दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार गुलफिशा उर्फ गुल से पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल का कहना है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के प्रोफेसर अपूर्वानंद भी हिंसा की साजिश में शामिल थे। हिंसा भड़काने के लिए बुर्के वाली महिलाओं की टीम तैयार की गई थी।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद भी दिल्ली हिंसा की साजिश का हिस्सा थे। जी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली दंगों में UAPA एक्ट में गिरफ्तार आरोपित जाफराबाद की गुलफिशा उर्फ गुल ने पुलिस को दिए बयान में यह खुलासा किया है।
पुलिस का कहना है कि गुलफिशा ने उन्हें बताया है, “प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा था कि हिंसा की साजिश के लिए तैयार रहो।” हिंसा के बाद प्रोफेसर अपूर्वानंद ने गुलफिशा की तारीफ की थी।
गुलफिशा ने बताया, “हिंसा के बाद अपूर्वानंद ने मुझसे कहा था कि तुमने अच्छा काम किया है। लेकिन पकड़े जाने पर मेरा और पिंजड़ा तोड़ की सदस्यों का नाम मत लेना। प्रोफेसर ने हमे दंगों के लिए मैसेज दिया था। पत्थर, खाली बोतलें, एसिड, छुरियाँ इकठ्ठा करने के लिए कहा गया था। सभी महिलाओं को लाल मिर्च पाउडर रखने के लिए बोला था।”
गुल ने बताया कि प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी (JCC) दिल्ली में 20-25 जगह पर आंदोलन शुरू कर करवा रही है। इन आंदोलन का मकसद भारत सरकार की छवि को ऐसे पेश करना है जैसे ये मुसलमानों के खिलाफ है। ये तभी होगा जब हम प्रदर्शन की आड़ में दंगे करवाएँगे।
गुल ने आगे बताया, “हम खुफिया जगह पर मीटिंग करते थे जिसमें प्रोफेसर अपूर्वानंद, उमर खालिद और अन्य मेंबर शामिल होते थे। उमर खालिद ने कहा था कि उसके PFI और JCC से अच्छे रिश्ते हैं। पैसों की कमी नहीं है। हम इनकी मदद से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकेगे। उमर खालिद, प्रोफेसर अपूर्वानंद को अब्बा समान मानता है।”
जानकारी के मुताबिक गुलफिशा ने हिंसा के लिए 2 व्हाट्सऐप ग्रुप बनाए थे, जिनका नाम- औरतों का इंकलाब और वॉरियर था। गुलफिशा ने बताया कि साजिश के तहत वो खुद बुर्के वाली महिलाओं और बच्चों को गली-गली जाकर CAA और NRC के खिलाफ इस कदर भड़काती थी कि महिलाएँ प्रोटेस्ट में आने के लिए राजी हो जाती थीं। महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन में जोड़ने की वजह ये होती थी कि पुलिस महिलाओं और बच्चों को जबरन नहीं उठाएगी, जैसे शाहीन बाग में हो रहा था।
गुलफिशा के मुताबिक, उसकी दोस्ती डीयू के पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य देवांगना और परोमा राय से भी हुई थी। इनके जरिए गुल की मुलाकात अपूर्वानंद से हुई थी। गुलफिशा ने आगे बताया, “फ्रूट मंडी सीलमपुर में प्रदर्शन शुरू होने के बाद JCC के सदस्य हमें हर तरह से मदद करते थे और सफूरा और मिरान हैदर हमारे और दूसरे प्रदर्शन को को-ऑर्डिनेट करते थे। उमर खालिद भी हमें पैसों से मदद करते थे और भीड़ को भड़काऊ भाषण देते थे जिससे लोग धरने में जुड़े रहते थे।”
गुलफिशा ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि 22 फरवरी को चक्का जाम करने की साजिश के तहत महिलाओं को इकट्ठा कर कैंडल मार्च के बहाने हम निकले और जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गए और रोड ब्लॉक कर दिया गया। जिसके बाद 24, 25, 26 फरवरी को जबरदस्त हिंसा हुई थी।
गुलफिशा ने अपने बयान में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे का भी जिक्र किया है। गुलफिशा ने कहा, “ट्रंप दौरे को ध्यान में रखते हुए। चाँद बाग रोड का भी ‘चक्का जाम’ व्हाट्सऐप पर पोस्ट किया गया। इसको भी प्रोफेसर अपूर्वानंद मॉनिटर कर रहे थे। इसका मकसद था कि चक्का जाम करने से हिन्दू फँस जाएँगे। वहाँ लोग गुस्से में आ जाएँगे। फिर पथराव करा देंगे। फिर भारत की हर जगह छवि खराब हो जाएगी।”
