आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जब कभी इंडो-पाक युद्ध या पाकिस्तान के विरुद्ध कोई कार्यवाही, भारत में पल रहे पाकिस्तान के स्लीपर सैल्स हरकत में आ जाते हैं। और ये स्लीपर सामान्य जनजीवन से लेकर सियासत तक में फन फैलाए बैठे हैं। "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम से हिन्दुत्व को बदनाम करने वाले यही स्लीपर सैल्स हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो किस धर्म अथवा जाति से हैं।
ज्ञात हो, 1965 इंडो-पाक युद्ध के दौरान भारत सरकार को दो स्तर यानि सीमा और देश के अंदर लड़ाई लड़नी पड़ी थी। घरों से ट्रांसमीटर पकडे गए थे, लेकिन ताशकंत से तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन ने उन सभी देशद्रोही को आज़ाद कर दिया। परन्तु वर्तमान सरकार पाकिस्तान से कोई युद्ध करने से पूर्व ही देशद्रोहियों पर नकेल डाल रही है। सरकार को उस समय की फाइल भी खोलनी होगी, ताकि उन पर भी नकेल डाली जा सके।
तानिया परवीन को शुक्रवार (जून 12, 2020) को केंद्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने अपनी हिरासत में ले लिया। वह दमदम सेंट्रल जेल में बंद थी। कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने उसे उत्तर 24 परगना जिले के बादुरिया से लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
NIA की पूछताछ में तानिया से लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी काफी जानकारी मिल सकती है, जिसका खुलासा उसने अब तक नहीं किया है। उसने बंगाल समेत किन-किन राज्यों में कितने स्लीपर सेल तैयार किए हैं इसका भी पता लगाया जाएगा। इसके साथ ही NIA उससे पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि उसने सेना के कितने कर्मचारियों को हनीट्रैप में फँसाया था एवं उसके इस अभियान में और कौन-कौन शामिल हैं।
तानिया परवीन को 20 मार्च 2020 को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। बताया जाता है कि तानिया 10 साल पहले बांग्लादेश से घुसपैठ कर भारत में आई थी। वह लश्कर के लिए युवाओं की भर्तियाँ करती थी। सरकारी सूचनाओं को पाने के लिए वो हनी-ट्रैपिंग का सहारा लेती थी। कई बड़े अधिकारियों व नेताओं तक उसकी पहुँच होने की बात कही जाती है।
तानिया के पास से कई पाकिस्तानी सिम कार्ड्स मिले थे। उसके पास से जब्त की गई डायरी और दस्तावेजों से पता चला है कि उसने काफ़ी संवेदनशील सूचनाएँ जुटा ली थी।
वह मुंबई के 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी सरगना हाफ़िज़ सईद से भी 2 बार बातचीत कर चुकी है। वो पिछले 2 साल से लश्कर के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही थी और उस क्षेत्र में कई बार भड़काऊ भाषण भी दे चुकी है।
पश्चिम बंगाल की सोशल टास्क फोर्स द्वारा पूछताछ में पता चला था कि आतंकी तानिया परवीन के व्हाट्सप्प ग्रुप में हाफ़िज़ सईद के दो करीबियों के नंबर मिले थे। इन्हीं दोनों के माध्यम से मुंबई हमले का मास्टरमंड तानिया को सन्देश भेजा करता था। तानिया को हवाला का जरिए रुपए भी भेजे गए थे। गिरफ़्तारी से पहले वो बांग्लादेश सीमा पर विभिन्न आतंकी संगठनों को एकजुट कर बड़े हमले की साजिश रचने में लगी हुई थी। उसके बैंक खाते में करोड़ों रुपए का लेन-देन हो रहा था, इसके बाद से ही परवीन की गतिविधियों पर संदेह होने लगा था।
तानिया का मुख्य लक्ष्य इस्लामिक राज्य की स्थापना करना था। इसके लिए उसे खूँखार वैश्विक आतंकी संगठन आईएसआईएस से प्रेरणा मिली थी। वो उसी तर्ज पर काम करते हुए एक इस्लामिक स्टेट की स्थापना करना चाहती थी। पाकिस्तान से उसके आकाओं ने उसे कई भड़काऊ पुस्तकें भेजी थीं, जिसे पढ़ कर उसकी सोच और भी कट्टरवादी हो गई थी।
