आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ फिल्म समीक्षक
फिल्म थ्री इडियट के एक सीन में ‘रैंचो’ आमिर खान अपने प्रोफेसर ‘वीरू सहस्त्रबुद्धि’ बोमन इरानी से कहते हैं मुबारक हो सर, ना पुलिस को पता चला, ना जॉय के बाप को… सब सोच रहे हैं सुसाइड है सर।पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया मौत का कारण- इंटेंस प्रेशन ऑन विनपाइप, रिजल्टिंग इन चोकिंग… वो वेबकूफ सोच रहे हैं गले पर प्रेशर पड़ने से मर गया और पिछले चार साल से जो दिमाग पर प्रेशर पड़ रहा है उसका क्या? वो तो रिपोर्ट में है ही नहीं सर। ये इंजीनियर्स बड़े चालाक होते हैं सर, ऐसी कोई मशीन ही नहीं बनाई जो दिमाग का प्रेशर नाप सके, अगर बनाते तो पता चल जाता कि ये सुसाइड नहीं मर्डर है। ठीक वैसा ही मर्डर जैसा सुशांत सिंह राजपूत का किया गया। सुशांत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी शायद यही कहेगी कि मौत फांसी के कारण गला दबने से हुई लेकिन दिमाग पर जो दवाब था उसका क्या?
छोटे से गांव से बड़े-बड़े ख्वाब सपनों की नगरी मुंबई आए सुशांत ने जी तोड़ मेहनत कर बॉलीवुड में जगह तो बना ली, लेकिन महाभारत के अभिमन्यु की तरह उस चक्रव्यूह में फंस गए जिसे बॉलीवुड को हथियाने वाले चंद घरानों ने हथिया रखा है। सुशांत को बॉलीवुड का नेपोटिज्म खा गया। बॉलीवुड के मठाधीशों ने सुशांत को इतना गिराया इतना गिराया कि आखिरकार उन्होंने मौत को गले लगा लिया। लखनऊ/ पटना/इंदौर/अमृतसर जैसे शहरों में लाखों-करोड़ों लड़के-लड़कियों के ख्वाब बहुत ऊंचे होते हैं, उसे पाने के लिए वो जी-तोड़ मेहनत भी करते हैं, लेकिन जब आपको साजिश के तहत गिराया जाता है और आपको कोई संभालने वाला नहीं होता तो ऐसे बच्चों में डिप्रेशन भी बहुत जल्दी आता है।
पूछा ना जिंदगी में किसी ने दिल का हाल.. अब शहर भर में जिक्र मेरी खुदकुशी का है.. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ये शेर उनकी जिंदगी और मौत पर सबसे मुफीद बैठता है। क्योंकि आज वो लोग भी सुशांत की मौत पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं जिन्हें कभी उनके छोटे शहर और सामान्य परिवार से होना खटकता था। जो ये मानकर चलते हैं कि हीरो तो किसी हीरो का बच्चा ही बन सकता है। ऐसे छोटी बुद्धि के लोगों के मुंह पर सुशांत की कामयाबी एक तमाचे की तरह थी जिन्होंने सामान्य परिवार से आकर टीवी से लेकर फिल्मों तक का सफर तय किया।
खान, कपूर्स, जौहर्स, भट्ट, सिंघानिया जैसे बड़े नामों के बीच सुशांत सिंह राजपूत जैसा अनसुना-अनजाना सा नाम लोगों की आंखों में खटक रहा था। खुद देखिए कैसे आइफा के मंच पर शाहरुख खान और शाहिद कपूर सुशांत सिंह राजपूत का मजाक बनाते हुए कह रहे हैं कि ये कैसा नाम है? शाहरुख खान जो खुद स्ट्रगल करते हुए बॉलीवुड में आए वो सुशांत सिंह राजपूत की सरेआम बेज्जती कर रहे हैं कि इसी के दो चार घरवाले फैन होंगे। सुशांत की मौत पर दुख जताने वाले ही जाने-अनजाने उनकी मौत के जिम्मेदार हैं।
