आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन से उभरे दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भारतीय राजनीति में कुछ अलग करने के इरादे से आए। लेकिन वह भारतीय राजनीति में इतना अलग प्रयोग करेंगे, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने ही बातों, बयानों, आरोपों और वादों से यू-टर्न लेने में महारत हासिल कर चुके हैं। केजरीवाल अपनी नाकामी और गलती छिपाने के लिए दूसरे को बदनाम करने की कोशिश करते हैं।
चुनाव निकट आने से पूर्व कोई काम न करने के लिए हमेशा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दोष देते रहे, लेकिन चुनाव घोषित होने से पूर्व मुफ्त 200 बिजली यूनिट, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा आदि सुविधाएं देने पर जनता जानना चाहती है कि क्या ये सब सुविधाएं मोदी के आदेश पर दी गयीं हैं?
यही केजरीवाल थे, जिन्होंने निर्भय कांड होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को इस्तीफा देने तक की मांग की थी, परन्तु वही अरविन्द केजरीवाल निर्भय के एक बलात्कारी को पारितोषित करते हैं, ऐसे मुख्यमंत्री को किस नाम से पुकारा जाए?
मुफ्त बिजली के नाम पर दिल्लीवासियों से बोला झूठ!
अरविंद केजरीवाल की पूरी राजनीति ही झूठे वादों और नौटंकी पर टिकी है। हमेशा से झूठ की सियासत करने वाले केजरीवाल ने हाल ही में नया झूठ बिजली के बिल माफ करने को लेकर बोला है। केजरीवाल इन दिनों कहते घूम रहे हैं कि उनकी सरकार ने दिल्ली वालों को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त में देने के फैसला किया है और इससे लाखों लोगों को फायदा हो रहा है। लेकिन सच्चाई ये है कि केजरीवाल सरकार ने सिर्फ चुनावों को देखते हुए 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त करने का फैसला किया है। बाकायदा सरकार की तरफ से जारी शासनादेश में इसका जिक्र है कि ये फैसला सिर्फ 31 मार्च, 2020 तक ही लागू होगा।
वायु प्रदूषण को लेकर केजरीवाल के झूठे दावे
प्रदूषण को लेकर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल लगातार झूठ बोल रहे हैं। एक तरफ दिल्ली की जनता का प्रदूषित हवा में दम फूल रहा है और दूसरी तरफ केजरीवाल बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर दावा कर रहे हैं कि दिल्ली में 25 प्रतिशत प्रदूषण कम हो गया है।
प्रदूषण को लेकर केजरीवाल की राजनीति की वजह से ही दिल्ली में हवा सबसे खराब स्तर तक पहुंच गई है। दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। लेकिन केजरीवाल अपनी तरफ से कोई प्रयास करने के बजाए पूरा ठीकर पंजाब, हरियाणा और केंद्र की सरकारों पर मढ़ने का काम कर रहे हैं।
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से मारपीट का मामला
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 19 फरवरी, 2018 की आधी रात को अपने मुख्यमंत्री निवास पर बैठक के बहाने बुलाया। फिर दो विधायकों द्वारा मुख्य सचिव के साथ मारपीट करा दिया। मामला उजागर होने पर केजरीवाल झूठ पर झूठ बोलते रहे जबकि उनके सलाहकार ने स्वीकार कर लिया था कि केजरीवाल के सामने मारपीट हुई। इस मामले को लेकर 20 फरवरी, 2018 को अंशु प्रकाश ने कई अन्य आईएएस अफसरों के साथ उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करके इसकी जानकारी दी थी। अंशु प्रकाश की शिकायत पर सिविल लाइंस थाना पुलिस ने आप विधायक अमानतुल्ला खां और प्रकाश जरवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। बाद में, केजरीवाल एंड कंपनी ने दलित का एंगल देते हुए मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के खिलाफ संगम विहार थाने में शिकायत दर्ज कराई जिसमें विधायकों का आरोप है कि मुख्य सचिव ने उन्हें जातिसूचक अपशब्द कहे।
