साभार : सुदर्शन चैनल |
राजनीति का इस पाखंडी सेकुलरिज्म ने नाश करने के साथ-साथ समस्त कार्य-प्रणाली को प्रभावहीन कर दिया है। अपनी कुर्सी की खातिर देश के गौरवमयी इतिहास को धूमिल कर, मुग़ल आतताइयों को महान बताकर पढ़ाने का साहस सिर्फ और सिर्फ भारत में ही हो सकता है। अगर विदेश में ऐसा कुकृत्य किया होता, सलाखों के पीछे पटक दिया होता। हिन्दू हित की बात करने में साम्प्रदायिकता नजर आती है और मुस्लिम हित की बात करने पर सेकुलरिज्म, ये कौन-सी सियासत है, जहाँ मजहब के नाम पर गोटियां फेंकी जाती है?
देश में कोरोना फैलने पर पूर्व चुनाव आयुक्त कुरैशी का कहना "मोदी को कोरोना हो जाए" क्या प्रमाणित करता है? पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ईरान में भारतीय राजदूत होते पाकिस्तान का समर्थन करते रॉ अधिकारियों की जानकारी देते हैं, फिर उप-राष्ट्रपति रहते दशहरा समारोह में सम्मिलित होते हैं, और जब उनसे भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की आरती के लिए अनुरोध किया जाने पर कहते हैं, "इस्लाम इजाजत नहीं देता", तो क्या वहां माल बटोरने गए थे? फिर 2014 में मोदी सरकार बनने पर पुनः उप-राष्ट्रपति न बनाये जाने पर, भारत में मुसलमानों को डर लगने की अफवाह फ़ैलाने को सेकुलरिज्म कहते हैं?
कमाल है सच्चाई सामने आने से पहले ही घबराहट। सुरेश ने अभी अंगड़ाई ली ही कहाँ है?
सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त 2020 को ‘सुदर्शन न्यूज़’ पर आने वाले सुरेश चव्हाणके के कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुरेश चव्हाणके ने दावा किया था कि इस कार्यक्रम के जरिए वो ‘UPSC जिहाद’ की पोल खोलते हुए बताएँगे कि कैसे सिविल सेवाओं में मुस्लिमों को एक एजेंडे के तहत घुसाया जा रहा है। बाद में हाई कोर्ट ने एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए इस कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दी थी।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ ने ‘सुदर्शन न्यूज़’ पर शाम को प्रसारित होने वाले शो ‘बिंदास बोल’ पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अदालत को विचारों के किसी प्रकाशन या प्रसारण सम्बन्धी चीजों पर रोक लगाने से पहले सतर्क रहना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस स्तर पर हम 49 सेकंड के अपुष्ट ट्रांसक्रिप्ट के आधार पर कार्यक्रम के प्रसारण से पहले उसे प्रतिबंधित किए जाने का फैसला देने से बच रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि विचारों के प्रकाशन या प्रसारण के सम्बन्ध में रोक लगाने वाला निर्णय देने से पहले कोर्ट को सतर्कता बरतनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का ये निर्णय हाई कोर्ट द्वारा कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने के कुछ ही घंटों पहले आया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘सुदर्शन न्यूज़’ पर सुरेश चव्हाणके के कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ के उक्त एपिसोड पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला देते समय समाजिक समरसता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बनाए रखने की जिम्मेदारी की बात की। सुप्रीम कोर्ट में फिरोज इक़बाल खान ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस शो से समाज में विभाजन होगा और इसमें एक खास समुदाय को निशाना बनाया गया है।
ट्विटर पर आती प्रतिक्रियाएंThe Supreme Court was hearing a plea by a different lawyer.— Live Law (@LiveLawIndia) August 28, 2020
The Delhi HC order can be read in this report. 👇🏽https://t.co/oZMFBivthc https://t.co/fGhA8fX7UH
Judges of courts are first nationalists then judges therefore, nationalism comes first always— BABA M. R. (@BabamrM) August 28, 2020
So true but a very sad situation— Kritika verma (@Kritika57082691) August 28, 2020
RIP justice...— GHOR SANKAT (@ghanasankat) August 28, 2020
Sitting in ivory towers, so detached from reality.— M (@thekhanchacha) August 28, 2020
Hope Prashant Bhushan Would Intervene For The Country's Sake. He Seems To Be The Sonu Sood Of Our Law System😢— AMBU RAMESH (@AMBURAMESAN) August 28, 2020
I am afraid the day people will faith in judiciary the whole democracy will collapse— Sarcastically True (@its_amlan) August 28, 2020
वहीं हाई कोर्ट में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने याचिका दायर की थी। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और ‘सुदर्शन न्यूज़’ को नोटिस भी भेजा। जामिया वालों ने इस कार्यक्रम पर मुस्लिमों के प्रति घृणा फैलाने का आरोप लगाया था। सुरेश चव्हाणके ने ‘ब्यूरोक्रेसी जिहाद’ के खिलाफ अभियान शुरू किया है, जिसमें कई सबूतों के आधार पर सच दिखाने का दावा किया जा रहा है।
What is happening in Sweden is extremely sad, my heart goes out to all the natives who believed that being secular made them better people, wake up call for Bharat, don’t be ashamed of protecting your civilization, protecting your Dharma. https://t.co/fErxr1o8GB— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) August 29, 2020
अवलोकन करें:-
सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने 28 अगस्त को प्रसारित होने वाले कार्यक्रम का एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने सूचित किया था कि चैनल विश्लेषण कर रहा है कि दूसरों की तुलना में प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं में विभिन्न पदों पर चयनित मुसलमानों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। उन्होंने अपने वीडियो में चेतावनी दी थी कि, सोचिए, जामिया के जिहादी अगर आपके जिलाधिकारी और हर मंत्रालय में सचिव होंगे तो क्या होगा?
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