आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
आपको स्मंरण होगा जब मुलायम सिंह दर्जनों निहत्ते रामभक्तों की लाश पर चढ़ ‘मुल्ला’ बने थे। बाद में कहा था- और भी मारते। राम विरोधी हिन्दू उन्हें बड़ा नेता मानते हैं। आखिर किस आधार पर उन्हें महान नेता कहा जाता है? गोधरा पर आज तक छद्दम धर्म-निरपेक्ष रोना रोते रहते हैं, लेकिन निहत्ते रामभक्तों पर गोली चलवाये जाने पर सभी को सांप सूंघ गया है।
मौलाना मुलायम कहे जाने पर खूब अघाते भी थे। बाद में बेटे अखिलेश ने ही बेदखल कर दिया। अखिलेश यादव चुनाव हारने के बाद जब मुख्यमंत्री आवास से रुखसत होने लगे थे तो नलों की टोंटी तक उखाड़ ले गए थे।
पिता-पुत्र दोनों तुष्टिकरण की राजनीति के जीवंत मिसाल हैं। इसकी मिसाल एक बार फिर फरवरी 15 को तब देखने को मिली जब एक युवक को ‘जय श्रीराम’ कहने पर सपा के कार्यकर्ताओं ने पीट दिया। अखिलेश ने भी उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की। अखिलेश यादव को तो राम का नाम इतना नागवार गुजरा कि इसके लिए एक पुलिस अधिकारी को सरेआम धमका भी दिया।
घटना कन्नौज की है। सपा के महिला सम्मेलन को अखिलेश यादव संबोधित कर रहे थे। तभी जनता के बीच से अचानक से गोविन्द शुक्ला नाम के एक व्यक्ति ने अखिलेश से बेरोजगारी पर सवाल कर दिया। इस पर अखिलेश ने डपटते हुए उससे पलट कर सवाल किया कि तुम किसके आदमी हो? कहीं भाजपा के तो नहीं हो? इतना कहने पर ही शुक्ला ने ‘जय श्रीराम’ का नारा लगा दिया। इसके बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मौके पर ही उसकी पिटाई कर दी।
रिपोर्ट्स के अनुसार अखिलेश ने पुलिस से इस व्यक्ति को अपनी सुरक्षा में उनके पास लाने को कहा और मंच से ही आरोप लगाया- “दो दिन पहले ही उनके मोबाइल फोन पर एक भाजपा नेता ने उन्हें धमकी दी थी।
एक भाजपा नेता ने मुझे फोन और मैसेज कर जान से मारने की धमकी दी है। मेरी जान को खतरा है। धमकी का मैसेज मोबाइल में सेव है। एक-दो दिन में लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करूँगा।” उन्होंने कहा, “अब हमारी जन सभा में भी भाजपा वाले अपने लोगों को भेजकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।”, यादव ने आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा वालों से खतरा है।
अखिलेश इतने पर ही नहीं रूके। मंच से ही पुलिस अधिकारी को हड़काते हुए कहा, “मैं पूछना चाहूॅंगा कि कितने स्टार हैं तुम्हारे ऊपर? यह (नारे लगाने वाला) आ कैसे गया यहॉं पर?” फिर कहा, “ऐसा है, जा नहीं सकता है, से काम नहीं चलेगा। आपकी सुरक्षा में ये आया कैसे यहॉं? क्या कर रहे थे आप? जाइए कप्तान साहब को लेकर आइए। अब हम यहॉं से तभी जाएँगे जब आप नारा लगाने वाले का नाम, पता और पिता जी का नाम दे दोगे।”
अखिलेश यादव के इस बर्ताव की बीजेपी ने आलोचना की है। पार्टी प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने ट्वीट कर कहा है, “प्रभु राम के नाम से ऐसी नफरत तो मुगलकाल के कट्टरपंथी नवाबों को भी ना थी, हे राम!!”
