आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
आज कुछ वामपंथी सिर्फ़ इसीलिए तिलमिला रहे हैं क्योंकि कोरोना वायरस को वुहान वायरस, चीनी वायरस कहा जा रहा है। जबकि सालों से वायरस या रोग का नामकरण उस जगह के नाम पर किया जाता रहा है, जहाँ से ये शुरू हुआ और चीन तो हमेशा से दुनिया को ऐसी आपदा देने में अभ्यस्त रहा है। इससे पहले भी कई ऐसे रोग और वायरस आते रहे हैं, जो चीन से निकला और जिन्होंने पूरी दुनिया में कहर बरपाया। इतना सब कुछ होने के बावजूद, किसी में चीन का आर्थिक बहिष्कार करने का साहस नहीं दिखाया। भारत में ही हर क्षेत्र में अपना दबदबा बना रखा है। देखिए उन 5 चीनी आपदाओं को जिन्होंने दुनिया भर में तहलका मचाया।
H7N9 Flu
इसे आप बर्ड फ्लू के नाम से जनता हैं, जिसका पहला मामला शंघाई में आया था। बात में पता चला कि एक पोल्ट्री मार्किट में ये वायरस चिकेन्स से निकल कर मनुष्य में आ गया। इस इन्फेक्शन का पता तब चला, जब कई लोग इससे बीमार हो गए। हालाँकि, इस वायरस के मामले में ह्यूमन-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन की उतनी ख़बर नहीं आई। इस आपदा के अब तक 5 स्टेज आ चुके हैं, जिसमें से ताज़ा 2017 में आया था। ये एक ऐसा वायरस है, जिसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता मानवों में नहीं है, इसीलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि इस पर नज़र नहीं रखा गया तो ये बड़ा तहलका मचाने की ताक़त रखता है।
SARS
‘Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS)’ भी पहली बार 2002 में चीन में ही देखा गया था। चीन के युनान प्रान्त में दूर एक गुफा में चमगादड़ों को इस वायरस का स्रोत माना गया था। ये बात भी 15 साल बाद पता चली थी। ये दक्षिणी चीन से 37 देशों में फैला और इसने 750 लोगों की जान ले ली। वैज्ञानिक भी कहते हैं कि इसका कोई वैक्सीन मिलना मुश्किल है क्योंकि क्वारंटाइन से ही अब तक काम चलाया जाता रहा है। हालाँकि, अब संभव है कि इसके सम्पूर्ण इलाज की व्यवस्था हो जाए।
H5N1 BIRDFLU
ये भी पहली बार हॉन्गकॉन्ग में दिखा था और उसके बाद से देश-विदेश की कई जंगली पक्षियों में पाया जाता रहा है। ये 1996 में पहली बार पाया गया था लेकिन 2002 में इसने अपना बड़ा असर दिखाया और एशिया, अफ्रीका और यूरोप से लेकर अरब जगत तक फ़ैल गया। इस वायरस के फैलने के बाद लोगों में तरह-तरह की बीमारियाँ होने लगीं और कई लोगों की मौत भी हो गई। ये वायरस भी अगर ह्यूमन टू ह्यूमन फैलने लगा तो बड़ी तबाही आ सकती है।
HONGKONG FLU
ये एक ऐसा खतरनाक फ्लू था, जिसनें क़रीब 10 लाख लोगों की जान ले ली। ये 1968-69 में अपने चरम तक पहुँचा था। वियतनाम और सिंगापुर में ये काफ़ी फैला था। इसके बाद ये भारत, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप तक पहुँचा। 1969 में ये जापान, अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका तक पहुँचा। इससे 1 लाख लोग तो सिर्फ़ अमेरिका में ही मारे गए थे। हॉन्गकॉन्ग की तो इससे लगभग 15% जनसंख्या ही साफ़ हो गई थी।
ASIA FLU
इसका पहला मामला फ़रवरी 1957 में सिंगापुर में आया था लेकिन इसकी उत्पति भी चीन से ही हुई थी। दक्षिण-पश्चिमी एशिया में भारत में भी इसके 10 लाख मामले सामने आए थे। इसने दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया था।
CORONA
कोरोना के मामले में भी दिसंबर 10, 2019 को ही चीन में कोरोना का पहला मरीज बीमार पड़ने लगा था। इसके एक दिन बाद वुहान के अधिकारियों को बताया गया कि एक नया कोरोना वायरस आया है, जो लोगों को बीमार कर रहा है। वुहान सेन्ट्रल हॉस्पिटल के डायरेक्टर ने 30 दिसंबर को इस वायरस के बारे में वीचैट पर सूचना दी। उन्हें जम कर फटकार लगाई गई और आदेश दिया गया कि वो इस वायरस के बारे में किसी को कुछ भी सूचना न दें।