एलजी पर झूठा आरोप
इसके पहले अपनी गलती छिपाने के झूठ का सहारा लेने वाले केजरीवाल का एक और झूठ उस समय पकड़ा गया, जब केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के फाइलों को मंजूरी नहीं देते हैं जिससे दिल्ली सरकार का काम बाधित होता है। इस पर पलटवार उपराज्यपाल ने एक डाटा जारी करते हुए किया। उपराज्यपाल के डाटा से केजरीवाल सरकार के झूठ का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ है।
केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल के कार्यों को लेकर 89 पेज की रिपोर्ट पेश किया। जिसमें उपराज्यपाल पर फाइलों को मंजूरी नहीं देने को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ प्रस्तावों का जिक्र किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी दिल्ली सरकार पर पलटवार करते हुए एलजी कार्यालय के कामों को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है। उन्होंने बताया कि जब से इस सरकार का गठन हुआ है तब से 10 हजार फाइल आए उसमें से 97 प्रतिशत फाइल को ज्यों का त्यों बिना कोई संशोधन के स्वीकृति दी गई। जिन फाइलों को कानून सम्मत नहीं पाया गया और जो नियम विरुद्ध थे, उसमें संशोधन करने की टिप्पणी देकर लौटाया गया है।
बुलेट ट्रेन किराये को लेकर पकड़ा गया था झूठ
आईआईटी से इंजीनियर और पूर्व राजस्व अधिकार रहे अरविंद केजरीवाल खुलेआम झूठ बोलने में माहिर हैं। बुलेट ट्रेन को लेकर वह मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के बारे में लोगों को झूठी जानकारी दे रहे थे। वह लोगों को बता रहे थे कि मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का किराया 75 हजार रुपये होगा जबकि यह 1800 से 3000 रुपये के बीच ही होगा।
ईवीएम पर केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश
मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में प्रत्याशी रहे श्रीकांत सिरसाट का दावा था कि उसे खुद का भी वोट नहीं मिला था। इस दावे के साथ उसने ईवीएम पर संदेह जताया था। श्रीकांत के दावे को आम आदमी पार्टी ने खूब उछाला। आप नेता इसे एक सुनहरा मौका समझ भुनाने में लगे थे लेकिन चुनाव आयोग ने जब पड़ताल की तो पता चला कि उसे जीरो नहीं 44 वोट मिले थे। इसके बाद श्रीकांत ने चुनाव आयोग से माफी मांग ली लेकिन आम आदमी पार्टी अब तक इस मुद्दे पर चुप है।
इसके पहले सबूतों का पिटारा रखने का दावा करने वाले सीएम केजरीवाल ने अपने विरोधी नेताओं पर तरह-तरह के आरोप लगाए और जब एक के बाद एक मानहानि का केस कोर्ट में पहुंचने लगा तो माफीनामा लिखने लगे।
अरुण जेटली से कोर्ट में माफीनामा
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अप्रैल, 2018 में भाजना नेता अरुण जेटली से माफी मांगी। सीएम केजरीवाल के साथ आशुतोष, संजय सिंह और राघव ने एक संयुक्त माफीनामा पटियाला हाउस कोर्ट में सौंपा। केजरीवाल ने पहले भी अरुण जेटली से माफी मांगी थी, लेकिन तब उन्होंने कहा था कि जबतक आप के सभी नेता माफी नहीं मांगते, केस वापस नहीं होगा। केजरीवाल ने अरुण जेटली पर डीडीसीए की अध्यक्षता के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। केजरीवाल के आरोप लगाने के बाद जेटली ने उनपर और उनके सहयोगी नेताओं पर 10 करोड़ रुपये मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था।
नितिन गडकरी से लिखित में मांगी माफी
