
अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र द्विदलीय रिसर्च सर्विस (CRS) ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर अपनी हालिया रिपोर्ट में ये जानकारी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान (Pakistan) ने अफगानिस्तान में वैसे तो कई दशक तक सक्रियता दिखाई, लेकिन ये सक्रियता नकारात्मक थी. दरअसल, पाकिस्तान भारत-अफगानिस्तान की बढ़ती दोस्ती को लेकर डरा हुआ है और भारत के खिलाफ अपने मंसूबों के लिए पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान का इस्तेमाल करना चाहता है. ऐसे में इमरान सरकार अफगानिस्तान में एक कमजोर सरकार चाहती है.
CRS ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान को अफगानिस्तान को सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी बताया. रिपोर्ट के मुताबिक, एक अहम पड़ोसी होने के नाते पाकिस्तान ने इतने सालों में अफगानिस्तान के मामलों में अपने मंसूबों को साधने के लिए नकारात्मक सक्रियता दिखाई.'
CRS की रिपोर्ट में लिखा है, 'पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने अफगान के विद्रोही समूहों के साथ अच्छे संबंध रखे. इसमें खासकर हक्कानी नेटवर्क के साथ पाकिस्तान के खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के अच्छे रिश्ते हैं. वहीं, विदेशी आतंकी संगठन (FTO) के साथ भी पाकिस्तान नरमी बरतता है.'
CRS ने अपनी रिपोर्ट में अफगान मिलिट्री विद्रोही होने और सरकार के गिरने की आशंका भी जाहिर की है.
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