दिल्ली : डॉक्टरों को धमका कर क्या सिद्ध करना चाहते हैं अरविन्द केजरीवाल?

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन केजरीवाल
अरविन्द केजरीवाल के चेतावनी का लहजा निंदनीय है
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर निशाना साधा है और उनके द्वारा डॉक्टरों को चेतावनी दिए जाने के लहजे पर सवाल खड़ा किया है। एसोसिएशन ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल जिस तरह से हॉस्पिटलों को धमका रहे हैं, वो निंदनीय है। साथ ही सर गंगाराम हॉस्पिटल पर हुए एफआईआर की भी निंदा की गई है। एसोसिएशन ने कहा कि दिल्ली सरकार पूरे मेडिकल फ्रेटर्निटी को विलेन बना कर पेश कर रही है।
ये पूरा मुद्दा मरीजों को एडमिट करने और उनकी कोरोना वायरस टेस्टिंग करने से जुड़ा हुआ है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने ध्यान दिलाया कि सभी डॉक्टर पिछले दो महीने से अपनी जान हथेली पर रख कर कोविड-19 आपदा के बीच लोगों की सेवा में लगातार लगे हुए हैं, और उनके साथ जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, उससे वो अपमानित महसूस कर रहे हैं। एसोसिएशन ने कहा कि अस्पताल स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं और सभी मरीजों का इलाज करता है, वो कोरोना संक्रमित हों या नहीं हों।
अब चर्चा यह भी है कि दिल्ली सरकार के हॉस्पिटलों में जगह न होने के कारण और चिकित्सकों एवं कोरोना पीड़ितों की देखभाल करने वाले हॉस्पिटल के कर्मचारियों के सुरक्षा किट के अभाव के कारण हो रही कठिनाओं पर पर्दा डालने के लिए ये खेल खेला जा रहा है। क्योकि जिस तरह से दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल डॉक्टरों को धमका रहे हैं, देश के किसी भी मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों की निष्ठा पर सवाल नहीं उठाया। जो केजरीवाल और उनकी सरकार के कार्यशैली पर ही प्रश्नचिन्ह है। लॉक डाउन और सोशल डिस्टैन्सिंग का मजाक उड़ना ही दिल्ली में बढ़ते कोरोना का मुख्य कारण है।  यदि यही हाल रहा डर है दिल्ली मुंबई के मुकाबले आ सकता है। डॉक्टरों और हॉस्पिटल पर गुस्सा उतारने की बजाए केजरीवाल सरकार इस ओर ध्यान देने की जरुरत है।  
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन का आरोप है कि अस्पतालों के जनसेवा के लिए उनकी सराहना किए जाने की बजाए दिल्ली सरकार द्वारा उनके लिए नित नए फरमान जारी किए जा रही है। एसोसिएशन का कहना है कि सर गंगाराम अस्पताल ने पिछले एक दशक में लाखों ज़िंदगियाँ बचाई हैं और आज उसे ही धमकी दी जा रही है। डीएमए ने कहा कि ये कर्मचारियों को डराने और धमकाने का मामला है, जिनकी वो निंदा करता है। उसने आगे कहा:
“आपदा की इस घड़ी में दिल्ली के सभी डॉक्टर काम के अतिरिक्त बोझ तले दबे हुए हैं और काफ़ी ज्यादा तनाव में हैं। दिल्ली सरकार बिना किसी ज़रूरत के स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बना रही है। डीएमए के 15,000 सदस्य और सभी शाखाएँ केजरीवाल सरकार के व्यवहार की निंदा करती है। हम पिछले 100 सालों से जनसेवा के प्रति समर्पित हैं और लाख रुकावटें आने के बावजूद यही करते रहे हैं। निःस्वार्थ भाव से जनसेवा कर रहे डॉक्टरों के सम्मान पर आँच नहीं आने दिया जाएगा। जो लोग ज़मीनी हकीकत से वाकिफ हैं, उन्हें पता है कि इस आपदा के समय डॉक्टरों को कितनी मेहनत करनी पड़ रही है और किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है।”

डीएमए ने माँग की है कि एक कॉर्डिनेशन कमिटी बनाई जाए, जिसमें उसके सदस्यों के साथ-साथ दिल्ली सरकार के भी अधिकारी हों। यही कमिटी कोरोना आपदा का उचित प्रबंधन और स्वास्थ्य व्यवस्था की सुविधाओं की निगरानी करे और फ़ैसले ले। साथ ही कोविड-19 की टेस्टिंग कर रहे सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में एक डेडिकेटेड लैब फैसिलिटी की माँग की गई है। एसोसिएशन ने कहा है कि अस्पतालों को कोरोना की जाँच और इलाज हेतु पर्याप्त टेस्टिंग की व्यवस्था की जाए।
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की ये भी माँग की है कि कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में शव को ले जाने और उसका अंतिम संस्कार करने के मामले में दिशा-निर्देशों के पालन के लिए एक योग्य सिस्टम बनाया जाए। ऐसा ही गंभीर रूप से बीमार मरीजों को रेफर करने के मामले में भी किया जाए। साथ ही कोरोना मामलों की निगरानी के लिए हर क्षेत्र में एक नोडल अधिकारी तैनात करने की माँग भी की गई है।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवील ने कहा था कि कोई भी अस्पताल किसी भी मरीज को एडमिट करने से इनकार नहीं कर सकता और अगर कोरोना के लक्षण किसी में दिख रहे हैं तो अस्पताल को उसके इलाज की उचित व्यवस्था करनी ही है। साथ ही उन्होंने कहा था कि कुछ अस्पताल ‘दूसरी पार्टी में’ बैठे अपने आकाओं के दम पर उछल रहे हैं और मनमानी कर रहे हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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