'15 अगस्त के बाद दोबारा CAA-NRC के खिलाफ प्रोटेस्ट… इंशाल्लाह’ : महमूद प्राचा

15 अगस्त CAA-NRC प्रोटेस्टकोरोना वायरस के कारण स्थगित हुए (ऐसा वो कहते हैं) एंटी CAA-NRC प्रोटेस्ट को दोबारा से शुरू करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। दिल्ली के शाहीन बाग आंदोलन से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कहा है कि जल्द ही पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन फिर शुरू होगा, जिसके लिए उन्होंने तैयारी शुरू कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने मोहर्रम को लेकर कहा कि देश में हर धर्म के लिए कानून है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस भी कहती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह पुरी की जगन्नाथ यात्रा को सशर्त अनुमति दी गई कि 500 से अधिक लोग इस रथयात्रा में उपस्थित नहीं होंगे, इसी तरह उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से माँग की है कि मोहर्रम के जुलूस को भी शर्तों के साथ अनुमति दी जाए। क्योंकि जो नियम एक धर्म के लिए हो सकता है, वह अन्य धर्म पर भी लागू हो सकता है।
उनका कहना है कि वह आंदोलन के अलावा मोहर्रम से जुड़ी धार्मिक गतिविधियों के बारे में भी समुदाय के लोगों को जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि समुदाय के लोगों को बताया जाएगा कि किस प्रकार कानूनी दायरे में रहकर मोहर्रम में गतिविधियाँ पूरी की जाएँगी। इसके अलावा अगर उन्हें कोई गलत तरह से प्रताड़ित करे, तो उससे कैसे बचा जाएगा- ये भी वह समुदाय के लोगों को समझाएँगे।
महमूद प्राचा ने कहा कि भारत सरकार की अनलॉक स्टेज काफी एडवांस स्टेज पर पहुँच गई है। सरकार ने भी अनलॉक गाइडलाइन जारी कर दी है। पूरे देश में हर प्रकार की गतिविधि को सरकार अनुमति दे रही है। ऐसे में न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, प्राचा कहते हैं, “15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के आसपास से दोबारा ‘संविधान बचाओ आंदोलन शुरू होगा इंशाल्लाह।”
प्राचा द्वारा ‘संविधान बचाओ आंदोलन शुरू होगा इंशाल्लाह।” को नकारात्मक लेने की बजाए सकारात्मक लेने की जरुरत है। संविधान की दुहाई देने वालों को ज्ञात होगा कि संविधान हमें बराबरी का अधिकार देता है, फिर किसी भी तरह के निम्न भेदभाव भी समाप्त होने चाहिए:
*शिया, सुन्नी, वहाबी, अहमदी आदि सब एक ही मस्जिद में नमाज पढ़ें अलग-अलग मस्जिदों में नहीं; 
*सभी के मृतक एक ही कब्रिस्तान में दफ़न किए जाएं अलग-अलग कब्रिस्तानों में नहीं, क्योकि हिन्दू का मृतक--चाहे वह किसी भी जाति से है--एक ही शमशान में जलाया जाता है;
*जिस तरह बड़े मंदिरों में आने वाले चढ़ावे पर सरकार का नियंत्रण है, उसी भांति जितनी भी बड़ी मस्जिदें और दरगाहों के चढ़ावे भी सरकार के नियंत्रण में हों;
*जिस तरह मस्जिदों के इमामों और कर्मचारियों को सरकार वेतन देती है, उसी भांति मंदिरों के महन्त और कर्मचारियों को सरकार की तरफ से वेतन मिलना चाहिए, 
*जिस तरह मुहर्रम के दिन ताजिया निकलते समय उन मार्गों का ट्रैफिक रोक दिया जाता है, उसी भांति रामलीला निकलते समय उस मार्ग का ट्रैफिक भी रोक देना चाहिए;
*जिस प्रकार अल्पसंख्यक आयोग है, उसी तरह बहुसंख्यक आयोग का गठन हो, दोनों आयोग के नियम एवं शर्तों में कोई अंतर न हो;
*सभी पर यूनिफार्म सिविल कोड लागू हो;
*जिस तरह मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मदरसे खोलने की आज़ादी है, उसी तरह गुरुकुल भी खोले जाएं;
*एक से ज्यादा निकाह पर पाबन्दी हो(विशेष परिस्थिति को छोड़);
*सरकारी अवकाश अथवा साप्ताहिक अवकाश में जब कत्लगाह बंद रहते हैं, उस दिन किसी भी प्रकार के मांस की बिक्री पर पूर्णरूप से प्रतिबंधित हो; आदि आदि अनेकों ज्वलंत प्रश्नों का संज्ञान लेना चाहिए तभी संविधान का सम्मान होगा।
 
  
उनका कहना है कि वह इस आंदोलन की शुरुआत एक बार दोबारा संविधान बचाओ कानून और आरक्षण बचाओ मिशन के तहत करेंगे। मगर, अभी फिलहाल वह हर शहर में जाकर इसके लिए लोगों को तैयार कर रहे हैं। उनके मुताबिक अलीगढ़ में इस आंदोलन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी क्योंकि अलीगढ़ से एक संदेश पूरे देश और दुनिया में जाता है, इसलिए यह आंदोलन के लिए बेहद खास है।
प्राचा ने अपनी बात को रखते हुए उन लोगों के बारे में भी बात की, जिन्हें कई आरोपों के तहत जेल में बंद किया गया है। वे कहते हैं कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों को झूठे मुकदमे लगा कर जेलों में बंद किया गया। उन्हें देश के सामने खलनायक प्रस्तुत किया गया जो कि उचित नहीं है। अब वह सही तस्वीर सामने लाएँगे।
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महमूद प्राचा की इन बातों के बाद उनके खिलाफ सिविल लाइन थाने में तहरीर दी गई है। तहरीर में कहा गया है कि वह सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करके भावनाओं को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। अब मामले में थाना पुलिस ने मेडिकल चौकी इंचार्ज को जाँच सौंप दी है। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से भी शिकायत की गई है।

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