करण जौहर को ही ले लीजिए। सुशांत के जाने पर बॉलीवुड के जाने-निर्देशक करण जौहर ने इंस्टाग्राम पर सुशांत के साथ एक तस्वीर साझा की साथ ही एक संदेश भी लिखा कि ‘आपके साथ संपर्क में न रहने के लिए मैं दोषी हूं। मुझे लगता है कि आपको कुछ ऐसे लोगों की जरूरत थी जिनसे आप अपनी बातें शेयर कर पाते…लेकिन मैं इस बात को समझ नहीं पाया…यह गलती मैं दोबारा नहीं करूंगा…हम बहुत ही शोर-शराबे और उर्जा से भरे लेकिन एकाकीपन से भरे समय में रहते हैं। हमारे में से कुछ लोग इस सन्नाटे के आसानी से शिकार बन जाते हैं। हमें न सिर्फ रिश्ते बनाने की जरूरत है बल्कि इन्हें बनाए रखने की भी जरूरत है…आपकी प्यारी मुस्कान और आपका गले लगाना हमेशा याद आएंगे।’
ये वही करण जौहर हैं जिन्होंने कभी सुशांत का छोटे शहर से होने को लेकर मजाक उड़ाया था। खबरों की मानें तो धर्मा प्रोडक्शन के बैनर एक फिल्म बनी ड्राइव जिसमें सुशांत लीड रोल में थे। सुशांत ने ड्राइव के लिए कई दूसरे मौके छोड़े लेकिन ड्राइव किसी ना किसी वजह से टलती रही। आखिरकार जैसे तैसे फिल्म पूरी हुई तो करण जौहर ने बिना सुशांत को बताए नेटफ्लिक्स पर फिल्म रिलीज कर दी। इस बाबत दोनों की बहस भी हुई और बाद में करण जौहर ने सुशांत का फोन भी उठाना बंद कर दिया।
सुशांत का कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था। उन्होंने मात्र 12 फिल्में की और उनमें से से काय पो चे और धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी को छोड़कर बाकी फिल्में खास नहीं चली। इन दो फिल्मों की कमाई ठीक-ठाक हुई तो बस यही दो फिल्में सुशांत की कुल जमापूंजी थी। खबर आई कि शेखर कपूर उन्हें लेकर पानी बनाने वाले हैं। इंरनेशनल डायरेक्टर के साथ काम करने के लालच में सुशांत ने कई फिल्में ठुकरा दी। सुशांत को पानी से काफी उम्मीदें थीं लेकिन बाद में खबर आई कि ये प्रोजेक्ट बंद हो गया है। बाद में एक और खबर आई कि पानी के लिए भी रणवीर सिंह से बातचीत शुरू हो गई। इससे पहले रणवीर सिंह सुशांत की नाक के नीचे से संजय लीला भंसाली की फिल्म राम-लीला उड़ा चुके थे।
सुशांत के पास कोई काम नहीं बचा था, ले देकर उन्हें वेब सीरीज मिली जिसकी शूटिंग जुलाई से शुरू होनी थी लेकिन हाय री किस्मत। लॉकडाउन लग गया जिसने पूरे देश को डिप्रेशन में डाल दिया। लॉकडाउन की वजह से मल्टीप्लेक्स इतनी जल्दी तो खुलने से रहे और उसी लिहाज से किसी नई फिल्म की शूटिंग भी होने से रही. इस तनाव ने सुशांत को और ज्यादा डिप्रेशन में डाल दिया।
सुशांत कोई इतने बड़े स्टॉर तो थे नहीं कि एक फिल्म की और 100-200 करोड़ पीट लिए। बॉलीवुड में किसी स्टॉर को उसकी फीस के मुताबिक आंका जाता है। जितना बड़ा स्टॉर, उतनी बड़ी फीस. आम तौर पर किसी अभिनेता या अभिनेत्री की मेन कमाई होती है साइनिंग अमाउंट यानी जो पैसा किसी फिल्म को करने से पहले बयाने के तौर पर दिया जाता है। बाकी कॉन्ट्रेक्ट होता है कि फिल्म जितनी चलेगी उसका एक निश्चित प्रतिशत मिलेगा। यानी जो निश्चित तौर पर हाथ में आता है वो है साइनिंग अमाउंट। सुशांत सिंह की फीस थी 5 करोड़ रूपये।
अब आप कहेंगे पांच करोड़ रूपये क्या कम होते हैं तो भैया जैसा देश वैसा भेस, जैसी कमाई होती है, खर्च भी वैसा ही होता है। ऊपर से लॉकडाउन लग गया तो वो कमाई भी बंद लेकिन खर्चे पूरे. छोटे पर्दे पर एपिसोड़ के हिसाब से पैसे कमाने वाले एक्टर-एक्ट्रेसेज का हाल ही देख लीजिए। कितने अभिनेता सोशल मीडिया पर आकर आर्थिक मदद मांग रहे हैं कि साहब खाने तक के पैसे नहीं बचे।
फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास का अवलोकन करने पर कहीं कुछ प्रकाश तो कहीं अंधेरा जरूर सामने आएगा। फिल्मों में सेठ की भूमिका करने वाले रहमान की किस दशा में जीवन लीला समाप्त हुई; परवीन बॉबी, विम्मी आदि कई कलाकार हैं जिन्हें इंडस्ट्री द्वारा नज़रअंदाज़ किया जाने पर इतनी दर्दनाक मौत हुई कि कोई कन्धा देने भी नहीं पहुंचा।
फिल्म तेरे मेरे सपने की कहानी लिखने वाले कौल साहब अस्पताल में कंगाली के हालात में बिस्तर पर पड़े 'कैमरा ऑन, लाइट्स ऑफ' आदि बोलते रहते थे, तो एक दिन अचानक जानकी दास ने अस्पताल में उनकी यह दशा देख, रोते हुए निर्माता-अभिनेता देव आनन्द के पास पहुँच स्थिति से अवगत करवाने उपरांत, देव तुरंत 75000 रूपए लेकर अस्पताल पहुँच जब उन्हें दिए, खुद्दार कौल साहब ने लेने से मना कर दिया, लेकिन देव साहब ने कहा कि 'ये तेरे मेरे सपने फिल्म के बाकी रूपए हैं।' और उनके तकिये के नीचे रख उनकी आर्थिक सहायता की।
यह दुःख भरे दिन केवल केवल कलाकारों को नहीं, फिल्म वितरकों को भी देखने पड़ते हैं। जबकि फिल्म वितरक इंडस्ट्री की रीड की हड्डी होता है। मेरे पिताश्री एम.बी.एल.निगम भी 50 के दशक में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और ईस्ट पंजाब के नामी फिल्म वितरकों में शुमार थे। दिल्ली के परेड ग्राउंड(लाल किला) में प्रेम टॉकीज के नाम से सिनेमा हॉल भी था, जिसे विकास के नाम पर(दिल्ली गेट से कश्मीरी गेट की ओर जाने वाली सड़क का निर्माण) सरकार द्वारा बंद कर दिया गया था। बरहाल, पिताश्री द्वारा शुक्रवार को 'लाल दुपट्टा' प्रदर्शित करनी थी कि उसी रात दफ्तर ही बंद हो गया। उस संकट की घडी में संकट मोचन बने थे, एक, अभिनेता-निर्माता कुमार जिनकी अधिकतर फिल्में पिताश्री के Premier Pictures ऑफिस से वितरित की गयीं थीं, जिस कारण दोनों में इतनी गहरी दोस्ती हो गयी थी कि जब कभी वह अपनी पहली पत्नी से मिलने लखनऊ, और लखनऊ से वापस बम्बई(वर्तमान मुंबई) जाते थे वाया दिल्ली। और दिल्ली में अपने मित्र निगम साहब के निवास स्थान पर रुकते थे, ने पिताश्री को कहा कि मेरी जितनी भी फिल्में हैं, सबको बेचकर अपना कर्जा कम कीजिए और जब पिताश्री ने उनके नए कर्जे को चुकता करने की बात बोले "निगम बाबू दोस्ती में कोई कर्जा नहीं होता। और न ही मुझे कुछ चाहिए। ऐसे समय में दोस्ती काम न आए, फिर दोस्ती का क्या मतलब।" दूसरे, संकट मोचन बने निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही। विस्तार से पढ़ने के लिए निम्न लिंक को क्लीक करिये:-
सुशांत की मौत आत्महत्या थी या प्लान्ड मर्डर?
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद अब हर जगह उनके द्वारा उठाए इस कदम पर चर्चाएँ हो रही हैं। इस दौरान हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखने वाली कंगना रनौत ने भी अपना एक बयान जारी किया है। कंगना ने करीब दो मिनट का वीडियो जारी कर बॉलीवुड इंडस्ट्री से सवाल पूछा है कि सुशांत की मौत आत्महत्या थी या प्लान्ड मर्डर?
कंगना कहती हैं, “सुशांत सिंह की मौत ने हम सबको झकझोर के रख दिया है। लेकिन वे लोग, जो इस चीज में माहिर हैं कि कैसे समानांतर नैरेटिव चलाया जाए, वो ये कहने लगे हैं कि जिनका दिमाग कमजोर होता है, वे डिप्रेशन में आते हैं और सुसाइड कर लेते हैं।”
कंगना ऐसे लोगों को जवाब देते हुए पूछती हैं कि जिस शख्स ने इंजिनियरिंग की, जो रैंक होल्डर था, वो दिमागी तौर पर कमजोर कैसे हो सकता है?
