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सिर्फ थाली और ताली ही तलाश पाईं स्वघोषित महिला पत्रकार |
कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 19 को राष्ट्र को संबोधित किया। संक्रमण का प्रसार करने के लिए लोगों से संकल्प और संयम की अपील की। अफवाहों से बचने और सतर्कता बरतने सहित तमाम बातें की। इसके आर्थिक प्रभाव की चर्चा करते हुए बताया कि इससे निपटने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
उन्होंने जनता से 9 आग्रह किए। रविवार को जनता कर्फ्यू की अपील की। साथ ही कहा कि 22 मार्च के दिन सभी लोग अपने घर की बालकनी में आएँ और इस महामारी से निपटने में जुटे लोगों की सेवा के प्रति आभार जताने के लिए 5 मिनट तक करतल ध्वनि बजाएँ।



पत्रकार सागरिका घोष भी नरेंद्र मोदी के इस आग्रह पर सवाल उठाती हैं। वे पहले तो तो नरेंद्र मोदी के ‘जनता कर्फ्यू’ विचार की तारीफ करती हैं। मगर, इसके बाद अपना रवैया बरकरार रखते हुए कहती हैं कि एक दूसरे से दूर रहने की बात ठीक है, लेकिन वे कुछ ठोस सुनने की इच्छुक थी। सागरिका सवाल करती हैं कि जो प्रधानमंत्री ने कहा वो सब तो ठीक है, लेकिन सरकार क्वारेंटाइन सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए क्या कर रही है, इसके बारे में नरेंद्र मोदी ने कोई बात क्यों नहीं की।

A Prime Minister doesn’t only APPEAL to people, he ASSURES them that he will take care of a crisis. Modi only appealed, did not assure, because he knows he is addressing a nation of fools. #COVID2019india— Irena Akbar (@irenaakbar) March 19, 2020
Italy's balcony timepass is India's national disaster policy.— Shireen (@shireenazam) March 19, 2020
इरेना कहती है कि प्रधानमंत्री सिर्फ़ अपील नहीं करते बल्कि आश्वस्त करते हैं कि वो इस विपदा में उनका ध्यान रखेंगे। लेकिन मोदी ने सिर्फ़ अपील की, क्योंकि वे जानते हैं कि वे बेवकूफों के राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं।
एक पत्रकार और शीरीन नाम की महिला जिन्हें इरेना अकबर भी रीट्वीट करती हैं। वे थाली बजाकर आभार देने की बात का मजाक उड़ाते हुए कहती हैं कि इटली में हो रहा बॉलकनी टाइम पास भारत के लिए राष्ट्रीय आपदा से लड़ने की नीति है।
स्वघोषित पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी भी इस पर अपनी राय देने नहीं चूकतीं। वे सागरिका घोष की तरह तालमेल बिठाते हुए कहती है कि वे नरेंद्र मोदी के इस भाषण को उनके सबसे अच्छे भाषणों में रेट करती हैं। केवल थाली बजाने वाली बात को छोड़कर। बता दें, स्वाति चतुर्वेदी इस पहल पर हैरानी जताती हैं और कहती है कि उन्हें ये फिजूल लग रहा है।
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