
आज जब नेता स्वयं जालसाजी और भ्रष्टाचार में लिप्त हो, क्या ऐसे नेताओं से न्याय की उम्मीद की जा सकती है? किसी सदन में निर्वाचित होने उपरांत तिजोरी भरने के समाचार अब आम हो गए हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए आयु को लेकर झूठ बोलने का समाचार पहली बार दिखा।
समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी है। अब्दुल्ला आजम स्वार सीट से विधायक चुने गए थे। कोर्ट ने चुनाव के दौरान दिए गए उनके हलफनामे में उम्र को गलत पाया है।
इस मामले में साल 2017 में बहुजन समाज पार्टी के नेता नवाब काजिम अली ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया कि विधानसभा चुनाव दौरान अब्दुल्ला आजम ने हलफनामे में अपनी उम्र की गलत जानकारी दी थी। नवाब काजिम अली ने चुनाव अर्जी में अब्दुल्ला को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य बताते हुए उनका निर्वाचन रद्द किए जाने और रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से नए सिरे से चुनाव कराए जाने की मांग की थी।
बसपा नेता दायर की थी याचिकाकाजिम अली ने अपनी याचिका मे कहा था कि वर्ष 2017 में चुनाव के वक्त आजम खान के बेटे न्यूनतम निर्धारित उम्र 25 वर्ष के नहीं थे। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फर्जी कागजात दाखिल किए थे और झूठा हलफनामा दाखिल किया था। बसपा नेता की ओर से अब्दुल्ला आजम की 10वीं कक्षा की मार्कशीट के साथ कई अहम दस्तावेजों में दर्ज जन्मतिथि को आधार बनाया गया था।
अब्दुल्ला ने कोर्ट में दिया था जवाबहालांकि, पूरे मामले को लेकर अब्दुल्ला आजम का कहना था कि प्राइमरी में दाखिला के समय अध्यापक ने जन्मतिथि स्वयं दर्ज कर ली थी। अब्दुल्ला आजम ने कोर्ट को बताया था कि जब वे एमटेक कर रहे थे तो हाई स्कूल सहित अन्य प्रमाणपत्रों में दर्ज जन्मतिथि उन्होंने परिवर्तन करा ली है। जबकि हाईस्कूल में जन्मतिथि परिवर्तित कराने के लिए सीबीएसई बोर्ड को भी अर्जी दी गई है, जो कि लंबित है। अब्दुल्ला ने बताया कि उनके पासपोर्ट पर जन्मतिथि संशोधित हो चुकी है। अब्दुल्ला ने कहा कि उनका जन्म क्वींस मैरी हॉस्पिटल लखनऊ में 30 सितम्बर 1990 को हुआ था।
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