सुशांत के पुराने कमेंट्स व पोस्टों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करवाते हुए कंगना कहती हैं कि सुशांत पिछले दिनों लोगों से कह रहे थे कि उनकी फिल्में देखें, उनका बॉलीवुड में कोई गॉड फादर नहीं है। अगर लोग उनकी फिल्में नहीं देखेंगे तो उन्हें इंडस्ट्री से निकाल दिया जाएगा।
कंगना रनौत उनके पुराने साक्षात्कारों पर बात करते हुए सवाल पूछती हैं कि सुशांत लगातार कहते थे, “मुझे नहीं मालूम कि मुझे इंडस्ट्री क्यों नहीं अपनाती? मुझे ऐसा लगता है कि मैं अकेला हूँ।” तो क्या ये सब बातें सुसाइड की बुनियाद नहीं थीं।
कंगना रनौत के अनुसार, बॉलीवुड के लिए सुशांत ने इतनी अच्छी फिल्में कीं। मगर उन्हें कभी कोई अवॉर्ड नहीं मिला। उन्होंने काय पो छे से डेब्यू किया। उन्हें डेब्यू तक का अवॉर्ड नहीं मिला। उन्होंने 6-7 साल के अंतराल में केदारनाथ, धोनी और छिछोरे जैसी अच्छी फिल्में बनाईं। मगर, फिर भी उन्हें कोई अवॉर्ड नहीं मिला। कोई सराहना नहीं मिली। वहीं, गली बॉय जैसी वाहियात फिल्म को अवॉर्ड मिल जाते हैं।
कंगना अपने वीडियो में आपबीती भी सुनाती हैं। वे बोलती हैं कि जो फिल्में वह खुद डायरेक्ट करती हैं, वे सुपरहिट भी होती हैं, तो उन्हें फ्लॉप कर दिया जाता है।
वे पूछती हैं, “मुझ पर 6 केस क्यों डाले गए? क्यों मुझे जेल में डालने की कोशिश हुई?” मिर्च मसाले लगाकार आर्टिकल लिखने वाले पत्रकारों को आड़े हाथों लेते हुए कंगना कहती हैं कि सुशांत के लिए जो लोग ये लिख रहे हैं कि वह साइकोटिक थे, न्यूरोटिक थे, एडिक्टेड थे… उन्हें संजय दत्त की एडिक्शन तो बहुत क्यूट लगती है।
कंगना बताती हैं कि सुशांत की सुसाइड के बाद उन्हें ऐसे मैसेज आ रहे हैं, “तुम्हारा बहुत मुश्किल समय है। तुम ऐसा-वैसा कोई कदम मत उठा लेना।”
कंगना अपनी नाराजगी बयान करते हुए पूछती हैं कि यह लोग उन्हें ऐसी बातें क्यों कहते हैं? क्या वह ये चीज दिमाग में डालना चाहते हैं कि वह सुसाइड कर लें। कंगना आगे सुशांत के संदर्भ में पूछती हैं कि यह सुसाइड थी या प्लान्ड मर्डर था?
सुशांत के कदम पर गुस्सा व्यक्त करते हुए कंगना बोलती हैं कि उनकी गलती बस इतनी थी कि वह ऐसे लोगों की बात मान गए। लोगों ने उनसे कहा कि तुम किसी लायक नहीं हो, तो वह इस बात को मान गए। उन्हें अपनी माँ की बात याद नहीं रही।
कंगना की मानें तो ऐसे लोग चाहते ही है कि वह स्वयं इतिहास लिखें और उसमें ये बताएँ कि सुशांत कमजोर दिमाग का था। वो लोग ये नहीं बताएँगे कि सच्चाई क्या थी। इसलिए हमें यह निर्णय लेना है कि कौन इतिहास को लिखेगा।
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार (जून 14, 2020) को मुंबई के अपने घर में आत्महत्या कर ली थी। उनकी मौत उनके साथियों व प्रशंसकों के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। सुशांत की आत्महत्या से हर कोई हैरान, स्तब्ध है। ऐसे में सोशल मीडिया पर कई तरह के पोस्ट देखने को मिले, जिसमें बिना सच्चाई को जाने-समझे लोगों ने उन्हें कोसा।
फिल्म थ्री इडियट के एक सीन में ‘रैंचो’ आमिर खान अपने प्रोफेसर ‘वीरू सहस्त्रबुद्धि’ बोमन इरानी से कहते हैं मुबारक हो सर, ना पुलिस को पता चला, ना जॉय के बाप को… सब सोच रहे हैं सुसाइड है सर।पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया मौत का कारण- इंटेंस प्रेशन ऑन विनपाइप, रिजल्टिंग इन चोकिंग… वो वेबकूफ सोच रहे हैं गले पर प्रेशर पड़ने से मर गया और पिछले चार साल से जो दिमाग पर प्रेशर पड़ रहा है उसका क्या? वो तो रिपोर्ट में है ही नहीं सर। ये इंजीनियर्स बड़े चालाक होते हैं सर, ऐसी कोई मशीन ही नहीं बनाई जो दिमाग का प्रेशर नाप सके, अगर बनाते तो पता चल जाता कि ये सुसाइड नहीं मर्डर है। ठीक वैसा ही मर्डर जैसा सुशांत सिंह राजपूत का किया गया। सुशांत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी शायद यही कहेगी कि मौत फांसी के कारण गला दबने से हुई लेकिन दिमाग पर जो दवाब था उसका क्या?
