
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
आज(नवम्बर 9,2019) आए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से सबसे अधिक खुश लाल कृष्ण आडवाणी होंगे, स्मरण आता है पाञ्चजन्य के तत्कालीन संपादक तरुण विजय की अध्यक्षता में आर्गेनाइजर-पाञ्चजन्य सम्पादकीय चर्चा में आडवाणी जी जब अयोध्या में राममन्दिर पर प्रश्न करने पर कहा था "अयोध्या में राममन्दिर जब तक नहीं बन सकता, जब तक केन्द्र और उत्तर प्रदेश में बहुमत वाली भाजपा की सरकार नहीं बनती।" लगभग दो दशक पूर्व(तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल में) कही थी वही बात आज चरितार्थ हो गयी।
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार रामलला को विवादित जमीन देने का फैसला किया है, वहीं सुन्नी बोर्ड को दूसरी जगह मस्जिद के लिए जमीन दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ में शामिल पांच जजों ने अयोध्या केस में फैसला सुनाया है। इन जजों में जस्टिस रंजन गोगोई, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (एस.ए. बोबड़े), जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं!
ट्रस्ट बनाने और मंदिर निर्माण की योजना के लिए तीन महीने का वक्त सरकार को दिया गया है। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहीं और मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का भी निर्देश दिया है। यानी, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अलग से ज़मीन दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि बाहरी हिस्से पर हिन्दुओं द्वारा पहले से ही पूजा की जा रही थी, इसमें कोई विवाद नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम भीतरी हिस्से पर भी अपना दावा साबित करने में विफल रहे। 1857 से पहले यहाँ हिन्दुओं द्वारा पूजा करने के सबूत हैं। मुस्लिम पक्ष को राम मंदिर बनाने के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ ज़मीन दी जाएगी।
ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा की भागीदारी सुनिश्चित करने को भी कहा गया है। हालॉंकि जमीन पर उसका दावा पीठ ने खारिज कर दिया। शिया बोर्ड का भी दावा अदालत ने नहीं माना। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जमीन को तीन हिस्सों में बॉंटने के फैसले को भी शीर्ष अदालत की पीठ ने गलत बताया।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि मुस्लिम पक्ष विवादित ज़मीन के भीतरी हिस्से पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा है और सारा विवाद भीतरी हिस्से को लेकर ही है। यानी, बाहरी हिस्से पर हिन्दू काफ़ी पहले से पूजा करते आ रहे हैं, इसमें कोई विवाद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पीठ में शामिल सभी जजों को संविधान के अनुसार फ़ैसला सुनना है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले के दौरान और क्या-क्या कहा, इसे बिंदुवार समझें:
- सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से फ़ैसला सुनाया। अर्थात, ये निर्णय 5-0 से आया। कोर्ट ने सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा और शिया वक़्फ़ बोर्ड की याचिका को ख़ारिज किया।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महज आस्था और विश्वास के आधार पर फ़ैसला नहीं सुनाया जा सकता। साथ ही केवल एएसआई की रिपोर्ट को आधार बना कर भी निर्णय नहीं सुनाया जा सकता है।
- एएसआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि बाबरी मस्जिद के नीचे कोई ढाँचा था, जिसके ऊपर मस्जिद बनाई गई। लेकिन, एएसआई यह साबित नहीं कर पाया कि मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनाया गया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुसार, वो सभी धर्मों की भावनाओं का ख़्याल रखने के लिए प्रतिबद्ध है और संतुलन का ध्यान रखते हुए यह साबित होता है कि हिन्दू बाहरी हिस्से में काफ़ी पहले से पूजा करते आ रहे थे।
- सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड यह साबित नहीं कर पाया कि विवादित ज़मीन पर उसका विशेषाधिकार अथवा एक्सक्लूसिव स्वामित्व था।
- फ़ैसले का सबसे अहम भाग ये रहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ट्रस्ट बना कर मस्जिद के लिए अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ ज़मीन की व्यवस्था करने को कहा। इसी ट्रस्ट के माध्यम से राम मंदिर निर्माण के लिए भी योजना बनाने के लिए कहा गया। इस मामले में केंद्र और यूपी सरकार आपस में बातचीत कर आगे की कार्रवाई करे, ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया।
