माइक पर अजान को लेकर आपत्ति जताने के बाद जावेद अख्तर पर कट्टरपंथी भड़क उठे हैं। उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर निशाना बनाया जा रहा है।
उनके इस ट्वीट को लेकर बयानबाजी करते हुए ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता सैयद असीम वकार ने तो यहाँ तक कह दिया कि जावेद अख्तर मुस्लिम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अल्लाह ने बहुत जल्दी दिखा दिया कि इस लंबे से कुर्ते के नीचे जो ज्ञान है, वह खाकी निकर से निकल कर आ रहा है।
उनका कहना है कि जावेद अख्तर के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ कनेक्शन हैं और वह मुसलमानों के खिलाफ इसलिए बोल रहे हैं, क्योंकि वह मौजूदा सरकार में राज्यसभा सीट चाहते हैं।
ट्वीट किए गए वीडियो में उन्होंने जावेद अख्तर को मुनफिक (नापाक) कहा और साथ ही मुसलमानों से जावेद अख्तर को लकब से नवाजने की गुजारिश की। AIMIM के नेता ने कहा कि उनकी लोगों से गुजारिश है कि वो अपने-अपने तरीकों से, अपने-अपने अल्फाजों से, जो भी लकब (पदवी) सही लगे, उसका इस्तेमाल करके विरोध करें।
In India for almost 50 yrs Azaan on the loud speak was HARAAM Then it became HaLAAL n so halaal that there is no end to it but there should be an end to it Azaan is fine but loud speaker does cause of discomfort for others I hope that atleast this time they will do it themselves— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) May 9, 2020
Dosto ek sahab ne aaj tweet karke phir se loud speak pr azaan ka virodh kiya hai— syed asim waqar (@syedasimwaqar) May 10, 2020
Lekin afsos ki wo musalman hai
Meri aap sab se guzarish hai ki un sahab ko aap ek laqab se zarur nawaziye,
Aap jo chahe unka naam rakh sakte hai
Regards
Asim Waqar @aimim_national @asadowaisi pic.twitter.com/TJ2iu1PRAM
जावेद अख्तर ने शनिवार(मई 9) को किए अपने ट्वीट में कहा था, “भारत में तकरीबन 50 साल तक लाउडस्पीकर पर अजान हराम थी। इसके बाद ये हलाल हो गई और इस कदर हलाल हुई कि इसकी कोई सीमा ही नहीं रही। अजान करना ठीक है, लेकिन लाउडस्पीकर पर इसे करना दूसरों के लिए दिक्कत का सबब बन जाता है। मुझे उम्मीद कि कम से कम इस बार वो दूसरों को हो रही परेशानी को समझते हुए लाउडस्पीकर पर अजान देना खुद ही बंद कर देंगे।”
Dosto ek sahab ne aaj tweet karke phir se loud speak pr azaan ka virodh kiya hai— syed asim waqar (@syedasimwaqar) May 10, 2020
Lekin afsos ki wo musalman hai
Meri aap sab se guzarish hai ki un sahab ko aap ek laqab se zarur nawaziye,
Aap jo chahe unka naam rakh sakte hai
Regards
Asim Waqar @aimim_national @asadowaisi pic.twitter.com/TJ2iu1PRAM
AIMIM नेता द्वारा की गई अपील के बाद कट्टरपंथियों ने भी जावेद अख्तर को निशाने पर लेते हुए गालियाँ देनी शुरू कर दी।
शेख हमजा नाम के एक यूजर ने लिखा, “वह (जावेद अख्तर) मुस्लिम और इस्लाम पर धब्बा है। जिसे भी अजान से दिक्कत है, उसे इस्लाम से निकाल फेंकना चाहिए। ऐसे इंसान को हम आस्तीन का साँप और गद्दार बोल सकते हैं।”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “जावेद अख्तर आरएसएस का दलाल और *** है। अल्लाह उसको जल्द से जल्द सजा देगा। आमीन।”
Dosto ek sahab ne aaj tweet karke phir se loud speak pr azaan ka virodh kiya hai— syed asim waqar (@syedasimwaqar) May 10, 2020
Lekin afsos ki wo musalman hai
Meri aap sab se guzarish hai ki un sahab ko aap ek laqab se zarur nawaziye,
Aap jo chahe unka naam rakh sakte hai
Regards
Asim Waqar @aimim_national @asadowaisi pic.twitter.com/TJ2iu1PRAM
जावेद अख्तर के ट्वीट पर एक यूजर ने लिखा, “आपके बयान से असहमत हूँ। कृपया इस्लाम और उसके विश्वास से जुड़े बयान मत दीजिए। आप जानते हैं कि हम ऊँची आवाज में गाने नहीं चला रहे हैं और ना ही कोई खराब काम कर रहे हैं। अजान प्रार्थना के लिए और सही रास्ते पर चलने के लिए बेहद खूबसूरत पुकार है।”
In India for almost 50 yrs Azaan on the loud speak was HARAAM Then it became HaLAAL n so halaal that there is no end to it but there should be an end to it Azaan is fine but loud speaker does cause of discomfort for others I hope that atleast this time they will do it themselves— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) May 9, 2020
यूजर ने बयान का जवाब देते हुए जावेद अख्तर ने लिखा, “तो आप ये कह रहे हैं कि वो सभी इस्लामिक जानकार जिन्होंने 50 साल तक लाउडस्पीकर को हराम करार दे रखा था वो गलत थे। उन्हें नहीं पता था कि वो क्या कह रहे हैं? अगर आपको यकीन है तो आप एक बार कहिए। फिर मैं आपको उन जानकारों के नाम भी बताऊँगा।”
इससे पहले जावेद अख्तर ने कोरोना संकट खत्म होने तक मस्जिदों को बंद रखने की माँग का समर्थन करते हुए कहा था कि अगर काबा और मदीना की मस्जिद बंद की जा सकती है तो भारत की मस्जिदों को क्यों बंद नहीं किया जा सकता?
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