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अपने शौहर फिरोज जहांगीर के साथ इंदिरा गाँधी |
कहते हैं संस्कार बच्चा माँ के पेट से लेकर आता है, जो गाँधी परिवार पर सटीक भी बैठता है। इंदिरा गाँधी से लेकर आज राहुल गाँधी और प्रियंका वाड्रा तक कोई फ़िरोज़ जहांगीर का नाम लेने की बजाए ननिहाल नेहरू परिवार से अपने सम्बन्ध बताते रहते हैं। लगता है सोनिया, राहुल और प्रियंका को फ़िरोज़ की पृष्ठभूमि का बोध नहीं या फिर नेहरू परिवार के बाहर का होने से लगता है शायद उनको उतना लाभ न मिल पाए, अगर वह इस कारण अपने ससुर/दादा फ़िरोज़ का नाम नहीं लेते, भयंकर भूल कर रहे हैं।
फिरोज का नाम या उसका अनुसरण करने का कारण है, वह यह कि ये नेहरू परिवार की तरह भ्रष्टाचार और घोटालों से दूर नहीं रहना चाहते। सत्ता तो आनी जानी चीज है, लेकिन आत्मसम्मान अगर चला गया तो पुनः प्राप्त नहीं होता। यदि वर्तमान गाँधी परिवार फिरोज के कदम-ओ-निशान पर चलते तो आत्मसम्मान नहीं गया होता। परन्तु अब बहुत देर हो चुकी है। आज फ़िरोज़ भी कब्र में अपना सिर दीवारों से पीट रहे होंगे। शायद यही कारण भी है कि फिरोज की चीख न सुन पाने के कारण कोई उनकी कब्र तक पर सजदा करने नहीं जाता। इन्हें नहीं मालूम की जब फिरोज संसद में खड़े होते थे, ससुर जवाहर लाल नेहरू के पसीने आने लगते थे। लेकिन जब उसी संसद में फिरोज का पोता राहुल बोलता है, हंसी का पात्र बन जाता है। और पोती प्रियंका के भी राजनीति में आने पर आलम यही है। यानि पोते और पोती दोनों ने अपने दादा फिरोज जहांगीर के नाम को तक को कलंकित कर दिया। दादा फिरोज ने लड़ाई लड़ी भ्रष्टाचार और घोटालों के विरुद्ध और फुलवारी लड़ाई लड़ रही है भ्रष्टाचारी और घोटालेबाज़ों को बचाने। खैर।
मुंबई ही क्यों गयी थी राजीव की डिलीवरी के लिए?
देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का मुंबई से खास कनेक्शन रहा है। मुंबई में जिस जगह फिलहाल कुमार मंगलम बिड़ला का घर है, वहां कभी इंदिरा गांधी की छोटी बुआ कृष्णा हटी सिंह का घर हुआ करता था। इसका नाम आनंद भवन था। खास बात ये है कि इसी घर में इंदिरा गांधी को मिला था मां बनने का आनंद। इंदिरा गांधी इलाहाबाद में थीं, जब उन्हें पहली बार अपने मां बनने का पता चला। इंदिरा गांधी उस वक्त खुश थीं तो उनके मन में डर भी था। इसके पीछे कारण उनकी सेहत थी। वो बचपन से लेकर राजनीति में जाने तक अकसर बीमार रहती थीं। खराब सेहत के कारण ही उन्हें ऑक्सफर्ड से बीच में ही पढ़ाई छोड़कर वापस भारत लौटना पड़ा था।
इंदिरा गाँधी की सेहत ख़राब रहने के कारण जानने के लिए हमें कुछ पीछे जाना पड़ेगा। शायद यही उनकी सेहत ख़राब रहने का कारण हो, देखिए :
देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ रहस्यों का खुलासा एक नई किताब में किया गया है। वरिष्ठ टीवी पत्रकार सागरिका घोष की लिखी किताब Indira: India’s Most Powerful Prime Minister में इंदिरा और फीरोज गांधी के रिश्तों पर नई रोशनी डाली गई है। किताब के अनुसार, ‘फीरोज ने 1955 में जब जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण किया, प्रेस का संसदीय कार्यवाही की रिपोर्टिंग की आजादी दिलाई, हालांकि बाद में इस कानून