सुप्रीम कोर्ट ने आज (अप्रैल 24, 2020) रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी गिरफ़्तारी पर 3 सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। इस दौरान वे अग्रिम जमानत भी माँग सकते हैं। अपने खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर (FIR) को लेकर अर्नब ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनकी ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने राहत के लिए याचिका दायर की थी।
रोहतगी ने कहा, अर्नब के खिलाफ दर्ज इन FIR की भाषा एक जैसी है। कांग्रेस नेता ऐसे ट्वीट कर रहे हैं, जैसे वो मानहानि का मुकदमा दायर करने जा रहे हैं, जबकि मानहानि का मुकदमा सिर्फ पीड़ित पक्ष की ओर से किया जा सकता है।
आज (शुक्रवार) को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। जहाँ रोहतगी ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा कि रात को घर लौटते वक्त अर्नब और उनकी पत्नी पर मोटरसाइकिल सवार दो लोगों ने हमला किया। यह अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश है।
इसके बाद विपक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने भी अपना पक्ष रखा। सिब्बल ने कोर्ट में आर्टिकल 32 का हवाला दिया। उन्होंने कहा यह मामला सुप्रीम कोर्ट के दखल का नहीं है। इसलिए, मुकदमा दर्ज हुआ है, तो पुलिस को अपना काम करने देना चाहिए। हाँ, सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि एक साथ जाँच हो पर ऐसे एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती।
सिब्बल ने ये भी कहा कि अगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एफआईआर दर्ज कराई है, तो उसमें दिक्कत क्या है? राहुल गाँधी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से दायर मानहानि के मुकदमों को झेला है। छत्तीसगढ़ के वकील विवेक तन्खा ने भी कहा कि अर्नब ने ब्रॉडकास्ट लाइसेंस का उल्लंघन कर सांप्रदायिक उन्माद फैलाया। उन्हें इसके लिए कोई रियायत नहीं दी जानी चाहिए।
दोनों पक्ष के मत सुनकर, SC ने माना कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ एक ही मामले में कई राज्यों में मुकदमा नही चलाया जा सकता। लिहाजा सभी एफआईआऱ को एक साथ जोड़ा जाए। अदालत ने अर्नब को जाँच में सहयोग करने को कहा। अब इस मामले पर सुनवाई 8 हफ्तों के बाद होगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता अर्नब को भी याचिका में संशोधन करने को कहा। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता कोर्ट से सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़े जाने का आग्रह करें।
अवलोकन करें:-
इसके अलावा, इस मामले की सुनवाई में जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक महत्तवपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि मीडिया पर कोई अंकुश नहीं होना चाहिए। मैं मीडिया पर किसी भी तरह की पाबंदी लगाने का विरोधी हूँ।
बीते दिनों कांग्रेस नेताओं ने अर्नब गोस्वामी के डिबेट के बाद उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की । जिसे लेकर उनके ख़िलाफ़ महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पदाधिकारियों ने अर्नब के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी और रात में यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने उन पर हमला भी किया था।
रोहतगी ने कहा, अर्नब के खिलाफ दर्ज इन FIR की भाषा एक जैसी है। कांग्रेस नेता ऐसे ट्वीट कर रहे हैं, जैसे वो मानहानि का मुकदमा दायर करने जा रहे हैं, जबकि मानहानि का मुकदमा सिर्फ पीड़ित पक्ष की ओर से किया जा सकता है।
आज (शुक्रवार) को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। जहाँ रोहतगी ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा कि रात को घर लौटते वक्त अर्नब और उनकी पत्नी पर मोटरसाइकिल सवार दो लोगों ने हमला किया। यह अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश है।
इसके बाद विपक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने भी अपना पक्ष रखा। सिब्बल ने कोर्ट में आर्टिकल 32 का हवाला दिया। उन्होंने कहा यह मामला सुप्रीम कोर्ट के दखल का नहीं है। इसलिए, मुकदमा दर्ज हुआ है, तो पुलिस को अपना काम करने देना चाहिए। हाँ, सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि एक साथ जाँच हो पर ऐसे एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती।
