

जिस बच्चे को अपने घर में सुपारी का एक टुकड़ा खाने पर लम्बा भाषण सुनना पड़ता था वो कैसे वहॉं व्हिस्की, जिन, रम, स्कॉच, कसौल आदि का फर्क समझने लगता है। जिस बच्चे को सुबह सूर्योदय से पहले “कराग्रे वास्ते लक्ष्मी” से उठने की बात सिखाई जाती थी वो कैसे 10 बजे उठकर निम्बू पानी निचोड़ने लग जाता है… और हाँ, क्या ऐसा हो जाता है छात्र के साथ की वो अपने कमरे में देसी स्वामी विवेकानंद के कोट वाली पोस्टर हटाकर विदेशी मार्क्स और लेनिन को अपना लेता है ?
JNU देश का सर्वश्रेष्ठ शोध संस्थान है इसमें कोई दो राय नहीं। थोड़ा नजर उठाकर देखेंगे तो पाएँगे कि भले ही अपने देश में शोध का बहुत महत्व न हो, दुनिया भर में शोध के नाम पर मिलने वाली नौकरियों में सबसे अधिक पैसा है। ऐसे में JNU के अधिकतर छात्र शोध के बाद विदेश चले जाते हैं… ध्यान देंगे तो पाएँगे कि वाकई यहाँ रहने वाले कश्मीर और कन्हैया ही हैं अधिकतर।
हमें यह भी सोचना चाहिए की देश की दशमलव फीसदी आबादी मात्र ही JNU पहुँच पाती है। देश में इंजीनियर बन रहे हैं, डॉक्टर बन रहे हैं, CA बन रहे… ये सब JNU से नहीं आते, देश फिर भी चल रहा है।
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JNU में "ज्ञान गंगा" बहती हुई! जनता के टैक्स का मज़ाक तो है ही पर भारतीय संस्कृति के दुश्मन तैयार हो रहे हैं यहाँ! |
ऐसा नहीं है कि सारी बुराई ही है इधर, नि:संदेह कुछ अच्छे छात्र भी आए JNU से, किन्तु JNU इतना महत्वपूर्ण नहीं है कि इसके लिए लोग आपस में लड़ने लगें और फिर JNU पर हल्ला करने से अन्य स्थानों पर शिक्षा-व्यवस्था सुधर जाएगी, सस्ती हो जाएगी… क्योंकि सरकार की सब्सिडी से JNU लगभग मुफ्त है और बाकी संस्थानों को अपना वित्त खुद देखना पड़ता है। न तो हम अभी इतने विकसित और सशक्त अर्थव्यवस्था हो गए हैं कि देश भर में पढ़ाई का स्तर JNU सरीखा और मुफ्त कर सकें।
ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा देश है जो बड़े शोधपरक सर्वेक्षणों के लिए जाना जाता है। यहाँ की एक संस्था है कैलिपर जो विश्व की तीन बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में प्रवेश के लिए टेस्ट पेपर बनाती है। बजाय पास- फेल के यह नियुक्ति के पद के हिसाब से आदमी को सही या गलत बताती है और फिर आपका सिलेक्शन यहाँ होता है। इसके माध्यम से एक अमेरिकन कंपनी में प्रवेश और 9 साल सेवा देने का अवसर प्राप्त होता है।
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया की ही एक संस्था है युनीरैंक। युनीरैंक विश्व भर में रैंकिंग सिस्टम के लिए प्रसिद्ध है। यह विश्वभर की 13,600 विश्वविद्यालयों से जुड़ी है और वहॉं के पिछले 4 साल के रिकॉर्ड के हिसाब से वृहत स्तर पर रैंकिंग तय करती है। इस संस्था के 2019 की रैंकिंग में पहले 200 विश्वविद्यालयों में भारत का कोई भी विश्वविद्यालय नहीं है।
भारत विकसित नहीं है तो यह संभव नहीं, कोई बड़ी बात नहीं। इस लिस्ट के प्रथम 20 स्थानों में सिर्फ अमेरिका और चीन है और उसके बाद इनके अलावा ब्रिटेन और कनाडा जैसे देश। एशिया की रैंकिंग में प्रथम 50 की रैंकिंग में दिल्ली यूनिवर्सिटी 7वें और IIT, मद्रास 50वें स्थान पर है। 200 तक की रैंकिंग पढ़ डाली, अफ़सोस JNU का नाम नहीं दिखा।
