शिवसेना में पड़ गयी फूट

रमेश सोलंकी, शिवसेना
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
शिव सेना को मुख्यमंत्री पद के लालच में कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने का कदम कितना भारी पड़ने वाला है, यह नज़र आना शुरू हो गया है। उसके कद्दावर पदाधिकारी रमेश सोलंकी ने पार्टी के विचारधारा से भटक जाने के कारण का हवाला देते हुए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है।
देखना यह है कि पता नहीं कितने और सोलंकी पार्टी का साथ छोड़ने को तत्पर हैं। यदि यह क्रम जारी रहा, बहुत जल्द शिवसेना अपना जनाधार ही नहीं पार्टी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। जो शिवसेना विरोधियों की दिली इच्छा है। अब यह बालासाहब के भतीजे राज ठाकरे पर निर्भर है कि वह बाला साहब के नाम जीवित रख पाएंगे अथवा नहीं, क्योकि उनकी अपनी संतान तो अपने बाप-दादा का नाम डुबोने की राह पकड़ चुके हैं। 
यह बालासाहब का ही जिगरा था कि 6 दिसम्बर 1992 में बाबरी ढांचा गिराने पर हो रहे घमासान पर उन्होने कहा था "हमने गिराया है, हिम्मत है गिरफ्तार करो", किसी में उनपर ऊँगली तक उठाने का साहस नहीं किया, दुर्भाग्यवश उन्ही की अपनी संतान सत्ता के लालच में उनके विरुद्ध विचारधारा वालों की हाँ में हाँ मिला रही है। 
रमेश सोलंकी शिवसेना की इकाई युवासेना की आईटी सेल कोर कमिटी मेंबर थे। इसके अलावा वह युवासेना की आईटी सेल कोर कमिटी के मुंबई सेक्रटरी और गुजरात राज्य संपर्क प्रमुख भी थे।
‘जो श्री राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं’
सोलंकी ने ट्विटर पर बताया कि बचपन से बाला साहेब ठाकरे के फायरब्रांड हिन्दुत्व, करिश्माई व्यक्तित्व और निडर नेतृत्व से प्रभावित होने के बाद 1998 में वे शिव सैनिक बने थे। उन्होंने कहा कि कई चुनावों में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन वे बृहन्मुम्बई महानगरपालिका से लेकर लोक सभा चुनावों तक हिन्दू राष्ट्र और कांग्रेस-मुक्त भारत के सपने के लिए काम करते रहे।

उन्होंने कहा कि 21 साल तक बिना पद, प्रतिष्ठा या टिकट की माँग के वे रात-दिन पार्टी के आदेश का पालन करते रहे, लेकिन जब शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिला लिया है तो कांग्रेस का सहयोग करने की इजाज़त उनका ज़मीर नहीं दे रहा है। चूँकि वे आधे-अधूरे मन से कोई काम नहीं करना चाहते, इसलिए वे इस्तीफ़ा दे रहे हैं।
उन्होंने यह भी साफ़ किया कि उनका इस्तीफ़ा विशुद्धतः विचारधारा के आधार पर है न कि राजनीतिक मौकापरस्ती, क्योंकि वे पार्टी तब छोड़ रहे हैं जब शिव सेना महीने भर से चल रहे सत्ता-संघर्ष में विजयी होकर उभर रही है।
जाते जाते उन्होंने कांग्रेस पर भगवान श्री राम का विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा, “जो मेरे श्री राम का नहीं है (कांग्रेस), वो मेरे किसी काम का नहीं है।” उन्होंने युवा सेना के मुखिया और उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे का धन्यवाद भी किया।

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