इसके पहले केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांगते हुए कोर्ट केस खत्म करने की गुजारिश की। केजरीवाल ने नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर उनके खिलाफ लगाए गए असत्यापित आरोपों के लिए खेद व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरी आपसे कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है। मैं इसके लिए खेद जताता हूं। इस मामले को पीछे छोड़ते हुए कोर्ट केस को खत्म करें।’ केजरीवाल के माफीनामे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मानहानि केस वापस लेने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दायर की है।
कपिल सिब्बल से भी मांगी माफी
आम आदमी पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2013 में प्रेस कांफ्रेंस करके अमित सिब्बल (कपिल सिब्बल का बेटा) पर ‘निजी लाभ के लिए शक्तियों के दुरुपयोग’ का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे समय में एक दूरसंचार कंपनी की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए, जब उनके पिता कपिल सिब्बल केंद्रीय संचार मंत्री थे। केजरीवाल ने भाजपा नेता नितिन गडकरी के बाद कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित सिब्बल से भी अपने बयान के लिए खेद प्रकट किया।
शीला दीक्षित के खिलाफ जांच पर मारा यू-टर्न
शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले उठाने वाले अरविन्द केजरीवाल अब चुप हैं। उन्होंने कहा था कि शीला दीक्षित के खिलाफ 370 पन्नों का सबूत है और मुख्यमंत्री बना तो वो 2 दिन में जेल जाएंगी। लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर लम्बी चुप्पी साध ली, फिर भेज दी केन्द्र को रिपोर्ट।
अकाली नेता बिक्रम मजीठिया पर लगाए आरोपों से लिया यू-टर्न
पंजाब चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने चुनावी रैलियों में अकाली दल के महासचिव और प्रदेश के तत्कालीन मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स माफिया होने का आरोप लगाए। यह आरोप अलग-अलग जगहों पर विवादित मुख्यमंत्री केजरीवाल बार-बार दोहराते रहे। इन आरोपों से दुखी होकर बिक्रम मजीठिया ने मानहानि का केस अमृतसर कोर्ट में किया। अब जब अरविन्द केजरीवाल को लगने लगा कि उनके आरोपों में कोई दम नहीं है, झूठे आरोप लगाने के मामले में जेल हो जाएगी तो आदतन अरविन्द केजरीवाल ने यू-टर्न मारा और लिखित में माफी मांगकर मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया है।
राजनीति में न आने की बात पर मारा यू-टर्न
अन्ना आंदोलन के दौरान कहा करते थे- राजनीति करने नहीं आया हूं, मुझे संसद नहीं जाना, पीएम-सीएम नहीं बनना, मैं भ्रष्टाचार मिटाने निकला हूं। लेकिन यू टर्न लेते हुए 26 नवंबर, 2012 को केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर लिया। और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।
अन्ना की बात मानने पर किया यू-टर्न
अरविन्द केजरीवाल कहा करते थे कि जो अन्ना कहेंगे वही कहूंगा। पर अन्ना ने जब राजनीतिक दल बनाने पर हामी भरने से इनकार कर दिया तो ‘जनता की राय’ के बहाने नयी पार्टी बना डाली। अपने गुरु को अकेला छोड़ दिया। उनकी बातें ही इसका सबूत हैं-
कांग्रेस से समर्थन न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि सरकार बनाने के लिए वो कांग्रेस को ना समर्थन देंगे ना कांग्रेस से समर्थन लेंगे। लेकिन सत्ता के लोभ में यू-टर्न ले लिया। कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में पहली बार सरकार बनायी और मुख्यमंत्री बन बैठे। 31 जनवरी 2015 को एक ट्वीट किया, जो उनके डर को दिखाता है और यह भी बताता है कि सत्ता के लिए वह हर काम करने के लिए तैयार है। इस ट्वीट को उन्होंने दस मिनट अपने एकाउंट से हटा दिया था।
