाने की घटना का बदला लेने के लिए ईसाइयों को निशाना बनाकर आत्मघाती बम धमाके किए जाएँगे।

आतंकी संगठन ने कहा है, “स्वीडन में कुरान का अपमान कर ईसाइयों ने मुस्लिमों को चुनौती दी है। अगर कोई ईसाई दूसरे देश में कुरान का अपमान करता है तो जिहाद के रास्ते पर चलने वाला झांगवी पाकिस्तान को ईसाइयों के लिए जहन्नुम बना देगा।”

इस धमकी पर अब तक पाकिस्तान की शहबाज शरीफ की खबर लिखे जाने तक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इससे अलग, खुद देशवासियों से प्रदर्शन का विरोध करने की अपील करके उन पर हमले को एक तरह से मुहर लगा दी है।

यूरोपीय देश स्वीडन में कोर्ट से आदेश मिलने के बाद बकरीद के दिन यानी बुधवार (28 जून 2023) को स्टॉकहोम शहर की सबसे बड़ी मस्जिद के सामने कुरान को फाड़ा और जलाया गया था। इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत अंजाम दिया गया था। इसका वीडियो भी सामने आया था।

इस वीडियो में स्टॉकहोम की एक मस्जिद के सामने दो लोग कुरान को फुटबॉल की तरह पैरों से मारते, उसे जमीन पर फेंकते और पैरों से कुचलते दिखे थे। फिर इराकी प्रदर्शनकारी ने कुरान को फाड़कर आग के हवाले कर दिया था। इस घटना से नाराज 57 इस्लामी मुल्कों ने पिछले दिनों सऊदी अरब में बैठक भी की थी। इराक में स्वीडन के दूतावास पर हमला भी हुआ था।

स्वीडन : फाड़ी और जलाई जाएगी कुरान, वो भी मस्जिद के सामने: कोर्ट और पुलिस ने दे दी है अनुमति

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में मस्जिद के सामने कुरान जलाई जाएगी। वहाँ की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को इसकी अनुमति भी प्रदान कर दी है। स्वीडिश पुलिस ने इस संबंध में जानकारी दी है कि मुस्लिमों के फेस्टिवल ईद-अल-अज़हा की शुरुआत के दिन बुधवार (28 जून, 2023) को प्रदर्शनकारियों ने मस्जिद के सामने कुरान जलाने के लिए अनुमति माँगी थी। पुलिस ने अनुमति प्रदान करते हुए अपने आदेश में लिखा है कि सुरक्षा को लेकर वैसे खतरे नहीं हैं कि इस माँग को नकार दिया जाए।

पुलिस ने मौजूदा कानूनों के हिसाब से फैसला लिए जाने की बात कही है। इससे पहले पुलिस ने कुरान जलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, लेकिन 2 सप्ताह पहले अदालत ने फटकार लगाते हुए पुलिस को अपना आदेश बदलने के लिए कहा। उस समय पुलिस ने सुरक्षा से जुड़े खतरों का हवाला दिया था। इससे पहले स्वीडन में तुर्की के दूतावास के बाहर कुरान जलाया गया था, जिसके बाद कई हफ़्तों तक दंगे थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

कई इस्लामी मुल्कों में स्वीडन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए वहाँ के उत्पादों के बहिष्कार की बात की गई। साथ ही NATO में स्वीडन की एंट्री को भी बाधित कर दिया गया। तुर्की ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्वीडन को रोकने का काम किया और कहा कि उसने कुर्द विद्रोहियों पर कार्रवाई नहीं की है। तुर्की कुर्द लड़ाकों को आतंकवादी मानता है। स्वीडन ने इसके बाद कुरान जलाने की दो माँगों को निरस्त किया – जहाँ एक माँग एक व्यक्ति ने की थी, वहीं एक संगठन भी ऐसा करना चाहता था।

इस साल फरवरी में ही तुर्की के साथ-साथ इराक के दूतावास के बाहर भी कुरान जलाने की माँग की गई थी। लेकिन, जून के मध्य में अदालत ने पुलिस के आदेश को नकारते हुए कहा कि सुरक्षा का कोई खतरा नहीं है। 37 वर्षीय सालवन मोमिका का कहना है कि स्टॉकहोम की बड़ी मस्जिद के सामने न सिर्फ कुरान को फाड़ा जाएगा, बल्कि इसे जलाया भी जाएगा। मस्जिद के पास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और सुरक्षा बलों की कई कारण वहाँ पर हैं।

स्वीडन के कई राजनेताओं ने कुरान जलाए जाने का विरोध किया, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि यहाँ लोगों के पास अपनी अभिव्यक्ति के प्रदर्शन का अधिकार है। स्वीडन उत्तरी यूरोप में स्थित एक देश है, जो स्कैन्डिनेवियाई प्रायद्वीप में स्थित है। इसकी सीमाएँ नॉर्वे, फ़िनलैंड और डेनमार्क से लगती हैं। 1.1 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश के 52% लोग ‘चर्च ऑफ स्वीडन’ में आस्था रखते हैं। वहीं 8% जनसंख्या मुस्लिम है।

स्वीडन : रहने के लिए कोई और जगह देखें मुस्लिम… तुर्की दूतावास के सामने खुलेआम जलाया गया कुरान

                                    स्वीडन के दक्षिणपंथी नेता पलुदान (साभार: EPA/Guardian)
एक दूसरे के धूर विरोधी तुर्की और स्वीडन के बीच इस बार कुरान को लेकर विवाद गहरा गया है। NATO में स्वीडन को शामिल करने के बीच तुर्की बाधा बना हुआ है। इस बीच स्वीडन में कुरान जलाने के बाद तुर्की और स्वीडन के रिश्ते में और कड़वाहट आ गई है। तुर्की ने स्वीडन के रक्षा मंत्री की यात्रा को रद्द कर दिया है।

