जनता कर्फ्यू: थाली और ताली में उलझी लिबरल गैंग की औरतें

आरफा खानम, इरेना अकबर, स्वाति चतुर्वेदी और सबा नकवी
सिर्फ थाली और ताली ही तलाश पाईं स्वघोषित महिला पत्रकार
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 19 को राष्ट्र को संबोधित किया। संक्रमण का प्रसार करने के लिए लोगों से संकल्प और संयम की अपील की। अफवाहों से बचने और सतर्कता बरतने सहित तमाम बातें की। इसके आर्थिक प्रभाव की चर्चा करते हुए बताया कि इससे निपटने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
उन्होंने जनता से 9 आग्रह किए। रविवार को जनता कर्फ्यू की अपील की। साथ ही कहा कि 22 मार्च के दिन सभी लोग अपने घर की बालकनी में आएँ और इस महामारी से निपटने में जुटे लोगों की सेवा के प्रति आभार जताने के लिए 5 मिनट तक करतल ध्वनि बजाएँ।
प्रधानमंत्री की इस पहल की ज्यादातर तबकों में सराहना हुई। लेकिन, लिबरल गैंग को यह नहीं सुहाया। शेहला रशीद जैसे कुछ नामों को छोड़ दे तो गैंग की ज्यादातर औरतें थाली और ताली के अलावा प्रधानमंत्री के संबोधन में कुछ तलाश नहीं पाईं। इस सूची में सबसे पहला नाम है प्रोपेगेंडा पोर्टल द वायर की आरफा खान्नम शेरवानी का। अपनी कुँठा व्यक्त करते हुए उसने ट्वीट किया है, “जनता curfew, ताली और थाली… सब कुछ जनता ही करेगी, तो आप क्या करेंगे सरकार? 30 मिनट के भाषण में 3 चीज़ें बताइये जो सरकार करेगी?”
पत्रकार रोहिणी सिंह भी भार प्रकट करने के तरीके को भी संशय के घेरे में रखकर पेश करती हैं और लिखती हैं- “भारत में वैश्विक महामारी से लड़ाई ताली और थाली बजा-बजाकर लड़ी जाएगी।”
सबा नकवी ने लिखा है, “ये दिलचस्प है कि निजी क्षेत्र के डॉक्टर प्रधानमंत्री का गुणगान करते हैं, जबकि सरकारी क्षेत्र के डॉक्टर अभी भी बुनियादी किट और मास्क माँग रहे हैं।”
पत्रकार सागरिका घोष भी नरेंद्र मोदी के इस आग्रह पर सवाल उठाती हैं। वे पहले तो तो नरेंद्र मोदी के ‘जनता कर्फ्यू’ विचार की तारीफ करती हैं। मगर, इसके बाद अपना रवैया बरकरार रखते हुए कहती हैं कि एक दूसरे से दूर रहने की बात ठीक है, लेकिन वे कुछ ठोस सुनने की इच्छुक थी। सागरिका सवाल करती हैं कि जो प्रधानमंत्री ने कहा वो सब तो ठीक है, लेकिन सरकार क्वारेंटाइन सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए क्या कर रही है, इसके बारे में नरेंद्र मोदी ने कोई बात क्यों नहीं की।
इंडियन एक्सप्रेस की पूर्व पत्रकार और दलितों से घृणा करने वाली इरेना अकबर स्वास्थ्यकर्मियों को सराहने के लिए उठाए जाने वाले इस कदम का मजाक उड़ाने के लिए लिखती हैं कि रविवार को 5 बजे वो अपनी बॉलकनी में खड़े होकर भक्तों की शिनाख्त करेंगे। उनके हिसाब से जो कोई भी प्रधानमंत्री की बात मानकर अपनी बॉलकनी में खड़े होकर ताली या थाली बजाएगा वो सिर्फ उनका भक्त होगा।


इरेना कहती है कि प्रधानमंत्री सिर्फ़ अपील नहीं करते बल्कि आश्वस्त करते हैं कि वो इस विपदा में उनका ध्यान रखेंगे। लेकिन मोदी ने सिर्फ़ अपील की, क्योंकि वे जानते हैं कि वे बेवकूफों के राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं।
एक पत्रकार और शीरीन नाम की महिला जिन्हें इरेना अकबर भी रीट्वीट करती हैं। वे थाली बजाकर आभार देने की बात का मजाक उड़ाते हुए कहती हैं कि इटली में हो रहा बॉलकनी टाइम पास भारत के लिए राष्ट्रीय आपदा से लड़ने की नीति है।
स्वघोषित पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी भी इस पर अपनी राय देने नहीं चूकतीं। वे सागरिका घोष की तरह तालमेल बिठाते हुए कहती है कि वे नरेंद्र मोदी के इस भाषण को उनके सबसे अच्छे भाषणों में रेट करती हैं। केवल थाली बजाने वाली बात को छोड़कर। बता दें, स्वाति चतुर्वेदी इस पहल पर हैरानी जताती हैं और कहती है कि उन्हें ये फिजूल लग रहा है।
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