गरीब, मजलूम शांतिदूतों ने आजमगढ़ के कबीरुद्दीनपुर में क्षतिग्रस्त कर दी भगवान शिव की प्रतिमा

भगवान शिव प्रतिमा, क्षतिग्रस्त
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से पूर्व जब सभी का मत था कि "जो भी निर्णय होगा मान्य होगा", फिर आज हिन्दुओं पर प्रहार, मंदिरों पर हमला और रामधुन पर मंदिरों से लाउडस्पीकर उतरवाना कौन-सी धर्म-निरपेक्षता का परिचय दिया जा रहा है? क्या इसी का नाम लोकतंत्र है? क्या यही गंगा-जमुना तहजीब है? आखिर कौन हैं ये लोग, गुंडे या मुग़ल वंशज? और इस हो रहे उपद्रव के सबसे बड़े दोषी हैं वह इतिहासकार, जिन्होंने चंद चांदी के टुकड़ों की खातिर अपने जमीर को बेच मुग़ल आक्रांताओं के खुनी एवं हिन्दू विरोधी कुकर्मों को छुपाकर उन्हें महान बताकर पढ़ने के मजबूर किया। इन उपद्रवियों पर सख्त कार्यवाही करने के साथ-साथ उन इतिहासकारों के खिलाफ भी कार्यवाही करे। क्योकि छद्दम इतिहासकारों के कारण देश को पता नहीं कितने उपद्रवियों को झेलना पड़ेगा। पत्तों पर कार्यवाही के साथ जड़ को पकड़ उस पर भी कार्यवाही हो। यह आरोप नहीं कटु सत्य है। 
योगी सरकार इन उपद्रवियों पर कार्यवाही करने के साथ-साथ इनके समर्थकों पर भी कार्यवाही करे, क्योकि ये शांतिदूत, मजलूम और गरीब बिना किसी लालच के कुछ नहीं कर सकते। इनके समर्थकों पर भी कार्यवाही उतनी ही जरुरी है, जितनी इन बिकाऊ उपद्रवियों पर।  
आजमगढ़ स्थित एक शिव मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किए जाने की ख़बर आई है। अराजक तत्वों ने शुक्रवार (अगस्त 7,2020) को भगवान शिव की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। जैसे ही ग्रामीणों को मंदिर में तोड़फोड़ की सूचना मिली, वो आक्रोशित हो गए। तनाव की खबर मिलते ही कई थानों की पुलिस के साथ पहुँचे वरिष्ठ अधिकारियों ने नई प्रतिमा लगाने का आश्वासन दिया।
‘न्यूज़ 18’ की ख़बर के अनुसार, पुलिस ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि जल्द ही दोषियों को गिरफ्तार करके कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ग्राम प्रधान ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ थाने में तहरीर दी है। ये घटना अतरौलिया थाना क्षेत्र के शेखपुरा कबीरूद्दीनपुर गाँव की है, जहाँ ग्राम समाज की ही जमीन पर 15 वर्ष पहले शिव मंदिर की स्थापना की गई थी। श्रावण मास में यहाँ श्रद्धालुओं का मेला भी लगता था।
शिव मंदिर में फ़िलहाल कोई पुजारी नहीं था। ग्रामीण ही मंदिर के दरवाजे को खोलने और बंद करने का काम किया करते थे। श्रावण के महीने में मंदिर में ताला नहीं बंद किया जाता था। शुक्रवार(अगस्त 7) की देर रात बदमाशों ने मंदिर में शिव प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया और फिर फरार हो गए। सुबह जब महिलाएँ वहाँ पूजा करने पहुँची तो उन्होंने प्रतिमा को क्षतिग्रस्त पाया। इसके बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण वहाँ पहुँचे।

ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने इस मामले का विरोध किया। पुलिस ने ग्रामीणों से वार्ता कर के मामले को शांत कराया। खंडित शिव प्रतिमा की जगह नई प्रतिमा लगवाने की बात भी कही गई है। बुढ़नपुर सीओ शीतला प्रसाद ने कहा कि किसी ने क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए इस तरह की करतूत की है। पुलिस दोषियों की पहचान कर के उनकी गिरफ़्तारी के प्रयास में लगी हुई है। फ़िलहाल वहाँ शांति बनी हुई है।
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इसी तरह नवम्बर 2019 में आज़मगढ़ में ही महाराजगंज थाना क्षेत्र के सहदेव गंज रोड पर स्थित मुंडीलपुर प्राइमरी विद्यालय के पास स्थित शिव मंदिर में तोड़फोड़ कर के प्रतिमा को खंडित किया गया था। वहाँ शराब बोतलें भी पड़ी हुई मिली थी। पूजा करने गए ग्रामीणों ने इसे देख कर विरोध किया था, जिसके बाद पुलिस ने मूर्ति की मरम्मत कराई थी। अब फिर से ऐसी घटना सामने आना चिंता का विषय है।

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