खैर, 1962 इंडो-चीन युद्ध के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी ने स्पष्ट कहा था कि 'पार्टी का कोई वर्कर फौजियों के लिए खून नहीं देगा।' फिर पार्टी कहती है कि 'हम देश के प्रति वफादार है' और अज्ञानी सच मानकर इनका अनुसरण करने लगते हैं। और एक और सच्चाई सामने आयी है जिसे किसी अन्य ने नहीं बल्कि वर्षों तक कामरेड बने रहे चरित्र अभिनेता ने कि कम्युनिस्टों की परिवार के प्रति कोई सम्मान नहीं। जिस पार्टी का परिवार के लिए कोई सम्मान नहीं होगा, उसका जनता अथवा देश के लिए क्या होगा? जिन माँ और बाप के ही कारण ये लोग दुनिया में आये उन्हें ही गन्दा बताया जा रहा है।
फिल्मों के चरित्र अभिनेता पीयूष मिश्रा ने कहा कि वामपंथी बनकर उन्होंने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली। उन्होंने कहा कि कॉमरेड बनकर उन्होंने अपनी ऐसी-तैसी करा ली। कम्युनिस्टों ने उन्हें दबोच रखा था। बहुत मुश्किल के बाद वे उनके चंगुल से निकले हैं।
पीयूष मिश्रा ने कहा, “कम्युनिस्टों ने 20 साल मेरी जिंदगी के बर्बाद कर दिए। वे कहते- परिवार गंदी चीज है, माँ गंदी चीज है, बाप गंदी चीज है…. तुम्हें समाज के लिए काम करना है। ये सब समाज के हिस्से नहीं हैं क्या? वे कहते- नहीं… नहीं… समाज के हिस्से अलग होते हैं। क्रांति कहीं से आएगी। लाल बत्ती पर ठहरी हुई है।”
मेरी ज़िंदगी बर्बाद करदी कम्युनिस्टों ने। माँ गंदी, बाप गंदा, परिवार गंदा बस यही सिखाते थे। जब मैंने देखा मैं खराब बेटा बन गया, खराब पति बन गया तो मैंने सोचा खराब बाप नही बनूँगा - पीयूष मिश्र pic.twitter.com/M1XIEwTxkw
— हमारे मंदिर (@ourtemples_) May 7, 2023
लल्लन टाप् ने एक तो बढ़िया काम् किया
— ॐ नमः शिवाय (@poosyamitra) May 7, 2023
उन्होंने आगे कहा, “वे लगातार 20 साल तक मुझसे काम करवाते रहे। वे कहते- पैसा कमाना पाप है। जो पैसा कमाता है, वो पूँजीपति कहलाता है, कैपिटलिस्ट हो जाता है। पैसा कभी मत कमाना। फिर मैंने कहा- नहीं कमाऊँगा सर। मैंने सबको छोड़ दिया जिंदगी में… माँ-बाप, बीवी को।”
कॉमरेड बनने के अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “जब मुझे अहसास हुआ कि मैं खराब बाप हो गया, मैं खराब बेटा साबित हो गया। मुझे लगा अब खराब बाप साबित नहीं होऊँगा। तब मेरा बड़ा बेटा छोटा था। मुझे अहसास हुआ कि पीयूष तुम तो गलती कर रहे हो। उन लोगों ने मेरा सब कुछ ले लिया। परिवार की कतई चिंता नहीं थी मुझे।”
उन्होंने कहा, “ये जूनियर कैडेट से इतना खराब काम लेते हैं कि कुछ कह नहीं सकते। स्टालिन का भूत था। कम्युनिस्ट का मतलब स्टालिन होता है। एक बंदा होता है, जो सबका सिरमौर होता है और सारे बंदे जूनियर होते हैं। जूनियर बंदा उसका मुँह देखता है कि अब हमें क्या करना है, क्या खाना है, क्या पीना है। तो मैं भी लगातार काम करता रहा इनके लिए… लगातार।”
पीयूष ने अपनी हालत के बारे में बताते हुए कहा, “मैं टूट गया था उनके लिए काम करते-करते। मेरी फिजिकल हालत खराब हो गई थी। मेंटल हालत खराब हो चुकी थी। इमोशनली मैं ड्रेन हो चुका था।” उन्होंने बताया कि अच्छा बाप बनने के लिए उन्होंने सिनेमा में जाने का फैसला कर दिया।