स्वीडन के दक्षिणपंथी नेता पलुदान (साभार: EPA/Guardian)
एक दूसरे के धूर विरोधी तुर्की और स्वीडन के बीच इस बार कुरान को लेकर विवाद गहरा गया है। NATO में स्वीडन को शामिल करने के बीच तुर्की बाधा बना हुआ है। इस बीच स्वीडन में कुरान जलाने के बाद तुर्की और स्वीडन के रिश्ते में और कड़वाहट आ गई है। तुर्की ने स्वीडन के रक्षा मंत्री की यात्रा को रद्द कर दिया है।
Kur'an-ı Kerim'i yakmaya çalışan alçağı ne güzel terbiye etmiş. #Quran pic.twitter.com/lrSgGJrvXa
— روح الله پروانی Rohullah Parwani (@rouhllahparwani) January 23, 2023
स्वीडन के धुर दक्षिणपंथी पार्टी ‘हार्ड लाइन’ के नेता रासमस पलुदान (Hard Line Leader Rasmus Paludan) ने 21 जनवरी 2023 तो स्टॉहोम में तुर्की के दूतावास के सामने मुस्लिमों की दीनी किताब कुरान को सार्वजनिक तौर पर जलाया। इतना ही नहीं, इस दौरान पलुदान ने इस्लाम और आव्रजन को लेकर एक घंटे तक भाषण भी दिया।
This verses were recited in turkey in front of sweden embassy#Quran#scarsdale #ShaukatKhanumHospital #PepsiPakistan #Sweden #SwedenisTerrorCountry pic.twitter.com/7k8C2lTeUK
— Haris Gujjar (@Harisgujjar97) January 22, 2023
लगभग 100 लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए पलुदान ने कहा, “अगर आपको (मुस्लिमों को) लगता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिए तो आप रहने के लिए कोई और जगह देखिए।” उन्होंने इस्लाम से स्थानीय लोगों को होने वाली दिक्कत के बारे में बात की।
Filip Dewinter Member of the Flemish Parliament : #Quran is the cause of a lot of disaster, the source of all evil, a License To Kill ,the root problem of the world that is the unholy Quran. A quick reminder to all Turkish radical islamist.pic.twitter.com/cxis8sKknI
दरअसल, तुर्की के दूतावास के सामने इस प्रदर्शन के लिए पलुदान ने बकायदा पुलिस से परमीशन ली थी। पुलिस ने ना सिर्फ अनुमति दी, बल्कि प्रदर्शन स्थल पर पलुदान और अन्य प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा भी दी थी। प्रदर्शन के दौरान पलुदान ने लाइटर से कुरान को जलाया।
प्रदर्शन से एक दिन पहले पुलिस द्वारा अनुमति देने के कारण तुर्की बिफर गया था। उसने स्वीडन के राजदूत को समन भेज कर तलब कर लिया था। तुर्की ने राजदूत से कहा कि पलुदान को प्रदर्शन की अनुमति क्यों दी गई। इस महीने में तुर्की ने दो बार तलब किया। इसके पहले 12 जनवरी को स्वीडन में तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब आर्दोआन का पुतला जलाने पर स्वीडन के राजदूत को समन भेजा गया था।
Turkish protesters filmed burning Sweden's flag following worldwide anger over Stockholm's support of racist Quran burning outside Turkish Embassy. 🇸🇪 🔥 #Sweden #Quran #Türkiye 🇹🇷 pic.twitter.com/opMxU2KiCy
— Robert Carter (@Bob_cart124) January 22, 2023
This man is hero against islamic terror for people like you are hero brother never give up #Quran burn thousands of this hate book #BurnQuran pic.twitter.com/2rMNHeTR9P
— loneranger69 (@antijehadiislam) January 22, 2023
Salute to girl that jumped into river to fight against kanzerr who is burning quran in #sewden #Quran pic.twitter.com/iOO71yTktd
