‘मुसलमानो हमें आज कर्बला का किरदार निभाना होगा… नहीं तो मिट जाएगा 25 करोड़ मुस्लिमों का नाम’

वायरल पर्चानागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के नाम पर मोदी सरकार और उनकी नीतियों को घेरने वाले अब देश में हिंसा भड़काने पर खुलेआम उतर आए हैं। पहले इस कड़ी में केवल फोन, मेल, मैसेज के जरिए समुदाय विशेष के लोगों को समझाया जा रहा था कि ये सरकार उन्हें देश से निकालना चाहती है, उनके ख़िलाफ़ फैसले ले रही है, उनसे उनके अधिकार छीनना चाहती है आदि आदि। लेकिन अब ये कार्य खुलेआम पर्चे बाँटकर किया जाने लगा है। जिसमें कट्टरपंथियों द्वारा न केवल मुस्लिम समुदाय को सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ भड़काने के लिए गलत सूचना छापी जा रही हैं, बल्कि देश में हिंसा करने के लिए कर्बला का किरदार निभाने की भी बात स्पष्ट तौर पर लिखी दिखाई दे रही है।
इस समय ये पर्चा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें आज जुमे की नमाज के बाद चक्का जाम करने की गुजारिश समुदाय विशेष के लोगों से की गई है। साथ ही एनआरसी और सीएए के ख़िलाफ़ लोगों को भड़काने के लिए जमकर झूठ परोसा गया है।
इस पर्चे में शांत बैठे लोगों को घरों से बाहर आकर हड़कंप मचाने के लिए बताया गया कि एनआरसी लागू होने पर देश के हर नागरिक को पहले साबित करना पड़ेगा कि उनके दादा-परदादा भी भारतीय थे। जब लोग ऐसा करने में असफल हो जाएँगे तो उनसे नागरिकता छीन ली जाएगी। फिर बाकी सभी धर्मों के लोगों को सीएए के तहत नागरिकता मिलेगी और मुसलमानों को घुसपैठिया करार दे दिया जाएगा और सभी मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में डाल दिए जाएँगे।

इसके अलावा इस पर्चे में खुलेआम ये तक दावा किया गया है कि भारत सरकार और आरएसएस चाहती है कि भारतीय मुसलमानों को रोहिंग्या मुसलमानों की तरह स्टेटलेस बना दिया जाए। जिसके कारण ही वे ऐसी नीतियाँ लाए हैं। अगर एक बार 30 करोड़ में से 25 करोड़ मुसलमान नागरिकता साबित करने में फेल हो गए। तो उनसे मतदान करने का अधिकार ले लिया जाएगा। उनके लिए संपत्ति को खऱीदना-बेचना संभव नहीं हो पाएगा, सरकारी सुविधाएँ उन्हें नहीं मिलेंगी। जो कुछ उनपर होगा, उसे जब्त कर लिया जाएगा। सरकारी नौकरी वालों को उनकी नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा आदि आदि।
ये सब पढ़कर कोई भी नागरिक अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतर आएगा और इंसानियत के नाते दूसरे समुदाय के लोग भी उनका समर्थन करने से नहीं चूँकेगे। देखते ही देखते बड़ा तबका सरकार के विरोध में हो जाएगा। जिन्हें सीएए से कोई लेना-देना भी नहीं होगा, वह भी मानवता की लड़ाई समझकर इसका विरोध करेंगे। लेकिन ये कोई नहीं समझेगा कि आखिर ऐसी जानकारी परोसने वाला कौन है और पर्चे में प्रकाशित जानकारी का मूल उद्देश्य क्या है? क्या इस पर्चे में लिखे अनुसार सड़कों पर उतरना और तथाकथित मजहबी ठेकेदारों की बातों में आना सरकार का या उनकी नीतियों का विरोध करना ही कहलाएगा या फिर भीड़ को इकट्ठा करके चक्का जाम के नाम पर सीलमपुर जैसी किसी घटना को अंजाम दिया जाएगा?
वायरल हुए इस पर्चे के अंत मुसलमानों को उकसाने के लिए उन्हें करबला का किरदार निभाने तक के लिए कहा जा रहा है। साथ ही मोदी सरकार को दुश्मन बताकर इंगित किया जा रहा। जिसमें लिखा गया है, “दुश्मन हमें हमारे मुल्क से निकालना चाहता है। इस मुल्क को आजाद कराने के लिए हमारे बाप-दादा ने अपनी जानों की क़ुरबानी दी है। अब हमें दोबारा कुर्बानी देनी होगी।”
शाम को वापस जाते प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थराव और DCP ऑफिस के बाहर खड़ी कार को आग के सुपुर्द कर दिया। जिस पर प्रदर्शन आयोजकों का पुराना राग होगा कि "हम तो शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे, कुछ बाहरी और असामाजिक तत्वों ने कर दिया।" जब भी उपद्रव होता है, अपने आपको देशभक्त बता उपद्रव से बचा लेते हैं। अब पुलिस को चाहिए कि सीलमपुर में जिसके हाथ में पेट्रोल बम फटा, उससे से पूछा जाए, एक, किसके कहने पर पेट्रोल बनाया गया?; दो, पेट्रोल के लिए धन किसने दिया?; तीन, बम बनाने में कौन-कौन शामिल थे? चार, किस घर में बनाए गए? आदि आदि। ऐसे बहुत प्रश्न हैं, जिन पर पकडे गए उपद्रवियों से सख्ती से पूछा जाना चाहिए। 
हैरानी की बात है कि अधिकांश प्रदर्शनकारियों को नागरिक संशोधक कानून के बारे में क,ख, ग तक नहीं जानते, लेकिन दुष्प्रचार कर उन्हें भड़काया जा रहा है। दूसरे, लोक सभा में माना कि भाजपा का बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में नहीं, उसके बावजूद राज्यसभा में पास होता है, सिद्ध करता है कि अंदरखाने अधिकांश नेता इस कानून के पक्ष में हैं, लेकिन वोटबैंक पर हुए प्रहार के कारण डर का वातावरण बना, देश में अशांति का माहौल बनाया जा रहा है, और इसके लिए केन्द्र सरकार को उचित सख्त कदम उठा, ऐसे लोगों को बेनकाब करना होगा।  
विश्व में ऐसा कौन-सा देश है, जहाँ नागरिक कानून लागू नहीं है। जब भारत में यह कानून बना, फिर तुष्टिकरण पुजारी किसके लिए विरोध कर रहे हैं, देशहित में या फिर अपने वोटबैंक के लिए?   

1 comment:

Himkar Prasad singh said...

Hindustani Muslim ko NRC OR CAB se koe fark nahi hone Wala please determine always ye desh sabhi ka hai.congress ya secular party ke dwarra jhooth faiylaye ja rahe afwah se bachen or desh ke vikas me sabhi dharm ke loge sahyog karen.