Rohatgi argues that a case if defamation can be filed only by the person aggrieved and not by someone else.— Bar & Bench (@barandbench) April 24, 2020
Rohatgi (in picture) continues, says most of the complaints are identical and all invoke same provisions of the law, i.e., Section 153, 153A, 500, 504, 295A #MukulRohatgi pic.twitter.com/qv9TFQ8hlR
Supreme Court stays all FIRs against Arnab Goswami except one which was filed in Nagpur and which has now been transferred to Mumbai. SC also directs Mumbai Police Commissioner to provide security to Arnab Goswami and Republic TV https://t.co/klkeYWHKvr— ANI (@ANI) April 24, 2020
No coercive action against the petitioner for Three (3) weeks during which time he may move appropriate fora for anticipatory bail or other measures available to him under the law #SupremeCourt #ArnabGoswamiAttacked #Sonia pic.twitter.com/7MDb7MUUgg— Bar & Bench (@barandbench) April 24, 2020
Rohatgi counters Tankha— Bar & Bench (@barandbench) April 24, 2020
Millions of people have not been affected by Goswami's program, but it is only Congress workers who have filed cases#ArnabGoswamiAttacked #ArnabGoswami #SupremeCourt#Rohatgi #MukulRohatgi @VTankha
Sibal argues that Goswami has tried to ignite communal tension by pitting Hindus against the minorities. @KapilSibal #SupremeCourt #ArnabGoswami #ArnabGoswamiAttacked— Bar & Bench (@barandbench) April 24, 2020
मुकल रोहतगी ने आज मामले की सुनवाई शुरु होने पर कहा, अर्नब ने अपने प्रोग्राम में पुलिस के गैर जिम्मेदाराना रवैये पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष की खामोशी पर सवाल खड़े करते हुए पूछा था कि अगर मरने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के होते तो क्या तब भी वो यूँ ही खामोश रहतीं। मगर, 21 अप्रैल को प्रसारित हुए इस प्रोग्राम के बाद ही कई राज्यों में उन पर एफआईआऱ दर्ज करवा दी गई।In the interim, proceedings on all the FIRs except one filed in Nagpur, Maharashtra to be stayed till further orders.— Bar & Bench (@barandbench) April 24, 2020
The FIR filed in Sadar Police Station, Nagpur to be transferred to NM Joshi Marg Police Station, Mumbai. #SupremeCourt #ArnabGoswamiAttacked #Sonia
सिब्बल ने ये भी कहा कि अगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एफआईआर दर्ज कराई है, तो उसमें दिक्कत क्या है? राहुल गाँधी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से दायर मानहानि के मुकदमों को झेला है। छत्तीसगढ़ के वकील विवेक तन्खा ने भी कहा कि अर्नब ने ब्रॉडकास्ट लाइसेंस का उल्लंघन कर सांप्रदायिक उन्माद फैलाया। उन्हें इसके लिए कोई रियायत नहीं दी जानी चाहिए।
दोनों पक्ष के मत सुनकर, SC ने माना कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ एक ही मामले में कई राज्यों में मुकदमा नही चलाया जा सकता। लिहाजा सभी एफआईआऱ को एक साथ जोड़ा जाए। अदालत ने अर्नब को जाँच में सहयोग करने को कहा। अब इस मामले पर सुनवाई 8 हफ्तों के बाद होगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता अर्नब को भी याचिका में संशोधन करने को कहा। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता कोर्ट से सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़े जाने का आग्रह करें।
अवलोकन करें:-
इसके अलावा, इस मामले की सुनवाई में जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक महत्तवपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि मीडिया पर कोई अंकुश नहीं होना चाहिए। मैं मीडिया पर किसी भी तरह की पाबंदी लगाने का विरोधी हूँ।
बीते दिनों कांग्रेस नेताओं ने अर्नब गोस्वामी के डिबेट के बाद उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की । जिसे लेकर उनके ख़िलाफ़ महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पदाधिकारियों ने अर्नब के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी और रात में यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने उन पर हमला भी किया था।
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