इस संस्था ने देश स्तर पर भी रैंकिंग दी है। संस्था द्वारा 2019 के प्रथम 5 भारतीय विश्वविद्यालयों का नाम:
रैंक 1 – दिल्ली यूनिवर्सिटी
रैंक 2 – आईआई टी, मद्रास
रैंक 3 – आईआईटी, मुंबई
रैंक 4 – आईआईटी, कानपुर
रैंक 5 – आईआईटी, खड़गपुर
JNU नहीं दिखा होगा। JNU इस रैंकिंग के दसवें स्थान तक भी कहीं नहीं है, बल्कि इसकी रैंकिंग 12वीं है हिंदुस्तान में। JNU भारत में उपलब्ध सबसे बेहतर शोध संस्थान है… किन्तु ऐसा बिलकुल नहीं कि आप JNU के नाम पर लड़ मरें और वो महारथी तो बिलकुल ही चुप रहें जो कहते हैं कि प्रवेश परीक्षा पास करके दिखाओ उनसे कहूॅंगा कि जाओ आप शोध के लिए फ़िनलैंड जहाँ अब तेज हिंदुस्तानी छात्र जा रहे… जहाँ केवल फ़ीस ही नहीं लगती बल्कि अच्छे-खासे पैसे भी दिए जाते हैं शोध करने के लिए।
अवलोकन करें:-
अपने बच्चों को JNU में भेजने वाले अभिभावकों को चाहिए कि अपने बच्चों को गुंडागर्दी, नशीले पदार्थों और फ्री सेक्स से दूर रहने पर ही इस संस्थान में भेजें।

कुछेक लोग की करतूतों की बजह से अच्छे MINDED छात्रो पर और अच्छे चरित्र की छात्राओ पर जो चाहे भूतपूर्व हो या प्रेजेंट समय की उनकी छवि को ठेस और अघात और चारित्र पर बदनुमा धब्बा और ये उत्पन्न होने वली सोच कुछ अय्याश डॉन माफिया टाइप लोगों की बजह से हो रहा है ।वो सभी IAS IS PCS और बाकी सभी काबिल महान भूतपूर्व JNU के छात्र रहे हैं उन सभी को निकल के आना चाहिये और अपनी प्यारी यूनिवर्सिटी की मां मर्यादा इज्जत सम्मान को बचाना चाहिये । आपकी अपनी यूनिवर्सिटी है ।आप खुद सपोर्ट करो इन लोगो को हटवाने मे, इन लोगों के कर्म आप जेसे महान ग्रेट इन्सानो के चारित्र तक से अपने कुकर्मो से तुलना कराने की और एसा msg समाज मे भेजने की कोशिश लगातार किये जा रहे हैं ।
JNU यूनिवर्सिटी बुरी नही है । बुरा है तो वहा का माहोल वहाँ के लूज़ rules ।वहा का कुछ स्टूडेंट वहाँ का दोगला मैनेजमेंट ।
इन सभी की बजह से एक महान उद्देश्य शिक्छा के महादान के लिये खोली यूनिवर्सिटी को बन्द तक करने की माँग और सोच जनता के आणड़र गली गली उठने लगी है ।
सच काहू तो कांग्रेस को भी शख्त कदम उठाने चाहिये माहोल खराब करने और यूनिवर्सिटी को बदनाम करने वाले लोगो से तुरन्त अपना रक्छा कवच सपोर्ट समर्थन तुरन्त हटा लेना चाहिये अभी का अभी ।ये भारत के प्रथम प्रधान मंत्री के नाम की यूनिवर्सिटी को बर्बाद कर रहे बदनाम कर रहे हैं ।
इन कुछेक लोगो की बजह से कांग्रेस के प्रथम और महान सीनियर नेहरु जी के नाम पर खोली महान दान किया ।
उनके नाम पर उन्ही की कृपा से फ्री रहने खाने और पड़ने की शुविधा देने वाले के नाम को कुछेक लोग धब्बा लगा रहे हैं ।
ये तो वो ही बात हो गयी ना जिस थाली मे खाया उसी मे छेद कर दिया *
और मजे की बात देखो शायद 2017 के हाई कोर्ट के आदेश का पालन नही होता । हमरी सुरक्छा संस्थाएँ वो एक हद तक haktchhep नही कर सकती घुस नही सकती अंदर ।क्या ये मजाक नही । वो ही पुलिस आदी इनकी सुरक्छा करते ।उनका अधिकार है कही भी सुरक्छा के लिये कुछ भी कर सकते cort के साथ मिलकर लेकिन यहाँ तो हाई कोर्ट का निर्णय आदेश नही माना जा रहा ।
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