जय श्रीराम नहीं बोलने पर मुसलमानों की पिटाई का प्रोपेगेंडा आप अक्सर सुनते रहते हैं। लेकिन, सच्चाई यह है कि जय श्रीराम कहने पर जब किसी की पिटाई होती है तो पूरा लिबरल गिरोह मौन हो जाता है। बीते ही साल पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के बारुईपुर में जय श्रीराम बोलने पर भाजपा कार्यकर्ता को कुछ लोगों ने दिनदहाड़े गोली मार दी थी। आरोप टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लगा था।
आपको स्मंरण होगा जब मुलायम सिंह दर्जनों निहत्ते रामभक्तों की लाश पर चढ़ ‘मुल्ला’ बने थे। बाद में कहा था- और भी मारते। राम विरोधी हिन्दू उन्हें बड़ा नेता मानते हैं। आखिर किस आधार पर उन्हें महान नेता कहा जाता है? गोधरा पर आज तक छद्दम धर्म-निरपेक्ष रोना रोते रहते हैं, लेकिन निहत्ते रामभक्तों पर गोली चलवाये जाने पर सभी को सांप सूंघ गया है।
मौलाना मुलायम कहे जाने पर खूब अघाते भी थे। बाद में बेटे अखिलेश ने ही बेदखल कर दिया। अखिलेश यादव चुनाव हारने के बाद जब मुख्यमंत्री आवास से रुखसत होने लगे थे तो नलों की टोंटी तक उखाड़ ले गए थे।
पिता-पुत्र दोनों तुष्टिकरण की राजनीति के जीवंत मिसाल हैं। इसकी मिसाल एक बार फिर फरवरी 15 को तब देखने को मिली जब एक युवक को ‘जय श्रीराम’ कहने पर सपा के कार्यकर्ताओं ने पीट दिया। अखिलेश ने भी उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की। अखिलेश यादव को तो राम का नाम इतना नागवार गुजरा कि इसके लिए एक पुलिस अधिकारी को सरेआम धमका भी दिया।
घटना कन्नौज की है। सपा के महिला सम्मेलन को अखिलेश यादव संबोधित कर रहे थे। तभी जनता के बीच से अचानक से गोविन्द शुक्ला नाम के एक व्यक्ति ने अखिलेश से बेरोजगारी पर सवाल कर दिया। इस पर अखिलेश ने डपटते हुए उससे पलट कर सवाल किया कि तुम किसके आदमी हो? कहीं भाजपा के तो नहीं हो? इतना कहने पर ही शुक्ला ने ‘जय श्रीराम’ का नारा लगा दिया। इसके बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मौके पर ही उसकी पिटाई कर दी।
रिपोर्ट्स के अनुसार अखिलेश ने पुलिस से इस व्यक्ति को अपनी सुरक्षा में उनके पास लाने को कहा और मंच से ही आरोप लगाया- “दो दिन पहले ही उनके मोबाइल फोन पर एक भाजपा नेता ने उन्हें धमकी दी थी।
एक भाजपा नेता ने मुझे फोन और मैसेज कर जान से मारने की धमकी दी है। मेरी जान को खतरा है। धमकी का मैसेज मोबाइल में सेव है। एक-दो दिन में लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करूँगा।” उन्होंने कहा, “अब हमारी जन सभा में भी भाजपा वाले अपने लोगों को भेजकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।”, यादव ने आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा वालों से खतरा है।
#WATCH Uttar Pradesh: Samajwadi Party President Akhilesh Yadav scolds a police officer after a man went near the dais and chanted 'Jai Shri Ram' while he was addressing a gathering in Kannauj district today. pic.twitter.com/2XGk9kQHhh— ANI UP (@ANINewsUP) February 15, 2020
प्रभु राम के नाम से ऐसी नफ़रत तो मुग़लकाल के कट्टरपंथी नवाबों को भी ना थी, हे राम !! https://t.co/g8ODwAD3fy— Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) February 15, 2020
अखिलेश इतने पर ही नहीं रूके। मंच से ही पुलिस अधिकारी को हड़काते हुए कहा, “मैं पूछना चाहूॅंगा कि कितने स्टार हैं तुम्हारे ऊपर? यह (नारे लगाने वाला) आ कैसे गया यहॉं पर?” फिर कहा, “ऐसा है, जा नहीं सकता है, से काम नहीं चलेगा। आपकी सुरक्षा में ये आया कैसे यहॉं? क्या कर रहे थे आप? जाइए कप्तान साहब को लेकर आइए। अब हम यहॉं से तभी जाएँगे जब आप नारा लगाने वाले का नाम, पता और पिता जी का नाम दे दोगे।”
अखिलेश यादव के इस बर्ताव की बीजेपी ने आलोचना की है। पार्टी प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने ट्वीट कर कहा है, “प्रभु राम के नाम से ऐसी नफरत तो मुगलकाल के कट्टरपंथी नवाबों को भी ना थी, हे राम!!”
जय श्रीराम नहीं बोलने पर मुसलमानों की पिटाई का प्रोपेगेंडा आप अक्सर सुनते रहते हैं। लेकिन, सच्चाई यह है कि जय श्रीराम कहने पर जब किसी की पिटाई होती है तो पूरा लिबरल गिरोह मौन हो जाता है। बीते ही साल पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के बारुईपुर में जय श्रीराम बोलने पर भाजपा कार्यकर्ता को कुछ लोगों ने दिनदहाड़े गोली मार दी थी। आरोप टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लगा था।
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