राम मंदिर पर फ़ैसले के बाद वामपंथी गैंग में सिर-फुटव्वल

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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जब रामजन्मभूमि और कोर्ट के बीच चले घमासान को देखते हैं, तो उसमें कांग्रेस और वामपंथियों की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। कांग्रेस समर्पित वामपंथी इतिहासकारों ने अयोध्या मुद्दे को लंबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, जिस कारण आम नागरिक विश्व हिन्दू परिषद्, आरएसएस और भाजपा को साम्प्रदायिकता के चश्मे से देख रहा था। एक तरफ कांग्रेस राम को काल्पनिक बताने के साथ-साथ  रामसेतू पर शंका जाहिर कर रही थी तो दूसरी ओर इनकी छत्रसाया में पल रहे वामपंथी इतिहासकार मिथ्या इतिहास से जनता ही नहीं कोर्ट को भी भ्रमित कर रहे थे। लेकिन राम-विरोधियों को क्या मालूम कि "होइहि सोइ जो राम रचित राखा"। समय कब बदल जाए पाखंडियों को क्या मालूम? 
मालूम हो, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश को अपने निवास पर बुलाकर तारीख पर तारीख की बजाए फैसला देने की बात सुंनते ही सरकार को समर्थन दे रही राजीव गाँधी ने तुरन्त अपना समर्थन देकर, चंद्रशेखर सरकार को गिरा दिया। लेकिन इस बार वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसी न्यायधीश को अपने घर बुलाकर कोई निर्देश नहीं दिया।     
खैर, राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आते ही हिन्दुओं की आस्था पर मुहर लग गई और साथ ही वामपंथी ब्रिगेड भी पागल हो उठा। राम-विरोधी ने राम मंदिर की जगह हॉस्पिटल-स्कूल की माँग दोहराई तो कइयों ने बाबरी मस्जिद ध्वस्त किए जाने वाली घटना को याद कर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर ही सवाल उठाए। उधर कविता कृष्णन भी इस फ़ैसले से ख़ासी नाराज़ नज़र आईं। उन्होंने बाबरी मस्जिद को ट्विटर पर अपनी कवर फोटो बना कर इस फ़ैसले का विरोध किया। साथ ही उन्होंने दावा किया कि विरोध करने का उनका अधिकार कोई नहीं छीन सकता।
इस बीच वामपंथी ब्रिगेड में फुट भी पड़ गई। यूट्यूब के माध्यम से झूठ फैलाने वाले ध्रुव राठी ने एक ऐसा ट्वीट किया, जिसने कविता कृष्णन को नाराज़ कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से बौखलाईं कविता को अपनी ही गुट के किसी व्यक्ति द्वारा ऐसा ट्वीट करना जले पर नमक के समान लगा। दरअसल, ध्रुव राठी ने अपनी ट्वीट में लिखा:
“आज भारत की एकता और सेक्युलरिज़्म के लिए एक अभूतपूर्व दिन है। राम मंदिर बनेगा। मस्जिद भी बनेगा। करतारपुर साहिब कॉरिडोर खुल गया। भारत और पाकिस्तान फिर से एक-दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं। अर्थात, सभी तीनों धर्मों को सम्मान मिला है। और सबसे बड़ी बात, यह दिन लोगों के लिए टीवी पर धार्मिक बहसों के ख़त्म होने का दिन हो सकता है।”