इसी तरह डॉक्टर ली वेलिआंग ने भी इस बारे में सोशल मीडिया पर विचार साझा किए। उन्हें भी फटकार लगाई गई और बुला कर पूछताछ की गई। इसी दिन वुहान हेल्थ कमीशन ने एक ‘अजीब प्रकार के न्यूमोनिया’ के होने की जानकारी दी और ऐसे किसी भी मामले को सूचित करने को कहा।
2019 में लिखे एक लेख में ‘चाइनीज एक्सप्रेस’ ने SARS या फिर MERS की तरह कोई खतरनाक वायरस के सामने आने की शंका जताई थी और कहा था कि इसकी वजह चमगादड़ ही होंगे लेकिन बावजूद इसके लगातार लापरवाही बरती गई। उस लेख में ये भी कहा गया था कि ये वायरस चीन से ही आएगा। 2019 तो छोड़िए, 2007 में ही एक जर्नल में प्रकाशित हुए आर्टिकल में बताया गया था कि साउथ चीन में चमगादड़ जैसे जानवरों को खाने का प्रचलन सही नहीं है क्योंकि उनके अंदर खतरनाक किस्म के वायरस होते हैं। उस लेख में इस आदत को ‘टाइम बम’ की संज्ञा दी गई थी। चीन में जनता बड़े स्तर पर इससे प्रभावित हुई है और इसका दोष भी वहाँ की सरकार व प्रशासन का है।
क्या दुनिया को तबाह करना चाहता है चीन? इसीलिए बनायाकोरोना को सीक्रेट हथियार
कोरोना वायरस को लेकर चीन पूरी दुनिया से बार-बार झूठ बोलता रहा है। अमेरिका पर चीन ने वायरस फैलाने का आरोप लगाया, तो कभी इटली को भी जिम्मेदार ठहराया. अपनी गलती छिपाने के लिए चीन ने कई बार साज़िशों की कहानी गढ़ी।
लेकिन आज हम आपको इस रिपोर्ट के माध्यम से ऐसी जानकारी दे रहे हैं, जिसे समझकर हर कोई दंग रह जाएगा. कोरोना वायरस एक प्रकार का Biochemical Terrorist Attack है।
निश्चित तौर पर इस वेब सीरीज का ये सीन देख कर कोई भी ये सोचने को मजबूर हो जाएगा कि क्या सचमुच चीन ने दुनिया को तबाही की आग में ढकेलने की खातिर इसे एक सीक्रेट हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया? 2018 में रिलीज़ हुई इस दक्षिण कोरियाई Web Series 'माय सीक्रेट टेरियस' के 10 एपिसोड में इस कोरोना वायरस का जिक्र किया गया है।
हाल ही में 2011 में आई एक फिल्म Contagion की भी बहुत चर्चा हो रही हैं। क्योंकि इस फिल्म में भी 11 साल पहले ही चीन से शुरू हुई ऐसी ही महामारी की कहानी दिखाई गई थी।
चीन कोरोना को लेकर दुनिया के सामने बहुत कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसकी सच्चाई ज्यादा दिनों तक छिप नहीं पाएगी। कोरोना वायरस पर चीन के डॉक्टर ली वेनलियांग के बाद अब और एक डॉक्टर ने भी चीन की पोल खोलकर रख दी है।
वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल की इमरजेंसी डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉक्टर आई फेन ने चीन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डॉ. आई फेन ने एक इंटरव्यू में कहा है कि "चीन के सरकारी अधिकारियों ने मुझे धमकी दी थी कि अगर किसी को इस वायरस के बारे में बताया तो अंजाम बुरा होगा।"
कोरोना वायरस को लेकर दावा है कि ये वायरस वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी' से लीक हुआ, जो अब पूरी दुनिया में फैल गया है। हालांकि, चीन का दावा है कि ये वायरस मानव निर्मित नहीं है। अगर चीन का दावा सच है तो चीन के डॉक्टर अपनी ही सरकार पर सवाल क्यों उठा रहे है। डॉक्टर आई फेन ने दुनिया को ये भी बताया कि "मुझे यह पता होता कि ये वायरस इतने लोगों की जान ले लेगा तो मैं चुप नहीं बैठती। मैं पूरी दुनिया को ये बात बताती। जिस भी माध्यम से कह पाती मैं ये जानकारी सभी को देती। फिर चाहे मुझे कोई जेल में ही क्यों न डाल देता।"
