
संसदीय समिति के सामने प्रेजेंटेशन के लिए पेश हुए सरकारी प्रतिनिधि ने यह नहीं बताया कि ये आंकड़ा आखिर कब तक का है और कोन-कौन से सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। मालूम हो कि कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनियाभर में चल रहे लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों ने भारत जैसे देशों की अर्थव्यवस्था के सामने एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। सबसे बड़ा सवाल लोगों के रोजगार से जुड़ा है।
संसदीय समिति की बैठक का एजेंडा कोरोना के बाद निवेश के मामले में भारत के सामने चुनौतियां और अवसरों पर चर्चा करना था। बैठक में औद्योगिक और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के अधिकारी ने समिति के सदस्यों को अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे कोरोने के असर को बताया। प्रेजेंटेशन में बताया गया कि चूंकि भारत कौशल और दक्ष श्रम शक्ति का एक बड़ा निर्यातक देश है लिहाजा दुनिया भर में आर्थिक शिथिलता का असर यहां भी पड़ा है।
बैठक में मोदी सरकार की ओर से बताया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था काफी हद तक अमेरिका, यूरोप और चीन से होने वाले निवेश और व्यापार निर्भर करती है। कोरोना के चलते इन देशों से व्यापार और निवेश में अलग-अलग कारणों से कमी आई है। सरकार ने बताया कि उसकी कोशिश अब मेडिकल उपकरणों समेत अन्य महत्वपूर्ण सामानों के आयात पर निर्भरता कम करने की है।
No comments:
Post a Comment