देश भर में नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के ख़िलाफ़ हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए। इस क़ानून का मक़सद पड़ोसी इस्लामिक राष्ट्रों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों यानि हिन्दुओं को भारतीय नागरिकता देना है, बस। जो हिन्दू विरोधियों को रास नहीं आ रहा। लेकिन शायद इतनी भी समझ लोगों में नहीं! भ्रम और बहकावे के कारण जगह-जगह उग्र हुई मुस्लिम भीड़ ने पथराव, हिंसा और बर्बरता भरे प्रदर्शनों को अंजाम दिया। इसके बाद ख़ुफ़िया एजेंसियों के साथ मिलकर दिल्ली पुलिस जामिया मिलिया इस्लामिया में हुए दंगों के कारणों की जाँच कर रही है। इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस का इशारा कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) पर है।
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि देश में जब कभी कोई उपद्रव होता है, आयोजक हमेशा बाहरी तत्वों पर दोष डाल अपना दामन बचा लेते हैं। परन्तु इन आयोजकों से आज तक यह नहीं पूछा गया, एक, इनको बुलाया किसने था?, दो, प्रदर्शन अथवा धरना देने से पूर्व प्रदर्शन अथवा धरने में शामिल लोगों को क्यों नहीं सचेत किया कि जो भी हिंसा फ़ैलाने की कोशिश करे, तुरंत उस दोषी को पकड़ पुलिस के सुपुर्द किया जाए; तीन, प्रदर्शन के दौरान जब हिंसा फैलनी शुरू होने पर आयोजकों ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दंगाइयों को क्यों नहीं पकड़ने की अपील की जाती; चार, जब इन बाहरी उपद्रवियों पर पुलिस कार्यवाही करती है, क्यों पुलिस हाय हाय की जाती है? जो प्रमाणित करता है कि ये उपद्रवी इनके प्रदर्शन अथवा धरने का हिस्सा होते हैं, जिन्हें उपद्रव करने के मकसद से बुलाया जाता है। पुलिस और सरकार को इन उपद्रवी तत्वों के समर्थकों से प्रश्न कर कटघरे में खड़ा कर उपद्रवियों के साथ-साथ इन से भी सख्ती से पेश आना चाहिए।
नेता भी उपद्रवियों द्वारा भड़काई हिंसा में मारे जाने वालों के घर जाकर सहानुभूति प्रकट करने को उत्साहित रहते हैं, लेकिन इन उपद्रवियों द्वारा चोटिल हुए पुलिसकर्मियों को देखने कोई नहीं जाता, क्यों? क्या पुलिसकर्मी किसी माँ के बेटे नहीं, क्या उनका कोई परिवार नहीं? आदि आदि।
शाहीन बाग क्षेत्र में हिंसक विरोध-प्रदर्शन की ओर इशारा करते हुए पुलिस ने कहा कि उस क्षेत्र के इतना अस्थिर होने के पीछे के कारणों का समय आने पर ख़ुलासा किया जाएगा। दिल्ली पुलिस ने शाहीन बाग, ओखला, जामिया नगर, बटला हाउस के आसपास के क्षेत्र में मौजूद PFI के ऑफिसों पर ऊँगली उठाई है।
पुलिस के अनुसार, जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंसा से दो दिन पहले 13 दिसंबर को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI के लगभग 150 सदस्यों ने विभिन्न राज्यों से दिल्ली में प्रवेश किया था। पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसियों के मुताबिक़, जामिया इलाक़े में हिंसा भड़कने से पहले वो कहीं छिप गए थे।
पुलिस के अनुसार, PFI के अराजक तत्वों द्वारा पथराव और आगजनी की शुरुआत की गई। पुलिस ने बताया कि विरोध-प्रदर्शन की शुरुआत दिल्ली में हुई क्योंकि कार्यकर्ताओं को पता था कि मीडिया इस ख़बर को तुरंत ब्रेक कर देगा और इससे हिंसा को फैलाने में अधिक मदद मिलेगी।
वहीं, पुलिस ने इस बात के भी पर्याप्त साक्ष्य जुटाए हैं कि PFI की सक्रिय भूमिका न केवल दिल्ली में ही थी बल्कि लखनऊ में भड़के दंगे में उनकी सक्रिय भूमिका थी। हिंसक विरोध-प्रदर्शनों को अंजाम देने के बाद कई PFI इस्लामी कट्टरपंथी भूमिगत हो गए।
जामिया मिलिया इस्लामिया घटना के हिंसक विरोध के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई पहली FIR में कहा गया था कि रविवार को 7 से 8 छात्रों के साथ उपद्रवियों ने विश्वविद्यालय के गेट के अंदर से पथराव किया।
जामिया हिंसा से संबंधित दिल्ली पुलिस की FIR में चार स्थानीय राजनेताओं और कॉन्ग्रेस के पूर्व विधायक समेत छ: लोगों को संदिग्ध बताया गया। दिल्ली पुलिस ने अपनी FIR में पूर्व कॉन्ग्रेस विधायक आसिफ़ ख़ान को एक आरोपित के रूप में नामित किया।