डॉ. फेन का यह इंटरव्यू रेनवू ने अपनी साइट से हटा दिया है। चीन की सोशल मीडिया से भी डॉ. फेन का इंटरव्यू गायब हो गया है। डॉ. आई फेन से पहले वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल के डॉक्टर ली वेनलियांग ने भी कोरोना वायरस के बारे में सरकारी अधिकारियों को चेतावनी दी थी, लेकिन उन्हें भी धमकी दी गई थी। बाद में डॉक्टर ली की कोरोना वायरस से ही मौत हो गई थी।
अवलोकन करें:-
कोरोना वायरस पर सच्चाई क्या है ये किसी को नहीं मालूम, फिलहाल चीन से शुरू हुआ कोरोना अब दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन चुका है।
आज कुछ वामपंथी सिर्फ़ इसीलिए तिलमिला रहे हैं क्योंकि कोरोना वायरस को वुहान वायरस, चीनी वायरस कहा जा रहा है। जबकि सालों से वायरस या रोग का नामकरण उस जगह के नाम पर किया जाता रहा है, जहाँ से ये शुरू हुआ और चीन तो हमेशा से दुनिया को ऐसी आपदा देने में अभ्यस्त रहा है। इससे पहले भी कई ऐसे रोग और वायरस आते रहे हैं, जो चीन से निकला और जिन्होंने पूरी दुनिया में कहर बरपाया। इतना सब कुछ होने के बावजूद, किसी में चीन का आर्थिक बहिष्कार करने का साहस नहीं दिखाया। भारत में ही हर क्षेत्र में अपना दबदबा बना रखा है। देखिए उन 5 चीनी आपदाओं को जिन्होंने दुनिया भर में तहलका मचाया।
H7N9 Flu
इसे आप बर्ड फ्लू के नाम से जनता हैं, जिसका पहला मामला शंघाई में आया था। बात में पता चला कि एक पोल्ट्री मार्किट में ये वायरस चिकेन्स से निकल कर मनुष्य में आ गया। इस इन्फेक्शन का पता तब चला, जब कई लोग इससे बीमार हो गए। हालाँकि, इस वायरस के मामले में ह्यूमन-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन की उतनी ख़बर नहीं आई। इस आपदा के अब तक 5 स्टेज आ चुके हैं, जिसमें से ताज़ा 2017 में आया था। ये एक ऐसा वायरस है, जिसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता मानवों में नहीं है, इसीलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि इस पर नज़र नहीं रखा गया तो ये बड़ा तहलका मचाने की ताक़त रखता है।
SARS
‘Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS)’ भी पहली बार 2002 में चीन में ही देखा गया था। चीन के युनान प्रान्त में दूर एक गुफा में चमगादड़ों को इस वायरस का स्रोत माना गया था। ये बात भी 15 साल बाद पता चली थी। ये दक्षिणी चीन से 37 देशों में फैला और इसने 750 लोगों की जान ले ली। वैज्ञानिक भी कहते हैं कि इसका कोई वैक्सीन मिलना मुश्किल है क्योंकि क्वारंटाइन से ही अब तक काम चलाया जाता रहा है। हालाँकि, अब संभव है कि इसके सम्पूर्ण इलाज की व्यवस्था हो जाए।
H5N1 BIRDFLU
ये भी पहली बार हॉन्गकॉन्ग में दिखा था और उसके बाद से देश-विदेश की कई जंगली पक्षियों में पाया जाता रहा है। ये 1996 में पहली बार पाया गया था लेकिन 2002 में इसने अपना बड़ा असर दिखाया और एशिया, अफ्रीका और यूरोप से लेकर अरब जगत तक फ़ैल गया। इस वायरस के फैलने के बाद लोगों में तरह-तरह की बीमारियाँ होने लगीं और कई लोगों की मौत भी हो गई। ये वायरस भी अगर ह्यूमन टू ह्यूमन फैलने लगा तो बड़ी तबाही आ सकती है।
HONGKONG FLU
ये एक ऐसा खतरनाक फ्लू था, जिसनें क़रीब 10 लाख लोगों की जान ले ली। ये 1968-69 में अपने चरम तक पहुँचा था। वियतनाम और सिंगापुर में ये काफ़ी फैला था। इसके बाद ये भारत, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप तक पहुँचा। 1969 में ये जापान, अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका तक पहुँचा। इससे 1 लाख लोग तो सिर्फ़ अमेरिका में ही मारे गए थे। हॉन्गकॉन्ग की तो इससे लगभग 15% जनसंख्या ही साफ़ हो गई थी।