स्वीडन के धुर दक्षिणपंथी पार्टी ‘हार्ड लाइन’ के नेता रासमस पलुदान (Hard Line Leader Rasmus Paludan) ने  21 जनवरी 2023 तो स्टॉहोम में तुर्की के दूतावास के सामने मुस्लिमों की दीनी किताब कुरान को सार्वजनिक तौर पर जलाया। इतना ही नहीं, इस दौरान पलुदान ने इस्लाम और आव्रजन को लेकर एक घंटे तक भाषण भी दिया।

लगभग 100 लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए पलुदान ने कहा, “अगर आपको (मुस्लिमों को) लगता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिए तो आप रहने के लिए कोई और जगह देखिए।” उन्होंने इस्लाम से स्थानीय लोगों को होने वाली दिक्कत के बारे में बात की।

दरअसल, तुर्की के दूतावास के सामने इस प्रदर्शन के लिए पलुदान ने बकायदा पुलिस से परमीशन ली थी। पुलिस ने ना सिर्फ अनुमति दी, बल्कि प्रदर्शन स्थल पर पलुदान और अन्य प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा भी दी थी। प्रदर्शन के दौरान पलुदान ने लाइटर से कुरान को जलाया।

प्रदर्शन से एक दिन पहले पुलिस द्वारा अनुमति देने के कारण तुर्की बिफर गया था। उसने स्वीडन के राजदूत को समन भेज कर तलब कर लिया था। तुर्की ने राजदूत से कहा कि पलुदान को प्रदर्शन की अनुमति क्यों दी गई। इस महीने में तुर्की ने दो बार तलब किया। इसके पहले 12 जनवरी को स्वीडन में तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब आर्दोआन का पुतला जलाने पर स्वीडन के राजदूत को समन भेजा गया था।

बता दें कि पलुदान पिछले साल मई में कुरान जलाओ यात्रा शुरू की थी। इस दौरान उन्होंने स्वीडिश लोगों से इसे जलाने का आग्रह किया था। इसके बाद पूरे स्वीडन में दंगे फैल गए थे। इस दंगे में कई लोगों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं तुर्की और पाकिस्तान स्वीडन से नाराज हो गए थे।

21 जनवरी को पलुदान द्वारा तुर्की के दूतावास के सामने कुरान जलाने के बाद तुर्की ने स्वीडन के रक्षा मंत्री की प्रस्तावित तुर्की यात्रा को रद्द कर दिया। स्वीडन के रक्षामंत्री पाल जॉनसन 27 जनवरी 2023 को तुर्की आने वाले थे।

इस यात्रा के दौरान जॉनसन स्वीडन के NATO में प्रवेश पर तुर्की द्वारा रोक लगाने को लेकर चर्चा करने वाले थे। दरअसल, स्वीडन अमेरिका और पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन NATO में शामिल होना चाहता है, लेकिन तुर्की बार-बार इसमें बाधा डाल देता है। NATO का नियम है कि इसमें कोई भी नया सदस्य तभी शामिल किया जा सकता है, जब उसमें सभी सदस्य देशों की सहमति शामिल हो।

कुरान जलाने की हालिया घटना के बाद तुर्की के रक्षामंत्री हुलुसी अकार ने कहा कि इस बैठक को इसलिए रद्द कर दिया गया, क्योंकि इसने अपना महत्व और अर्थ खो दिया था। तुर्की ने इसे हेट क्राइम और इस्लामोफोबिया बताया। तुर्की के अलावा कुरान जलाने की घटना की पाकिस्तान, सऊदी अरब, जॉर्डन और कुवैत ने भी निंदा की।

वहीं, स्वीडन की सरकार ने इस प्रदर्शन से खुद को अलग रखा है। स्वीडिश सरकार का कहना है कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विशेष महत्व है। स्वीडन के रक्षामंत्री जॉनसन ने उम्मीद जताई है कि दोनों देशों के बीच फिर से एक बार बातचीत होगी दोनों देश सामरिक मसले पर चर्चा कर सकेंगे।

तुर्की ना सिर्फ स्वीडन को NATO सदस्य बनने से रोक रहा है, बल्कि फिनलैंड को भी वह संगठन की सदस्यता नहीं लेने दे रहा है। 30 सदस्यों वाले NATO के 28 सदस्यों का इन्हें समर्थन मिल चुका है। सिर्फ हंगारी और तुर्की ही दोनों देशों को समर्थन नहीं दे रहे हैं। हालाँकि, हंगरी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दोनों को समर्थन देगा। हालाँकि, तुर्की ऐसा कोई वादा नहीं कर रहा है।

दरअसल, तुर्की स्वीडन पर कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) से संबंध होने का आरोप लगाता है। इसके साथ ही वह स्वीडन से इस संगठन के नेता मौलवी फतुल्लाह गुलेन के प्रत्यर्पण की माँग कर रहा है। कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी तुर्की से अलग कुर्दों के लिए मुल्क की माँग करती है।

अलग देश के लिए कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी के सशस्त्र आंदोलन को तुर्की आतंकवादी गतिविधि कहता है। तुर्की ने इस संगठन को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया है। तुर्की के अलावा, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने भी उसे आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।

तुर्की का कहना है कि PKK के खिलाफ स्वीडन संतोषजनक कार्रवाई नहीं कर रहा है। वहीं, स्वीडन में कुर्द और PKK के समर्थन में लोग सड़कों पर निकल आए, जबकि तुर्की में लोग स्वीडन में कुरान जलाने की घटना के बाद सड़कों पर हैं।