4 अगस्त 2020 को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद को पूछताछ के लिए बुलाया था। करीब 5 घंटे तक पूछताछ की गई थी। पुलिस ने प्रोफेसर का मोबाइल भी जाँच के लिए जब्त कर लिया था।
पूछताछ के बाद प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा था ”मैं जाँच में सहयोग कर रहा हूँ। विरोध-प्रदर्शन करना सभी का मौलिक अधिकार है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों का समर्थन करने वालों को दंगे स्रोत बताना चिंताजनक है।”
दिल्ली पुलिस के मुताबिक डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद भी दिल्ली हिंसा की साजिश का हिस्सा थे। जी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली दंगों में UAPA एक्ट में गिरफ्तार आरोपित जाफराबाद की गुलफिशा उर्फ गुल ने पुलिस को दिए बयान में यह खुलासा किया है।
पुलिस का कहना है कि गुलफिशा ने उन्हें बताया है, “प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा था कि हिंसा की साजिश के लिए तैयार रहो।” हिंसा के बाद प्रोफेसर अपूर्वानंद ने गुलफिशा की तारीफ की थी।
गुलफिशा ने बताया, “हिंसा के बाद अपूर्वानंद ने मुझसे कहा था कि तुमने अच्छा काम किया है। लेकिन पकड़े जाने पर मेरा और पिंजड़ा तोड़ की सदस्यों का नाम मत लेना। प्रोफेसर ने हमे दंगों के लिए मैसेज दिया था। पत्थर, खाली बोतलें, एसिड, छुरियाँ इकठ्ठा करने के लिए कहा गया था। सभी महिलाओं को लाल मिर्च पाउडर रखने के लिए बोला था।”
दिल्ली दंगों की आरोपी और UAPA में गिरफ़्तार गुलफिशां उर्फ गुल ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने दंगों की साजिश की थी। बक़ायदा दंगों के लिए बुर्के वाली महिलाओं की टीम तैयार की गई थी। https://t.co/E2XzL5bOwr— Jitender Sharma (@capt_ivane) August 10, 2020
This was Pre planned, Jafrabad metro station was last protest before riots. Riots had to happen even if @KapilMishra_IND hadn't gone there. The whole gang was working together, professors,Islamic jihadis, politicians @AamAadmiParty ,media,lawyers etc..blaming later Kapil mishra— Jiten Sharma 🇮🇳 (@JitenSharma87) August 10, 2020
एक से एक नामों का खुलासा हो रहा दिल्ली दंगों में,— आदित्य शुक्ला (@adityarss9) August 10, 2020
लेकिन संजय सिंह का नाम क्यों नहीं आ रहा।
जबकि ताहिर हुसैन दंगे के समय संजय सिंह के संपर्क में था।
संजय सिंह का नाम क्यों नहीं आ रहा, दिल्ली की जनता के साथ क्या साजिश हो रही है, संजय सिंह दिल्ली दंगों में शामिल था, आवाज उठाओ हम एक हैं,अगर अपराधी हिंदू है तो उसे भी सजा मिलनी चाहिए संजय सिंह को सजा मिलनी चाहिए,— भक्त भारद्वाज (@Bhardwaj1315) August 10, 2020
दिल्ली बच गया क्योंकि केंद्र में बीजेपी भी थी।— Mankeshwar Hindu (@mankeshwarhindu) August 10, 2020
वरना ये लोग तो पूरी दिल्ली को कश्मीर बनाने वाले थे।
दिल्ली को बचाने में कपिल मिश्रा का भी योगदान है।अगर ओ इनके खिलाफ आवाज बुलंद नहीं करते तो ये ज्यादा नुकसान करते ,इनका प्लान ज्यादा सफल होता ।
ये कोई नई बात नहीं है क्योंकि मुगल और अंग्रेज़ शासन काल में भारत के है कुछ जयचंद थे और अभी अपूर्वानंद है, देश फिर भी चलता रहेगा।— Swapan Das (@SwapanD67475962) August 10, 2020
ये वही हैं ना जिसको रवीश कुमार अपने साथ पैनल में एक्सपर्ट के तौर पर बैठाया करता था @sharmasatender @khaleri— Atul bhardwaj🇮🇳 (@BhardwajAtul198) August 10, 2020
यह आपूर्वानंद तो @ashutosh83B का गुरु है , इसके लेख सत्य हिंदी में बहुत छापता है ।— सत्यनील मिश्रा - राष्ट्र प्रथम (@Skm68161011) August 10, 2020