ASIA FLU
इसका पहला मामला फ़रवरी 1957 में सिंगापुर में आया था लेकिन इसकी उत्पति भी चीन से ही हुई थी। दक्षिण-पश्चिमी एशिया में भारत में भी इसके 10 लाख मामले सामने आए थे। इसने दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया था।
CORONA
कोरोना के मामले में भी दिसंबर 10, 2019 को ही चीन में कोरोना का पहला मरीज बीमार पड़ने लगा था। इसके एक दिन बाद वुहान के अधिकारियों को बताया गया कि एक नया कोरोना वायरस आया है, जो लोगों को बीमार कर रहा है। वुहान सेन्ट्रल हॉस्पिटल के डायरेक्टर ने 30 दिसंबर को इस वायरस के बारे में वीचैट पर सूचना दी। उन्हें जम कर फटकार लगाई गई और आदेश दिया गया कि वो इस वायरस के बारे में किसी को कुछ भी सूचना न दें।
इसी तरह डॉक्टर ली वेलिआंग ने भी इस बारे में सोशल मीडिया पर विचार साझा किए। उन्हें भी फटकार लगाई गई और बुला कर पूछताछ की गई। इसी दिन वुहान हेल्थ कमीशन ने एक ‘अजीब प्रकार के न्यूमोनिया’ के होने की जानकारी दी और ऐसे किसी भी मामले को सूचित करने को कहा।
2019 में लिखे एक लेख में ‘चाइनीज एक्सप्रेस’ ने SARS या फिर MERS की तरह कोई खतरनाक वायरस के सामने आने की शंका जताई थी और कहा था कि इसकी वजह चमगादड़ ही होंगे लेकिन बावजूद इसके लगातार लापरवाही बरती गई। उस लेख में ये भी कहा गया था कि ये वायरस चीन से ही आएगा। 2019 तो छोड़िए, 2007 में ही एक जर्नल में प्रकाशित हुए आर्टिकल में बताया गया था कि साउथ चीन में चमगादड़ जैसे जानवरों को खाने का प्रचलन सही नहीं है क्योंकि उनके अंदर खतरनाक किस्म के वायरस होते हैं। उस लेख में इस आदत को ‘टाइम बम’ की संज्ञा दी गई थी। चीन में जनता बड़े स्तर पर इससे प्रभावित हुई है और इसका दोष भी वहाँ की सरकार व प्रशासन का है।

कोरोना वायरस को लेकर चीन पूरी दुनिया से बार-बार झूठ बोलता रहा है। अमेरिका पर चीन ने वायरस फैलाने का आरोप लगाया, तो कभी इटली को भी जिम्मेदार ठहराया. अपनी गलती छिपाने के लिए चीन ने कई बार साज़िशों की कहानी गढ़ी।
लेकिन आज हम आपको इस रिपोर्ट के माध्यम से ऐसी जानकारी दे रहे हैं, जिसे समझकर हर कोई दंग रह जाएगा. कोरोना वायरस एक प्रकार का Biochemical Terrorist Attack है।
साल 2018 में ही कोरोना वायरस का हुआ था जिक्र
Netflix पर उपलब्ध एक दक्षिण कोरियाई Web Series । My Secret, Terrius (माय सीक्रेट टेरियस) का एक सीन दिखाना चाहते हैं। जिसमें Corona Virus को एक सीक्रेट हथियार के तौर पर विकसित किए जाने का जिक्र है। ये सीरीज़ 2018 में आई थी, हालांकि भारत में ये सीरिज़ उपलब्ध नहीं है। लेकिन आपको ये सीन ज़रूर देखना चाहिए।निश्चित तौर पर इस वेब सीरीज का ये सीन देख कर कोई भी ये सोचने को मजबूर हो जाएगा कि क्या सचमुच चीन ने दुनिया को तबाही की आग में ढकेलने की खातिर इसे एक सीक्रेट हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया? 2018 में रिलीज़ हुई इस दक्षिण कोरियाई Web Series 'माय सीक्रेट टेरियस' के 10 एपिसोड में इस कोरोना वायरस का जिक्र किया गया है।
2018 में रिलीज़ हुई दक्षिण कोरियाई Web Series । My Secret Terrius (माय सीक्रेट टेरियस) का ये सीन देखकर आप भी सहम जाएंगे. Netflix पर मौजूद इस वेब सीरीज का 10वां एपिसोड, 53वें मिनट में CoronaVirus का जिक्र किया गया है. साथ ही इस वायरस को एक BiochemicalTerroristAttack बताया गया है. pic.twitter.com/ycKI9eXt54— आयुष पत्रकार (@ayush_sinha7) March 27, 2020
क्या दुनिया को तबाह करना चाहता है चीन?