छोटे से गांव से बड़े-बड़े ख्वाब सपनों की नगरी मुंबई आए सुशांत ने जी तोड़ मेहनत कर बॉलीवुड में जगह तो बना ली, लेकिन महाभारत के अभिमन्यु की तरह उस चक्रव्यूह में फंस गए जिसे बॉलीवुड को हथियाने वाले चंद घरानों ने हथिया रखा है। सुशांत को बॉलीवुड का नेपोटिज्म खा गया। बॉलीवुड के मठाधीशों ने सुशांत को इतना गिराया इतना गिराया कि आखिरकार उन्होंने मौत को गले लगा लिया। लखनऊ/ पटना/इंदौर/अमृतसर जैसे शहरों में लाखों-करोड़ों लड़के-लड़कियों के ख्वाब बहुत ऊंचे होते हैं, उसे पाने के लिए वो जी-तोड़ मेहनत भी करते हैं, लेकिन जब आपको साजिश के तहत गिराया जाता है और आपको कोई संभालने वाला नहीं होता तो ऐसे बच्चों में डिप्रेशन भी बहुत जल्दी आता है।
पूछा ना जिंदगी में किसी ने दिल का हाल.. अब शहर भर में जिक्र मेरी खुदकुशी का है.. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ये शेर उनकी जिंदगी और मौत पर सबसे मुफीद बैठता है। क्योंकि आज वो लोग भी सुशांत की मौत पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं जिन्हें कभी उनके छोटे शहर और सामान्य परिवार से होना खटकता था। जो ये मानकर चलते हैं कि हीरो तो किसी हीरो का बच्चा ही बन सकता है। ऐसे छोटी बुद्धि के लोगों के मुंह पर सुशांत की कामयाबी एक तमाचे की तरह थी जिन्होंने सामान्य परिवार से आकर टीवी से लेकर फिल्मों तक का सफर तय किया।
खान, कपूर्स, जौहर्स, भट्ट, सिंघानिया जैसे बड़े नामों के बीच सुशांत सिंह राजपूत जैसा अनसुना-अनजाना सा नाम लोगों की आंखों में खटक रहा था। खुद देखिए कैसे आइफा के मंच पर शाहरुख खान और शाहिद कपूर सुशांत सिंह राजपूत का मजाक बनाते हुए कह रहे हैं कि ये कैसा नाम है? शाहरुख खान जो खुद स्ट्रगल करते हुए बॉलीवुड में आए वो सुशांत सिंह राजपूत की सरेआम बेज्जती कर रहे हैं कि इसी के दो चार घरवाले फैन होंगे। सुशांत की मौत पर दुख जताने वाले ही जाने-अनजाने उनकी मौत के जिम्मेदार हैं।
करण जौहर को ही ले लीजिए। सुशांत के जाने पर बॉलीवुड के जाने-निर्देशक करण जौहर ने इंस्टाग्राम पर सुशांत के साथ एक तस्वीर साझा की साथ ही एक संदेश भी लिखा कि ‘आपके साथ संपर्क में न रहने के लिए मैं दोषी हूं। मुझे लगता है कि आपको कुछ ऐसे लोगों की जरूरत थी जिनसे आप अपनी बातें शेयर कर पाते…लेकिन मैं इस बात को समझ नहीं पाया…यह गलती मैं दोबारा नहीं करूंगा…हम बहुत ही शोर-शराबे और उर्जा से भरे लेकिन एकाकीपन से भरे समय में रहते हैं। हमारे में से कुछ लोग इस सन्नाटे के आसानी से शिकार बन जाते हैं। हमें न सिर्फ रिश्ते बनाने की जरूरत है बल्कि इन्हें बनाए रखने की भी जरूरत है…आपकी प्यारी मुस्कान और आपका गले लगाना हमेशा याद आएंगे।’
ये वही करण जौहर हैं जिन्होंने कभी सुशांत का छोटे शहर से होने को लेकर मजाक उड़ाया था। खबरों की मानें तो धर्मा प्रोडक्शन के बैनर एक फिल्म बनी ड्राइव जिसमें सुशांत लीड रोल में थे। सुशांत ने ड्राइव के लिए कई दूसरे मौके छोड़े लेकिन ड्राइव किसी ना किसी वजह से टलती रही। आखिरकार जैसे तैसे फिल्म पूरी हुई तो करण जौहर ने बिना सुशांत को बताए नेटफ्लिक्स पर फिल्म रिलीज कर दी। इस बाबत दोनों की बहस भी हुई और बाद में करण जौहर ने सुशांत का फोन भी उठाना बंद कर दिया।