ये लाल सलाम वामपंथ भारत के लिए ही नहीं बल्कि यहां के समाज की एकता और सौहार्द के लिए भी खतरा है! सुरक्षा agencies कैसे @Apoorvanand__ जैसे नक्सली प्रोफेसर पर समय रहते कार्यवाही नहीं कर पाती!!— Shubhendra Singh (@shubhen76383155) August 10, 2020
इन लाल सलाम सोच वालो का भाग विशेष डंडों से मार मार कर ऐसा लाल कर दो की ना बैठते बने ना सुबह सुबह जाते बने हरामखोर सब के सब— Priti. S. Patel (@PritiSPatel3) August 10, 2020
गुल ने बताया कि प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी (JCC) दिल्ली में 20-25 जगह पर आंदोलन शुरू कर करवा रही है। इन आंदोलन का मकसद भारत सरकार की छवि को ऐसे पेश करना है जैसे ये मुसलमानों के खिलाफ है। ये तभी होगा जब हम प्रदर्शन की आड़ में दंगे करवाएँगे।
गुल ने आगे बताया, “हम खुफिया जगह पर मीटिंग करते थे जिसमें प्रोफेसर अपूर्वानंद, उमर खालिद और अन्य मेंबर शामिल होते थे। उमर खालिद ने कहा था कि उसके PFI और JCC से अच्छे रिश्ते हैं। पैसों की कमी नहीं है। हम इनकी मदद से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकेगे। उमर खालिद, प्रोफेसर अपूर्वानंद को अब्बा समान मानता है।”
जानकारी के मुताबिक गुलफिशा ने हिंसा के लिए 2 व्हाट्सऐप ग्रुप बनाए थे, जिनका नाम- औरतों का इंकलाब और वॉरियर था। गुलफिशा ने बताया कि साजिश के तहत वो खुद बुर्के वाली महिलाओं और बच्चों को गली-गली जाकर CAA और NRC के खिलाफ इस कदर भड़काती थी कि महिलाएँ प्रोटेस्ट में आने के लिए राजी हो जाती थीं। महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन में जोड़ने की वजह ये होती थी कि पुलिस महिलाओं और बच्चों को जबरन नहीं उठाएगी, जैसे शाहीन बाग में हो रहा था।
गुलफिशा के मुताबिक, उसकी दोस्ती डीयू के पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य देवांगना और परोमा राय से भी हुई थी। इनके जरिए गुल की मुलाकात अपूर्वानंद से हुई थी। गुलफिशा ने आगे बताया, “फ्रूट मंडी सीलमपुर में प्रदर्शन शुरू होने के बाद JCC के सदस्य हमें हर तरह से मदद करते थे और सफूरा और मिरान हैदर हमारे और दूसरे प्रदर्शन को को-ऑर्डिनेट करते थे। उमर खालिद भी हमें पैसों से मदद करते थे और भीड़ को भड़काऊ भाषण देते थे जिससे लोग धरने में जुड़े रहते थे।”
गुलफिशा ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि 22 फरवरी को चक्का जाम करने की साजिश के तहत महिलाओं को इकट्ठा कर कैंडल मार्च के बहाने हम निकले और जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गए और रोड ब्लॉक कर दिया गया। जिसके बाद 24, 25, 26 फरवरी को जबरदस्त हिंसा हुई थी।
गुलफिशा ने अपने बयान में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे का भी जिक्र किया है। गुलफिशा ने कहा, “ट्रंप दौरे को ध्यान में रखते हुए। चाँद बाग रोड का भी ‘चक्का जाम’ व्हाट्सऐप पर पोस्ट किया गया। इसको भी प्रोफेसर अपूर्वानंद मॉनिटर कर रहे थे। इसका मकसद था कि चक्का जाम करने से हिन्दू फँस जाएँगे। वहाँ लोग गुस्से में आ जाएँगे। फिर पथराव करा देंगे। फिर भारत की हर जगह छवि खराब हो जाएगी।”
4 अगस्त 2020 को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद को पूछताछ के लिए बुलाया था। करीब 5 घंटे तक पूछताछ की गई थी। पुलिस ने प्रोफेसर का मोबाइल भी जाँच के लिए जब्त कर लिया था।
पूछताछ के बाद प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा था ”मैं जाँच में सहयोग कर रहा हूँ। विरोध-प्रदर्शन करना सभी का मौलिक अधिकार है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों का समर्थन करने वालों को दंगे स्रोत बताना चिंताजनक है।”
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