संसद की कैंटीन में नहीं मिलेगा सस्ता खाना : हर साल 17 करोड़ रुपए की बचत

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Image result for rates of parliament canteenआर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
2014 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में कदम रख, संसद की हर जगह को देखते-देखते जब कैंटीन में कुछ खाने-पीने बैठने पर वहां के रेट देख दंग रह गए थे, तभी से इतने सस्ते भोजन की जाँच करने पर जब कैंटीन को मिलने वाली सब्सिडी के नाम पर हर वर्ष करोड़ों होते खर्च को देख कैंटीन को मिलने वाली सब्सिडी पर अंकुश लगाने का मन बना लिया था। 
लेकिन विरोध को देख केवल आंशिक ही कटौती कर पाए। लेकिन अब जाकर अपने उद्देश्य को पूरा करने में सफल हुए। जिसकी कई वर्षों से जनता की मांग थी। 
जनता की मांगों में पार्लियामेंट कैंटीन को मिल रही करोड़ों की सब्सिडी के कारण सड़क पर पतीले लेकर बेचने वाले से भी सस्ता होता है। दूसरी मांग, पार्षद से लेकर सांसद तक को मिलने वाली पेंशन; तीन, निर्वाचित सदस्यों को मिलने वाली फ्री सुविधाएं आदि आदि, जिन पर हर वर्ष अरबों रूपए खर्च होते हैं, पर अंकुश लगाना। जिस कारण इन्हे जनमानस को होने वाली महंगाई की मार का आभास तक नहीं होता। 
प्रधानमंत्री के कहने पर करोड़ों लोगों ने घरेलू सिलेण्डर पर सब्सिडी छोड़ दी। जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी जनता की बाकी और मांगों को पूरा कर देंगे, केवल बजट ही नहीं जनमानस को मिलने वाले हर पदार्थ की कीमतों में अंतर आने लगेगा, इतना ही नहीं, महंगाई भी काबू में आएगी। इसका जनता पर इतना अधिक प्रभाव पड़ेगा कि जनता बिजली, पानी और गैस आदि पर मिलने वाली सब्सिडी वापस लेने की मांग करने लगेंगे।  
संसद की कैंटीन में सासंदों को मिलने वाली सब्सिडी अब ख़त्म हो सकती है। इसका परिणाम यह होगा कि सासंदों को खाने पर जो सब्सिडी मिलती है, उसे अब जल्द ख़त्म कर दिया जाएगा। सीधे-सरल शब्दों में कहें तो अब संसद की कैंटीन में जो खाना उपलब्ध होगा, उसकी क़ीमत खाने की लागत के आधार पर तय होगी और सांसदों को उसका भुगतान करना होगा। हालाँकि, इस सन्दर्भ में सभी पार्टियाँ एकमत हो गई हैं, इसलिए यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जल्द ही संसद की कैंटीन की नई रेट लिस्ट आएगी।
Image result for rates of parliament canteenख़बर के अनुसार, लोकसभा स्पीकर ओम बिडला के सुझाव के मद्देनज़र बिज़नेस एडवाइज़री कमिटी ने इस मामले पर चर्चा की थी। इस चर्चा के दौरान अधिकतर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी सहमति जताई थी। अगर भविष्य में संसद की कैंटीन से सब्सिडी हटा दी गई तो इससे 17 करोड़ रुपए सालाना की बचत होगी। दरअसल, पिछली लोकसभा में कैंटीन में खाने का दाम बढ़ाया गया था और सब्सिडी का बिल कम कर दिया गया था। लेकिन, अब सब्सिडी को पूरी तरह से ख़त्म करने की तैयारी है।
Image result for rates of parliament canteenसंसद की कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी कई बार विवादों का हिस्सा रही है। बीते दिनों संसद की कैंटीन की रेट लिस्ट भी वायरल हुई थी। सब्सिडी के तहत देश के सांसदों के संसद की कैंटीन में खाना काफ़ी कम दाम पर मिलता था।
Related imageदरअसल, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में साल 2016 में कैंटीन में मिलने वाले भोजन के दाम बढ़ाए गए थे। इसके बाद अब सब्सिडी ख़त्म करने का फ़ैसला लिया गया है। साल 2016 से अब तक शाकाहारी थाली के दाम 30 रुपए है, जबकि 2016 से पहले 18 रुपए थे। वहीं, नॉन-वेज थाली अब 60 रुपए में उपलब्ध है, जबकि पहले यह 33 रुपए में उपलब्ध थी। थ्री कोर्स मील का रेट अब 90 रुपए है, जबकि पहले इसका रेट 61 रुपए था।
सूचना के अधिकार के तहत दिए गए ब्योरे के अनुसार, वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक संसद कैंटीनों को कुल 73,85,62,474 रुपए बतौर सब्सिडी दिए गए। वहीं, अगर पिछले पाँच वर्षों की बात करें तो पता चला है कि वर्ष 2012-13 मे सांसदों के सस्ते भोजन पर 12,52,01867 रुपए, वर्ष 2013-14 में 14,09,69082 रुपए सब्सिडी के तौर पर दिए गए। ठीक इसी तरह, 2014-15 में 15,85,46612 रुपए, वर्ष 2015-16 में 15,97,91259 रुपए और वर्ष 2016-17 में सांसदों को कम क़ीमत पर खाना उपलब्ध कराने पर 15,40,53365 रुपए की सब्सिडी दी गई।

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