
तबलीगी जमातियों के कोरोना संक्रमित होने के कारण के चर्चा में आने के बाद उनसे संबंधित नई-नई बातों का खुलासा हो रहा है। टीवी परिचर्चाओं में भाग लेने वाले अधिकतर मुस्लिम विद्धवान जमात का घोर विरोध करते देख हैरानी होती है, कि आखिर ये लोग भी इस्लाम का प्रचार एवं प्रसार कर रहे हैं। लेकिन खुलकर नहीं नहीं बताया जाता कि आखिर विरोध का मूल कारण क्या है? इतना तो जरूर कहते हैं कि "मरकज़ी जमाती कुरान को नहीं मानते।" ऐसे में गैर-मुस्लिमों को यह सोंचने के लिए विवश होना पड़ता है कि "जब ये लोग कुरान को नहीं मानते, फिर किस आधार पर इनको मुसलमान अनुसरण करते हैं?"
लेकिन मलेशिया के लेखक फारिश अ नूर ने अपनी किताब, ‘इस्लाम ऑन द मूव’ में इसी से संबधित चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने अपनी किताब में बताया है कि जो जमाती मरकज़ में रहते हैं, वे एक-दूसरे के सामने खुलेआम शौच करने व पेशाब करने में शर्म नहीं करते। क्योंकि उनके भीतर अपने शरीर को लेकर शर्म खत्म हो चुकी होती है।
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मलेशिया लेखक की किताब का अंश |

अब अगर, मलेशिया के लेखक का अवलोकन उचित है और ये सारी बातें सच हैं तो हमें इस समय जमातियों से संबंधित खबरों पर हैरान नहीं होना चाहिए। क्योंकि इनकी शर्म तो उस मरकज़ में ही खत्म कर दी जाती है, जहाँ दीन की बातें सिखाने का दावा होता है। लेकिन उसके बदले मजहब का हवाला देकर ये सब सिखाया जाता है।
Everyone is wondering why Tablighis in isolation are spitting so much? Well! Their theology directs them to spit to ward off Satan's interference in their religious practices like offering namaz. Presently, they are being stopped from congregating for namaz due to Corona. Hence. pic.twitter.com/IfZOxTVBiE— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) April 7, 2020
स्तंभकार और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के विश्लेषक दिव्या कुमार सोती ने भी इस जानकारी को सोशल मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने अपने ट्विटर पर इसके संबंध में लिखा, “आज हर कोई आइसोलेशन में रखे गए तबलीगियों को देखकर हैरान है कि वे इतना क्यों थूक रहे हैं। तो बता दें कि उनका धर्मशास्त्र उन्हें ऐसा करने की शिक्षा देता है कि नमाज पढ़ते समय या मजहबी कार्य करते समय शैतान की दखलअंदाजी खत्म करने के लिए वो ये करें।”
इन सभी बातों के अलावा हमें मरकज़ के मुखिया मौलाना साद की वो वायरल ऑडियो भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है, जिसमें वह सभी जमातियों को यह शिक्षा देने की कोशिश कर रहा था कि कोरोना वायरस एक साजिश है, जिसे मुस्लिमों को मारने के लिए रचा जा रहा है। साथ ही सरकार को एक शैतान के रूप में प्रदर्शित किया था क्योंकि उन्होंने कोरोना वायरस के मद्देनजर किसी भी धार्मिक स्थल पर भीड़ इकट्ठा करने को मना किया था।
अवलोकन करें:-
इसी शिक्षा का असर है कि अब स्वास्थ्यकर्मियों को जमातियों के बेहूदे रवैये का सामना करना पड़ा रहा है। और खबरें आ रही हैं कि वे सरकार व प्रशासन की बात नहीं मान रहे हैं, वॉर्डों में थूक रहे हैं, नर्सों से बदतमीजी कर रहे हैं, फब्तियाँ कस रहे हैं। आस-पास गंदगी मचा रहे हैं और खुलेआम कॉरिडोर में शौच कर रहे हैं।
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