जडेजा ने कहा कि इस बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी का सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते राज्य के नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस कानून का मसौदा तैयार किया था। 16 साल बाद इसे मंजूरी मिल सकी है।”
इस कानून की खासियत यह है कि टैप की हुई टेलीफोन बातचीत को अब एक वैध सबूत माना जाएगा। इससे शराब की तस्करी, फिरौती, जालसाजी जैसे संगठित अपराधों पर शिकंजा कसने की उम्मीद है।
जडेजा ने बताया कि अधिनियम को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने से गुजरात जैसे सीमावर्ती राज्य की सुरक्षा और अपराध की जाँच के लिए पुलिस को अधिक अधिकार और समय मिल सकेगा। राज्य सरकार विशेष अदालतों का गठन करेगी और डिविजन सेशन कोर्ट में मामला चल सकेगा। इसके अलावा सरकार अतिरिक्त सरकारी वकील और लोक अभियोजकों की नियुक्ति कर सकेगी।
नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते 2003 में पहली बार यह बिल पास किया गया था। इसके बाद से ही यह विधेयक लंबित था। तीन बार राष्ट्रपति ने इसे लौटाया था। दो बार नरेंद्र मोदी के गुजरात मुख्यमन्त्री रहते हुए और तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री रहते हुए।
सबसे पहले संचार अवरोधन के प्रावधान का हवाला देकर तात्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इस पर असहमति दिखाई थी और फिर साल 2008 में पूर्व राषट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इसे वापिस कर दिया था।
Sixteen years after the first version of it was passed by the Gujarat Assembly, the Gujarat Control of Terrorism and Organised Crime Bill (GCTOC) has finally become law. Gujarat MoS Jadeja said: “Today the dream of PM Narendra Modi has been fulfilled.” https://t.co/NM6LCRVvkU— Seema Chishti (@seemay) November 6, 2019
तीसरी बार साल इस विधेयक को राज्य सरकार ने गुजरात आतंकवाद नियंत्रण एवं संगठित अपराध अधिनियम नाम से विधानसभा से पारित कराया, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए इसे वापस कर दिया। गृह राज्यमंत्री के अनुसार, “ये कानून गुजरात में आतंकवादी गतिविधि पर पूर्ण विराम लगाने में मदद करेगा और साथ ही 1,600 किलोमीटर के समुद्री तट की सुरक्षा में मदद करेगा … यह कानून पुलिस अधिकारियों को अधिक अधिकार देगा।”
इसके अलावा इस कानून के तहत पुलिस अधिकारी के समक्ष दिया गया बयान सबूत के रूप में मान्य होगा और पुलिस को आरोप-पत्र पेश करने के लिए छह माह ( करीब 180 दिन) का समय मिलेगा। बता दें अन्य अपराध में चार्जशीट 90 दिन में पेश करने का प्रावधान होता है।
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