सुशांत का कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था। उन्होंने मात्र 12 फिल्में की और उनमें से से काय पो चे और धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी को छोड़कर बाकी फिल्में खास नहीं चली। इन दो फिल्मों की कमाई ठीक-ठाक हुई तो बस यही दो फिल्में सुशांत की कुल जमापूंजी थी। खबर आई कि शेखर कपूर उन्हें लेकर पानी बनाने वाले हैं। इंरनेशनल डायरेक्टर के साथ काम करने के लालच में सुशांत ने कई फिल्में ठुकरा दी। सुशांत को पानी से काफी उम्मीदें थीं लेकिन बाद में खबर आई कि ये प्रोजेक्ट बंद हो गया है। बाद में एक और खबर आई कि पानी के लिए भी रणवीर सिंह से बातचीत शुरू हो गई। इससे पहले रणवीर सिंह सुशांत की नाक के नीचे से संजय लीला भंसाली की फिल्म राम-लीला उड़ा चुके थे।
सुशांत के पास कोई काम नहीं बचा था, ले देकर उन्हें वेब सीरीज मिली जिसकी शूटिंग जुलाई से शुरू होनी थी लेकिन हाय री किस्मत। लॉकडाउन लग गया जिसने पूरे देश को डिप्रेशन में डाल दिया। लॉकडाउन की वजह से मल्टीप्लेक्स इतनी जल्दी तो खुलने से रहे और उसी लिहाज से किसी नई फिल्म की शूटिंग भी होने से रही. इस तनाव ने सुशांत को और ज्यादा डिप्रेशन में डाल दिया।
सुशांत कोई इतने बड़े स्टॉर तो थे नहीं कि एक फिल्म की और 100-200 करोड़ पीट लिए। बॉलीवुड में किसी स्टॉर को उसकी फीस के मुताबिक आंका जाता है। जितना बड़ा स्टॉर, उतनी बड़ी फीस. आम तौर पर किसी अभिनेता या अभिनेत्री की मेन कमाई होती है साइनिंग अमाउंट यानी जो पैसा किसी फिल्म को करने से पहले बयाने के तौर पर दिया जाता है। बाकी कॉन्ट्रेक्ट होता है कि फिल्म जितनी चलेगी उसका एक निश्चित प्रतिशत मिलेगा। यानी जो निश्चित तौर पर हाथ में आता है वो है साइनिंग अमाउंट। सुशांत सिंह की फीस थी 5 करोड़ रूपये।
अब आप कहेंगे पांच करोड़ रूपये क्या कम होते हैं तो भैया जैसा देश वैसा भेस, जैसी कमाई होती है, खर्च भी वैसा ही होता है। ऊपर से लॉकडाउन लग गया तो वो कमाई भी बंद लेकिन खर्चे पूरे. छोटे पर्दे पर एपिसोड़ के हिसाब से पैसे कमाने वाले एक्टर-एक्ट्रेसेज का हाल ही देख लीजिए। कितने अभिनेता सोशल मीडिया पर आकर आर्थिक मदद मांग रहे हैं कि साहब खाने तक के पैसे नहीं बचे।
फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास का अवलोकन करने पर कहीं कुछ प्रकाश तो कहीं अंधेरा जरूर सामने आएगा। फिल्मों में सेठ की भूमिका करने वाले रहमान की किस दशा में जीवन लीला समाप्त हुई; परवीन बॉबी, विम्मी आदि कई कलाकार हैं जिन्हें इंडस्ट्री द्वारा नज़रअंदाज़ किया जाने पर इतनी दर्दनाक मौत हुई कि कोई कन्धा देने भी नहीं पहुंचा।
Just see how uncomfortable he is.. When Shah Rukh said " Isi ke ghar ke 2-4 log kahte honge" When it's upon you it's ok but why to drag family into it. They invited him for award show or to humiliate. pic.twitter.com/7WUHdRy0bn— Vaibhav (@1997Indian) June 15, 2020
My apology to #sushant on behalf of the entire industry and a humble request to my industry folks!! pic.twitter.com/PJHhet6V6I— meera chopra (@MeerraChopra) June 15, 2020
I knew the pain you were going through. I knew the story of the people that let you down so bad that you would weep on my shoulder. I wish Iwas around the last 6 months. I wish you had reached out to me. What happened to you was their Karma. Not yours. #SushantSinghRajput— Shekhar Kapur (@shekharkapur) June 15, 2020