- केंद्र जो ट्रस्ट स्थापित करेगा, उसे बाहरी और भीतरी अहाते का अधिकार दे दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़-साफ़ कहा कि हिन्दू विवादित ज़मीन पर अंग्रेजों के आने से पहले से ही पूजा करते आ रहे हैं। कोर्ट ने 1934 के दंगे का जिक्र करते हुए बताया कि भीतरी हिस्सा उसी वक़्त गंभीर विवाद का विषय बन गया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुओं की उस आस्था और विश्वास की भी पुष्टि की, जिसके अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म मुख्य गुम्बद के नीचे हुआ था। हालाँकि, कोर्ट ने बताया कि गवाहों के बयान से ये भी पता चलता है कि वहाँ मुस्लिम भी नमाज पढ़ा करते थे।
- सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सार यह है कि पूरी की पूरी विवादित ज़मीन हिन्दुओं को दे दी जाएगी और सरकार एक ट्रस्ट बना कर आगे का कार्य करेगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने इनर कोर्टयार्ड और आउटर कोर्टयार्ड को लेकर अलग-अलग बातें कहीं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि के न्यायिक व्यक्ति होने की बात भी अस्वीकार कर दी।
On balance of probabilities, clear evidence that Hindus worshipped in Outer Courtyard— Bar & Bench (@barandbench) November 9, 2019
As regards Inner Courtyard, no evidence by Muslims to show exclusive possession by them prior to 1857: Supreme Court#AYODHYAVERDICT #AyodhyaHearing #AyodhyaJudgment
On balance of probabilities, clear evidence that Hindus worshipped in Outer Courtyard— Bar & Bench (@barandbench) November 9, 2019
As regards Inner Courtyard, no evidence by Muslims to show exclusive possession by them prior to 1857: Supreme Court#AYODHYAVERDICT #AyodhyaHearing #AyodhyaJudgment
A suitable plot of land measuring 5 acres to be handed over to Sunni Waqf Board either by Central Government or State Government.— Bar & Bench (@barandbench) November 9, 2019
Sunni Wakf Board at liberty to construct a mosque at the allotted land. #AYODHYAVERDICT #AyodhyaHearing #AyodhyaJudgment

विवादित जमीन पर राम लला की जीत हुई है। काफी वक्त से रिपोर्ट्स आती रही हैं कि यहां बनने वाले राम मंदिर की कुल लंबाई 270 फुट और चौड़ाई 132 फुट की होगी। मंदिर के भूतल पर रामलला विराजमान होंगे और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार रहेगा। मंदिर में कुल 212 खंबे बनाए जाएंगे और हरेक पर सोलह मूर्तियां उकेरी जाएंगी। मंदिर में कुल 24 दरवाजे होंगे। चौखट संगमरमर के होंगे।
इस मंदिर में 128 फुट ऊंचा और दस फुट चौड़ा परिक्रमा मार्ग होगा। पूरा मंदिर राजस्थान के भरतपुर के हल्के गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर से बनेगा। वहीं 24 दरवाजे राजस्थान के संगमरमर के पत्थरों से बनेंगे। मंदिर में कुल एक लाख 75 हजार घनफुट पत्थर का इस्तेमाल होगा। अद्भुत आकर्षक का केंद्र यह मंदिर दोमंजिला होगा उसमें लोहे का कहीं प्रयोग नहीं किया जाएगा।
मंदिर के नीचे के भाग में 106 खंभे लगने हैं, वे तैयार हैं। 106 खंभे ऊपर भी होंगे। हर खंभे पर 16-16 मूर्तियां बनाई जाएंगी। बता दें कि अयोध्या में 1990 से पत्थर तराशने का काम कार्यशाला में चल रहा है। इतना ही नहीं राजस्थान के पीडवाडा व मकराना में भी राम मंदिर की चार कार्यशालाएं फरवरी 1996 से चल रही हैं। पत्थर तराशने का काम 65 प्रतिशत पूरा हो चुका है।
अयोध्या विवाद की नींव साल 1528 में रखी गई, जब यहां मुगल शासक बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया। हिंदुओं की तरफ से कहा गया कि मस्जिद उस स्थल पर बनाई गई, जो राम का जन्मस्थान था। हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव के कारणों में से ये एक है। इसे लेकर कई बार दंगे भी हुए। आजादी के बाद भी ये विवाद जारी रहा और गहरा गया। 1949 में यहां मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां पाई गईं, जिसे लेकर भी तनाव बढ़ा। फिर 1992 हजारों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया, जिससे देशभर में दंगे भड़क उठे, जिसमें 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।
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