केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के कोरोना से पीड़ित होने के बाद जैसे ही कमान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाथों में आई, कोरोना ने फिर रफ्तार पकड़ ली। कोरोना ने पिछले 40 दिनों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल का पूरा ध्यान कोरोना की जगह उत्तराखंड चुनाव और दिल्ली दंगे का मास्टरमाइंड ताहिर हुसैन को बचाने पर है।
जैसाकि सर्वविदित है कि दिल्ली में नगर निगम चुनाव निकट आ रहे हैं, तो आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। दिल्ली सरकार अपनी नाकामी केंद्र पर डाल रही है, लेकिन इस पुरे खेल में नगर निगम कहीं नहीं है। क्योकि वहां भाजपा सत्ता में है, आम आदमी पार्टी नहीं। आरोप लगाओ, खूब लगाओ, लगाने भी चाहिए, लेकिन उनका आधार होना चाहिए। अमित शाह गृहमंत्री और समस्त देश उनके गृह के सामान है, फिर केवल दिल्ली को ही क्यों उछाला जा रहा है? महाराष्ट्र और अन्य राज्यों जहाँ कोरोना ने जीवन दूबर कर रखा है, उन पर क्यों नहीं ध्यान दिया जा रहा?
जहाँ तक उत्तर प्रदेश की बात है, इस प्रदेश का क्षेत्रफल और जनसंख्या अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है, उसके बावजूद वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमर कस कोरोना को नियंत्रण में रखे हुए हैं। जबकि वहां दंगे भी हुए।
किसको नहीं मालूम कि अरविन्द केजरीवाल अपने काम की बजाए मुफ्त की रेवड़ियां बांट तीनों बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और नगर निगम चुनाव में भी टक्कर दी। शंका है कि इन्ही मुफ्त की रेवड़ियों की लॉलीपॉप देकर तीनों नहीं तो दो नगर निगमों पर कब्ज़ा न कर ले। और मुफ्त की रेवड़ियों के लालच में जनता दिल्ली में हुए लाल कुआँ और पश्चिम दिल्ली के दंगों को भूल जाएगी। और ये होने वाला है, कोई नहीं रोक पाएगा। यह कहना कि केजरीवाल का कोरोना की बजाए हिन्दू विरोधी दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को बचाने में लगे हुए हैं। सबकुछ ठीक है, केंद्र जेएनयू और दिल्ली दंगों के आरोपियों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चलाने में असहाय क्यों? क्या कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं कि अगर राज्य सरकार इजाजत नहीं देने स्थिति में कोर्ट कुछ नहीं कर सकती?
पिछले 10 दिन के अंदर 12 हजार लोग संक्रमित
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 40 दिन पहले 16 जुलाई को दिल्ली में एक दिन में 1652 कोरोना संक्रमित मिले थे। इसके बाद कल यानि 26 अगस्त को कोरोना के 1693 मरीज सामने आए। दिल्ली में पिछले 10 दिन के अंदर 12 हजार लोग संक्रमित हुए हैं। जुलाई मध्य के बाद से दिल्ली में 24 घंटे में मिलने वाले कोरोना के मामलों में गिरावट आने लगी थी। अगस्त की शुरुआत में ये और कम होती चली गई। उसके बाद 24 घंटे में 500-600 संक्रमित मिलने लगे और दिल्ली का रिकवरी रेट बढ़ने लगा। दिल्ली में संक्रमित होने वालों से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ने लगी।
फिर 24 घंटे के अंदर हजार से ज्यादा केस
लेकिन बीते दस दिनों से दिल्ली में फिर 24 घंटे के अंदर हजार से ज्यादा केस आने लगे हैं। वहीं बीते 3 दिन देखें तो 24 अगस्त को दिल्ली में 1061 केस सामने आए, 25 अगस्त को 1544 केस सामने आए और 26 अगस्त को 1693 केस सामने आए। इसी प्रकार से अप्रैल-मई के बीच में दिल्ली में संक्रमितों की संख्या बढ़ी थी। और कोरोना ने दिल्ली में स्थिति को भयावह कर दिया था।
सीएम केजरीवाल ने की आपात बैठक
