दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगे :सफूरा जरगर को गर्भवती से बचने के लिए कंडोम इस्तेमाल करने की सलाह देने वाली MBBS छात्रा को कट्टरपंथी दे रहे गाली

सफूरा जरगर प्रेगनेंसी
डॉक्टर जेली (बाएँ) ने सफूरा जरगर (दाएँ)
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्र नेता सफूरा जरगर दिल्ली दंगों के मामले में जेल में बंद हैं। मीडिया के एक गिरोह विशेष ने सफूरा जरगर की प्रेगनेंसी की बात करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा। सफूरा जरगर के बारे में ट्विटर यूजर डॉक्टर जेली ने ट्वीट किया था कि उन्हें किसने कहा था कि वो कंडोम के बिना सेक्स करें? इसके बाद से जेली के इनबॉक्स में गालियों की बौछार हो गई है।
दिल्ली में हुई हिन्दू विरोधी हिंसा में मीरान हैदर के साथ सफूरा जरगर को साजिश करने के आरोप में आरोपित बनाया गया है। जिसमें उस समय 50 से ज्यादा निर्दोष लोगों की लाशें गिरी थीं और राष्ट्रीय राजधानी ने 1984 में सिखों नरसंहार के बाद मुख्य रूप से हिंदुओं को निशाना बनते देखा था। जिसमें दिलबर नेगी के हाथ-पाँव काटकर नृशंस हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया था और आईबी के अंकित शर्मा को सुनियोजित ढंग से मारा गया था।
दरअसल, सलमान निजामी ने सफूरा जरगर को एक्टिविस्ट बताते हुए ट्वीट किया था कि वो प्रेगनेंसी के दौरान और रमजान के महीने में जेल में हैं जबकि कपिल मिश्रा जैसे ‘घृणा फैलाने वाले लोग’ खुले घूम रहे हैं। उन्होंने लिखा था कि भारत में मुस्लिम होना ही अपराध है, सरकार को कुछ तो शर्म करना चाहिए।
ये आपत्तिजनक क्या कपिल मिश्रा के बयान
के बाद आया? किसको पागल बना रहे हो?
कपिल शर्मा को दोषी बताने वाले उस समय कहाँ थे, जब CAA विरोध की आड़ में हिन्दुत्व, मोदी और योगी की कब्र खोदने के नारे लग रहे थे? साम्प्रदायिक रंग कौन दे रहा था? कहाँ था #mob lynching, #award vapasi, #not in my name, #intolerence और एमनेस्टी आदि गैंग? विरोध CAA का था या हिन्दुत्व का? दंगाई चाहे जो बोले और करें, लेकिन प्रतिक्रिया होने पर अपना दामन बचाकर सारा दोष दूसरे पर डाल दो, कहाँ का इंसाफ है? कहते थे "कागज नहीं दिखाएंगे", लेकिन आज कोरोना के कारण लॉक डाउन में बंट रहे राशन को लेने के लिए कागज हाथों में लिए लाइनों में खड़ा हो रही एवं रहे हैं। 
सलमान निजामी सहित अन्य इस्लामी कट्टरपंथियों ने भी सफूरा जरगर को जेल से रिहा करने की माँग की थी। इस पर डॉक्टर जेली ने पूछा था कि उन्होंने बिना कंडोम का प्रयोग किए सेक्स किया ही क्यों?
बस इसके बाद खेल शुरू हुआ। उनके इनबॉक्स में इस्लामी कट्टरपंथी घुस आए। कादरी नायड नामक व्यक्ति ने अपशब्द कहे। मोहम्मद मुहीउद्दीन ने लिखा कि तुम डॉक्टर बनने लायक नहीं हो। अज़हरुद्दीन ने तो यहाँ तक लिख दिया कि काश आपके पैरेन्ट्स ने भी सेक्स करते वक़्त कंडोम का प्रयोग किया होता। सैयद अबरार ने तो माँ की गाली दी। इमरान मिर्जा ने तो पूछा कि क्या हम कंडोम के साथ सेक्स कर सकते हैं, मैं आपको इसके बदले रुपए दूँगा। सोहैब खान ने ‘कुतिया’ शब्द का प्रयोग किया।





