
चीन के वुहान से फैली कोरोना संक्रामक बीमारी ने विश्व को स्थिर कर दिया है। सभी देश पीड़ित और मृतकों की संख्या बता रहे हैं, लेकिन चीन से वास्तविकता बाहर नहीं आ रही, ठीक उसी तर्ज पर बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काम रही हैं। वरना रिहाइशी इलाकों में मृतकों को ठिकाने लगाने की क्या जरुरत है?
पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई ने राज्य सरकार पर सरकारी दिशा-निर्देशों की धज्जियाँ उड़ाकर रिहायशी इलाकों में कोरोना संक्रमण से जान गॅंवाने वालों के शव को ठिकाने लगाने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा, “रात के अँधेरे में बेखौफ होकर शवों को ठिकाना क्यों लगाया जा रहा है? क्या मृतकों की कोई गरिमा नहीं होती है? सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर इन शवों को आवासीय क्षेत्रों में क्यों ले जाया जा रहा है? समझा जा सकता है कि इस समय बंगाल की स्थिति कितनी डरावनी है। क्या ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए कुछ ‘ममता’ दिखाएँगी?”
Why dispose bodies unceremoniously in the dark of the night? Do the dead have any dignity? Why take infected bodies to residential areas in violation of norms? This is how scary the situation in Bengal is, right now. Will Mamata Banerjee show some ‘mamata’ for the people of WB? pic.twitter.com/tomyE12KPo— BJP Bengal (@BJP4Bengal) April 24, 2020
इतनी अमानवीयता !!!— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) April 24, 2020
कोरोना से हुई मौतों को छुपाने के लिए शवों को अंधेरे में ठिकाने लगाया जा रहा है। शवों का ये अपमान है और परंपरा के विपरीत भी है, रहवासी इलाके में शवों के अंतिम संस्कार से संक्रमण फैलने का भी खतरा है! समझा जा सकता है कि इस समय राज्य की स्थिति कितनी भयावह है। https://t.co/X6oWufQnyj
इसी ट्वीट को रीट्वीट करते हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने लिखा, “इतनी अमानवीयता!!! कोरोना से हुई मौतों को छुपाने के लिए शवों को अँधेरे में ठिकाने लगाया जा रहा है। शवों का ये अपमान है और परंपरा के विपरीत भी है, रिहायशी इलाके में शवों के अंतिम संस्कार से संक्रमण फैलने का भी खतरा है! समझा जा सकता है कि इस समय राज्य की स्थिति कितनी भयावह है।”
वीडियो की शुरुआत में एक स्वास्थ्यकर्मी कहता है, “हम कुछ भी लोड या अनलोड नहीं कर रहे हैं।” इसके बाद वीडियो में कुत्तों की भौंकने की आवाज के साथ ही बैकग्राउंड में स्थानीय लोगों द्वारा जताए जा रहे ऐतराज को सुना जा सकता है। स्थानीय लोग लगातार स्वास्थ्यकर्मियों पर चिल्ला रहे थे, क्योंकि उन्होंने रहस्यमय तरीके से एक रहवासी कॉलोनी में अपनी एंबुलेंस खड़ी की थी।
वीडियो बनाने वाले को स्वास्थ्यकर्मियों से कहते हुए सुना जा सकता है कि वो लाश लेकर लेकर आए हैं। इसके साथ ही एक स्थानीय को आक्रोश में बोलते हुए देखा जा सकता है कि लाश को वहाँ से ले जाए, वरना वो अस्पताल को जला देंगे। स्थानीय लोग लगातार उनकी उपस्थिति पर आपत्ति जता रहे थे और PPE पहने स्वास्थ्यकर्मी सड़क के बीचों-बीच खड़े थे।
एक शख्स की दूर से आती आवाज को सुना जा सकता है, जिसमें वो पूछता है कि यहाँ क्या हो रहा है? वहीं एक अन्य शख्स बोलता है कि यहाँ से चले जाओ वरना हम तुम्हारी गाड़ी को जला देंगे। तभी एक और आवाज सुनाई देती है जो उसे गाड़ी के साथ वहाँ से चले जाने के लिए कहता है।
वीडियो में ठीक 3 मिनट पर, दो स्वास्थ्य कर्मचारियों को एंबुलेंस से काले रंग के एक भारी बैग को निकालते और फिर से वापस एंबुलेंस में लोड करते हुए देखा जा सकता है। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात है कि शुरुआत में एक स्वास्थ्यकर्मी ने किसी भी चीज को लोड या अनलोड करने से इनकार किया था। वीडियो में इनकी बातों और कामों में विरोधाभास साफ दिख रहा है।
तभी एक आदमी बैग की तरफ इशारा करते हुए कहता है, “ये देखो बॉडी उठा रहा है।” एक स्वास्थ्यकर्मी को लोगों की तरफ देखकर हाथ हिलाते हुए यह बताने की कोशिश करते हुए देखा जा सकता है कि वे लोग कॉलोनी से जा रहे हैं। इसी बीच एक आदमी सवाल करता है कि उसे यहाँ आने के लिए किसने बोला था?
इससे पहले पश्चिम बंगाल में आसनसोल के भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने कोरोना संक्रमितों के लिए किए गए इंतजाम की पोल-पट्टी खोलते हुए ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया था। इस वीडियो में दिखाया गया था कि किस तरह टोलीगंज के एमआर बंगूर अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड के नाम पर कोरोना संदिग्धों को बदइंतजामी के साथ रखा जा रहा है। उन्होंने इस वीडियो पर ममता बनर्जी का ध्यान आकर्षित करवाते हुए पूरे मामले पर इंक्वायरी करवाने की अपील की थी।
वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने इसमें एक डेड बॉडी की तरफ कैमरा किया हुआ था और करीब 45 सेकेंड तक उसे दिखाया कि कैसे वहाँ पड़े शव को कोई अटेंड करने नहीं आ रहा और उसके आस-पास लोग बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए घूम रहे थे। वीडियो में शख्स कहता है कि यहाँ ऐसे लोग हैं, जिनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, लेकिन फिर भी राज्य में तेजी से जाँच के लिए कोई प्रावधान नहीं है। यहाँ टेस्ट का रिजल्ट भी कम से कम 4 से 5 दिनों के बाद आता है।
इस वीडियो में सबसे चिंताजनक बात ये देखने को मिली कि प्रशासन जिंदा लोगों के प्रति तो लापरवाही बरत ही रहा, मगर जो मर गए हैं उन्हें भी वहाँ से निकालने काम नहीं कर रहा। उनके शव कोरोना संदिग्धों के बीच में ही पड़े हुए हैं।
इसके बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने राज्य के अस्पतालों में मोबाइल फोन ले जाने पर पांबदी लगाए जाने के फैसले के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, मरीज या तीमारदार कोई भी अस्पताल के भीतर मोबाइल फोन नहीं ले जा सकेंगे। मुख्य सचिव ने बताया कि संक्रमित जगहों पर मोबाइल के इस्तेमाल से कोरोना वायरस फैलने का खतरा होता है। हालाँकि बाबुल सुप्रियो के वीडियो शेयर करने के बाद आए इस फैसले सवाल उठने लगे कि क्या राज्य की ममता बनर्जी सरकार कोरोना संक्रमण पर जमीनी हकीकत को दबाने की कोशिश कर रही है।
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