According to our sources #Dharma #SajidNadiadwala #YRF #TSeries #SalmanKhan #DineshVijan #Balaji have banned #sushantsinghRajput! So now he can do web series or TV serials only. Superb!!— KRKBOXOFFICE (@KRKBoxOffice) February 27, 2020
फिल्म तेरे मेरे सपने की कहानी लिखने वाले कौल साहब अस्पताल में कंगाली के हालात में बिस्तर पर पड़े 'कैमरा ऑन, लाइट्स ऑफ' आदि बोलते रहते थे, तो एक दिन अचानक जानकी दास ने अस्पताल में उनकी यह दशा देख, रोते हुए निर्माता-अभिनेता देव आनन्द के पास पहुँच स्थिति से अवगत करवाने उपरांत, देव तुरंत 75000 रूपए लेकर अस्पताल पहुँच जब उन्हें दिए, खुद्दार कौल साहब ने लेने से मना कर दिया, लेकिन देव साहब ने कहा कि 'ये तेरे मेरे सपने फिल्म के बाकी रूपए हैं।' और उनके तकिये के नीचे रख उनकी आर्थिक सहायता की।
यह दुःख भरे दिन केवल केवल कलाकारों को नहीं, फिल्म वितरकों को भी देखने पड़ते हैं। जबकि फिल्म वितरक इंडस्ट्री की रीड की हड्डी होता है। मेरे पिताश्री एम.बी.एल.निगम भी 50 के दशक में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और ईस्ट पंजाब के नामी फिल्म वितरकों में शुमार थे। दिल्ली के परेड ग्राउंड(लाल किला) में प्रेम टॉकीज के नाम से सिनेमा हॉल भी था, जिसे विकास के नाम पर(दिल्ली गेट से कश्मीरी गेट की ओर जाने वाली सड़क का निर्माण) सरकार द्वारा बंद कर दिया गया था। बरहाल, पिताश्री द्वारा शुक्रवार को 'लाल दुपट्टा' प्रदर्शित करनी थी कि उसी रात दफ्तर ही बंद हो गया। उस संकट की घडी में संकट मोचन बने थे, एक, अभिनेता-निर्माता कुमार जिनकी अधिकतर फिल्में पिताश्री के Premier Pictures ऑफिस से वितरित की गयीं थीं, जिस कारण दोनों में इतनी गहरी दोस्ती हो गयी थी कि जब कभी वह अपनी पहली पत्नी से मिलने लखनऊ, और लखनऊ से वापस बम्बई(वर्तमान मुंबई) जाते थे वाया दिल्ली। और दिल्ली में अपने मित्र निगम साहब के निवास स्थान पर रुकते थे, ने पिताश्री को कहा कि मेरी जितनी भी फिल्में हैं, सबको बेचकर अपना कर्जा कम कीजिए और जब पिताश्री ने उनके नए कर्जे को चुकता करने की बात बोले "निगम बाबू दोस्ती में कोई कर्जा नहीं होता। और न ही मुझे कुछ चाहिए। ऐसे समय में दोस्ती काम न आए, फिर दोस्ती का क्या मतलब।" दूसरे, संकट मोचन बने निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही। विस्तार से पढ़ने के लिए निम्न लिंक को क्लीक करिये:-
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद अब हर जगह उनके द्वारा उठाए इस कदम पर चर्चाएँ हो रही हैं। इस दौरान हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखने वाली कंगना रनौत ने भी अपना एक बयान जारी किया है। कंगना ने करीब दो मिनट का वीडियो जारी कर बॉलीवुड इंडस्ट्री से सवाल पूछा है कि सुशांत की मौत आत्महत्या थी या प्लान्ड मर्डर?
कंगना कहती हैं, “सुशांत सिंह की मौत ने हम सबको झकझोर के रख दिया है। लेकिन वे लोग, जो इस चीज में माहिर हैं कि कैसे समानांतर नैरेटिव चलाया जाए, वो ये कहने लगे हैं कि जिनका दिमाग कमजोर होता है, वे डिप्रेशन में आते हैं और सुसाइड कर लेते हैं।”
कंगना ऐसे लोगों को जवाब देते हुए पूछती हैं कि जिस शख्स ने इंजिनियरिंग की, जो रैंक होल्डर था, वो दिमागी तौर पर कमजोर कैसे हो सकता है?
