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गुमनाम और आजाद जिंदगी जी रहा है निर्भया गैंगरेप का छठा नाबालिग दोषी (फाइल फोटो) |
वहीं, छठा बलात्कारी घटना के वक्त नाबालिग था, जिसे जुवेनाइल कोर्ट ने तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी। दिसंबर 2015 में उसे बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया था। चार दोषियों को फाँसी पर लटकाए जाने के बाद एक बार फिर इस छठे गुनहगार की चर्चा हो रही है। लोग पूछ रहे हैं कि अभी वह कहाँ है।
Finally, it’s done. My respects to Nirbhaya’s family, specially her brave mother.— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) March 20, 2020
But there was a sixth rapist, a juvenile. He would be in his twenties now. A 2017 media report suggests he has changed his name & is living a peaceful life. Is that fair?
https://t.co/vech5nWUJ2
बताया जाता है कि इसी छठे गुनहगार ने निर्भया और उनके दोस्त को आवाज देकर बस में बैठने के लिए बुलाया था। साथ ही इसी नाबालिग दोषी ने निर्भया से सबसे पहले छेड़छाड़ शुरू की थी और अपने साथियों को इस वारदात को अंजाम देने के लिए उकसाया था। इसी ने निर्भया के साथ सबसे अधिक बर्बरता की थी। इसी ने निर्भया के शरीर में लोहे की रॉड डाल दी थी, जिससे निर्भया की आँतें तक बाहर आ गई थी। जंग लगी लोहे की रॉड से निर्भया का टॉचर करने वालों में यही दोषी था। घटना के वक्त इस नाबालिग की उम्र 17 साल 6 महीने थी, यानी वह बालिग होने में मात्र 6 महीने ही छोटा था।
जानकारी के मुताबिक वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। जब वह करीब 11 साल का था, तभी घर से भाग निकला और दिल्ली आ गया था। दिल्ली में आकर वह काम करने लगा और उसके बाद वह राम सिंह के सम्पर्क में आ गया। उसने कुछ समय तक राम सिंह के लिए काम किया था। उसके राम सिंह पर 8000 रुपए बकाया थे, जिसे लेने के लिए 16 दिसंबर को वह पहुँचा था और इस घिनौने वारदात का हिस्सा बना।
2015 में जब वह जेल से रिहा हुआ तो उसके बाद परिवार वालों से बात करने के बाद उसे दक्षिण भारत के किसी स्थान पर भेज दिया गया था और यहाँ तक कि उसका नाम तक बदल दिया गया था। अब वह अपने बदले हुए नाम और बदली हुई पहचान के बाद एक एनजीओ की निगरानी में दक्षिण भारत के किसी होटल में बावर्ची का काम करता है।
ऐसे में प्रश्न होता है कि उन 10 हज़ार रूपए और सिलाई की मशीन का क्या हुआ? क्यों अपनी पहचान छुपाकर बैठा हुआ है?
जब नाबालिग बलात्कारी को रिहा किया गया था तो लोगों के बीच काफी आक्रोश देखने को मिला था। रिहाई की खबर पाकर निर्भया के परिजनों समेत हजारों की संख्या में लोग इंडिया गेट पर प्रदर्शन के लिए एकत्र हुए थे। बवाल बढ़ने पर पुलिस को इंडिया गेट पर धारा 144 लगानी पड़ी थी। वहीं निर्भया की माँ और पिता की आँखों से आँसू बह रहे थे। वह बार-बार ये ही कर रहे थे कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ।
Union Min Smriti Irani on 2012 Delhi gangrape case:Why was prison dept,which comes under AAP govt,sleeping after dismissal of review petition in July'18? Why did the govt give Rs10,000&sewing kit to juvenile rapist when he was released?Didn't they see tears of #Nirbhaya's mother? pic.twitter.com/OGYLl2KfGo— ANI (@ANI) January 17, 2020
इस दौरान कहा गया कि छठा नाबालिग बलात्कारी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) गलती से जेल से रिहा होने में सफल हो गया था। कॉन्ग्रेस और आम आदमी पार्टी के इस केस को लेकर गैरजिम्मेदाराना रवैया दिखाया, जिसकी वजह से दरिंदे की रिहाई संभव हुई थी। कांग्रेस और AAP पर तब यह आरोप लगा था कि दिल्ली सरकार अगर दोषी की रिहाई न होने के लिए अगर थोड़ी भी गंभीर होती तो वह उस दोषी की रिहाई की तारीख के काफी पहले ही कानूनी प्रकिया का सहारा लेती।
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