— Mir Mashee (@mireccentric) January 22, 2023
बता दें कि पलुदान पिछले साल मई में कुरान जलाओ यात्रा शुरू की थी। इस दौरान उन्होंने स्वीडिश लोगों से इसे जलाने का आग्रह किया था। इसके बाद पूरे स्वीडन में दंगे फैल गए थे। इस दंगे में कई लोगों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं तुर्की और पाकिस्तान स्वीडन से नाराज हो गए थे।
21 जनवरी को पलुदान द्वारा तुर्की के दूतावास के सामने कुरान जलाने के बाद तुर्की ने स्वीडन के रक्षा मंत्री की प्रस्तावित तुर्की यात्रा को रद्द कर दिया। स्वीडन के रक्षामंत्री पाल जॉनसन 27 जनवरी 2023 को तुर्की आने वाले थे।
इस यात्रा के दौरान जॉनसन स्वीडन के NATO में प्रवेश पर तुर्की द्वारा रोक लगाने को लेकर चर्चा करने वाले थे। दरअसल, स्वीडन अमेरिका और पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन NATO में शामिल होना चाहता है, लेकिन तुर्की बार-बार इसमें बाधा डाल देता है। NATO का नियम है कि इसमें कोई भी नया सदस्य तभी शामिल किया जा सकता है, जब उसमें सभी सदस्य देशों की सहमति शामिल हो।
कुरान जलाने की हालिया घटना के बाद तुर्की के रक्षामंत्री हुलुसी अकार ने कहा कि इस बैठक को इसलिए रद्द कर दिया गया, क्योंकि इसने अपना महत्व और अर्थ खो दिया था। तुर्की ने इसे हेट क्राइम और इस्लामोफोबिया बताया। तुर्की के अलावा कुरान जलाने की घटना की पाकिस्तान, सऊदी अरब, जॉर्डन और कुवैत ने भी निंदा की।
वहीं, स्वीडन की सरकार ने इस प्रदर्शन से खुद को अलग रखा है। स्वीडिश सरकार का कहना है कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विशेष महत्व है। स्वीडन के रक्षामंत्री जॉनसन ने उम्मीद जताई है कि दोनों देशों के बीच फिर से एक बार बातचीत होगी दोनों देश सामरिक मसले पर चर्चा कर सकेंगे।
तुर्की ना सिर्फ स्वीडन को NATO सदस्य बनने से रोक रहा है, बल्कि फिनलैंड को भी वह संगठन की सदस्यता नहीं लेने दे रहा है। 30 सदस्यों वाले NATO के 28 सदस्यों का इन्हें समर्थन मिल चुका है। सिर्फ हंगारी और तुर्की ही दोनों देशों को समर्थन नहीं दे रहे हैं। हालाँकि, हंगरी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दोनों को समर्थन देगा। हालाँकि, तुर्की ऐसा कोई वादा नहीं कर रहा है।
दरअसल, तुर्की स्वीडन पर कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) से संबंध होने का आरोप लगाता है। इसके साथ ही वह स्वीडन से इस संगठन के नेता मौलवी फतुल्लाह गुलेन के प्रत्यर्पण की माँग कर रहा है। कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी तुर्की से अलग कुर्दों के लिए मुल्क की माँग करती है।
अलग देश के लिए कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी के सशस्त्र आंदोलन को तुर्की आतंकवादी गतिविधि कहता है। तुर्की ने इस संगठन को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया है। तुर्की के अलावा, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने भी उसे आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।
तुर्की का कहना है कि PKK के खिलाफ स्वीडन संतोषजनक कार्रवाई नहीं कर रहा है। वहीं, स्वीडन में कुर्द और PKK के समर्थन में लोग सड़कों पर निकल आए, जबकि तुर्की में लोग स्वीडन में कुरान जलाने की घटना के बाद सड़कों पर हैं।

No comments:
Post a Comment