दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगा : ताहिर हुसैन की दिल्ली नगर निगम ने निरस्त की सदस्यता; पेंशन भी समाप्त होनी चाहिए

ताहिर हुसैन पार्षद सदस्यता रद्द
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद और दिल्ली दंगों के आरोपित ताहिर हुसैन के मामले में बड़ी ख़बर आई है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) ने ताहिर हुसैन की सदस्यता रद्द कर दी है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए मामले की जानकारी दी। नगर निगम के बयान के अनुसार 26 अगस्त को यह निर्णय लिया गया था। 
वार्ड संख्या 59-ई के पार्षद की सदस्यता निरस्त की जा रही है। दिल्ली नगर निगम ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए कई अहम बातें कहीं। आदेश के मुताबिक़ दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 33 की उपधारा 2 में यह प्रावधान है। यदि कोई सदस्य लगातार सदन की 3 बैठकों में बिना किसी पूर्व सूचना के अनुपस्थित रहता है, तो सदन उक्त पार्षद की सदस्यता समाप्त करके वार्ड के प्रतिनिधि पद को रिक्त घोषित कर सकता है। 
इसके बाद आदेश में यह भी लिखा है कि यह पार्षद का कर्तव्य है वह लंबी अवधि की अनुपस्थिति हेतु पूर्व सूचना माननीय महापौर अथवा निगम सचिव कार्यालय को दे। ताहिर हुसैन वार्ड संख्या 59 ई का प्रतिनिधित्व कर रहा था। वो जनवरी 2020, फरवरी 2020 (मार्च 2020, अप्रैल 2020 और मई 2020 में कोविड 19 के चलते बैठक हुई नहीं), जून 2020 तथा जुलाई 2020 की बैठक में बिना सूचना अनुपस्थित था। 
पूर्वी दिल्ली नगर निगम का आदेश – 
वार्ड 59 के 
पार्षद की सदस्यता
समाप्ति का घोषणा – संख्या 5
पूर्वी दिल्ली नगर निगम का आदेश
क्या बीजेपी गुप्तरुप से ताहिर का समर्थन कर रही है?
लेकिन सदन से उसकी सदस्यता खत्म करने की पूरी प्रक्रिया में दिल्ली हिंसा का कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है। ताहिर हुसैन की सदस्यता खत्म करने की सूचना उपराज्यपाल अनिल बैजल को भेज दी गई है।
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में ताहिर हुसैन पर आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या करने, हत्या की साजिश रचने, हिंसा के लिए लोगों को उकसाने और हिंसा के लिए अवैध तरीके से धन एकत्रित करने का आरोप लगाया है। 
भाजपा शासित नगर निगम ने क्यों सदस्यता समाप्त करने में उसके दंगों में शामिल होने का कोई जिक्र तक नहीं किया? क्या भाजपा भी गुप्त रूप से उसकी सहायता कर रही। हिन्दू विरोधी दंगे करवाने के आरोपी ताहिर की सदस्यता समाप्त होने के साथ-साथ उसको मिलने वाली पेंशन भी समाप्त होनी चाहिए। जिसका सदन की शपथ लेते ही किसी भी सदन का सदस्य अधिकारी हो जाता है। अगर पेंशन समाप्त नहीं होती का सीधा-सा स्पष्ट प्रमाण होगा कि बीजेपी गुप्त रूप से ताहिर को समर्थन दे रही है। 
लेकिन वे इनमें से एक में भी उपस्थित नहीं हुए। नगर निगम एक्ट के नियम 33(2) के मुताबिक निगम की लगातार तीन बैठकों में बिना सूचना के अनुपस्थित होने सदस्यता खत्म करने का आधार होता है। इसी नियम के तहत उनकी सदस्यता खत्म की गई है।
इन सदस्यों ने उठाया मुद्दा 
भाजपा दिल्ली प्रदेश के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर और कृष्णा नगर से निगम पार्षद संदीप कपूर ने ताहिर हुसैन की सदस्यता को खत्म करने के लिए सबसे पहले आवाज उठाई थी। इन नेताओं ने आरोप लगाया था कि ताहिर हुसैन दिल्ली हिंसा के मुख्य आरोपी हैं। नेताओं ने आरोप लगाया है कि ताहिर हुसैन के कारण पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़के थे, जिनके कारण 53 निर्दोष लोगों की जान चली गई।
आम आदमी पार्टी ने किया ताहिर का बचाव 
हालांकि, आम आदमी पार्टी ने यह कहते हुए दिल्ली हिंसा के आरोपी ताहिर हुसैन का बचाव किया था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया जा रहा है और वे हिंसा में शामिल नहीं थे। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया था कि दिल्ली हिंसा की जांच के दौरान पुलिस एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बना रही है। दिल्ली हाईकोर्ट और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने भी दिल्ली पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे।
इस मामले में 11 अगस्त को भी ख़बर प्रकाशित हुई थी कि पार्षद ताहिर हुसैन की सदस्यता ख़तरे में पड़ सकती है। जिसमें पूर्वी दिल्ली के महापौर निर्मल जैन ने कहा था ताहिर हुसैन ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की साजिश रचने की बात स्वीकार कर ली थी। ताहिर हुसैन और पूर्व पार्षद इशरत जहां के खिलाफ़ सदन में निंदा प्रस्ताव भी पारित हुआ था। अब कानूनी प्रक्रिया समझी जा रही है कि किस तरह ताहिर हुसैन की सदस्यता रद्द हो सकती है? महापौर ने यह भी बताया था कि दिल्ली पुलिस की तरफ से नगर निगम को कोई जानकारी नहीं मिली थी। मगर ताहिर हुसैन ने लगातार कई बैठकों में हिस्सा नहीं लिया था।
 
