मुस्लिमों के लिए अयोध्या की महत्ता नहीं, कोई औलिया या पीर यहाँ से नहीं जुड़ा: पद्मश्री मोहम्मद

केके मोहम्मद- वह मुस्लिम, जिनके हिन्दू रहनेगे सदा ऋणी
अयोध्या मामले का फैसला आने के बाद विवाद के पटाक्षेप का एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) के पूर्व निदेशक के के मोहम्मद ने स्वागत किया है। उन्होंने इसे ‘सबसे अच्छा’ फैसला बताया है।
टाइम्स नाउ से बात करते हुए एएसआई (उत्तरी) के पूर्व निदेशक मोहम्मद ने कहा कि अयोध्या और जन्मभूमि हिन्दुओं के लिए वैसे ही पवित्र और महत्वपूर्ण है, जैसे मुस्लिमों के लिए मक्का और मदीना हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिमों के लिए इसकी उतनी ज़्यादा कोई महत्ता नहीं है, क्योंकि कोई बड़ा औलिया या पीर इस स्थान से जुड़ा नहीं रहा है।
इसके अलावा एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि एक ‘गैंग’ ने उन्हें उस समय परेशान करना शुरू कर दिया था, जब उन्होंने कहा था कि पुरातात्विक साक्ष्य उस जगह पर मंदिर होने की ओर इंगित करते हैं।
आज अयोध्या पर फैसले की ऐतिहासिक घड़ी में मोहम्मद को याद भी खूब किया जा रहा है। हिन्दू उनके प्रति कृतज्ञता जता रहे हैं कि उन्होंने हिन्दुओं की आस्था के पक्ष में क़ानूनी सबूत ढूँढ़ निकाले।

लेखक और वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन वह वाकया याद दिला रहे हैं जिसमें के के मोहम्मद को धमकी दी गई थी कि बाबरी का सच जनता को बताने पर उन्हें सस्पेंड कर देने की धमकी दी गई थी। इसके बाद मोहम्मद ने संस्कृत में जवाब में कहा था, “लोकसंग्रहमेवापि संपश्यन् कर्तुमर्हसि। स्वधर्मे निधनं श्रेयः…”
संक्रांत सानु और संजय दीक्षित जैसे हिंदूवादी विचारकों ने भी आज मोहम्मद के उस आरोप को याद किया कि मुस्लिम पक्ष को भी ‘सेक्युलर’ गैंग ने ही राम मंदिर के खिलाफ भड़काया था।

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