सरकारी सुविधाएं न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल कहा करते थे कि वो सरकारी बंगला, गाड़ी और लालबत्ती नहीं लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने तमाम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के लिए भी सरकारी एश-ओ-आराम हासिल किए।
जाति-धर्म से ऊपर उठकर राजनीति करने पर यू-टर्न
केजरीवाल ने भ्रष्टाचार ही नहीं जाति से ऊपर उठकर राजनीति करने की वकालत की थी लेकिन पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने यू टर्न ले लिया। केजरीवाल ने एलान किया है कि पंजाब में उनकी पार्टी जीती तो प्रदेश को पहला डिप्टी दलित सीएम मिलेगा। इसी तरह से वह धर्म की भी राजनीति करने के लिए कोई अवसर नहीं छोड़ते। मोदी का विरोध करने के लिए कभी वह हिन्दू और कभी मुस्लिमों की राग छेड़ देते हैं।
जनलोकपाल देने के वादे पर मारा यू-टर्न
सरकार में आने के बाद 15 दिन में जनलोकपाल लाने का वादा किया, पर वो वादा भी अधूरा रहा। बहानेबाजी करते हुए 14 जनवरी, 2014 को ज़िम्मेदारी से भाग निकले, सरकार ही छोड़ दी।
सतलुज-यमुना लिंक नहर पर केजरीवाल का यू-टर्न
विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब को ललचाई नजर से देख रहे अरविन्द केजरीवाल ने सतलज यमुना लिंक के पानी पर पंजाब का अधिकार तो बता दिया लेकिन जैसे ही हरियाणा सरकार ने मुनक नहर का पानी दिल्ली को देने पर पुनर्विचार की धमकी दी, मुख्यमंत्री केजरीवाल को यू टर्न लेना पड़ा।
भ्रष्टाचार से उत्पन्न कालेधन को खत्म करने पर यू-टर्न
केजरीवाल के अन्ना आंदोलन का मूल उद्देश्य देश से भ्रष्टाचार को खत्म करना था। इस भ्रष्टाचार की जड़ में देश का कालाधन था जिसे खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी अभियान शुरू किया। लेकिन केजरीवाल ने इसका जमकर विरोध किया क्योंकि उन्हें पीएम मोदी का विरोध करना था। ममता बनर्जी के साथ मिलकर नोटबंदी के खिलाफ जनसभा की और मोर्चा निकाला, जिसकी हवा निकल गई। केजरीवाल ने ट्विटर पर झूठी बातों का प्रचार किया।
देशभक्ति की भावना पर केजरीवाल का यू-टर्न
देशभक्ति के तराने गाने वाले अरविन्द केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी अपने देश की सरकार के दावे पर उंगली उठाई। पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे। जिसको लेकर सोशल मिडिया पर उनकी काफी थू-थू हुई।
पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन से उभरे दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भारतीय राजनीति में कुछ अलग करने के इरादे से आए। लेकिन वह भारतीय राजनीति में इतना अलग प्रयोग करेंगे, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने ही बातों, बयानों, आरोपों और वादों से यू-टर्न लेने में महारत हासिल कर चुके हैं। केजरीवाल अपनी नाकामी और गलती छिपाने के लिए दूसरे को बदनाम करने की कोशिश करते हैं।
चुनाव निकट आने से पूर्व कोई काम न करने के लिए हमेशा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दोष देते रहे, लेकिन चुनाव घोषित होने से पूर्व मुफ्त 200 बिजली यूनिट, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा आदि सुविधाएं देने पर जनता जानना चाहती है कि क्या ये सब सुविधाएं मोदी के आदेश पर दी गयीं हैं?
यही केजरीवाल थे, जिन्होंने निर्भय कांड होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को इस्तीफा देने तक की मांग की थी, परन्तु वही अरविन्द केजरीवाल निर्भय के एक बलात्कारी को पारितोषित करते हैं, ऐसे मुख्यमंत्री को किस नाम से पुकारा जाए?
मुफ्त बिजली के नाम पर दिल्लीवासियों से बोला झूठ!
