कांग्रेस सरकार हो और कोई घोटाला न हो, हो ही नहीं सकता। परन्तु जनता भी अब इन घोटालों पर होते शोर की परवाह नहीं करना चाहती। क्योकि महाराष्ट्र में जिस तरह भाजपा और शिवसेना ने भ्रष्ट अजित पवार से हाथ मिलाकर घोटालों पर पर्दा डालना शुरू कर दिया है, अब जनता भी भाजपा से मुंह मोड़ने का मन बना रही है। घोटालों का शोर राजनीती से ज्यादा कुछ नहीं। कल सत्ता परिवर्तन होने पर जब आबकारी मंत्री सत्तारूढ़ दल में शामिल हो जाएगा, कोई घोटाले की जाँच नहीं होगी, क्योकि वही आबकारी मंत्री गंगाजल की भांति पवित्र हो जाएगा।
खैर मुद्दे पर आते हैं:
छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री से मिला राजस्व सरकारी खजाने के बदले कहॉं गया? ये ऐसा सवाल है जिसका जवाब राज्य की कांग्रेस सरकार के मंत्री तक को ठीक से नहीं पता। राज्य सरकार ने इस वर्ष 31 अक्टूबर तक 11,000 करोड़ की शराब बेची है। नियमानुसार, ये पूरी की पूरी रक़म सरकारी खजाने में जमा होनी चाहिए थी। लेकिन, इसमें से मात्र 8271 करोड़ 42 लाख रुपए ही सरकारी खजाने में पहुँचे। शेष 2855 करोड़ 70 लाख रुपए कहाँ गए, इस पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। ये धनराशि कोषालय में पहुँची ही नहीं और ख़र्च भी कर दी गई। मंगलवार (नवंबर 26, 2019) को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस मामले ने तूल पकड़ा।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह ने इस बाबत विधानसभा में सवाल पूछा। सरकार ने बताया कि ये रक़म शराब की नई खेप ख़रीदने, उनके परिवहन, ढुलाई और कर्मचारियों को वेतन देने में ख़र्च हो गई, इसीलिए सरकारी खजाने में इसका रिकॉर्ड नहीं है।
चर्चा यह भी हो गयी है कि "क्या शराब की नई खेप खरीदने, परिवहन, और कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन का कोई हिसाब नहीं रखा जाता? आखिर किस मद में इन खर्चों का अंकित किया जाता है?"
विपक्षी विधायकों ने इसे क़ानून के ख़िलाफ़ बताते हुए कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता। नियमानुसार, इस रक़म को पहले कोषालय में जमा किया जाना चाहिए था और फिर ख़र्च किया जाना था। विपक्षी नेताओं ने कहा कि बिना सरकारी खजाने में रुपए डाले इसे बाहर ही बाहर ख़र्च कर देना मनमानी है।
आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने दावा किया कि ये कोई गड़बड़ी नहीं है, जबकि विधायक धर्मजीत जाँच कराने पर अड़े रहे। मंत्री ने कहा कि जाँच की कोई ज़रूरत ही नहीं है। आबकारी मंत्री ने बताया कि शराब दुकानों में लूटपाट और गबन की वजह से इस वर्ष सरकार को 13 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। सरकार अभी तक 4 करोड़ रुपए ही रिकवर कर सकी है। वहीं भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा शराब पी जा रही है, सरकार को ‘उड़ता छत्तीसगढ़’ फ़िल्म बनानी चाहिए। बता दें कि शाहिद कपूर अभिनीत ‘उड़ता पंजाब’ में पंजाब की ड्रग्स समस्या दिखाई गई थी। चंद्राकर ने पूरी छत्तीसगढ़ कैबिनेट को ही अवैध करार दिया।
धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने और कर्जमाफी के फ्लॉप होने जैसे मुद्दों को लेकर पहले से ही विपक्ष के विरोध का सामना कर रही भूपेश बघेल सरकार अब शराब से हुई कमाई में गड़बड़ी के सामने आने से चारों ओर से घिर गई है। यहाँ तक कि बसपा विधायकों ने भी सदन में कांग्रेस सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य में जनप्रतिनिधियों का कोई सम्मान नहीं रह गया है।
खैर मुद्दे पर आते हैं:

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह ने इस बाबत विधानसभा में सवाल पूछा। सरकार ने बताया कि ये रक़म शराब की नई खेप ख़रीदने, उनके परिवहन, ढुलाई और कर्मचारियों को वेतन देने में ख़र्च हो गई, इसीलिए सरकारी खजाने में इसका रिकॉर्ड नहीं है।
चर्चा यह भी हो गयी है कि "क्या शराब की नई खेप खरीदने, परिवहन, और कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन का कोई हिसाब नहीं रखा जाता? आखिर किस मद में इन खर्चों का अंकित किया जाता है?"
विपक्षी विधायकों ने इसे क़ानून के ख़िलाफ़ बताते हुए कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता। नियमानुसार, इस रक़म को पहले कोषालय में जमा किया जाना चाहिए था और फिर ख़र्च किया जाना था। विपक्षी नेताओं ने कहा कि बिना सरकारी खजाने में रुपए डाले इसे बाहर ही बाहर ख़र्च कर देना मनमानी है।
आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने दावा किया कि ये कोई गड़बड़ी नहीं है, जबकि विधायक धर्मजीत जाँच कराने पर अड़े रहे। मंत्री ने कहा कि जाँच की कोई ज़रूरत ही नहीं है। आबकारी मंत्री ने बताया कि शराब दुकानों में लूटपाट और गबन की वजह से इस वर्ष सरकार को 13 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। सरकार अभी तक 4 करोड़ रुपए ही रिकवर कर सकी है। वहीं भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा शराब पी जा रही है, सरकार को ‘उड़ता छत्तीसगढ़’ फ़िल्म बनानी चाहिए। बता दें कि शाहिद कपूर अभिनीत ‘उड़ता पंजाब’ में पंजाब की ड्रग्स समस्या दिखाई गई थी। चंद्राकर ने पूरी छत्तीसगढ़ कैबिनेट को ही अवैध करार दिया।
विधानसभा सत्र: छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री में 10 हजार करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका https://t.co/xM3VARt4pg— News18 Chhattisgarh (@News18CG) November 26, 2019
धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने और कर्जमाफी के फ्लॉप होने जैसे मुद्दों को लेकर पहले से ही विपक्ष के विरोध का सामना कर रही भूपेश बघेल सरकार अब शराब से हुई कमाई में गड़बड़ी के सामने आने से चारों ओर से घिर गई है। यहाँ तक कि बसपा विधायकों ने भी सदन में कांग्रेस सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य में जनप्रतिनिधियों का कोई सम्मान नहीं रह गया है।
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