तानिया ने मुर्शिदाबाद में कई आतंकी शिविर भी बना रखे थे, जहाँ वो अपने लोगों को भड़काऊ भाषण देने के लिए प्रशिक्षण देती थी। वहाँ वो लोगों को ‘जिहाद’ सिखाती थी और आतंकी गतिविधियों के संचालन के गुर भी सिखाती थी। वो कुछ दिनों बाद अत्याधुनिक हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान जाने वाली थी। वह बांग्लादेश होकर पाकिस्तान जाने वाली थी, जहाँ वो आईएसआई अधिकारियों से मिलने वाली थी। वो आतंकी संगठन के लिए मोटी रकम भी जुटा रही थी।
3 साल से लश्कर से जुडी तानिया को ‘जिहाद’ का प्रशिक्षण इन्हीं किताबों के जरिए मिला। पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए हमले के बाद उसकी फोटो शेयर कर के तानिया ने आतंकियों की प्रशंसा भी की थी। तानिया अक्सर मदरसों का दौरा करती थी और वहाँ भड़काऊ भाषण देकर लश्कर के लिए लोग जुटाती थी।
उसका उद्देश्य युवाओं, ख़ासकर छात्र-छात्राओं को कट्टरपंथी बना कर उन्हें आतंकी संगठनों से जोड़ना था। तानिया ने मुर्शिदाबाद में कई आतंकी शिविर भी बना रखे थे, जहाँ वो अपने लोगों को भड़काऊ भाषण देने के लिए प्रशिक्षण देती थी। वहाँ वो लोगों को ‘जिहाद’ सिखाती थी और आतंकी गतिविधियों के संचालन के गुर भी सिखाती थी। वो कुछ दिनों बाद अत्याधुनिक हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान जाने वाली थी। वह बांग्लादेश होकर पाकिस्तान जाने वाली थी, जहाँ वो आईएसआई अधिकारियों से मिलने वाली थी।
जब कभी इंडो-पाक युद्ध या पाकिस्तान के विरुद्ध कोई कार्यवाही, भारत में पल रहे पाकिस्तान के स्लीपर सैल्स हरकत में आ जाते हैं। और ये स्लीपर सामान्य जनजीवन से लेकर सियासत तक में फन फैलाए बैठे हैं। "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम से हिन्दुत्व को बदनाम करने वाले यही स्लीपर सैल्स हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो किस धर्म अथवा जाति से हैं।
ज्ञात हो, 1965 इंडो-पाक युद्ध के दौरान भारत सरकार को दो स्तर यानि सीमा और देश के अंदर लड़ाई लड़नी पड़ी थी। घरों से ट्रांसमीटर पकडे गए थे, लेकिन ताशकंत से तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन ने उन सभी देशद्रोही को आज़ाद कर दिया। परन्तु वर्तमान सरकार पाकिस्तान से कोई युद्ध करने से पूर्व ही देशद्रोहियों पर नकेल डाल रही है। सरकार को उस समय की फाइल भी खोलनी होगी, ताकि उन पर भी नकेल डाली जा सके।
तानिया परवीन को शुक्रवार (जून 12, 2020) को केंद्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने अपनी हिरासत में ले लिया। वह दमदम सेंट्रल जेल में बंद थी। कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने उसे उत्तर 24 परगना जिले के बादुरिया से लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
NIA की पूछताछ में तानिया से लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी काफी जानकारी मिल सकती है, जिसका खुलासा उसने अब तक नहीं किया है। उसने बंगाल समेत किन-किन राज्यों में कितने स्लीपर सेल तैयार किए हैं इसका भी पता लगाया जाएगा। इसके साथ ही NIA उससे पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि उसने सेना के कितने कर्मचारियों को हनीट्रैप में फँसाया था एवं उसके इस अभियान में और कौन-कौन शामिल हैं।