इस वेब सीरीज में इस वायरस को एक बायोकैमिकल आतंकी हमला का जरिया भी बताया गया है। ये पहला सबूत नहीं हो जो चीन की नापाक साजिश को बेपर्दा करता दिखाई दे रहा है। पहले भी इस प्रकार के दावे सामने आते रहे हैं। आपको ऐसे ही कुछ दावों से रूबरू करवाते हैं।हाल ही में 2011 में आई एक फिल्म Contagion की भी बहुत चर्चा हो रही हैं। क्योंकि इस फिल्म में भी 11 साल पहले ही चीन से शुरू हुई ऐसी ही महामारी की कहानी दिखाई गई थी।
चीन के डॉक्टरों ने खोल दी उसकी पोल
चीन कोरोना को लेकर दुनिया के सामने बहुत कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसकी सच्चाई ज्यादा दिनों तक छिप नहीं पाएगी। कोरोना वायरस पर चीन के डॉक्टर ली वेनलियांग के बाद अब और एक डॉक्टर ने भी चीन की पोल खोलकर रख दी है।वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल की इमरजेंसी डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉक्टर आई फेन ने चीन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डॉ. आई फेन ने एक इंटरव्यू में कहा है कि "चीन के सरकारी अधिकारियों ने मुझे धमकी दी थी कि अगर किसी को इस वायरस के बारे में बताया तो अंजाम बुरा होगा।"
कोरोना वायरस को लेकर दावा है कि ये वायरस वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी' से लीक हुआ, जो अब पूरी दुनिया में फैल गया है। हालांकि, चीन का दावा है कि ये वायरस मानव निर्मित नहीं है। अगर चीन का दावा सच है तो चीन के डॉक्टर अपनी ही सरकार पर सवाल क्यों उठा रहे है। डॉक्टर आई फेन ने दुनिया को ये भी बताया कि "मुझे यह पता होता कि ये वायरस इतने लोगों की जान ले लेगा तो मैं चुप नहीं बैठती। मैं पूरी दुनिया को ये बात बताती। जिस भी माध्यम से कह पाती मैं ये जानकारी सभी को देती। फिर चाहे मुझे कोई जेल में ही क्यों न डाल देता।"
डॉ. फेन का यह इंटरव्यू रेनवू ने अपनी साइट से हटा दिया है। चीन की सोशल मीडिया से भी डॉ. फेन का इंटरव्यू गायब हो गया है। डॉ. आई फेन से पहले वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल के डॉक्टर ली वेनलियांग ने भी कोरोना वायरस के बारे में सरकारी अधिकारियों को चेतावनी दी थी, लेकिन उन्हें भी धमकी दी गई थी। बाद में डॉक्टर ली की कोरोना वायरस से ही मौत हो गई थी।
चीन की साज़िश का शिकार हो गई दुनिया ?
चीन के खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने तो यहां तक दावा किया था कि डॉ. ली की मौत कोरोना नहीं बल्कि उनकी हत्या चीनी सेना ने की थी। उस अधिकारी का भी दावा था कि कोरोना वायरस वुहान की लैब से ही निकला है।अवलोकन करें:-
कोरोना वायरस पर सच्चाई क्या है ये किसी को नहीं मालूम, फिलहाल चीन से शुरू हुआ कोरोना अब दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन चुका है।
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