
नागरिकता (संशोधन) विधेयक से जुड़ी अहम जानकारियां
नागरिकता (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य छह समुदायों - हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी - के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है.
बिल के ज़रिये मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा, ताकि चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान की जा सके. चूंकि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है.
ख़बरों के अनुसार, नए विधेयक में अन्य संशोधन भी किए गए हैं, ताकि 'गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे' लोगों तथा पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचारों का शिकार होकर भारत में शरण लेने वाले लोगों में स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सके.
देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक का संसद के निचले सदन लोकसभा में आसानी से पारित हो जाना तय है, लेकिन राज्यसभा में, जहां केंद्र सरकार के पास बहुमत नहीं है, इसका पारित हो जाना आसान नहीं होगा.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK), समाजवादी पार्टी (SP), वामदल तथा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) इस बिल के विरोध में हैं, लेकिन राज्यसभा में मतदान की नौबत आने पर ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) जैसी पार्टियां सरकार के पक्ष में संतुलन कायम कर सकती हैं.
BJP की सहयोगी असम गण परिषद (AGP) ने वर्ष 2016 में लोकसभा में पारित किए जाते वक्त बिल का विरोध किया था, और सत्तासीन गठबंधन से अलग भी हो गई थी, लेकिन जब यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया, AGP गठबंधन में लौट आई थी.
BJP के सांसदों से उस समय संसद में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिल प्रस्तुत करेंगे.
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिसम्बर 3 को कहा था कि तीन पड़ोसी देश दरअसल इस्लामिक देश हैं, इसलिए वहां गैर-मुस्लिम ही धार्मिक अत्याचारों का शिकार होते हैं, मुस्लिम नहीं.
राजनाथ सिंह ने कहा था, "पड़ोसी धर्मशासित राष्ट्रों में अल्पसंख्यकों को अनवरत रूप से अत्याचारों का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते वे भारत में शरण लेने के लिए विवश हो जाते हैं... छह अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता दिया जाना 'सर्व धर्म समभाव' की भावना से प्रेरित है..."
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