पुलिस ने बताया कि अन्य छ: आरोपित व्यक्तियों की पहचान स्थानीय राजनेताओं आशु खान, मुस्तफ़ा, हैदर, क़ासिम उस्मानी-CYSS का सदस्य, दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की छात्र शाखा, AISA सदस्य चंदन कुमार, SIO के सदस्य आसिफ़ तनहा, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया के रूप में की गई है। ख़ुफ़िया एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि वे पर्याप्त सबूत इकट्ठा कर चुके हैं और सही समय पर कार्रवाई करेंगे।
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि देश में जब कभी कोई उपद्रव होता है, आयोजक हमेशा बाहरी तत्वों पर दोष डाल अपना दामन बचा लेते हैं। परन्तु इन आयोजकों से आज तक यह नहीं पूछा गया, एक, इनको बुलाया किसने था?, दो, प्रदर्शन अथवा धरना देने से पूर्व प्रदर्शन अथवा धरने में शामिल लोगों को क्यों नहीं सचेत किया कि जो भी हिंसा फ़ैलाने की कोशिश करे, तुरंत उस दोषी को पकड़ पुलिस के सुपुर्द किया जाए; तीन, प्रदर्शन के दौरान जब हिंसा फैलनी शुरू होने पर आयोजकों ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दंगाइयों को क्यों नहीं पकड़ने की अपील की जाती; चार, जब इन बाहरी उपद्रवियों पर पुलिस कार्यवाही करती है, क्यों पुलिस हाय हाय की जाती है? जो प्रमाणित करता है कि ये उपद्रवी इनके प्रदर्शन अथवा धरने का हिस्सा होते हैं, जिन्हें उपद्रव करने के मकसद से बुलाया जाता है। पुलिस और सरकार को इन उपद्रवी तत्वों के समर्थकों से प्रश्न कर कटघरे में खड़ा कर उपद्रवियों के साथ-साथ इन से भी सख्ती से पेश आना चाहिए।
नेता भी उपद्रवियों द्वारा भड़काई हिंसा में मारे जाने वालों के घर जाकर सहानुभूति प्रकट करने को उत्साहित रहते हैं, लेकिन इन उपद्रवियों द्वारा चोटिल हुए पुलिसकर्मियों को देखने कोई नहीं जाता, क्यों? क्या पुलिसकर्मी किसी माँ के बेटे नहीं, क्या उनका कोई परिवार नहीं? आदि आदि।
शाहीन बाग क्षेत्र में हिंसक विरोध-प्रदर्शन की ओर इशारा करते हुए पुलिस ने कहा कि उस क्षेत्र के इतना अस्थिर होने के पीछे के कारणों का समय आने पर ख़ुलासा किया जाएगा। दिल्ली पुलिस ने शाहीन बाग, ओखला, जामिया नगर, बटला हाउस के आसपास के क्षेत्र में मौजूद PFI के ऑफिसों पर ऊँगली उठाई है।
पुलिस के अनुसार, जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंसा से दो दिन पहले 13 दिसंबर को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI के लगभग 150 सदस्यों ने विभिन्न राज्यों से दिल्ली में प्रवेश किया था। पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसियों के मुताबिक़, जामिया इलाक़े में हिंसा भड़कने से पहले वो कहीं छिप गए थे।
पुलिस के अनुसार, PFI के अराजक तत्वों द्वारा पथराव और आगजनी की शुरुआत की गई। पुलिस ने बताया कि विरोध-प्रदर्शन की शुरुआत दिल्ली में हुई क्योंकि कार्यकर्ताओं को पता था कि मीडिया इस ख़बर को तुरंत ब्रेक कर देगा और इससे हिंसा को फैलाने में अधिक मदद मिलेगी।
वहीं, पुलिस ने इस बात के भी पर्याप्त साक्ष्य जुटाए हैं कि PFI की सक्रिय भूमिका न केवल दिल्ली में ही थी बल्कि लखनऊ में भड़के दंगे में उनकी सक्रिय भूमिका थी। हिंसक विरोध-प्रदर्शनों को अंजाम देने के बाद कई PFI इस्लामी कट्टरपंथी भूमिगत हो गए।
जामिया मिलिया इस्लामिया घटना के हिंसक विरोध के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई पहली FIR में कहा गया था कि रविवार को 7 से 8 छात्रों के साथ उपद्रवियों ने विश्वविद्यालय के गेट के अंदर से पथराव किया।
जामिया हिंसा से संबंधित दिल्ली पुलिस की FIR में चार स्थानीय राजनेताओं और कॉन्ग्रेस के पूर्व विधायक समेत छ: लोगों को संदिग्ध बताया गया। दिल्ली पुलिस ने अपनी FIR में पूर्व कॉन्ग्रेस विधायक आसिफ़ ख़ान को एक आरोपित के रूप में नामित किया।
पुलिस ने बताया कि अन्य छ: आरोपित व्यक्तियों की पहचान स्थानीय राजनेताओं आशु खान, मुस्तफ़ा, हैदर, क़ासिम उस्मानी-CYSS का सदस्य, दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की छात्र शाखा, AISA सदस्य चंदन कुमार, SIO के सदस्य आसिफ़ तनहा, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया के रूप में की गई है। ख़ुफ़िया एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि वे पर्याप्त सबूत इकट्ठा कर चुके हैं और सही समय पर कार्रवाई करेंगे।
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