बस, फिर क्या था? कविता कृष्णन नाराज़ हो गईं कि ध्रुव ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का समर्थन कैसे कर दिया? यूट्यब पर प्रोपेगंडा फैलाने वाला ध्रुव मंदिर बनाने की बातें क्यों कर रहा है, कविता कृष्णन की नाराज़गी की श्याद यही वजह रही होगी। वामपंथियों के हिसाब से तो राम कोई थे ही नहीं, उनका अस्तित्व ही नहीं था, तो राम जन्मभूमि का सवाल कहाँ से आता है? फिर कविता ने ध्रुव को फटकार दिया। उन्हें ट्विटर पर अनफॉलो कर दिया। राठी को डाँटते हुए पूछा कि वो इतना अनभिज्ञ कैसे हो सकता है?
इसके बाद कविता कृष्णन ने आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने लिखा कि ध्रुव राठी कभी अपनी आलोचना को स्वीकार नहीं करता है। बकौल कविता कृष्णन, स्वस्थ आलोचना को नज़रअंदाज़ करने वाला ध्रुव कभी इस बात को नहीं समझता कि उसे काफ़ी कुछ सीखने की ज़रूरत है। वामपंथी गैंग के इस डिजिटल सिर-फुटव्वल का लोगों ने सोशल मीडिया पर लुत्फ़ उठाया। हालाँकि, अगले ही दिन कविता कृष्णन ने ध्रुव राठी को फिर से फॉलो कर दिया और लिखा कि ध्रुव ने उनके ट्वीट पर ध्यान दे दिया है, इसलिए वो उन्हें फिर से फॉलो कर रही हैं।
कविता कृष्णन ने लिखा कि ध्रुव राठी को उचित शिक्षा और मार्गदर्शन की ज़रूरत है, जो वो देती रहेंगी। साथ ही कविता ने ‘अधजल गगरी छलकत जाए’ कहावत का जिक्र करते हुए बताया कि वो ध्रुव से बातचीत करती रहेंगी। कविता कृष्णन ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की तुलना बाबरी ध्वस्त करने वालों से की है। उन्होंने एक कार्टून पोस्ट कर ऐसा किया।
Image result for कविता कृष्णनजानिए कौन है कविता कृष्णन?अपने हिन्दू विरोधी घृणित मानसिकता के लिए पुरे देश में कुख्यात वामपंथी कविता कृष्णन जो की CMP(ML) की सदस्य भी है। कविता कृष्णन ने “फ्री सेक्स” का समर्थन किया है उन्होंने कहा है की, JNU में जो लोग सेक्स करने देने से घबराते है इस से उनको दुःख होता है, कविता कृष्णन उन लोगों का विरोध कर रही थी जो नाजायज रिश्तों के खिलाफ बोलते है, अपनी इच्छा से सेक्स कर लेना आपको बता दें की, JNU के बारे में खुलासा हुआ था की ये यूनिवर्सिटी कम और सेक्स और नशे का अड्डा ज्यादा है जहाँ के होस्टलों में सेक्स वर्कर हमेशा पायी जाती है जहाँ की लड़कियां नशेड़ी और ऐयाशी में लिप्त हैं और पढाई के नाम पर यहाँ सेक्स और पोर्न वीडियो का काम ज्यादा होता है, JNU में कंडोम बिखरे पड़े मिलते है इस खुलासे के बाद JNU में पढ़ने वाली वामपंथी छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया था और कहा था की उन्हें सेक्स करने की पूरी आज़ादी है और कोई उन्हें रोक नहीं सकता अब उन छात्र छात्राओं का समर्थन वामपंथी कविता कृष्णन ने भी किया है
संजुक्ता बसु
पूजा स्थल ध्वस्त करने वाले हिन्दुओं को जमीन देकर पुरस्कृत किया: वामपंथन संजुक्ता बसु
करीब 500 साल पुराना योध्या विवाद सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की पॉंच जजों की पीठ ने 1045 पन्नों के अपने फैसले में विवादित जमीन रामलला को सौंप दी है। साथ ही मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश भी सरकार को दिया है।
लेकिन, एक वर्ग को यह ऐतिहासिक फ़ैसला नहीं भा रहा। इनमें एक एक नाम वामपंथी मीडिया स्तंभकार, TEDx स्पीकर और फैलो, संजुक्ता बसु का भी है। उसने ट्वीट किया है, “मैं एक हिन्दू हूँ और मुझे केवल और केवल मस्जिद चाहिए। मुझे शर्म आती है और खेद है कि मेरे साथी हिन्दुओं ने एक पूजा स्थल को ध्वस्त कर दिया और उन्हें सज़ा देने की बजाय पूरी भूमि देकर पुरस्कृत किया गया। मैं दुखी हूँ और शर्मिंदा हूँ कि हम अपने लिए कैसा भविष्य बना रहे हैं।”
अपने एक अन्य ट्वीट में संजुक्ता ने लिखा है कि आज भारतीय मुसलमान राजनीतिक तौर पर अनाथ हो गए हैं। एक भी ऐसा नेता नहीं है, जिसने अयोध्या फ़ैसले पर अल्पसंख्यकों के अधिकार की बात की हो। किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि कोई सरकार से पूछ सके कि पाँच एकड़ ज़मीन कब और कहाँ मिलेगी?




ऐसे वक्त में जब ज्यादतर तबकों से इस फैसले का स्वागत हो रहा है संजुक्ता बसु की यह टिप्पणी सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करने जैसा है।
सोशल मीडिया पर ऐसी ही भड़काऊ टिप्पणी @amitbehere यूज़र ने भी की, इसमें उन्होंने लिखा, “मैं एक हिन्दू हूँ, मुझे केवल और केवल बाबरी मस्जिद चाहिए। ऐसा नहीं होने से पता चलता है कि हम न्याय की परवाह नहीं करते।”
आतंकवाद के आगे नतमस्तक होने की बात करने वाले लोगों में केवल @amitbehere ही नहीं शामिल हैं, बल्कि पूर्वा अग्रवाल भी शामिल हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “मैं एक हिन्दू हूँ, मुझे केवल बाबरी मस्जिद चाहिए। ऐसा नहीं होने से यह संदेश जाएगा कि हम भीड़ और आतंकवाद के आगे घुटने टेक देते हैं। न्याय की परवाह नहीं करते हैं। 

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