डॉक्टर जेली ने ख़ुद सारे स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए जानकारी दी कि उन्हें गालियाँ दी जा रही हैं। उन्होंने ऐसे लोगों को ‘सिंगल सोर्स पीपल’ नाम दिया है। सफूरा जरगर सीएए विरोधी प्रदर्शनों और लोगों को भड़काने में भी सक्रिय थीं। वो अप्रैल 10, 2020 से तिहाड़ जेल में बंद हैं। पुलिस का कहना है कि वो दिल्ली में दंगे भड़काने वाले मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। सफूरा जामिया कोआर्डिनेशन कमिटी की मीडिया कोऑर्डिनेटर हैं।
सफूरा जरगर के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला चल रहा है। सफूरा जरगर ने जाफराबाद-सीलमपुर में 50 दिनों के हंगामा की साजिश रची थी और वहाँ महिलाओं-बच्चों को बिठाने के लिए पूरा जोर लगाया था। यहाँ तक कि कांग्रेस पार्टी के फिरोज ख़ान ने भी सफूरा जरगर को रिलीज करने की माँग की है। उन्होंने दिल्ली पुलिस पर अपनी शक्ति का दुरूपयोग करने और लोगों के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी उन्हें रिलीज करने की माँग की है।
हिन्दू विरोधी दंगे की मुख्य साजिशकर्ता गर्भवती सफूरा जरगर को जेल में डालने पर लिबरल गिरोह कूट रहा छाती
दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में कट्टरपंथी समूह PFI का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने जामिया के 2 छात्रों को इस संबंध में गिरफ्तार किया। एक नाम मीरान हैदर और दूसरा प्रेग्नेंट सफूरा जरगर (Safoora Zargar)। दोनों पर उत्तरपूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश रचने का आरोप है। जिसके कारण इनके खिलाफ़ गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालाँकि, हैदर की गिरफ्तारी को लेकर अप्रैल माह के शुरूआत में खूब सवाल उठाए गए थे। लेकिन संगीन आरोपों के कारण ये आवाज हल्की पड़ गई। इसके बाद सफूरा की गिरफ्तारी पर कट्टरपंथियों ने आवाज बुलंद की और दिल्ली पुलिस का क्रूर चेहरा दर्शाने के लिए उसकी प्रेग्नेंसी को लेकर बवाल खड़ा कर दिया।
सफूरा के लिए अलजजीरा के लिए रिपोर्टिंग 
हिन्दुओं पर अक्सर आक्रामक रिपोर्टिंग करने वाला अलजजीरा जैसे मीडिया संस्थान ने इस एंगल को लेकर बेहद मार्मिक रिपोर्ट पेश की। अपनी रिपोर्ट में अलजजीरा ने लिखा कि 27 वर्षीय गर्भवती (प्रेग्नेंट) महिला सफूरा जरगर को 10 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया और उस पर साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया।
इसके अलावा उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कुछ अन्य बातों का भी उल्लेख किया जैसे जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी के बयान को, जिसमें उन्होंने सीएए को मुस्लिम विरोधी बिल बताया और जरगर के परिजनों के बयान को भी शामिल किया जिसमें उन्होंने कहा कि रमजान का पहला दिन सफूरा के बिन बहुत दुख में बीता।
इतना ही नहीं, रिपोर्ट में तिहाड़ के हालातों का भी उल्लेख किया गया कि और बताया गया है कि तिहाड़ जेल का परिसर भारत की सबसे भीड़भाड़ वाली जेलों में से एक है जिसमें लगभग दोगुने कैदी बंद हो सकते हैं।
सफूरा के समर्थन में कट्टरपंथी और लिबरल्स 
अब अलजजीरा की इस रिपोर्ट के बाद अगले चरण में मीडिया गिरोह के लोगों ने अपना काम करना शुरू किया। ये रिपोर्ट तेजी से शेयर की जाने लगी और सबा नकवी जैसे लोग ये सवाल करने लगे कि लोकतंत्र सीएए के खिलाफ प्रदर्शन का अधिकार देता है। तो एक प्रेग्नेंट महिला को एंटी टेरर चार्ज के नाम पर लॉकडाउन और महामारी के बीच क्यों गिरफ्तार किया गया? उसका बच्चा क्या जेल में पैदा होगा?