अरविंद केजरीवाल की पूरी राजनीति ही झूठे वादों और नौटंकी पर टिकी है। हमेशा से झूठ की सियासत करने वाले केजरीवाल ने हाल ही में नया झूठ बिजली के बिल माफ करने को लेकर बोला है। केजरीवाल इन दिनों कहते घूम रहे हैं कि उनकी सरकार ने दिल्ली वालों को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त में देने के फैसला किया है और इससे लाखों लोगों को फायदा हो रहा है। लेकिन सच्चाई ये है कि केजरीवाल सरकार ने सिर्फ चुनावों को देखते हुए 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त करने का फैसला किया है। बाकायदा सरकार की तरफ से जारी शासनादेश में इसका जिक्र है कि ये फैसला सिर्फ 31 मार्च, 2020 तक ही लागू होगा।
वायु प्रदूषण को लेकर केजरीवाल के झूठे दावे
प्रदूषण को लेकर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल लगातार झूठ बोल रहे हैं। एक तरफ दिल्ली की जनता का प्रदूषित हवा में दम फूल रहा है और दूसरी तरफ केजरीवाल बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर दावा कर रहे हैं कि दिल्ली में 25 प्रतिशत प्रदूषण कम हो गया है।
प्रदूषण को लेकर केजरीवाल की राजनीति की वजह से ही दिल्ली में हवा सबसे खराब स्तर तक पहुंच गई है। दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। लेकिन केजरीवाल अपनी तरफ से कोई प्रयास करने के बजाए पूरा ठीकर पंजाब, हरियाणा और केंद्र की सरकारों पर मढ़ने का काम कर रहे हैं।
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से मारपीट का मामला
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 19 फरवरी, 2018 की आधी रात को अपने मुख्यमंत्री निवास पर बैठक के बहाने बुलाया। फिर दो विधायकों द्वारा मुख्य सचिव के साथ मारपीट करा दिया। मामला उजागर होने पर केजरीवाल झूठ पर झूठ बोलते रहे जबकि उनके सलाहकार ने स्वीकार कर लिया था कि केजरीवाल के सामने मारपीट हुई। इस मामले को लेकर 20 फरवरी, 2018 को अंशु प्रकाश ने कई अन्य आईएएस अफसरों के साथ उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करके इसकी जानकारी दी थी। अंशु प्रकाश की शिकायत पर सिविल लाइंस थाना पुलिस ने आप विधायक अमानतुल्ला खां और प्रकाश जरवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। बाद में, केजरीवाल एंड कंपनी ने दलित का एंगल देते हुए मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के खिलाफ संगम विहार थाने में शिकायत दर्ज कराई जिसमें विधायकों का आरोप है कि मुख्य सचिव ने उन्हें जातिसूचक अपशब्द कहे।
एलजी पर झूठा आरोप
इसके पहले अपनी गलती छिपाने के झूठ का सहारा लेने वाले केजरीवाल का एक और झूठ उस समय पकड़ा गया, जब केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के फाइलों को मंजूरी नहीं देते हैं जिससे दिल्ली सरकार का काम बाधित होता है। इस पर पलटवार उपराज्यपाल ने एक डाटा जारी करते हुए किया। उपराज्यपाल के डाटा से केजरीवाल सरकार के झूठ का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ है।
केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल के कार्यों को लेकर 89 पेज की रिपोर्ट पेश किया। जिसमें उपराज्यपाल पर फाइलों को मंजूरी नहीं देने को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ प्रस्तावों का जिक्र किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी दिल्ली सरकार पर पलटवार करते हुए एलजी कार्यालय के कामों को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है। उन्होंने बताया कि जब से इस सरकार का गठन हुआ है तब से 10 हजार फाइल आए उसमें से 97 प्रतिशत फाइल को ज्यों का त्यों बिना कोई संशोधन के स्वीकृति दी गई। जिन फाइलों को कानून सम्मत नहीं पाया गया और जो नियम विरुद्ध थे, उसमें संशोधन करने की टिप्पणी देकर लौटाया गया है।
बुलेट ट्रेन किराये को लेकर पकड़ा गया था झूठ
आईआईटी से इंजीनियर और पूर्व राजस्व अधिकार रहे अरविंद केजरीवाल खुलेआम झूठ बोलने में माहिर हैं। बुलेट ट्रेन को लेकर वह मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के बारे में लोगों को झूठी जानकारी दे रहे थे। वह लोगों को बता रहे थे कि मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का किराया 75 हजार रुपये होगा जबकि यह 1800 से 3000 रुपये के बीच ही होगा।
