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गुरुद्वारे पर आइएस का हमला |
सबसे पहले एक फिदायीन हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। फिर उसके बंदूकधारी साथियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की। घटना की सूचना मिलते ही अफगान सुरक्षाबल एक्शन में आ गए। 6 घंटे की मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने 4 आतंकियों को मार गिराया। गुरुद्वारे में फँसे लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है। हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली है।
जानकारी के मुताबिक, हमले के वक़्त अरदास के लिए गुरुद्वारे में कई छोटे-छोटे बच्चे भी मौजूद थे। हमले के बाद हर तरफ चीख-पुकार मची हुई थी। सुरक्षाकर्मियों ने जब उन्हें बाहर निकाला, तब उनके चेहरे पर खौफ साफ दिखाई दे रहा था।
काबुल पुलिस ने कहा कि कम से कम 11 बच्चों को गुरुद्वारे से बचाया गया है। वहीं इस संबंध में सिख विधायक नरेंद्र सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि करीब 150 लोग गुरुद्वारे के अंदर प्रार्थना कर रहे थे, जब यह हमला हुआ। आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक एरियन के हवाले से बताया गया कि अफगान सुरक्षा बलों ने अंदर फँसे कई लोगों को बचा लिया है।
मोहन सिंह ने अलजजीरा को बताया कि हमले के वक्त वे भी गुरुद्वारे में थे। पहले उन्होंने गोलियाँ चलने की आवाज सुनी तो खुद को टेबल के नीचे छिपा लिया। अचानक धमाका हुआ और छत का एक टुकड़ा उन पर आ गिरा, जिससे वे घायल हो गए। मंत्रालय ने हमले के बाद गुरुद्वारे की तस्वीरों को शेयर किया है। इनमें अफगान सुरक्षाबल द्वारा कई बच्चों को रेस्क्यू करते दिखाई पड़ रहे हैं।
#UPDATE Afghan forces have cleared the first floor of Sikh worship area in Kabul, where security forces are fighting terrorists. Many people who were inside the building have been rescued, reports Afghanistan media https://t.co/4lC8GpkMtD— ANI (@ANI) March 25, 2020
#UPDATE 27 civilians killed and 8 wounded in a terror attack on a Gurudwara in Kabul, Afghanistan. All 4 terrorists have been killed by Afghan security forces. pic.twitter.com/4UCOSXtXuw— ANI (@ANI) March 25, 2020
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में लंबे समय सिखों को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा है और कई बार आतंकवादियों ने भी उन्हें निशाना बनाया है। हालिया दिल्ली दंगों के बाद भी काबुल में सिखों की दुकान पर हमला हुआ था। अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस घटना का विडियो ट्विटर पर शेयर किया था। इसमें अधेड़ उम्र का सिख दुकानदार हाथ जोड़कर हताश खड़ा था और उसकी दुकान का सामान जमीन पर बिखरा था।
अल्पसंख्यक सिखों पर यह पहला हमला नहीं है। पहले भी अफगानिस्तान में उन पर हमले होते आए हैं और डरकर वे भारत आने को मजबूर हुए हैं। 2018 में भी जलालाबाद में आत्मघाती हमला हुआ था जिसमें 13 सिख मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी भी इस्लामिक स्टेट ने ली थी। हमले से सिख समुदाय इतना डर गया था कि उन्होंने देश छोड़ने का फैसला कर लिया था। मौजूद जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान में अब 300 से भी कम सिख परिवार बचे हैं। इनके पास दो ही गुरुद्वारा है। एक जलालाबाद और दूसरा काबुल में।
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