को इंदिरा ने ही इमरजेंसी के दौरान कुचल दिया। सागरिका की किताब के अनुसार, दिल्ली में फीरोज को नेहरू की मौजूदगी से घुटन होती थी और तीन मूर्ति भवन में रहना उनके लिए असहनीय हो गया था। फीरोज की आशिक-मिजाजी के किस्से दिल्ली के गलियारों में सुनाई देने लगे थे। वह अक्सर तारकेश्वरी सिन्हा, महमूना सुल्तान और सुभद्रा जोशी जैसी सांसदों के साथ अपनी दोस्ती का प्रदर्शन करते थे, वह भी ऐसा दिखाने के लिए जैसे वह अपने ससुराल वालों को शर्मिंदा कर रहे हों।
हालांकि तारकेश्वरी सिन्हा ने यह कहते हुए खंडन किया , ”अगर एक मर्द और औरत साथ में लंच कर लें तो अफेयर की अफवाह उड़ने लगती है… मैंने एक बार इंदिरा से पूछा था कि क्या वह अफवाहों में यकीन करती है, चूंकि मैं खुद भी शादीशुदा थी और मेरा एक परिवार तथा सम्मान था, उन्होंने कहा कि वह अफवाहों में यकीन नहीं रखती।”
M.O. मथाई भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी सचिव थे। उन्होंने 1946 से 1959 तक नेहरू के विशेष सहायक के रूप में सेवा की। लेकिन नेहरू के निजी सचिव के इंदिरा गांधी के साथ बहुत निजी संबंध थे।हां, एम.ओ. माथाई जो नेहरू के साथ थे, नेहरू परिवार के बारे में सब कुछ जानते थे, वास्तव में थोड़ा बहुत ज़्यादा ही जानते थे।मथाई ने “रेमिनिसंस ऑफ़ द नेहरु ऐज” नामक एक पुस्तक लिखी जिसमें उन्होंने नेहरू परिवार को नग्न कर दिया।नेहरू के कई रहस्यों को पता चला है लेकिन क्या अधिक दिलचस्प है इंदिरा गांधी का शीर्षक “SHE” है।
अपनी पुस्तक में मथाई नेहरू के प्रति बहुत सम्मान दिखाया है लेकिन उन्होंने खुले तौर पर एश्वीना, पद्मजा नायडू (सरोजिनी नायडू की बेटी), मृदुला साराभाई और कई अन्य लोगों के साथ घनिष्ठ संबंधों से भी खुलेआम बात की थी।नेहरू इन महिलाओं को प्रभावित करने में बहुत व्यस्त थे कि वे भारत की देखभाल करने में भूल गए आखिरकार,भारत 1962 भारत-चीन युद्ध हार गया।उस किताब में “SHE” नाम का एक अध्याय था जो आखिरी पल में वापस ले लिया गया था।इंदिरा गांधी के साथ मथाई के यौन संबंध के विवरण को ‘पिन’ करने के लिए इस अध्याय ने पिन लगा दिया है।
मथाई इंदिरा गांधी के साथ इस तरह के रोमांटिक संबंध थे कि उसने इंदिरा गांधी के घर में संकट पैदा किया था। यह ज्ञात है कि नेहरू को भी फिरोज गांधी पसंद नहीं था। मथाई कहते हैं कि वह बारह साल तक इंदिरा के प्रेमी थे और यहां तक कि एक बार उसको गर्भवती भी बना दिया था,लेकिन उसका गर्भपात करवा दिया गया।
इंदिरा गांधी ने मथाई से कहा, “मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूं, कल शाम को मुझे जंगल में ले जाना चाहती हूं।” मथाई ने उत्तर दिया कि उसके पास किसी महिला से कोई अनुभव नहीं है। इसलिए उसने उन्हें दो पुस्तकें दीं, एक डॉ अब्राहम स्टोन के बारे में सेक्स और महिला शरीर रचना भी थी।
उसने उसे सूर्यास्त के बाद उसे जंगल में ले जाने के लिए कहा। वह हमेशा मथाई को कस कर रखती थी और उसे “ओह भूपत आई लव यू” कहा करती थी।इंदिरा ने उन्हें भूपत का नाम दिया, डाकू और मथाई ने उन्हें पुतिली, डक्केटेस के रूप में बुलाया। उन्होंने कहा कि जब तक उनके साथ वह इंदिरा नहीं थी तब तक उन्हें कभी पता नहीं था कि असली सेक्स क्या होता है?