कोरोना के मामलों को बढ़ता देख दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के साथ अन्य आला अधिकारियों की बुधवार को आपात बैठक बुलाई। इस बैठक के बाद सीएम केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि दिल्ली में टेस्टिंग डबल की जाएगी।
दिल्ली में 1.65 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित
यहां बुधवार को 24 घंटों में कोरोना के 1693 नए मामले सामने आए हैं और एक दिन में 17 मरीजों की जान गई है। इसके साथ ही राजधानी में संक्रमण के कुल मामले 1 लाख 65 हजार 764 हो गए हैं। संक्रमण के कुल मामलों में सक्रिय मामलों की संख्या 12,520 है। वहीं 1,48,897 लोग कोरोना को मात देकर ठीक हो चुके हैं। यहां अब तक 4,347 लोगों की जान जा चुकी है।
कोरोना से ज्यादा उत्तराखंड और ताहिर पर है केजरीवाल सरकार का ध्यान-बीजेपी
जब दिल्ली सरकार कोरोना की बढ़ती रफ्तार पर ब्रेक लगाने में नाकाम रही, तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कमान संभाली। उनके नेतृत्व में कोरोना को नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली। खुद केजरीवाल ने माना कि लगातार डेढ़ महीने तक दिन-रात मेहनत कर केस को बढ़ने से रोक लिया गया। दिल्ली बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अमित शाह ने दिल्ली में स्थिति को काबू में लाकर सीएम केजरीवाल के हाथों में दिया था, लेकिन सीएम केजरीवाल अपने प्रचार-प्रसार, उत्तराखंड चुनाव और दंगाई ताहिर को बचाने में ज़्यादा व्यस्त हैं। एक बार फिर केजरीवाल ने जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया है।
जैसाकि सर्वविदित है कि दिल्ली में नगर निगम चुनाव निकट आ रहे हैं, तो आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। दिल्ली सरकार अपनी नाकामी केंद्र पर डाल रही है, लेकिन इस पुरे खेल में नगर निगम कहीं नहीं है। क्योकि वहां भाजपा सत्ता में है, आम आदमी पार्टी नहीं। आरोप लगाओ, खूब लगाओ, लगाने भी चाहिए, लेकिन उनका आधार होना चाहिए। अमित शाह गृहमंत्री और समस्त देश उनके गृह के सामान है, फिर केवल दिल्ली को ही क्यों उछाला जा रहा है? महाराष्ट्र और अन्य राज्यों जहाँ कोरोना ने जीवन दूबर कर रखा है, उन पर क्यों नहीं ध्यान दिया जा रहा?
जहाँ तक उत्तर प्रदेश की बात है, इस प्रदेश का क्षेत्रफल और जनसंख्या अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है, उसके बावजूद वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमर कस कोरोना को नियंत्रण में रखे हुए हैं। जबकि वहां दंगे भी हुए।
किसको नहीं मालूम कि अरविन्द केजरीवाल अपने काम की बजाए मुफ्त की रेवड़ियां बांट तीनों बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और नगर निगम चुनाव में भी टक्कर दी। शंका है कि इन्ही मुफ्त की रेवड़ियों की लॉलीपॉप देकर तीनों नहीं तो दो नगर निगमों पर कब्ज़ा न कर ले। और मुफ्त की रेवड़ियों के लालच में जनता दिल्ली में हुए लाल कुआँ और पश्चिम दिल्ली के दंगों को भूल जाएगी। और ये होने वाला है, कोई नहीं रोक पाएगा। यह कहना कि केजरीवाल का कोरोना की बजाए हिन्दू विरोधी दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को बचाने में लगे हुए हैं। सबकुछ ठीक है, केंद्र जेएनयू और दिल्ली दंगों के आरोपियों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चलाने में असहाय क्यों? क्या कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं कि अगर राज्य सरकार इजाजत नहीं देने स्थिति में कोर्ट कुछ नहीं कर सकती?