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार (21 अगस्त, 2020) को फरवरी में हुए हिंदू विरोधी दंगों में शामिल AAP के पूर्व नेता ताहिर हुसैन के खिलाफ दायर चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि ताहिर हुसैन के उकसावे पर मुस्लिम हिंसक हो गए और हिंदू समुदाय पर पथराव शुरू कर दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए हिंदु विरोधी दंगों के दौरान खुफिया (आईबी) अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या से संबंधित मामले और दंगों को भड़काने में हुसैन की भूमिका के खिलाफ दायर आरोपपत्र का संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की थी। अदालत ने आरोपितों के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट भी जारी किया और उन्हें 28 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश करने का निर्देश दिया।
पूर्व AAP नेता ताहिर हुसैन, जो इस साल की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी में हुए भीषण हिंदू-विरोधी दंगों के प्रमुख अभियुक्त है, से प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूछताछ की थी। टाइम्स नाउ द्वारा प्रकाशित एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, ताहिर हुसैन से दिल्ली हिंसा की फंडिंग को लेकर पूछताछ की जा रही थी। इसके साथ ही, निजामुद्दीन मरकज और दिल्ली दंगों के बीच सम्बन्ध की भी अब जाँच की जा रही है। हुसैन ने दिसंबर, 2019 से फरवरी, 2020 तक दंगा करने वालों और दंगाइयों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों को 1.02 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने के लिए कई शेल कंपनियाँ बनाई थीं।
दंगों कि साजिश ने बारे में भी उसने कई हैरान करने वाली बातें कही थीं। उसने पूछताछ के दौरान कहा “मेरा घर इलाके में सबसे ऊँचा था। CAA समर्थकों को सबक सिखाने के लिए मैंने अपने सहयोगियों के साथ पहले ही साजिश रच ली थी। घर में कन्स्ट्रक्शन का काम भी चल रहा था, ऐसे में ईंट-पत्थर इत्यादि समान पहले ही जमा कर लिए गए थे। मेरी लाइसेंसी पिस्टल थाने में जमा थी, जिसे मैं दंगों के 2-3 दिन पहली ही छुड़ा कर लाया था। पुलिस के हाथ सबूत न लगे, इसीलिए मैंने पहले ही क्षेत्र के सारे सरकारी व प्राइवेट CCTV कैमरे तोड़वा दिए थे। मैंने अपने समर्थकों को हर तरीके से तैयार रहने कह दिया था।”

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