कर्नाटक : मैसूर चर्च में यौन शोषण : 37 पादरियों ने उठाई पोप फ्रांसिस से बिशप को हटाने की माँग

बिशप के ए विलियम को हटाने के लिए 37 पादरियों ने लिखा पत्र (तस्वीर-गोवा क्रॉनिकल)
कर्नाटक के मैसूर में अलग-अलग जगहों से करीब 37 पादरियों ने मिलकर वैटिकन में पोप फ्रांसिस के पास मैसूर के बिशप के. ए. विलियम को उनके पद से हटाने की माँग उठाई है। बिशप पर शादी करने, पिता बनने, यौन संबंध बनाने और भ्रष्टाचार करने जैसे आरोप हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पोप फ्रांसिस को लिखे गए पत्र में बिशप पर ओडीपी में बतौर स्टाफ कार्यरत एक ऐसी महिला से शादी करने का आरोप हैं। जिसकी पूर्व में अपने पहले पति से एक बेटी थी और बाद में बिशप से संबंधों के कारण एक बेटा भी हुआ। पादरियों का आरोप है कि बिशप अब भी इसी महिला के साथ रहते है और दोनों बच्चों समेत उसकी देख-रेख करते है।
इसके अलावा इस पत्र में पादरियों ने बिशप पर बहुत सारे यौन संबंध और भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में भी आरोप मढ़ा। इसमें से एक में बताया गया कि हिंकल में जब बिशप विलियम पादरी थे, तब उनके संबंध एक एंग्लो-इंडियन महिला से थे। इस बीच वो महिला गर्भवती भी हुई थी और उसने भी एक बच्चे को जन्म दिया था। लेकिन बाद में दोनों विदेश चले गए। इस मामले का खुलासा खुद बिशप के घर में काम करने वाले कर्मचारियों ने किया था।
पादरियों ने अपने पत्र में सभी मामलों का उल्लेख करते हुए कहा, “ये एक घिनौना सच है कि जिन महिलाओं ने बिशप के अंतर्गत काम किया। बिशप ने उसके साथ संबंध बनाए। उन्हें बहु-मंजिला इमारतों और Diocesan संस्थानों में नौकरी के अवसर सहित सभी सुविधाएँ प्रदान करके जीवन की हर विलासिता दी गई।”
इतना ही नहीं, पादरियों का कहना है कि बिशप ने कैंपस में साफ-सफाई करने वाली मुलाजिम लड़कियों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा। इसके अलावा उस पर धारा 406, 420, 504, 506, 323 के तहत दर्ज कई आपराधिक मामलों का भी इसमें जिक्र हुआ।
पोप को लिखे गए पत्र में अवैध भूमि सौदे के मामले को भी उजागर किया गया और साथ ही एक केस के बारे में बताया गया। जिसमें बिशप ने एलेक्स नामक व्यक्ति को पादरी होने के बावजूद बुरी तरह मारा था और बाद में इससे बचने के लिए बिशप ने एलेक्स को बहुत बड़ी रकम दी थी।
इस पूरे मामले के संबंध में बिशप विलियम ने अपने ऊपर लगे सभी इल्जामों को खारिज किया है और कहा कि शिकायतकर्ताओं ने उन्हें संपर्क करके मामले पर बातचीत करने तक की कोशिश नहीं की। उनका दावा है कि इन सभी आरोपों से न केवल उनकी प्रतिष्ठा बल्कि ईसाई समुदाय की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुँची हैं।
चर्चों में ननों के साथ हो रहे यौन शोषण केवल भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में होने के समाचार भी आते रहते हैं, जिन्हे छद्दम धर्म-निरपेक्ष मीडिया उजागर नहीं करती। मीडिया को सारे पाप केवल हिन्दू  हिन्दू संस्थानों में ही नज़र आते हैं। 
इसाई नन (प्रतीकात्मक तस्वीर)मिशनरी सेवा से गर्भवती होकर वापस लौटीं दो नन
एक कैथोलिक चर्च की नन जब मिशनरी का काम करने के बाद वापस पहुँचीं तो चर्च में हंगामा खड़ा हो गया। यह मामला उस वक़्त सामने आया जब समाजसेवा के नाम पर मिशनरी की ओर से काम करने गईं चर्च की दोनो नन अपने-अपने घर चली गईं मगर बाद में उन्हें इस बात का पता चला कि वह गर्भवती हैं और इस अवस्था में उन्हें कई दिन हो गए हैं।
जब यह मामला चर्च तक पहुँचा तो जाँच के आदेश दिए गए, पता चला कि मिशनरी के काम पर बाहर निकली इन दोनों औरतों और किसी पुरुष के बीच शारीरिक सम्बन्ध बनाए गए थे जिसके चलते यह स्थिति सामने आई और दोनों गर्भवती हो गईं। दो अलग-अलग पंथ को मानने वाली इन दोनों महिलाओं को अपने गर्भवती होने का जब आभास हुआ तब तक काफी देर हो चुकी थी। इनमें से एक महिला को अपनी गर्भवती होने की जानकारी तब हुई जब वह पेट में दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल गई। इसके बाद जाँच में पाया गया कि वह गर्भवती हैं।
अफ़्रीकी महाद्वीप के सिसिली की रहने वाली यह नन बच्चे को जन्म देने के इतना करीब पहुँच गई कि उसने आखिर में अपना ठिकाना पलेर्मो को बना लिया। वहीं दूसरी नन को जब तक इस बात की जानकारी मिली तब तक वह अपने घर मेडागास्कर पहुँच चुकी थी। दरअसल यह महिला नन वाले अपने जीवन को छोड़ने पर विचार भी कर रही थी।
वहीं दूसरी ओर चर्च ने इन दोनों ही नन पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जाँच शुरू कर दी है। ईसाईयों में नन और बिशप दोनों को अविवाहित जीवन की शपथ लेनी होती है जिसके बाद शारीरिक सम्बन्ध बनाने की आज़ादी नहीं रह जाती। बहुत सी नन महिलाओं ने कैथोलिक चर्च और मिशनरियों में पादरी द्वारा उनका शारीरिक शोषण करने के चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भी ऐसे ही कई मामले हैं जिनमें से एक के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया था। इस कड़ी में सबसे अहम केस बिशप फ्रांको का है। इसी साल की शुरुआत में कई नन महिलाओं द्वारा ईसाई मिशनरियों में होने वाले शारीरिक शोषण को लेकर कई खुलासे किए गए थे जिसके बाद खुद पोप फ्रांसिस ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि बहुत से बिशप-पादरियों ने कई नन महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया था।

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