

डॉ. रेड्डी के पिता ने कहा कि इस दर्दनाक घटना ने उनके परिवार को झकझोर कर रख दिया है। जब से ये घटना घटी है, उनका परिवार सो नहीं पाया है। वो कहते हैं, “पुलिस अगले दिन सुबह 10 बजे शव की पहचान करने के लिए हमें ले गई। मैंने तुरंत अपनी बेटी के जले हुए शरीर के कुछ हिस्सों और आसपास पड़ी कुछ वस्तुओं को देखकर पहचान लिया। पुलिस को सुबह 7:30 बजे ही इसके बारे में पता चल गया था, लेकिन उन्होंने हमें सूचित करने की जहमत नहीं उठाई।”
पीड़िता के पिता कहते हैं कि लोग उन्हें बताते हैं कि उसे (डॉ. रेड्डी) 100 पर पुलिस को बुलाना चाहिए था। 100 नंबर कॉल करने के लिए बहुत सारे दिशा-निर्देश का पालन करना पड़ता है। उन्होंने रोष जाहिर करते हुए सवाल किया, “तेलंगाना में एक व्यक्ति का नाम बताएँ, जिसे 100 डायल करने के बाद बचाया गया हो।”
वो पुरानी बातों को याद करते हुए कहते हैं, “उनकी बेटी अपने सपने को हासिल करने के लिए दिन में 14 घंटे पढ़ती थीं। उसने अपना सपना पूरा कर लिया था। वह रोजाना 14 घंटे पढ़ाई करती थी और फिर उसे नौकरी मिल गई। उसने 3 साल तक जॉब की और फिर उसकी मौत हो गई।”

इससे पहले आरोपितों के परिवारों ने साफ कहा था कि उनके बेटों को अगर मौत की सजा दी जाती है तो वे विरोध नहीं करेंगे। एक आरोपित के परिवार की ओर से कहा गया कि जो अपराध उन्होंने किया उसके लिए उन्हें या तो फाँसी दी जानी चाहिए या फिर जिंदा ही जला देना चाहिए। आरोपित सी चेन्ना केशवुलु की माँ ने स्थानीय मीडिया से कहा था, “मेरी खुद की भी एक बेटी है, मैं मृतक लड़की के परिवार का दर्द समझ सकती हूँ”। उन्होंने कहा कि इस हैवानियत भरे कृत्य के लिए उनके बेटे को फाँसी दे दी जानी चाहिए या फिर जिंदा जला दिया जाना चाहिए।
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