
सेक्युलर सरकारों के दौर में सरकारी जमीनों को बड़े पैमाने पर इस्लामिक माफिया और कट्टरपंथियों ने हडपा है और सरकारी जमीने हड़पने के लिए वहां पर मस्जिद, मजारें बनाई गयी है।
दिल्ली में भी काफी बड़े सरकारी भूभाग पर गैर क़ानूनी मस्जिदें बनी हुई है, और अब दिल्ली के बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने डंके की चोट पर बड़ा ऐलान किया है।
प्रवेश वर्मा ने आज ऐलान करते हुए कहा की अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनती है तो सारी गैर क़ानूनी मस्जिदों को हटा दिया जायेगा, प्रवेश वर्मा ने कहा की - मेरी लोकसभा सीट के इलाके में जितनी भी मस्जिदें सरकारी जमीनों पर बनी है उनमे से 1 भी मस्जिद को नहीं छोडूंगा।
BJP MP Parvesh Verma in Delhi yesterday: Jab Dilli mein meri sarkar ban gayi tab 11 Feb ke baad ek mahine mein, meri Lok Sabha mein jitni masjid sarkari zameen par bani hain unmein se ek masjid nahi chhorunga. Saari masjid hata dunga. pic.twitter.com/WWJE1udVOB— ANI (@ANI) January 28, 2020
जहाँ प्रवेश वर्मा के ऐलान के बाद आम लोगों ने इस बात का समर्थन किया है क्योकि लोग गैर क़ानूनी कब्जे के खिलाफ है वहीँ सेक्युलर तत्वों ने प्रवेश वर्मा को सांप्रदायिक घोषित कर दिया है।
अब देखना ये है की दिल्ली के लोग क्या चाहते है, अगर वो गैर क़ानूनी कब्जे से आज़ादी चाहते है तो प्रवेश वर्मा का समर्थन वोट के द्वारा करेंगे और अगर लोग मुफ्तखोरी और सेकुलरिज्म ही चाहते है तो गैर क़ानूनी मस्जिदें दिल्ली की भूमि पर जमी रहेंगी।
जहाँ तक अवैध कब्जे की बात है, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में यह आम बात है। जामा मस्जिद क्षेत्र जिसे भीड़भाड़ वाला क्षेत्र कहा जाता है, अगर हकीकत में देखा जाए, यहाँ इतनी भीड़ नहीं जितनी दिखती है। जिस दिन दुकानदारों के अवैध कब्जे हटा दिए जाएंगे, भीड़ अपने आप झंट जाएगी। एक अवैध अधिक्रमण दूसरे दो/तीन फुट आगे तक सामान रखना, सरकारी जमीन पर दुकानें खोलना आदि के कारण ट्रैफिक और पैदल चलने वालों को जो समस्या होती है, उस ओर किसी सरकार एवं पार्टी ने अपने वोटों के हित के कारण कभी गंभीरता से नहीं लिया। पटरियों पर कारें और रिक्शा खड़े रहने से पैदल चलने वालों को सड़क पर ही चलना पड़ता है। इस विषय पर कई बार इस गंभीर समस्या पर लिखता रहा हूँ।
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