इसके बाद, विजेता सिंह ने भी इस पर अपना दुख जाहिर किया। विजेता ने रिपोर्ट को शेयर करते हुए कहा, “तीन महीने की गर्भवती (प्रेग्नेंट) सफूरा जरगर तिहाड़ जेल में एकांत कारावास में है, उसका अपराध केवल सीएए का विरोध करना है।”
कांग्रेस की राष्ट्रीय संयोजक हसीबा आमीन ने लिखा, “27 वर्षीय जामिया की स्कॉलर ने, जो कि 3 माह की गर्भवती है, उसने अपने रमजान का पहला दिन तिहाड़ जेल में बिताया। क्यो? क्योंकि उसने सरकार द्वारा किए जा रहे गलत कामों के ख़िलाफ़ बोलने की हिम्मत दिखाई।”

इसके बाद सीएनएन की पत्रकार जेबा वारसी ने लिखा कि ये जामिया की मीडिया कॉर्डिनेटर है और ये जामिया के बाहर हुए शार्तिपूर्ण प्रोटेस्ट में शामिल थी। ये गर्भवती हैं। अलजजीरा की रिपोर्ट कहती है कि इसे तिहाड़ में एकांत में रखा गया है।

इसी तरह अलजजीरा की इस खबर को दलित विरोधी इरेना अकबर समेत कई लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया और एक माहौल बनाने की कोशिश की, क्योंकि जामिया की छात्र नेता सफूरा जरगर 3 महीने की गर्भवती हैं। इसलिए उस समय में जब उन्हें उचित देखभाल और चिकित्सकीय देख-रेख की आवश्यकता है। तब उन्हें गिरफ्तार किया गया है और तिहाड़ में अकेले रखा गया है। कुछ लोगों ने तो सोशल मीडिया पर इस खबर के आधार पर मानवता के मरने का दावा भी किया है। कुछ ने कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की है।
किसी भी महिला से संबंधित ऐसी खबर सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाना आम बात है। लेकिन दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाने से पहले, केंद्र सरकार को कोसने से पहले ये भी जानने की आवश्यकता है कि आरोपित महिला पर कैसे इल्जाम लगे हैं और मात्र प्रेगनेंसी का हवाला देकर उस पर लगे आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता और न ही इस बात से मुँह फेरा जा सकता है कि मीडिया गिरोह कैसे इस पूरे मामले को अलग कोण दे रहा है।
आज जब आरोपित महिला के ऊपर लगे आरोप इतने संगीन है उस समय उसके लिए रिपोर्ट में ‘छात्र’ और ‘स्कॉलर’ शब्द का प्रयोग हो रहा है। उसके प्रोफेसर उसे उसके अपराधों से निजात दिलाने के लिए उसके अकादमिक रिकॉर्ड का हवाला दे रहे हैं। उस समय सोचने वाली बात है कि सफूरा के लिए जो उसकी प्रेगनेंसी के नाम पर ट्रेंड चलाया जा रहा है उसमें उसके 3 महीने से प्रेग्नेंट होने की बात हैं, जबकि दिल्ली में हुई हिंसा 2 महीने पुरानी घटना है।
आज अगर वाकई ही इस एंगल से किसी के अपराध पर होने वाली कार्रवाई पर इतना फर्क पड़ता है, तो क्या जरूरत थी प्रेगनेंसी के दौरान सड़कों पर आने की, आंदोलनों में अपनी सक्रियता दिखाने की? अगर आज इस आधार पर सफूरा के लिए दया माँगी जाती है, उनकी जाँच को रोका जाता है, तो कल को क्या हर अपराधी महिला या अपराध करने के इल्जाम में गिरफ्तार हुई महिला प्रेगनेंसी के नाम पर अपने लिए छूट नहीं माँगेगी?
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लोकतंत्र की बातें करने वाले ही ये बताएँ कि किस किताब में लिखा है कि गर्भवती होने के बाद लोगों को भड़काओ और जब पकड़े जाओ तो विक्टिम कार्ड(Victim Card) खेल लो? आज सोशल मीडिया पर गिरोह का दोहरापन देखकर ऐसे तमाम सवाल तैर रहे हैं। लेकिन अलजजीरा की तर्ज पर अन्य मीडिया संस्थान इस एंगल से रिपोर्ट पेश करके इसे और मार्मिक रूप देने में लगे हैं और ये बता रहे हैं कि उसे सफूरा को क्वारंटाइन के नाम पर कैसे अलग रख कर परेशान किया जा रहा है। जबकि सच क्या है? ये किसी से छिपा नहीं हैं। 

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