![]() |
भारतीय मुसलमानों को विशेष विमान से ईरान से लाया जा रहा है |
भारत में कुछ कट्टरपंथी कोरोना को गंभीरता से नहीं ले रहे, जबकि कुछ स्थानों पर मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने पर पाबन्दी लगाए जाने से लगता है, मुस्लिम विद्वान भी दो मतों में विभाजित हैं। जबकि भारत में कुछ मौलाना, इंडिया टीवी, मार्च 17 को दिखाए वीडियो के अनुसार, इस बात का दावा कर रहे हैं कि 'किसी मुसलमान को इस बीमारी से कोई खतरा नहीं, उन्हें अल्लाह बचा रहा है।' विपरीत इसके ईरान में अपनी इस्लामिक यात्रा पर गए कुछ भारतीय मुसलमान इस बीमारी के शिकार हो गए।
इन कट्टरपंथियों ने ही भारतीय मुसलमानों को इतना भ्रमित एवं डरा कर रखा हुआ है, जिससे निजात दिलाने के लिए बुद्धिजीवियों को आगे होना होगा।
दूसरे, अब तक ईरान से 389 भारतीय नागरिकों को वापस लाया जा चुका है। सोमवार (मार्च 16, 2020) को 53 भारतीय नागरिकों का चौथा जत्था ईरान से भारत पहुँचा। केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर के इस सम्बन्ध में जानकारी दी। यह समाचार उन सभी नागरिक संशोधन बिल के विरोधियों पर इतने जोर का थप्पड़ है, जिसकी गूंज तक विरोधी सुन नहीं पा रहे कि जिस मोदी सरकार पर मुसलमानों को भारत से निकालने का दुष्प्रचार किया जा रहा है, वही मोदी सरकार अपने भारतीय मुस्लिम नागरिकों को वापस भारत ला रही है। क्या जरुरत है उन्हें वापस लाने की, लेकिन मोदी सरकार आसानी से किसी भी भारतीय को मरने नहीं देना चाहती।
ईरान में महजबी तीर्थयात्रा पर गए 234 भारतीय नागरिकों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की ख़बर आ रही है। अब उन्हें मेडिकल टेस्ट के बाद ईरान में ही रोका गया है और जब वो पूरी तरह ठीक हो जाएँगे, उसके बाद उन्हें वापस भारत लेकर आया जाएगा। बता दें कि ईरान में कोरोना वायरस के ख़तरे ने महामारी का रूप ले लिया है और वहाँ अब तक 724 लोग इससे संक्रमित होकर अपनी जान गँवा चुके हैं। वहाँ कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 15 हजार के पार बताई जा रही है।
मीडिया में ईरान में फँसे भारतीय नागरिकों में कोरोना वायरस से पीड़ितों की संख्या 250 के पार बताई जा रही है। ऑपइंडिया फ़िलहाल इसकी पुष्टि नहीं करता। हालाँकि, अभी तक कोई आधिकारिक आँकड़ा जारी नहीं किया गया है लेकिन शीर्ष अधिकारियों से बातचीत के आधार पर ‘आईएएनएस’ ने दावा किया है कि इस्लामिक तीर्थयात्रा पर गए भारतीय नागरिकों में अधिकतर वरिष्ठ नागरिक थे, जिन्हें इस वायरस द्वारा ज्यादा नुकसान पहुँचाए जाने की संभावना रहती है। फ़िलहाल वो सभी ईरान में ही रहेंगे, जहाँ उनका इलाज किया जाएगा। कोरोना वायरस पीड़ितों के लिए ‘इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल’ के हिसाब से इन सभी को ‘क्वारंटाइन सेंटर’ में रखा जाएगा।
Nearly the entire outbreak in NY came from a traveler from Iran, a place that was supposed to have a travel ban, but thanks to lower courts continuing to militate against Scotus decision, it was rendered moot. #ChinaVirus #irancorona— Daniel Horowitz (@RMConservative) March 16, 2020
ईरान में अभी भी 6000 के आसपास भारतीय नागरिक फँसे हुए हैं, जो वहाँ के विभिन्न प्रांतों में रह रहे थे। इनमें से अधिकतर इस्लामी तीर्थयात्रा पर गए थे और अधिकांश लद्दाख और जम्मू कश्मीर से हैं। कई छात्र भी फँसे हुए हैं। केरल, तमिलनाडु और गुजरात के 1000 मछुआरे भी वहाँ रह रहे थे। वो वहाँ रह कर कमाई करते हैं और साथ ही इस्लामिक अध्ययन भी करते हैं। भारतीय अधिकारी लगातार उन फँसे हुए नागरिकों से मुलाक़ात कर रहे हैं। इनमें से कइयों को वापस भी लाया गया है। जिनका मेडिकल रिपोर्ट नेगेटिव आ रहे है, उन्हें तुरंत निकालने की व्यवस्था की जा रही है। भारत ने इसके लिए प्रशिक्षित मेडिकल टीम को वहाँ भेजा है।
अवलोकन करें:-
No comments:
Post a Comment