
BJP में कोई CM बनने लायक नहीं- केजरीवाल
केजरीवाल ने बीजेपी को दी चुनौती
अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा करने की चुनौती दी और कहा कि वह उसके साथ सार्वजनिक तौर पर बहस करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोगों को सवाल पूछने का मौका मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं कर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अमित शाह दिल्ली के लोगों से ‘‘ब्लैंक चेक’’ मांग रहे हैं।
बीजेपी ने किया पलटवार
भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस चुनौती को स्वीकार किया। दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि केजरीवाल समय और जगह बताए। हमारे में से कोई भी आदमी जाएगा और घोषणापत्र पर बहस करेंगे।

इससे पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि ‘अगर कोई चेहरा (सीएम पद का) नहीं है तो इसका मतलब है कि बीजेपी को दिया हुआ एक-एक वोट बेकार हो जाएगा। जनता कह रही है कि मान लो हमने आपको (भाजपा) को वोट दे दिया और आपने कल किसी अनपढ़-गंवार को सीएम बना दिया तो? जनता के साथ तो धोखा हो जाएगा।’
मोदी को निशाना बनाने से बच रहे हैं केजरीवाल
चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी पर हमला नहीं किया, उनके निशाने पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह थे। अक्सर ट्वीट कर बीजेपी को जवाब देने वाले अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी के वार पर पलटवार तक नहीं किया। जब केजरीवाल मनीष सिसोदिया के साथ घोषणा पत्र जारी करने उतरे तब भी उन्होंने पीएम मोदी पर कुछ नहीं कहा, बल्कि अमित शाह को निशाना बनाया और सीएम कैंडिडेट का नाम पूछकर बीजेपी को खुली बहस की चुनौती दे डाली।
भाजपा अपना CM चेहरा घोषित करे। जनता चाहती है कि दोनों पार्टियों के CM कैंडिडट में बहस हो। मैं तैयार हूँ pic.twitter.com/QC8USiqpbN— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 4, 2020
केजरीवाल के ‘अहंकार’ के कारण बिखर रही AAP
कई लोग मानते हैं कि केजरीवाल ‘एकोहम् द्वितीयो नास्ति’ की नीति पर चलते हैं। वह पार्टी में सर्वशक्तिमान और सर्वोच्च नेता के रूप में स्थापित करने के लिए साम-दाम-दंड-भेद की नीति का पालन करते हैं। केजरीवाल के ‘अहंकार’ के कारण AAP झाड़ू के तिनके की तरह बिखरती जा रही है। आज आम आदमी पार्टी अब ‘एक’ आदमी पार्टी बन गई है।
एनआरआई कार्यकर्ता पूरी तरह से गायब
इस बार हैरानी की बात यह है कि 2013 और 2015 के विधानसभा चुनाव में जी-जान लगा देने वाले एनआरआई कार्यकर्ता पूरी तरह से गायब रहे। सवाल उठता है कि अन्ना आंदोलन से लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार बनने तक अपना तन-मन-धन लगा देने वाले एनआरआई कार्यकर्ता आखिर गायब क्यों रहे?
असल में जनता से झूठे वादे कर सत्ता हथियाने वाले दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब पूरी दुनिया में बेनकाब हो चुके हैं। अन्ना आंदोलन का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्री बने नौटंकीबाज की पोल-पट्टी अब पूरी तरह खुल चुकी है। व्यवस्था परिवर्तन के नारे के साथ कुर्सी संभालने वाले केजरीवाल ने जिस तरह से रंग बदले हैं उससे लोगों का मोहभंग हुआ है। शिकागो में रहने वाले आम आदमी पार्टी के पूर्व एनआरआई सह-संयोजक डॉ मुनीश रायजादा का कहना है कि विदेशों में रह रहे अप्रवासी भारतीय लोगों ने अपनी अच्छी-खासी नौकरियों को और पेशे को दरकिनार करते हुए अरविंद केजरीवाल की हर तरह से मदद की, लेकिन केजरीवाल ने पार्टी के सारे सिद्धांतों को दरकिनार कर दिया। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने एनआरआई विंग को ही भंग कर दिया।
केजरीवाल की फितरत में है धोखा देना
दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सुविधा की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं। केजरीवाल ने समय-समय पर कई संगठनों और व्यक्तियों का सीढ़ियों की तरह इस्तेमाल किया और आगे बढ़ते गए। जिस किसी ने भी उनकी सोच या कार्यशैली का विरोध किया, केजरीवाल ने उनका साथ छोड़ दिया। कई लोग जो केजरीवाल के साथ घुटन महसूस करते थे उन्होंने पार्टी खुद ही छोड़ दी। कई ऐसे भी हैं जिन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया या फिर उन्हें ‘सबक’ सिखाया गया।
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