
डॉ राकेश कुमार आर्य, संपादक : उगता भारत
अब आपको दिल्ली में लेबर का कोई काम हो तो आपको भारतीय मजदुर मिलने से रहा, मज़बूरी में आपको रोहिंग्यों बांग्लादेशियों से ही अपने काम को करवाना पड़ेगा, उनको ही पैसा देना पड़ेगा, वो ही आपके फैक्ट्री, घरों में आएंगे और आप पूरी तरह रोहिंग्यों बांग्लादेशियों पर ही डिपेंड हो जायेंगे।दिल्ली से भारतीय मजदूरों का पलायन हो चूका है, केजरीवाल की सरकार ने कई तरह के कारनामे किये है, जिन जिन इलाकों में भारतीय मजदुर जिनमे ज्यादातर यूपी, बिहार, झारखण्ड, राजस्थान, मध्य प्रदेश के इलाकों के थे उनके घाटों के लाइट और पानी के कनेक्शन काटने शुरू कर दिए।
भारतीय मजदूरों को खाने की कमी होने लगी, केजरीवाल की सरकार ने इनको कभी खाना बाँटा ही नहीं, भारतीय मजदूरों के साथ केजरीवाल की सरकार ने बेहद अमानवीय व्यवहार किया।
(दिल्ली में कोरोना के नाम पर सीलिंग का ड्रामा : पुरानी दिल्ली में चांदनी महल थाना क्षेत्र अप्रैल 10 से आज मई 28 तक सील है, क्यों? जबकि अन्य क्षेत्रों में जहाँ से कोरोना मरीज मिल रहे हैं, केवल उसी क्षेत्र को सील किया जा रहा है, वह भी एक निश्चित अवधि के लिए, इतने लम्बे समय के लिए नहीं। क्या कारण है कि चांदनी महल थाना क्षेत्र इतने लम्बे समय से सील है। क्या नितरोज कोरोना मरीज निकल रहे हैं, जिसे दिल्ली सरकार छुपा रही है? इस क्षेत्र में कोई बैंक नहीं, लोग खर्चे के लिए कहाँ जाएं, दिल्ली सरकार कब सोंचेगी? जब तक सरकार नहीं चाहेगी, दिल्ली पुलिस अपनी मर्जी से टीन नहीं हटा सकती। (इटालिक्स जोड़ा गया है))
और ये इसलिए किया गया ताकि दिल्ली में भारतीय मजदुर इतने त्रस्त हो जाये की वो दिल्ली छोड़ कर पलायन कर जाये, भाग जाये और ऐसा ही हुआ, दिल्ली से अब भारतीय मजदुर अपने अपने राज्यों में पलायन कर चुके है।
वहीँ दूसरी तरह केजरीवाल की पूरी सरकार ने रोहिंग्यों बांग्लादेशियों को 3 वक्त का खाना दिया और कई इलाकों में तो इनके फर्जी आधार कार्ड भी बनाए और सरकारी जमीनों पर इनको बसा दिया।
कल ही दैनिक भास्कर ने एक रिपोर्ट छापी है जिसमे बताया गया है की दिल्ली में एक स्थान पर रोहिंग्यों को 5.2 एकड़ जमीन पर केजरीवाल की पार्टी की मदद से बसा दिया गया है, दिल्ली की 5.2 एकड़ जमीन पर रोहिंग्यों का कब्ज़ा हो चूका है।
दिल्ली से भले ही भारतीय मजदुर पलायन कर गए हो पर रोहिंग्यों बांग्लादेशियों वहीँ के वहीँ बैठे हुए है, और ये केजरीवाल की सरकार के भरोसे बैठे हुए है।
अब दिल्ली में भारतीय मजदुर न के बराबर बचे है और दिल्ली में 18 मई से ही कई मार्किट और काम खोल दिए गए है, अब इन मार्केट्स और कामो में लेबर की जरुरत पड़ेगी और मज़बूरी में ही लोगो को रोहिंग्यों बांग्लादेशियों को काम देना पड़ेगा।
केजरीवाल सरकार की ये ही योजना थी, भारतीयों का सफाया और दिल्ली के पुरे लेबर मार्किट पर रोहिंग्यों बांग्लादेशियों का कब्ज़ा और केजरीवाल की सरकार इस काम में कामयाब रही।
बुरे व्यवहार को देखकर भारतीय मजदुर दिल्ली अब वापस आएंगे ही नहीं, और आएंगे भी तो काफी समय बाद, और तबतक दिल्ली के तमाम मार्केट्स में रोहिंग्यों बांग्लादेशियों ने अपना कब्ज़ा ज़मा लिया होगा, अब दिल्ली के लोग न चाहते हुए भी रोहिंग्यों बांग्लादेशियों पर ही डिपेंड रहेंगे और दिल्ली में रोहिंग्यों बांग्लादेशियों की संख्या दिन दुनी रात चौगनी की रफ़्तार से बढती रहेगी और कुछ ही सालों में दिल्ली का पूरा नजारा ही बदल जायेगा, दिल्ली लाहौर कराची हो जाएगी ।
अवलोकन करें:-
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