ईवीएम पर केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश
मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में प्रत्याशी रहे श्रीकांत सिरसाट का दावा था कि उसे खुद का भी वोट नहीं मिला था। इस दावे के साथ उसने ईवीएम पर संदेह जताया था। श्रीकांत के दावे को आम आदमी पार्टी ने खूब उछाला। आप नेता इसे एक सुनहरा मौका समझ भुनाने में लगे थे लेकिन चुनाव आयोग ने जब पड़ताल की तो पता चला कि उसे जीरो नहीं 44 वोट मिले थे। इसके बाद श्रीकांत ने चुनाव आयोग से माफी मांग ली लेकिन आम आदमी पार्टी अब तक इस मुद्दे पर चुप है।
इसके पहले सबूतों का पिटारा रखने का दावा करने वाले सीएम केजरीवाल ने अपने विरोधी नेताओं पर तरह-तरह के आरोप लगाए और जब एक के बाद एक मानहानि का केस कोर्ट में पहुंचने लगा तो माफीनामा लिखने लगे।
अरुण जेटली से कोर्ट में माफीनामा
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अप्रैल, 2018 में भाजना नेता अरुण जेटली से माफी मांगी। सीएम केजरीवाल के साथ आशुतोष, संजय सिंह और राघव ने एक संयुक्त माफीनामा पटियाला हाउस कोर्ट में सौंपा। केजरीवाल ने पहले भी अरुण जेटली से माफी मांगी थी, लेकिन तब उन्होंने कहा था कि जबतक आप के सभी नेता माफी नहीं मांगते, केस वापस नहीं होगा। केजरीवाल ने अरुण जेटली पर डीडीसीए की अध्यक्षता के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। केजरीवाल के आरोप लगाने के बाद जेटली ने उनपर और उनके सहयोगी नेताओं पर 10 करोड़ रुपये मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था।
नितिन गडकरी से लिखित में मांगी माफी
इसके पहले केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांगते हुए कोर्ट केस खत्म करने की गुजारिश की। केजरीवाल ने नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर उनके खिलाफ लगाए गए असत्यापित आरोपों के लिए खेद व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरी आपसे कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है। मैं इसके लिए खेद जताता हूं। इस मामले को पीछे छोड़ते हुए कोर्ट केस को खत्म करें।’ केजरीवाल के माफीनामे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मानहानि केस वापस लेने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दायर की है।

आम आदमी पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2013 में प्रेस कांफ्रेंस करके अमित सिब्बल (कपिल सिब्बल का बेटा) पर ‘निजी लाभ के लिए शक्तियों के दुरुपयोग’ का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे समय में एक दूरसंचार कंपनी की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए, जब उनके पिता कपिल सिब्बल केंद्रीय संचार मंत्री थे। केजरीवाल ने भाजपा नेता नितिन गडकरी के बाद कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित सिब्बल से भी अपने बयान के लिए खेद प्रकट किया।
शीला दीक्षित के खिलाफ जांच पर मारा यू-टर्न
शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले उठाने वाले अरविन्द केजरीवाल अब चुप हैं। उन्होंने कहा था कि शीला दीक्षित के खिलाफ 370 पन्नों का सबूत है और मुख्यमंत्री बना तो वो 2 दिन में जेल जाएंगी। लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर लम्बी चुप्पी साध ली, फिर भेज दी केन्द्र को रिपोर्ट।
अकाली नेता बिक्रम मजीठिया पर लगाए आरोपों से लिया यू-टर्न
पंजाब चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने चुनावी रैलियों में अकाली दल के महासचिव और प्रदेश के तत्कालीन मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स माफिया होने का आरोप लगाए। यह आरोप अलग-अलग जगहों पर विवादित मुख्यमंत्री केजरीवाल बार-बार दोहराते रहे। इन आरोपों से दुखी होकर बिक्रम मजीठिया ने मानहानि का केस अमृतसर कोर्ट में किया। अब जब अरविन्द केजरीवाल को लगने लगा कि उनके आरोपों में कोई दम नहीं है, झूठे आरोप लगाने के मामले में जेल हो जाएगी तो आदतन अरविन्द केजरीवाल ने यू-टर्न मारा और लिखित में माफी मांगकर मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया है।