तानिया परवीन को 20 मार्च 2020 को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। बताया जाता है कि तानिया 10 साल पहले बांग्लादेश से घुसपैठ कर भारत में आई थी। वह लश्कर के लिए युवाओं की भर्तियाँ करती थी। सरकारी सूचनाओं को पाने के लिए वो हनी-ट्रैपिंग का सहारा लेती थी। कई बड़े अधिकारियों व नेताओं तक उसकी पहुँच होने की बात कही जाती है।
तानिया के पास से कई पाकिस्तानी सिम कार्ड्स मिले थे। उसके पास से जब्त की गई डायरी और दस्तावेजों से पता चला है कि उसने काफ़ी संवेदनशील सूचनाएँ जुटा ली थी।
Tania Praveen was taken into custody by— ANI (@ANI) June 13, 2020
National Investigation Agency y'day in Kolkata for questioning. She is allegedly linked to Pakistan based terror outfit Lashkar-e-Taiba; also involved in using WhatsApp number of Pakistan&is part of several WhatsApp group of Pak: NIA
वह मुंबई के 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी सरगना हाफ़िज़ सईद से भी 2 बार बातचीत कर चुकी है। वो पिछले 2 साल से लश्कर के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही थी और उस क्षेत्र में कई बार भड़काऊ भाषण भी दे चुकी है।
पश्चिम बंगाल की सोशल टास्क फोर्स द्वारा पूछताछ में पता चला था कि आतंकी तानिया परवीन के व्हाट्सप्प ग्रुप में हाफ़िज़ सईद के दो करीबियों के नंबर मिले थे। इन्हीं दोनों के माध्यम से मुंबई हमले का मास्टरमंड तानिया को सन्देश भेजा करता था। तानिया को हवाला का जरिए रुपए भी भेजे गए थे। गिरफ़्तारी से पहले वो बांग्लादेश सीमा पर विभिन्न आतंकी संगठनों को एकजुट कर बड़े हमले की साजिश रचने में लगी हुई थी। उसके बैंक खाते में करोड़ों रुपए का लेन-देन हो रहा था, इसके बाद से ही परवीन की गतिविधियों पर संदेह होने लगा था।
तानिया का मुख्य लक्ष्य इस्लामिक राज्य की स्थापना करना था। इसके लिए उसे खूँखार वैश्विक आतंकी संगठन आईएसआईएस से प्रेरणा मिली थी। वो उसी तर्ज पर काम करते हुए एक इस्लामिक स्टेट की स्थापना करना चाहती थी। पाकिस्तान से उसके आकाओं ने उसे कई भड़काऊ पुस्तकें भेजी थीं, जिसे पढ़ कर उसकी सोच और भी कट्टरवादी हो गई थी।
तानिया ने मुर्शिदाबाद में कई आतंकी शिविर भी बना रखे थे, जहाँ वो अपने लोगों को भड़काऊ भाषण देने के लिए प्रशिक्षण देती थी। वहाँ वो लोगों को ‘जिहाद’ सिखाती थी और आतंकी गतिविधियों के संचालन के गुर भी सिखाती थी। वो कुछ दिनों बाद अत्याधुनिक हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान जाने वाली थी। वह बांग्लादेश होकर पाकिस्तान जाने वाली थी, जहाँ वो आईएसआई अधिकारियों से मिलने वाली थी। वो आतंकी संगठन के लिए मोटी रकम भी जुटा रही थी।
3 साल से लश्कर से जुडी तानिया को ‘जिहाद’ का प्रशिक्षण इन्हीं किताबों के जरिए मिला। पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए हमले के बाद उसकी फोटो शेयर कर के तानिया ने आतंकियों की प्रशंसा भी की थी। तानिया अक्सर मदरसों का दौरा करती थी और वहाँ भड़काऊ भाषण देकर लश्कर के लिए लोग जुटाती थी।
उसका उद्देश्य युवाओं, ख़ासकर छात्र-छात्राओं को कट्टरपंथी बना कर उन्हें आतंकी संगठनों से जोड़ना था। तानिया ने मुर्शिदाबाद में कई आतंकी शिविर भी बना रखे थे, जहाँ वो अपने लोगों को भड़काऊ भाषण देने के लिए प्रशिक्षण देती थी। वहाँ वो लोगों को ‘जिहाद’ सिखाती थी और आतंकी गतिविधियों के संचालन के गुर भी सिखाती थी। वो कुछ दिनों बाद अत्याधुनिक हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान जाने वाली थी। वह बांग्लादेश होकर पाकिस्तान जाने वाली थी, जहाँ वो आईएसआई अधिकारियों से मिलने वाली थी।
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