अध्याय कहता है कि उसका ‘ठंडा और निषिद्ध’ प्रतिष्ठा ‘स्त्रैण स्व-संरक्षण’ का ही एक उपाय था; वह ‘बिस्तर में असाधारण तरीके से अच्छी’ थी; ‘सेक्स एक्ट में उन्हें फ्रांसीसी महिलाओं और केरल नायर महिलाओं की सभी कलात्मकताएं थीं’। मथाई यह भी कहता है कि उन्हें लंबे समय तक चुंबन पसंद है।
यद्यपि उनका इंदिरा गांधी के साथ बहुत अच्छा यौन संबंध था, उसने खुद से खुद को क्यों दूर किया? इंदिरा गांधी का सिर्फ एक व्यक्ति के साथ संबंध नहीं था। एक दिन जब मथाई इंदिरा गांधी से मिलने आए, उन्होंने उन्हें धीरेंद्र ब्रह्मचारी के साथ देखा, जो एक लंबा आदमी था, जिसने इंदिरा गांधी के साथ रखा गया था। जब मथाई ने इंदिरा को उनके साथ देखा, तो उसने कहा कि “मुझे आपको कुछ कहना है; लेकिन मैं इसे बाद में कहूंगा “। यह इंदिरा गांधी के साथ उनके रिश्ते का अंत था।

मथाई ने अपनी आत्मकथा में नेहरू काल का जिक्र करते हुए कथित तौर पर ‘शी’ नाम से एक पूरा खण्ड लिखा है, जिसमें उन्होंने ‘जोशीली’ इंदिरा का जिक्र किया जिनके साथ करीब 12 साल तक उनका अफेयर रहा। कई दक्षिणपंथी वेबसाइट्स पर मौजूद उस कथित खण्ड में कई लाइनें ऐसी हैं जिनमें कहा गया है कि ‘उनकी (इंदिरा) क्लियोपेट्रो जैसी नाक थी, पॉलिन बोनापार्ट जैसी आंखें और वीनस जैसे स्तन थे।’
इस खण्ड में लिखा गया है कि इंदिरा ‘बिस्तर में बेहद अच्छी थीं’ औरं सेक्स में ‘वह फ्रेंच महिलाओं और केरल नायर महिलाओं का मिश्रण थीं।’ किताब में यह भी दावा किया गया है कि वह लेखक (मथाई) से गर्भवती हो गई थीं और गर्भपात कराना पड़ा। कई अपुष्ट ऑनलाइन वर्जन में इंदिरा के हवाले से कहा गया कि वह एक हिंदू से शादी करना बर्दाश्त नहीं कर सकती थीं।’
धीरेंद्र ब्रह्मचारी इंदिरा गांधी के योग प्रशिक्षक थे। योग मुद्रा जल्द ही कामुक मुद्रा बन गयी।इंदिरा गांधी ने एक बार कहा था कि वह कभी भी एक हिंदू से शादी नहीं कर सकतीं, लेकिन वह एक हिंदू साथ रखी थी। उसने यह भी कहा कि ‘मुझे रानी मधुमक्खी पसंद है मैं हवा में प्यार करना चाहती हूं। ‘अध्याय के अंत में, मथाई ने लिखा, ‘मैं उसके साथ प्यार में गहराई से गिर गया था।’(श्रेय: नेहरू एज की यादें)
शायद इसी कारण, काफी सोच समझकर इंदिरा गांधी और उनके पति फिरोज गांधी ने तय किया कि वो अपने पहले बच्चे को मुंबई में जन्म देंगी। इसकी वजह थी डॉ. वीएन शिरोडकर, जो उस वक्त देश के सबसे बड़े गायनोकॉलजिस्ट हुआ करते थे। इंग्लैंड और यूरोप तक से डॉक्टर मुंबई आकर डॉ. शिरोडकर की सर्जरी देखा करते थे।डॉ. शिरोडकर ने सी सेक्शन के लिए एक अलग और नए तरीके की स्टिच की तकनीक खोज निकाली थी।इसे शिरोडकर स्टिच नाम दिया गया और इसे दुनिया भर के डॉक्टरों ने अपनाया। यही कारण था कि इंदिरा और फिरोज गांधी ने डॉ. शिरोडकर को चुना और दोनों मुंबई आ गए। आनंद भवन में रहने लगे। फिर डॉ. शिरोडकर के अंडर में इंदिरा की केयर शुरू हो गई। 1944 का ये वक्त इंदिरा और फिरोज के लिए उनके वैवाहिक जीवन का सुनहरा वक्त था। दोनों दिनभर दोस्तों से मिलते। क्लब-रेस्त्रां में खाना-पीना खाते। वहीं दोनों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की रहती थी कि बच्चे का नाम क्या रखना है। उपुल जयकर की किताब के मुताबिक दोनों को ही लगता था कि उन्हें बेटा होगा। इंदिरा गांधी इस पूरे माहौल, पति और जिंदगी से इतना खुश थीं कि वो एक बार फिर से एक आम गृहिणी की तरह जीवन गुजारने की ख्वाहिशें पालने लगीं।
20 अगस्त 1944 को सुबह 8:10 मिनट पर राजीव गांधी का जन्म हुआ। इंदिरा गांधी की सभी आशंकाएं निराधार साबित हुईं। बिना किसी कॉम्पलिकेशन के राजीव का जन्म हुआ। जवाहरलाल नेहरू उस वक्त अहमदनगर किला जेल में भारत छोड़ो आंदोलन के चलते बंद थे। बताते हैं कि नेहरू जी को इस बात की बहुत चिंता थी कि बच्चे के जन्म का समय सही नोट किया जाए। उन्होंने अपनी बहन को इसके लिए खासतौर पर कहा था कि बच्चे के जन्म का सही टाइम नोटकर उसकी जन्मपत्री बनवाकर उनके पास भेजी जाए। दो महीने बाद अक्टूबर 1944 में इंदिरा और फिरोज राजीव को लेकर वापस इलाहाबाद चले गए।1960 और 70 के दशक में डॉ. शिरोडकर को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से नवाजा गया। यही थी इंदिरा गांधी का मुंबई कनेक्शन।
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