CM @ArvindKejriwal has tendered an apology to me in the court,for all the baseless&false allegations he & his party levelled against me in drug https://t.co/Fl679yeKHW mother suffered the most due to all this&this apology is vindication of her faith in Waheguru’s power of justice pic.twitter.com/YXs3f710eu— Bikram Majithia (@bsmajithia) March 15, 2018
राजनीति में न आने की बात पर मारा यू-टर्न
अन्ना आंदोलन के दौरान कहा करते थे- राजनीति करने नहीं आया हूं, मुझे संसद नहीं जाना, पीएम-सीएम नहीं बनना, मैं भ्रष्टाचार मिटाने निकला हूं। लेकिन यू टर्न लेते हुए 26 नवंबर, 2012 को केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर लिया। और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।
अन्ना की बात मानने पर किया यू-टर्न
अरविन्द केजरीवाल कहा करते थे कि जो अन्ना कहेंगे वही कहूंगा। पर अन्ना ने जब राजनीतिक दल बनाने पर हामी भरने से इनकार कर दिया तो ‘जनता की राय’ के बहाने नयी पार्टी बना डाली। अपने गुरु को अकेला छोड़ दिया। उनकी बातें ही इसका सबूत हैं-

केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि सरकार बनाने के लिए वो कांग्रेस को ना समर्थन देंगे ना कांग्रेस से समर्थन लेंगे। लेकिन सत्ता के लोभ में यू-टर्न ले लिया। कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में पहली बार सरकार बनायी और मुख्यमंत्री बन बैठे। 31 जनवरी 2015 को एक ट्वीट किया, जो उनके डर को दिखाता है और यह भी बताता है कि सत्ता के लिए वह हर काम करने के लिए तैयार है। इस ट्वीट को उन्होंने दस मिनट अपने एकाउंट से हटा दिया था।

केजरीवाल कहा करते थे कि वो सरकारी बंगला, गाड़ी और लालबत्ती नहीं लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने तमाम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के लिए भी सरकारी एश-ओ-आराम हासिल किए।
जाति-धर्म से ऊपर उठकर राजनीति करने पर यू-टर्न
केजरीवाल ने भ्रष्टाचार ही नहीं जाति से ऊपर उठकर राजनीति करने की वकालत की थी लेकिन पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने यू टर्न ले लिया। केजरीवाल ने एलान किया है कि पंजाब में उनकी पार्टी जीती तो प्रदेश को पहला डिप्टी दलित सीएम मिलेगा। इसी तरह से वह धर्म की भी राजनीति करने के लिए कोई अवसर नहीं छोड़ते। मोदी का विरोध करने के लिए कभी वह हिन्दू और कभी मुस्लिमों की राग छेड़ देते हैं।

सरकार में आने के बाद 15 दिन में जनलोकपाल लाने का वादा किया, पर वो वादा भी अधूरा रहा। बहानेबाजी करते हुए 14 जनवरी, 2014 को ज़िम्मेदारी से भाग निकले, सरकार ही छोड़ दी।
सतलुज-यमुना लिंक नहर पर केजरीवाल का यू-टर्न
विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब को ललचाई नजर से देख रहे अरविन्द केजरीवाल ने सतलज यमुना लिंक के पानी पर पंजाब का अधिकार तो बता दिया लेकिन जैसे ही हरियाणा सरकार ने मुनक नहर का पानी दिल्ली को देने पर पुनर्विचार की धमकी दी, मुख्यमंत्री केजरीवाल को यू टर्न लेना पड़ा।
भ्रष्टाचार से उत्पन्न कालेधन को खत्म करने पर यू-टर्न
केजरीवाल के अन्ना आंदोलन का मूल उद्देश्य देश से भ्रष्टाचार को खत्म करना था। इस भ्रष्टाचार की जड़ में देश का कालाधन था जिसे खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी अभियान शुरू किया। लेकिन केजरीवाल ने इसका जमकर विरोध किया क्योंकि उन्हें पीएम मोदी का विरोध करना था। ममता बनर्जी के साथ मिलकर नोटबंदी के खिलाफ जनसभा की और मोर्चा निकाला, जिसकी हवा निकल गई। केजरीवाल ने ट्विटर पर झूठी बातों का प्रचार किया।
देशभक्ति की भावना पर केजरीवाल का यू-टर्न
देशभक्ति के तराने गाने वाले अरविन्द केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी अपने देश की सरकार के दावे पर उंगली उठाई। पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे। जिसको लेकर सोशल मिडिया पर उनकी काफी थू-थू हुई।
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