प्रशांत भूषण और राहुल गांधी पर फिदा पाकिस्तानी मीडिया

इन दिनों कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण काफी चर्चा में हैं। जहां राहुल गांधी अपनी ही पार्टी में घिरे हुए हैं, वहीं प्रशांत भूषण अदालत की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का सामना कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तानी मीडिया इस समय दोनों का फैन बन चुकी है। 
पाकिस्तान मीडिया का इन दोनों का फैन होना स्वाभाविक है, क्योकि ये दोनों वही बोली बोल रहे, जो पाकिस्तान चाहता है। और इस कड़ी में अभी और भी नाम आने आने वाले हैं। पाकिस्तान इस बात से कोई सरोकार नहीं कि उनकी बोली बोलने वालों की भारत में कितनी सुनी जाती है, जनता उन्हें कितना सम्मान दे रही है, कोई मतलब नहीं, बस भारत में रहकर पाकिस्तान की बोली बोलने वाले चाहिए। 
राहुल के अलावा प्रशांत भी जनता को पागल बनाने में कम नहीं। ये ही प्रशांत अरविन्द केजरीवाल के साथ मिलकर दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विरुद्ध भ्रष्टाचार के 370 सबूत ऐसे लिए घूम रहे थे, मानो कश्मीर की धारा 370 हो, और सत्ता में आते ही किसके आरोप किसके विरुद्ध सबूत, जनता बन गयी पागल, मतलब हल।   
पाकिस्तान के सबसे बड़े अखबार ‘डॉन’ में लिखे एक कॉलम में प्रशांत भूषण और राहुल गांधी की जमकर तारीफ करते हुए उन्हें साथ मिल कर काम करने की सलाह दी गई है।
प्रशांत और राहुल की नियति मिलती है- नकवी
पाकिस्तानी अख़बार ‘डॉन’ के दिल्ली स्थित संवाददाता जावेद नकवी ने अपने कॉलम में लिखा कि राहुल गांधी की विपक्षी नेता के तौर पर तारीफ होनी चाहिए क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन के खिलाफ डटकर खड़े होते हैं। प्रशांत और राहुल की नियति कहीं ना कहीं मिलती है। अगर दोनों अपनी असीम ऊर्जा को मिला लें तो वे दक्षिणपंथी ताकतों से भारतीय लोकतंत्र को बचा सकते हैं। 

दक्षिणपंथी ताकतों के खिलाफ मिलकर काम करने की दी सलाह

कांग्रेस ने क्रोनी कैपिटलिज्म को बढ़ावा दिया
नकवी ने लिखा है कि लोकसभा में 10 प्रतिशत से भी कम सीटों पर सिमटी कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है, जिसकी पहुंच कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक है। साथ ही लिखा कि कांग्रेस पिछले कई सालों में हुई गलतियों की भी प्रतिनिधि है, जिससे दक्षिणपंथी नेताओं को सत्ता पाने का मौका मिला। दावा किया गया है कि कांग्रेस ने क्रोनी कैपिटलिज्म (सरकार और पूंजीपतियों का गठजोड़) को ऑक्सीजन दिया, जिससे सामाजिक विभाजनकारी ताकतों ने सत्ता ले ली।

कश्मीर के अधिकार के लिए आवाज़ उठाते हैं प्रशांत भूषण
पाकिस्तानी अख़बार का दावा है कि प्रशांत भूषण उद्योगपतियों और राजनेताओं के बीच के नेक्सस को ख़त्म करने का प्रयास करते रहे हैं। साथ ही उन्हें दलितों मुस्लिमों के लिए बोलने वाला बताया गया है। लेख में लिखा है कि वो कश्मीर के अधिकार के लिए भी आवाज़ उठाते रहे हैं। उन्हें असहमति के असंख्य समर्थकों और अमूल-चूल बदलाव का वाहक एक्टिविस्ट करार दिया गया है।
प्रशांत भूषण और अरुंधति रॉय में समानता
प्रशांत भूषण अरुंधति रॉय के फैन हैं, जिन्होंने कोर्ट की अवमानना का सामना किया था। कॉलम में आगे लिखा है। रॉय को भी कोर्ट की अवमानना का दोषी पाए जाने पर जेल हुई थी और अब प्रशांत भूषण की बारी है। अरुंधति रॉय ने सुप्रीम कोर्ट के जजों से माफी मांगने से इनकार कर दिया था और भूषण ने भी वही किया है। प्रशांत भूषण ने कोर्ट में अपना रुख साफ किया और कहा कि अगर वह अपने विचारों से पीछे हटते हैं जिनसे जजों की अवमानना हुई है तो फिर ये उनकी अपनी अन्तरात्मा की अवमानना होगी।
कॉलम में प्रशांत भूषण की जमकर तारीफ
पाकिस्तानी पत्रकार ने प्रशांत भूषण की जमकर तारीफ की है। कॉलम में लिखा गया है कि प्रशांत की राजनीति का दायरा बहुत बड़ा है। उन्होंने आम आदमी पार्टी की मदद की जिसकी मदद से साल 2015 में मोदी का विजय रथ रुका। हालांकि, बाद में प्रशांत भूषण आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल से अलग हो गए क्योंकि भूषण को लगा कि केजरीवाल भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं जिसकी कभी वे मिलकर आलोचना किया करते थे। हालांकि, उनके निशाने पर अब भी कॉरपोरेट घराने के पूंजीपति हैं जो देश की राजनीति चलाते हैं।
राहुल को मीडिया और भाजपा ने बदनाम किया
इसके बाद राहुल गांधी की तारीफ करते हुए दोनों को एक होने की सलाह दी गई है। कहा गया है कि राहुल को मीडिया और भाजपा ने बदनाम कर रखा है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मीडिया घराने तक उन्हें कई तरह के नामों से संबोधित करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का संकल्प लिया है। 
राहुल को अक्षम नेता के तौर पर दिखाया जा रहा है
दावा किया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन पर उनकी नाराजगी को सत्तापक्ष ने हाईजैक कर लिया। कॉलम के अनुसार, राहुल गांधी ने राम मंदिर, चीन विवाद, कोरोना आपदा और राफेल पर सरकार के खिलाफ बोला। तमाम टीवी चैनल राहुल गांधी को अक्षम नेता के तौर पर दिखा रहे हैं, वहीं, संसद के अंदर और बाहर राहुल ने भ्रष्टाचार को लेकर जिन टाइकून का नाम लिया है, वे डरे हुए हैं।
राहुल और प्रशांत को साथ आने की सलाह 
कॉलम में कहा गया है कि जैसे प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, वैसे ही राहुल ने भी कहा कि वह सरकार की जन विरोधी नीतियों की खुलकर आलोचना करते रहेंगे चाहे उनका राजनीतिक करियर ही दांव पर क्यों ना लग जाए। कॉलम के मुताबिक वर्तमान में कोई ऐसा राजनेता नजर नहीं आता है जो राहुल गांधी की तरह अपना करियर भी दांव पर लगाने के लिए तैयार हो। इसके अलावा, कई और वजहें हैं जिसकी वजह से राहुल गांधी और प्रशांत भूषण को साथ आना चाहिए।

No comments: