
हुआनान सीफूड होलसेल मार्केट से ही कोरोना वायरस जन्म हुआ था। इसे 1 जनवरी को बंद तो कर दिया गया मगर उसके बाद भी इस वायरस ने दुनियाभर में तहलका मचा दिया। लोमड़ी, मगरमच्छ, भेड़िये, सांप, चूहे, मोर समेत कई जंगली जानवरों को खाने पर 5 साल का बैन लगाया गया है।
इस आदेश के साथ ही किसी भी संगठन या व्यक्ति को वाइल्डलाइफ या उससे जुड़े उत्पादों के प्रोडक्शन, जमीन के जानवरों और पानी के प्रोटेक्टेड जंगली जानवरों को खाए जाने के लिए आर्टिफिशल ब्रीडिंग की भी इजाजत नहीं होगी। मेडिकल संगठनों को रिसर्च के लिए जानवरों को हासिल करने के लिए लाइसेंस लेना होगा। ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल (एचएसआई) के अनुसार, चीन में वन्यजीव की खपत का व्यापार 125 बिलियन युआन का है।
मांस खाने की परंपरा
चीन की परंपरा में कई तरह के जानवरों के माँस खाने का चलन रहा है। चीन के शहर वुहान में जंगली जानवरों के माँस का बड़ा मार्केट है। चीन में कई तरह के जानवरों का माँस खाया जाता है। वुहान में सांप-बिच्छू, मगरमच्छ, कुत्ते, चमगादड़ से लेकर घोड़े- गधे और ऊँट तक के माँस मिलते हैं। यहाँ इन जानवरों के माँस का इस्तेमाल सिर्फ खाने के लिए नहीं बल्कि मेडिसीन, कपड़े और गहने बनाने मे भी इस्तेमाल होता है।
पूर्व में भी लगाई जा चुकी है पाबन्दी
2003 में चीन में सार्स नाम की बीमारी फैली थी। इसके चलते बिलाव (सीविट) और नेवले का माँस बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस बीमारी का वायरस बिलाव या नेवले के माँस से इंसान के शरीर में आया था। सार्स के महामारी की तरह फैलने पर सांप के मांस की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई थी। मगर फिर भी वहाँ के लोगों ने इनका माँस खाना नहीं छोड़ा। चूंकि चीन की प्राचीन परंपरा में कई तरह के जानवरों के मांस खाने का चलन रहा है, इसलिए इन्हें बैन करना आसान नहीं है।
चीन के लोग बताते हैं कि कोरोना वायरस की वजह से अभी लोगों ने जंगली जानवरों का माँस खाना बंद किया है। लेकिन जैसे ही वायरस का असर खत्म होगा। जानवरों का माँस लोग फिर से खाने लगेंगे।
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