
त्रिवेणी पांडे, विक्रम साकेत और सुरेश जैसे लोगों ने सीधे अस्पताल और डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगाये वहीं डॉक्टर नरेन्द्र सिंह का कहना था कि ऑपरेशन के वक्त ओटी में बिजली चली गई लेकिन ऑपरेशन के यंत्रों में रोशनी होती है जिससे सर्जरी पूरी की गई, लेकिन चूंकि मरीज़ों को टांके लगाने ज़रूरी थी इसलिये उन्हें ओटी से बाहर निकालकर टांके लगाये गये।
मोबाइल टार्च और मोमबत्ती की रोशनी में नसबंदी का आरोप, सतना जिले का मामला @AunindyoC @OfficeOfKNath @ChouhanShivraj @BJP4MP @INCMP @ndtvindia #justiceforpriyanakareddy #RIPHumanity #HyderabadHorror pic.twitter.com/FvoxVGqcEL— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) November 30, 2019
इस मामले में ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी अशोक अवधिया का कहना था कि डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि 5-7 मिनट के लिये बिजली गई थी, फिर भी वो इस बारे में लिखित में स्पष्टीकरण मांगेंगे, क्योंकि इस बात को लेकर सख्त निर्देश हैं कि मरीजों को बेड कंबल की व्यवस्था के बिना ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है।
वैसे सतना से कुछ ही दिनों पहले विदिशा ज़िले में 41 महिलाओं को ऑपरेशन के बाद अस्पताल के फर्श पर लिटाने का मामला सामने आया था फरवरी में कटनी ज़िले में भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है।
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