सुशांत के पुराने कमेंट्स व पोस्टों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करवाते हुए कंगना कहती हैं कि सुशांत पिछले दिनों लोगों से कह रहे थे कि उनकी फिल्में देखें, उनका बॉलीवुड में कोई गॉड फादर नहीं है। अगर लोग उनकी फिल्में नहीं देखेंगे तो उन्हें इंडस्ट्री से निकाल दिया जाएगा।
कंगना रनौत उनके पुराने साक्षात्कारों पर बात करते हुए सवाल पूछती हैं कि सुशांत लगातार कहते थे, “मुझे नहीं मालूम कि मुझे इंडस्ट्री क्यों नहीं अपनाती? मुझे ऐसा लगता है कि मैं अकेला हूँ।” तो क्या ये सब बातें सुसाइड की बुनियाद नहीं थीं।
कंगना रनौत के अनुसार, बॉलीवुड के लिए सुशांत ने इतनी अच्छी फिल्में कीं। मगर उन्हें कभी कोई अवॉर्ड नहीं मिला। उन्होंने काय पो छे से डेब्यू किया। उन्हें डेब्यू तक का अवॉर्ड नहीं मिला। उन्होंने 6-7 साल के अंतराल में केदारनाथ, धोनी और छिछोरे जैसी अच्छी फिल्में बनाईं। मगर, फिर भी उन्हें कोई अवॉर्ड नहीं मिला। कोई सराहना नहीं मिली। वहीं, गली बॉय जैसी वाहियात फिल्म को अवॉर्ड मिल जाते हैं।
#KanganaRanaut exposes the propaganda by industry arnd #SushantSinghRajput's tragic death &how the narrative is spun to hide how their actions pushed #Sushant to the edge.Why it’s imp to give talent their due &when celebs struggle with personal issues media to practice restraint pic.twitter.com/PI70xJgUVL— Team Kangana Ranaut (@KanganaTeam) June 15, 2020
कंगना अपने वीडियो में आपबीती भी सुनाती हैं। वे बोलती हैं कि जो फिल्में वह खुद डायरेक्ट करती हैं, वे सुपरहिट भी होती हैं, तो उन्हें फ्लॉप कर दिया जाता है।
वे पूछती हैं, “मुझ पर 6 केस क्यों डाले गए? क्यों मुझे जेल में डालने की कोशिश हुई?” मिर्च मसाले लगाकार आर्टिकल लिखने वाले पत्रकारों को आड़े हाथों लेते हुए कंगना कहती हैं कि सुशांत के लिए जो लोग ये लिख रहे हैं कि वह साइकोटिक थे, न्यूरोटिक थे, एडिक्टेड थे… उन्हें संजय दत्त की एडिक्शन तो बहुत क्यूट लगती है।
कंगना बताती हैं कि सुशांत की सुसाइड के बाद उन्हें ऐसे मैसेज आ रहे हैं, “तुम्हारा बहुत मुश्किल समय है। तुम ऐसा-वैसा कोई कदम मत उठा लेना।”
कंगना अपनी नाराजगी बयान करते हुए पूछती हैं कि यह लोग उन्हें ऐसी बातें क्यों कहते हैं? क्या वह ये चीज दिमाग में डालना चाहते हैं कि वह सुसाइड कर लें। कंगना आगे सुशांत के संदर्भ में पूछती हैं कि यह सुसाइड थी या प्लान्ड मर्डर था?
सुशांत के कदम पर गुस्सा व्यक्त करते हुए कंगना बोलती हैं कि उनकी गलती बस इतनी थी कि वह ऐसे लोगों की बात मान गए। लोगों ने उनसे कहा कि तुम किसी लायक नहीं हो, तो वह इस बात को मान गए। उन्हें अपनी माँ की बात याद नहीं रही।
कंगना की मानें तो ऐसे लोग चाहते ही है कि वह स्वयं इतिहास लिखें और उसमें ये बताएँ कि सुशांत कमजोर दिमाग का था। वो लोग ये नहीं बताएँगे कि सच्चाई क्या थी। इसलिए हमें यह निर्णय लेना है कि कौन इतिहास को लिखेगा।
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार (जून 14, 2020) को मुंबई के अपने घर में आत्महत्या कर ली थी। उनकी मौत उनके साथियों व प्रशंसकों के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। सुशांत की आत्महत्या से हर कोई हैरान, स्तब्ध है। ऐसे में सोशल मीडिया पर कई तरह के पोस्ट देखने को मिले, जिसमें बिना सच्चाई को जाने-समझे लोगों ने उन्हें कोसा।
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