पिछले 10 दिन के अंदर 12 हजार लोग संक्रमित
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 40 दिन पहले 16 जुलाई को दिल्ली में एक दिन में 1652 कोरोना संक्रमित मिले थे। इसके बाद कल यानि 26 अगस्त को कोरोना के 1693 मरीज सामने आए। दिल्ली में पिछले 10 दिन के अंदर 12 हजार लोग संक्रमित हुए हैं। जुलाई मध्य के बाद से दिल्ली में 24 घंटे में मिलने वाले कोरोना के मामलों में गिरावट आने लगी थी। अगस्त की शुरुआत में ये और कम होती चली गई। उसके बाद 24 घंटे में 500-600 संक्रमित मिलने लगे और दिल्ली का रिकवरी रेट बढ़ने लगा। दिल्ली में संक्रमित होने वालों से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ने लगी।
फिर 24 घंटे के अंदर हजार से ज्यादा केस
लेकिन बीते दस दिनों से दिल्ली में फिर 24 घंटे के अंदर हजार से ज्यादा केस आने लगे हैं। वहीं बीते 3 दिन देखें तो 24 अगस्त को दिल्ली में 1061 केस सामने आए, 25 अगस्त को 1544 केस सामने आए और 26 अगस्त को 1693 केस सामने आए। इसी प्रकार से अप्रैल-मई के बीच में दिल्ली में संक्रमितों की संख्या बढ़ी थी। और कोरोना ने दिल्ली में स्थिति को भयावह कर दिया था।
सीएम केजरीवाल ने की आपात बैठक
कोरोना के मामलों को बढ़ता देख दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के साथ अन्य आला अधिकारियों की बुधवार को आपात बैठक बुलाई। इस बैठक के बाद सीएम केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि दिल्ली में टेस्टिंग डबल की जाएगी।
दिल्ली में 1.65 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित
यहां बुधवार को 24 घंटों में कोरोना के 1693 नए मामले सामने आए हैं और एक दिन में 17 मरीजों की जान गई है। इसके साथ ही राजधानी में संक्रमण के कुल मामले 1 लाख 65 हजार 764 हो गए हैं। संक्रमण के कुल मामलों में सक्रिय मामलों की संख्या 12,520 है। वहीं 1,48,897 लोग कोरोना को मात देकर ठीक हो चुके हैं। यहां अब तक 4,347 लोगों की जान जा चुकी है।
कोरोना से ज्यादा उत्तराखंड और ताहिर पर है केजरीवाल सरकार का ध्यान-बीजेपी
मोदी सरकार के नेतृत्व में गृह मंत्री श्री @AmitShah जी ने दिल्ली में स्थिति को काबू में लाकर CM केजरीवाल के हाथों में दिया था, लेकिन CM अपने प्रचार-प्रसार, उत्तराखंड चुनाव और दंगाई ताहिर को बचाने में ज़्यादा व्यस्त हैं। एक बार फिर CM ने जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया है। pic.twitter.com/KRI3UBx2N9— BJP Delhi (@BJP4Delhi) August 26, 2020
Ek hafte baad firse likhoge Amit Shah ne bacha liya 🤣— Saurav Jain (@souravjain540) August 26, 2020
फिर covid-19 के जन्मदाता मौलाना साद कहाँ है...?— संदीप सिंह (@sandeepsinghdon) August 26, 2020
बकवास छोड़िए और मौलाना साद का केस @myogiadityanath जी को सौप दो और राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करो...
Shah ko bolo baki rajyo ko b thoda haat me le le— AB (@abhibhoi) August 26, 2020
बीजेपी फजीवाल का नाम लेकर रो रही है— Nishant Mishra (@Nishant_jpb) August 26, 2020
तो क्या बीजेपी बेबस है फरजीवाल के सामने
क्यों है भाजपा को आस कि फर्जिवाल कुछ काम करेगा
क्या भाजपा और फर्क्सिवाल मिले हुए हैं
क्या भाजपा नाकाम है ????
Waah !! https://t.co/SdQ84GBB0Y— Abhishek Yadav (@raiderabhi7) August 26, 2020
जब दिल्ली सरकार कोरोना की बढ़ती रफ्तार पर ब्रेक लगाने में नाकाम रही, तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कमान संभाली। उनके नेतृत्व में कोरोना को नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली। खुद केजरीवाल ने माना कि लगातार डेढ़ महीने तक दिन-रात मेहनत कर केस को बढ़ने से रोक लिया गया। दिल्ली बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अमित शाह ने दिल्ली में स्थिति को काबू में लाकर सीएम केजरीवाल के हाथों में दिया था, लेकिन सीएम केजरीवाल अपने प्रचार-प्रसार, उत्तराखंड चुनाव और दंगाई ताहिर को बचाने में ज़्यादा व्यस्त हैं। एक बार फिर केजरीवाल ने जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया है।
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