सुरेश चव्हाणके के कार्यक्रम पर सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई थी रोक, फिर हाई कोर्ट ने क्यों?

वामपंथ के विरोध के दौरान मीडिया जगत में पुलिस बल अर्थात खाकी के समर्थन की  शुरुआत सुरेश चव्हाणके जी ने की.. आगे भी साथ देते रहने का संकल्प भी
                                                         साभार : सुदर्शन चैनल 
क्या सच्चाई को दिखाना गुनाह है? हर सच्चाई को मुस्लिम कट्टरपंथी और वामपंथी साम्प्रदायिक दृष्टि से ही क्यों देखती है? दूसरे शब्दों में यही कहा जाएगा कि इन लोगों के कुकृत्यों के उजागर होने से इन्हे डर सता रहा है कि जनता-जनार्दन के समक्ष हमारी काली करतूतें उजागर होने से कोई इनकी आवाज़ पर नहीं आएगा। सेकुलरिज्म के नाम पर परोसे जा रहे जहर के सार्वजनिक होने से क्यों घबरा रहे हैं? क्या छद्दम सेकुलरिज्म के नाम पर फैलाए गए जहर को ख़त्म वास्तविक सेकुलरिज्म को लाना साम्प्रदायिकता है?
राजनीति का इस पाखंडी सेकुलरिज्म ने नाश करने के साथ-साथ समस्त कार्य-प्रणाली को प्रभावहीन कर दिया है। अपनी कुर्सी की खातिर देश के गौरवमयी इतिहास को धूमिल कर, मुग़ल आतताइयों को महान बताकर पढ़ाने का साहस सिर्फ और सिर्फ भारत में ही हो सकता है। अगर विदेश में ऐसा कुकृत्य किया होता, सलाखों के पीछे पटक दिया होता। हिन्दू हित की बात करने में साम्प्रदायिकता नजर आती है और मुस्लिम हित की बात करने पर सेकुलरिज्म, ये कौन-सी सियासत है, जहाँ मजहब के नाम पर गोटियां फेंकी जाती है? 
देश में कोरोना फैलने पर पूर्व चुनाव आयुक्त कुरैशी का कहना "मोदी को कोरोना हो जाए" क्या प्रमाणित करता है? पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ईरान में भारतीय राजदूत होते पाकिस्तान का समर्थन करते रॉ अधिकारियों की जानकारी देते हैं, फिर उप-राष्ट्रपति रहते दशहरा समारोह में सम्मिलित होते हैं, और जब उनसे भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की आरती के लिए अनुरोध किया जाने पर कहते हैं, "इस्लाम इजाजत नहीं देता", तो क्या वहां माल बटोरने गए थे? फिर 2014 में मोदी सरकार बनने पर पुनः उप-राष्ट्रपति न बनाये जाने पर, भारत में मुसलमानों को डर लगने की अफवाह फ़ैलाने को सेकुलरिज्म कहते हैं? 
कमाल है सच्चाई सामने आने से पहले ही घबराहट। सुरेश ने अभी अंगड़ाई ली ही कहाँ है?
सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त 2020 को ‘सुदर्शन न्यूज़’ पर आने वाले सुरेश चव्हाणके के कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुरेश चव्हाणके ने दावा किया था कि इस कार्यक्रम के जरिए वो ‘UPSC जिहाद’ की पोल खोलते हुए बताएँगे कि कैसे सिविल सेवाओं में मुस्लिमों को एक एजेंडे के तहत घुसाया जा रहा है। बाद में हाई कोर्ट ने एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए इस कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दी थी।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ ने ‘सुदर्शन न्यूज़’ पर शाम को प्रसारित होने वाले शो ‘बिंदास बोल’ पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अदालत को विचारों के किसी प्रकाशन या प्रसारण सम्बन्धी चीजों पर रोक लगाने से पहले सतर्क रहना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस स्तर पर हम 49 सेकंड के अपुष्ट ट्रांसक्रिप्ट के आधार पर कार्यक्रम के प्रसारण से पहले उसे प्रतिबंधित किए जाने का फैसला देने से बच रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि विचारों के प्रकाशन या प्रसारण के सम्बन्ध में रोक लगाने वाला निर्णय देने से पहले कोर्ट को सतर्कता बरतनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का ये निर्णय हाई कोर्ट द्वारा कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने के कुछ ही घंटों पहले आया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘सुदर्शन न्यूज़’ पर सुरेश चव्हाणके के कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ के उक्त एपिसोड पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला देते समय समाजिक समरसता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बनाए रखने की जिम्मेदारी की बात की। सुप्रीम कोर्ट में फिरोज इक़बाल खान ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस शो से समाज में विभाजन होगा और इसमें एक खास समुदाय को निशाना बनाया गया है।
ट्विटर पर आती प्रतिक्रियाएं





वहीं हाई कोर्ट में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने याचिका दायर की थी। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और ‘सुदर्शन न्यूज़’ को नोटिस भी भेजा। जामिया वालों ने इस कार्यक्रम पर मुस्लिमों के प्रति घृणा फैलाने का आरोप लगाया था। सुरेश चव्हाणके ने ‘ब्यूरोक्रेसी जिहाद’ के खिलाफ अभियान शुरू किया है, जिसमें कई सबूतों के आधार पर सच दिखाने का दावा किया जा रहा है।

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सुदर्शन न्यूज चैनल के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने कुछ दिनों पहले अपने चैनल पर एक सीरीज लाने का ऐलान किया। उन्हो.....
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साभार : यूट्यूब आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार शीर्षक देख आप सोंचगे...
सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने 28 अगस्त को प्रसारित होने वाले कार्यक्रम का एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने सूचित किया था कि चैनल विश्लेषण कर रहा है कि दूसरों की तुलना में प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं में विभिन्न पदों पर चयनित मुसलमानों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। उन्होंने अपने वीडियो में चेतावनी दी थी कि, सोचिए, जामिया के जिहादी अगर आपके जिलाधिकारी और हर मंत्रालय में सचिव होंगे तो क्या होगा?

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